गुरुवार, मई 11, 2023

कांग्रेस घोषणापत्र और हेट स्पीच पर प्रतिबन्ध: सन्दर्भ कर्नाटक

 11th May 2023 at 12:32 PM

राम पुनियानी का विशेष आलेख जो आप में जगाएगा नई सोच और नई दिशा  

भोपाल: 11 मई 2023: (राम पुनियानी//इर्दगिर्द)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र (मई 2023) में कांग्रेस ने वायदा किया है कि अगर राज्य में उसकी सरकार बनी तो नफरत फैलाने वाले संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाया जायेगा। पीएफआई पर पहले से ही प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है। कांग्रेस ने संघ परिवार के सदस्य बजरंग दल को भी पीएफई के समतुल्य बताया है। 

इस बात पर हंगामा खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर वार्ड स्तर के नेताओं तक ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। एक तरह से उन्हें वह मैदान मिल गया है जिसमें खेलना उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है। वे बजरंग दल को भगवान हनुमान के तुल्य बताने लगे हैं और मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह भगवान हनुमान को उसी तरह कैद करने का प्रयास कर रही है जैसे उसने भगवान राम को किया था। ज्ञातव्य है कि अब तक भाजपा चुनावों में भगवान राम के नाम का भरपूर इस्तेमाल करती आई है। 

कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भगवान हनुमान की तुलना बजरंग दल से करना उनका अपमान है और भाजपा ने ऐसा करके हिन्दुओं की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। कुछ लोगों ने यह भी याद दिलाया है कि प्रमोद मुत्तालिक की श्री राम सेने पर गोवा की भाजपा सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया था। जब भाजपा स्वयं भगवान राम के नाम वाले संगठन को प्रतिबंधित कर सकती है तो बजरंग दल के मुद्दे पर हंगामा मचाने को अवसरवादिता के अलावा क्या कहा जा सकता है।  

भगवान हनुमान को देश के कई हिस्सों में श्रद्धा के साथ पूजा जाता है और तुलसीदास कृत ‘हनुमान चालीसा’ शायद सबसे लोकप्रिय प्रार्थनाओं में से एक है। हनुमान अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक भी हैं। क्या बजरंग दल को हम किसी भी तरह बजरंगबली से जोड़ सकते हैं?   

समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत करने के लिए भाजपा की चुनावी सभाओं में ‘जय बजरंगबली’ के नारे लगाये जा रहे हैं।  किसी ने यह भी पूछा है कि जिन लोगों ने भारत के संविधान के नाम पर शपथ ली है, क्या वे सार्वजनिक मंचों से भगवानों के जयकारे लगा सकते हैं? अगर दूसरे धर्म में आस्था रखने वाले नेता ‘नारा ऐ तकबीर-अल्लाह हू अकबर’ का नारा आमसभाओं में बुलंद करें तो क्या यह उन्हें स्वीकार होगा?

बजरंग दल आखिर है क्या? वह विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) की एक शाखा है और विहिप, आरएसएस का अनुषांगिक संगठन है।  विहिप सन 1980 के दशक में अचानक चर्चा में आई जब उसने राम मंदिर का मुद्दा जोरशोर से उठाना शुरू किया। बजरंग दल का गठन विहिप की युवा शाखा के रूप में किया गया था ताकि पहले उत्तर प्रदेश और फिर देश के अन्य भागों में युवाओं को राममंदिर आन्दोलन से जोड़ा का सके। बजरंग दल ने ही कारसेवा और बाबरी मस्जिद को जमींदोज करने के लिए लड़कों को भर्ती किया। बाबरी मस्जिद के ध्वंस के लिए लोगों को गोलबंद करने में बजरंग दल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह संगठन हिंसा में यकीन रखता है। यह इससे भी साबित होता है कि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान उसने खून से भरा एक पात्र अडवाणी को भेंट किया था और उनके माथे पर रक्त का टीका भी लगाया था। हिंसा इस संगठन के रगों में है। 

बजरंग दल के मुखिया विनय कटियार, जो बाद में भाजपा सांसद बने, ने बाबरी ध्वंस की पूर्वसंध्या पर कहा था कि मस्जिद को मिटा दिया जायेगा और उसके मलबे तो सरयू नदी में बहा दिया जायेगा  . बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद किस तरह की भयावह हिंसा पूरे देश में हुई थी यह हम सब को पता है। 

बजरंग दल वैलेंटाइन्स डे के भी खिलाफ था और देश के कई भागों में उसने इस दिन प्रेमी जोड़ों की पिटाई भी की. बाद में उसने लड़कियों के जीन्स पहनने पर भी आपत्ति जताई और महिलाओं के लिए एक ‘ड्रेस कोड’ भी बनाया. 

पास्टर ग्राहम स्टेंस और उनके दो मासूम बच्चों की जिंदा जला कर क्रूर हत्या को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने “समय की कसौटी पर खरी उतरे सहिष्णुता और सद्भाव के मूल्यों के भयावह पतन” का प्रतीक बताते हुए कहा था कि “यह कुत्सित काण्ड दुनिया के सबसे काले कारनामों की सूची में शामिल होगा”. उस समय के केंद्रीय गृहमंत्री एल.के. आडवाणी ने इस अमानवीय घटना में बजरंग दल का हाथ होने से इंकार किया था परन्तु बाद में हुई जांच से पता चला कि बजरंग दल के एक सदस्य राजेंद्र पल उर्फ़ दारा सिंह ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया था. दारा सिंह इस समय आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 

सन 2006 से 2008 के बीच देश में अनेक आतंकी हमले हुए. इसी दौरान, नरेश और हिमांशु पांसे नामक दो बजरंग दल कार्यकर्ता बम बनाते हुए मारे गए. घटनास्थल से कुर्ता-पायजामा और एक नकली दाढ़ी भी बरामद हुई. इसी तरह की घटनाएं देश के अन्य कई इलाकों में हुईं. सन 2019 की जनवरी में योगेश राज नाम के एक बजरंग दल कार्यकर्ता को बुलंदशहर में मरी हुई गाय से जुड़े एक मामले में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।  

हाल में रामनवमी पर हुई हिंसा के सिलसिले में बिहारशरीफ में बजरंग दल के कुंदन कुमार को गिरफ्तार किया गया है.

जहाँ तक पीएफआई का सवाल है, नफरत फैलाना और हिंसा करना उसकी प्रमुख गतिविधियों में शामिल रहा है. सन 2010 में केरल में ‘ईशनिंदा’ के नाम पर प्रोफेसर जोसफ के हाथ काटने की वीभत्स घटना हम सबको याद है। 

धर्म के नाम पर अपनी गतिविधियाँ चलाने वाले सभी संगठन असहिष्णु होते हैं, नफरत फैलाते हैं और हिंसा का सहारा लेते है. इस तरह के संगटनों में समानताएं भी होतीं हैं और अंतर भी। 

एक मौके पर राहुल गाँधी ने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी। उन्होंने कहा था, “आरएसएस भारत के मिज़ाज को बदलने का प्रयास कर रहा है। देश में कोई ऐसा कोई अन्य संगठन नहीं है जो भारत की सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा करना चाहता है। मुस्लिम ब्रदरहुड भी अरब देशों में ठीक यही करना चाहता था. दोनों का लक्ष्य यही है कि उनकी सोच हर संस्था पर लागू होनी चाहिए और अन्य सभी विचारों को कुचल दिया जाना चाहिए। ” उन्होंने यह भी कहा कि, “मुस्लिम ब्रदरहुड पर अनवर सादात की हत्या के बाद प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। उसी तरह, महात्मा गाँधी कि हत्या के बाद आरएसएस को प्रतिबंधित कर दिया गया था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही संगठनों में महिलाओं के लिए कोई स्थान नहीं है।”

इन दोनों संगठनों का काम करने का तरीका बेशक अलग-अलग है परन्तु वे समान इसलिए हैं क्योंकि उनकी नींव उनके धर्मों की उनकी अपनी समझ पर रखी गई है, वे इस सोच को समाज पर लादना चाहते हैं और यही सोच उनकी राजनीति का आधार भी है. वे आज़ादी, बराबरी और भाईचारे के मूल्यों के खिलाफ हैं. और हाँ, दोनों समाज में परोपकार के काम भी करते है.

पिछले कुछ दशकों में समाज में धार्मिकता बढ़ी है और धर्म के नाम पर राजनीति भी. समाज में दकियानूसीपन बढ़ा है और आस्था पर आधारित सोच हावी हुई है. नतीजा यह है कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ भी सांप्रदायिक ताकतों द्वारा धर्म के उपयोग को नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहीं हैं. तालिबान महिलाओं को कुचल रहा है. परन्तु क्या महिलाओं को जीन्स पहनने से रोकना या उन्हें बुर्का पहनने पर मजबूर करना भी तालिबानी सोच का कुछ नरम संस्करण नहीं है? (अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)

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बुधवार, मई 10, 2023

ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’

ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’

जिसमें मिलेगी अतीत और आज की झलक 


लुधियाना: 12 फरवरी 2023: (हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

भोपाल एक ऐसा शहर है जहां शिक्षा और साहित्य से जुड़े बहुत से लोग रहते हैं। बुलंद आवाज़ लेकिन बहुत ही सलीके से सच कहने वाले इन लोगों से मिल कर, इनका कलाम पढ़ कर लगता है जैसे भोपाल के जलवायु में ही कोई ऐसा जादू है जो कलम में इंकलाब ले आता है। वहां भोपाल जा कर इन लोगों के जनजीवन को नज़दीक से देखने का मन भी अक्सर होता है और कुछ समय इनके पास रहने का भी। बहुत ही गहरी बातें बहुत ही सादगी से कह जाते हैं ये लोग। कलम और कलाम की दुनिया में इनका कद बहुत ऊंचा ही बना रहता है इसके बावजूद मिलने वालों को इनकी विनम्रता और स्नेह हमेशां के लिए  अपना भी बना लेते हैं ये लोग। विजय तिवारी विजय  लम्बे समय से बहुत ही सादगी से बहुत ही गहरी बातों की शायरी  करते आ रहे हैं। उनकी शायरी सियासत की साज़िशों की बात भी करती है और जी टी रोड पर जीने को तरसती ज़िंदगी की बात भी। देखिए उनकी एक ग़ज़ल की झलक। आज के महाभारत में घिरे अभिमन्यु की चर्चा भी आपको इसी शायरी में मिलेगी और इसके साथ ही हिंदी की मधुरता और उर्दू की मिठास को एक दुसरे के नज़दीक लाने का ज़ोरदार प्रयास भी। मुशायरा कहीं भी हो उनकी हाज़री उसमें चार चाँद लगा देती है। उनकी कोशिश भी होती है कि निमंत्रण मिलने पर शामिल भी ज़रूर हुआ जाए। इसके बावजूद कभी कभी कोई मजबूरी आन ही पड़ती है तो उनके चाहने वाले उदास हो जाते हैं। आपको उनकी शायरी कैस लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही।  --रेक्टर कथूरिया 

कितनी मुश्किल से कटा दिन होश के मारों के बीच। 

शाम ए ग़म का शुक्रिया ले आई मयख़ारों के बीच ...


क्या कभी देखा है वो ग़ुब्बारा ग़ुब्बारों के बीच। 

पेट की ख़ातिर भटकता दौड़ता कारों के बीच...


रिंद ओ साक़ी जाम ओ पैमाना तलबगारों के बीच। 

आ गये सब ग़म के मारे अपने ग़मख़्वारों के बीच... 


चीख़ता ही रह गया मैं अम्न हूँ मैं अम्न हूँ। 

दब गई आवाज़ मेरी मज़हबी नारों के बीच...


बार ए ग़म से लड़खड़ाकर क्या गिरा मस्जिद में आज । 

यूँ घिरा जैसे शराबी कोई दींदारों के बीच...


मौसम ए तन्हाई में बहते हैं आँसू इस क़दर। 

दस्त में बहता हो जैसे झरना कुहसारों के बीच...


बज़्म ए जानाँ में मुझे देखा गया कुछ इस तरह। 

जैसे कोई ग़म का नग़मा कहकहाज़ारों के बीच...


या ख़ुदा अहल ए अदब में यूँ रहे मेरा वुजूद। 

एक जुगनू आसमाँ पर चाँद और तारों के बीच...


एक अभिमन्यु घिरा फिर धर्म संसद में ‘विजय’

रिश्तेदारों चाटुकारों और सियहकारों के बीच

                           ----विजय तिवारी ‘विजय’

चलते चलते विजय साहिब का ही एक और शेयर:

किसी के इश्क में दुनिया लुटा कर

सुखनवर हो गए हैं कुल मिलाकर! 

मंगलवार, फ़रवरी 07, 2023

पति के गुज़र जाने के बाद ही सामने आया ज़िंदगी का असली इम्तिहान

06 February 2023 at  21:17 

स्वरोजगार योजना से दिखाया यशोदा पटवा ने आजीविका में कमाल 

छिन्दवाडा: 06 फरवरी 2023: (इर्द गिर्द ब्यूरो)::

शासन द्वारा संचालित स्वरोजगार योजना जरूरतमंद व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। छिंदवाड़ा जिले की नगर परिषद चांद की श्रीमती यशोदा पटवा के लिए भी स्वरोजगार योजना संकट की घड़ी में बड़ा सहारा साबित हुई है। 

कोरोना महामारी में पति के गुजर जाने के बाद नगर परिषद चांद की स्वरोजगार योजना की मदद से ही उनकी आजीविका संभल सकी है और अब वे अपने रेडीमेड कपड़े के व्यवसाय को लगातार बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्हें स्वरोजगार योजना के साथ ही नगर परिषद् के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना, खाद्यान्न सुरक्षा
योजना, मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना का भी लाभ प्राप्त हुआ है।  इसके लिए वे केंद्र शासन, मध्यप्रदेश शासन, जिला प्रशासन और नगर परिषद चाँद को धन्यवाद देती हैं। 

गौरतलब है कि चांद नगर की श्रीमती यशोदा ने दुर्भाग्य और गरीबी की इस अकस्मात मुसीबत के साथ एक जंग लड़ी भी है और जीती भी है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी में मेरे पति का स्वर्गवास हो गया। पति का साथ छूटने के बाद परिवार की जिम्मेदारी पूरी तरह मेरे ऊपर आ गई थी। 


पूर्व में मैं गांव-गांव घूमकर मनिहारी एवं मंगलसूत्र गुथाई का काम करके
अपने परिवार का पालन-पोषण करती थी जिससे लगभग 4-5 हजार रूपए की मासिक आय होती थी, लेकिन कोरोना काल में मेरा व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो गया। कोरोना के दौर में जो पाबंदियां लगीं उनके कारण गांव गांव घूमना सम्भव ही नहीं था। घरों में बंद  रहना ही जान बचने के लिए आवश्यक हो गया था। 

व्यवसाय बंद हो जाने का मानसिक तनाव भी बना रहता था। बचत राशि पास में कुछ नही थी, जैसे-जैसे पैसे का जुगाड़ कर के रेडीमेड कपडे की दुकान बाजार चौक चाँद में लगाना प्रारंभ किया जिससे 200-300 रूपए की आमदनी प्रतिदिन हो जाती थी। लगभग एक साल मैंने फुटपाथ पर दुकान लगाई। इसके बाद नगर परिषद चाँद के माध्यम से स्वरोजगार योजना का पता चला कि इसमें रोजगार स्थापित करने के लिए 2 लाख रूपए तक का ऋण कम ब्याज दर पर प्राप्त हो रहा है। 

इसके लिए मैने नगर परिषद में आवेदन किया और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा चाँद से मुझे 2 लाख रूपए का ऋण प्राप्त हुआ। इस राशि से मैंने सबसे पहले बाजार क्षेत्र में एक दुकान किराये से ली और उसमें किड्स वेयर, मेन्स वेयर और रेडीमेड कपड़ों से दुकान आरम्भ की। 

इस दुकान के माध्यम से मुझे अब प्रतिदिन 500-600 रूपए और प्रति माह लगभग 15 हजार रुपए की बचत हो जाती है। ऋण की मासिक किश्त और दुकान का किराया भी समय पर जमा कर देती हूं। बाकी रुपयों से परिवार का भरन-पोषण अच्छी तरह से हो जाता है और परिवार के साथ हँसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही हूँ। पति के जाने के बाद शासन की योजना की मदद से ही मेरा जीवन पहले से बेहतर हो सका है, इसके लिए मैं शासन को धन्यवाद देती हूं।

इस तरह शासन की योजनाओं का लाभ ले कर सुश्री यशोदा पटवा ने अपनी किस्मत की लकीरों को ही बदल डाला। उसने दुर्भाग्य की रेखाओं को मिटा डाला और हिम्मत कर के अपनी मर्ज़ी की किस्मत खुद लिख दी। आप भी चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। सत्ता की योजनाएं आप के लिए भी खुली हैं। 


शुक्रवार, दिसंबर 02, 2022

विशेष लेख//पर्यटन पर्वः सब देखो अपना देश//अनिल दुबे

 विशेष सेवा और सुविधाएँ 13-October, 2017 13:56 IST

पर्यटन ही आसान रास्ता है प्रकृति से जुड़ने का 

नई दिल्ली: 2 दिसंबर 2022: (इर्द गिर्द डेस्क):: 

ज़िंदगी में रहते रहते प्राकृति के नज़दीक रहना, उसे जान लेना और उस के साथ अपनी सुर मिला लेना वास्तविक प्रसन्नता के लिए बहुत आवश्यक होता है। दूर दराज के रमणीय स्थानों पर घूमना इस मकसद के लिए बहुत ही अच्छा रहता है। पत्र सूचना कार्यालय के लिए अनिल दुबे ने यह आलेख कुछ वर्ष पहले लिखा था लेकिन यह आज भी बहुत प्रसंगिक है। लीजिए पढ़िए इस आलेख को पूरी तरह से। इस पर आपके विचारों की इंतज़ार भी बनी रहेगी और इसके साथ ही  आपकी अपनी लिखी रिपोर्ट्स/रचना/तस्वीरों और वीडियो इत्यादि की भी।  -संपादक//इर्द-गिर्द 


''सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िंदगानी फिर कहां,

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां ''

यह पंक्तियां घुमक्कड़ी, यायावरी, पर्यटन और यात्राओं के पूरे दर्शन को समाहित किए हुए है। पर्यटन आज दुनिया ही नहीं अब भारत में भी एक बड़ा उद्योग का दर्जा पा चुका है, लेकिन बीते हजारों वर्षों में दुनिया को जोड़ने, खोजने, समझने और साहित्य, कला संस्कृति के साथ विज्ञान को भी एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम भी यात्रियों व पर्यटकों ने ही किया है। कम से कम भारत जैसे विविधताओं और विभिन्नता वाले देश में पर्यटन ही एक ऐसा मजबूत माध्यम रहा है, जिससे विभिन्न संस्कृतियां एक दूसरे के नजदीक तेजी आयीं। विदेशों से भारत में आने वाले सैलानियों के साथ ही अब घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी भारी वृद्धि गत वर्षों में हुई है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से 5 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक शानदार पर्यटन पर्व मना रही है। इसके तहत 'देखो अपना देश', 'सभी के लिए पर्यटन' और 'पर्यटन एवं शासन व्यवस्था' जैसे लक्ष्यों को लेकर एक बड़ा अभियान शुरु किया गया है, जिसमें देश के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच मौजूद सभी राज्यों में भव्य व विस्तृत कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

देश में  आम लोगों के लिए घुमक्कड़ी कोई शौक नहीं था, लेकिन आज घरेलू पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। देश में राहुल सांस्कृत्यायन भारत के बड़े यायावर अथवा यात्री थे, जिन्होंने पूरा जीवन दर्जनों देशों की यात्रा करने में बिताया. उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे राहुल ने अपने जीवन के 45 वर्ष भारत, तिब्बत, रूस, श्रीलंका, यूरोप और कई एशियाई देशों की दुर्गम यात्राओं में गुजारे थे। साथ ही उन्होंने यात्राओं के संस्मरण भी लिखे, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर  बन चुके हैं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो घूमने के शौकीनों के लिए किसी धर्म ग्रंथ से कम नहीं है।

यहां एक बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि पर्यटक और यात्री में फर्क होता है। पर्यटक उन्हीं चीजों को देखने जाता है, जिसके बारे में वह पहले से जानता है, लेकिन यात्री नये स्थलों को खोजता है और नई जानकारियां जुटाता है। अगर मार्को पोलो व वास्कोडिगामा जैसे यात्री ना होते तो  दुनिया के तमाम देशों को  दूसरे  अज्ञात देशों की जानकारी ना हो पाती। इसी तरह चीनी यात्रियों फाह्यान व ह्वेनसांग आदि की वजह से बौद्ध धर्म व प्राचीन भारतीय संस्कृति का संपर्क चीन के साथ हो सका। देश में उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ने और पश्चिम को पूर्वी भारत से जोड़ने का काम आजादी के बाद पर्यटन उद्योग ने ही किया। इन्हीं सब उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से देश में घूमने और उसकी विविधता को समझने का आह्वान किया था।

इसको ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन मंत्रालय ने 20 दिवसीय पर्यटन पर्व देशभर में मनाने का अभियान शुरू किया है। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ महेश शर्मा और केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के.जे. अल्फोंस ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे से पर्यटन पर्व का उद्घाटन किया, तो वही सभी राज्यों में 5 अक्टूबर से ही उन राज्यों के प्रमुख पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों पर  विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अभियान की शुरुआत हुई। राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार के 18 मंत्रालय भी इस पर्व में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत पर इस अभियान के जरिए विशेष जोर दिया जा रहा है। पर्यटन पर्व का समापन इंडिया गेट पर 25 अक्टूबर को होगा, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उपस्थित रहेंगे।

इस पर्व की खूबी यह भी है कि यह सिर्फ लोगों को घूमने-फिरने के बारे में जानकारी देने अथवा उन्हें प्रोत्साहित करने मात्र के लिए नहीं है। बल्कि इसके जरिए देश में तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन उद्योग में रोजगार के असीम अवसरों को पहचानना और युवाओं को इस रोजगार के प्रति आकर्षित कराना भी है. इसीलिए अल्फोंस ने अपने संबोधन में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि बढ़ते पर्यटन से लोगों को रोजगार देने और क्षेत्रीय विकास के नए अवसर पैदा होंगे। पर्व के दौरान रेलवे, सड़क परिवहन व शहरी विकास जैसे कई मंत्रालय पर्यटन स्थलों व उसके आस-पास के इलाकों में साफ सफाई को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। वहीं पर्यटन मंत्रालय ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटक स्थलों की साफ-सफाई का अभियान चलाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर ऐसे कार्यक्रम भी चला रहा है, जिससे लोगों को ऐतिहासिक स्थलों का महत्व पता चले और वह उनकी देखभाल व साफ- सफाई करने के लिए प्रेरित हों।

दुनिया में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि वर्ष 2016 में लगभग 123 करोड़ पर्यटकों ने विश्व भ्रमण किया। विश्व जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान 10.2% है. वहीं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का 9.6 प्रतिशत का योगदान है। देश में उपलब्ध रोजगार में से 9.3 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र से मिल रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए सैलानियों को 16 हवाई अड्डों पर ई-पर्यटक वीजा उपलब्ध कराने का काम पहले ही शुरू कर दिया गया था। इससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस वर्ष जनवरी से मार्च के सिर्फ 3 माह में 4.67 लाख विदेशी यात्री इ-वीजा के माध्यम से देश में आए।

पर्यटन पर्व के तीन प्रमुख बिंदु हैं, जिसमें देखो अपना देश, सभी के लिए पर्यटन और पर्यटन एवं शासन व्यवस्था पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर विभिन्न पर्यटन स्थलों के वीडियो, फोटोग्राफी और ब्लॉग लेखन की प्रतियोगिताएं की जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पर्यटकों की दृष्टि से भारत की गाथाओं का वर्णन किया जा रहा है। पर्यटन संबंधी प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, वाद-विवाद और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन राज्यों में हो रहा है। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटकों को लुभाने के लिए टेलीविजन द्वारा अभियान शुरू किया गया है। इसके अलावा सभी राज्यों में पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, नाटक और कथा वाचन का भी आयोजन हो रहा है। कार्यक्रम स्थलों पर पर्यटन प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें संस्कृति, खान-पान और हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन हो रहा है। साथ ही पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों व पक्षकारों के लिए भी कार्यशाला लगाई गई है।

अहमदाबाद में 5 से 25 अक्टूबर तक फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रकृति और वन्यजीव फोटोग्राफी की थीम रखी गई है। 'खुशबू गुजरात की' का विशेष आयोजन करने के अलावा जनजातीय उत्सव भी मनाया गया. महाराष्ट्र में 25 अक्टूबर तक राज्य के विभिन्न स्कूलों में वीडियो प्रदर्शनी व  महाराष्ट्र को खोजें विषय पर कई कार्यक्रम रखे गए हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, पंजाब,  बिहार और मध्य प्रदेश में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विविध आयोजन किए जा रहे हैं।

रेलवे ने यात्रियों के लिए यात्रा सुखद करने के दृष्टिकोण से स्टेशनों  की विशेषता सज्जा की है इसी तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पर्यटन सर्किटों में सड़कों के किनारे जन सुविधाओं की शुरुआत करके कार्यक्रम में सहयोग किया है। इसके अलावा नागर विमानन मंत्रालय, वित्त, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, गृह,  वाणिज्य और विदेश मंत्रालय ने भी अपने अपने ढंग से पर्व में सहयोग किया है। इस पूरे पर्व के दौरान राज्य सरकारें और केंद्र सरकार के मंत्रालय सभी आयोजनों में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी करा रहे है। विशेष तौर पर युवाओं को इसमें जोड़ा गया है। पर्यटन उद्योग में रोजगार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर असीम संभावनाएं हैं और इसके लिए युवाओं को पर्व के दौरान जानकारी दी जाएगी। यही नहीं कई राज्यों में टैक्सी, ऑटो, रिक्शा चालकों, होटल व्यवसायियों व अन्य लोगों को पर्यटकों के साथ अच्छे व्यवहार करने व उनकी मदद करने  के तरीकों की भी जानकारी दी जा रही है। पर्व का यह पूरा अभियान भारत के पर्यटन उद्योग का परिदृश्य बदल देगा। इससे जहां घरेलू पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, वही विदेशी सैलानियों को और अनुकूल वातावरण देश में उपलब्ध हो सकेगा।PIB

****   वीएल/पीकेए/एमबी-194


बुधवार, नवंबर 30, 2022

सरप्राईज़ सप्लाई की राहत के कुछ पल कैमरे की ज़ुबानी

 मोटरबोट में फंसे  नागरिकों को पहुंचे गई राहत सामग्री 


अदन की खाड़ी
: 30 नवंबर 2022: (अमेरिकी रक्षा विभाग के सौजन्य से इर्द गिर्द डेस्क)::

जब जंग लगी हुई हो तो बहुत कुछ बर्बाद कर देती है। बहुत कुछ उजाड़ देती है। बहुत से घरों और परिवारों को तबाह कर देती है। जंग का यही स्वभाव है। तबाही  निशाना रहती है। फिर भी कभी कभी जंग आवश्यक हो जाती है। इसे लड़े बिना गुज़ारा भी नहीं होता। इसलिए कोशिश रहती है जंग न ही छिड़े लेकिन कभी कभी दुश्म इसके लिए मजबूर कर देता है। जंग जैसी स्थितियां अक्सर कहीं न कहीं बनी ही रहती हैं। इन हालतों में भी जंग में काम करने वाले योद्धा लोग सक्रिय रहते हैं। आम नागरिकों का ध्यान रखते हैं और उन तक आवश्यक सामग्रियां पहुंचाते रहते हैं। जंग में  किस के लिए संकट आएगा इसका अंदाज़ा पहले से लगाना कई बार नामुमकिन जैसा ही होता है। इस तरह के अनिश्चित हालात में आम नागरिक कहीं न कहीं किसी न किसी कारणवश फंस ही जाते हैं। कई बार आम नागरिक ऐसी जगहों पर फंस जाते हैं जहां उनके पास न भोजन पहुँचता है, न ही पानी और न ही दवाएं। जंग लड़ने वाले योद्धा लोग आम नागरिकों तक बिना किसी भेदभाव के यह सब ज़रूरी सामग्रियां पहुंचाते ही रहते हैं। अमेरिकी सेना से जुड़े योद्धाओं ने एक मोटरबोट में फंसे हुए आम नागरिकों तक जब 29 नवंबर 2022 को राहत सामग्री पहुंचाई तो अमेरिकी रक्षा विभाग से जुड़े हुए उच्च अधिकारी Navy Petty Officer 2nd Class Cryton Vandiesal ने इन ख़ास क्षणों को तुरंत अपने कैमरे में उतार लिया।  सरप्राइज सप्लाई से जो राहत इन नागरिकों को मिली होगी उसका अनुमान आप इस तस्वीर को देख कर लगा ही सकजते हैं। लगा ही सकते हैं। यह तस्वीर अदन की खाड़ी में खींची गई थी। 

सोमवार, नवंबर 21, 2022

मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, आस-पास से ही खोज लेता हूं

प्रविष्टि तिथि: 21 NOV 2022 7:13PM by PIB Delhi

53वें इफ्फी की मास्टरक्लास में वी विजयेंद्र प्रसाद

जो अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है

दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्‍पन्‍न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है

गोवा: 21 नवंबर 2022: (पीआईबी//इर्दगिर्द)::

मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं।
कहानियां आपके आस-पास हैं, चाहे वह महाभारत, रामायण जैसे महाकाव्य हों या वास्तविक जीवन की घटनाएं, कहानियां हर जगह हैं। जरूरत बस आपको इन्‍हें अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत करने भर की है। यह बात बाहुबली, आरआरआर, बजरंगी भाईजान और मगधीरा जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के विख्‍यात पटकथा लेखक वी विजयेंद्र प्रसाद ने कही।

“दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्‍पन्‍न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है। मैं हमेशा अपनी कहानी और पात्रों के लिए दर्शकों के भीतर भूख उत्‍पन्‍न करने की कोशिश करता हूं और यही मुझे कुछ अनूठा और आकर्षक बनाने के लिए प्रेरित करता है।" ये विचार मास्टर कहानीकार ने व्‍यक्‍त किए। वह आज गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्‍सव के अवसर पर 'द मास्टर्स राइटिंग प्रोसेस' विषय पर एक मास्टरक्लास में फिल्म में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों को संबोधित कर रहे थे।

पटकथा लेखन की अपनी शैली के बारे में बताते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि वह हमेशा मध्‍यांतर के समय कहानी में मोड़ लाने के बारे में सोचते हैं और उसी के अनुसार अपनी कहानी को व्यवस्थित करते हैं। उन्‍होंने कहा, "आपको राई का पहाड़ बनाना होगा। आपको एक झूठ को इस तरह पेश करना होगा, कि वह सच जैसा लगे। जो व्यक्ति अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है।”

एक नवोदित कहानीकार के प्रश्‍न का जवाब देते हुए प्रसिद्ध कहानीकार ने कहा कि व्यक्ति को अपना दिमाग खुला रखना होगा और हर चीज को आत्मसात करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "आपको अपना सबसे कठोर आलोचक बनना होगा, तभी आपका सर्वश्रेष्ठ सामने आएगा और तभी आप अपने काम को असीमित ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।"

बाहुबली और आरआरआर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्‍मों के लिए लिखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए श्री प्रसाद ने कहा, “मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं। सब कुछ मेरे मन में है; कहानी का प्रवाह, पात्र, ट्विस्ट ”। उन्होंने कहा कि अच्छे लेखक को निर्देशक, निर्माता, प्रमुख नायक और दर्शकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। (PIB)

सत्र का संचालन फिल्म समीक्षक और पत्रकार मयंक शेखर ने किया।

**** एमजी/एएम/आरके/डीए--(रिलीज़ आईडी: 1877832)

शुक्रवार, जुलाई 29, 2022

विशेष सामग्री-हनुमानगढ़ जिले का धन्नासर

29th July 2022 at 01:38 PM

जो राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है 


हनुमानगढ़
: 29 जुलाई 2022: (इर्द-गिर्द//राजस्थान स्क्रीन)::

हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील का धन्नासर क्षेत्र राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है। धन्नासर के रेत के धोरे मोटर स्पोर्ट्स के दिग्गजों को सहर्ष ही आकर्षित करते हैं। जिले के 29 वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब की ओर से यहां ऑफरोडिंग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किए गए इस ऑफरोडिंग कार्यक्रम में देश के मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र के तीन दिग्गज खिलाड़ी सन्नी सिद्दू, सनम सेखो और गुरमीत विर्दी भी यहां पहुंचे और धन्नासर के धोरों पर एटीवी, पोलारिस समेत अन्य स्पोर्ट्स गाड़ियों के जरिए ऑफरोडिंग में जमकर धूम मचाई।

डेजर्ट स्ट्रोम के 7 बार और रेड हिमालया के एक बार चौंपियन रह चुके सन्नी सिद्धू बताते हैं कि हनुमानगढ़ की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है लिहाजा जिले का धन्नासर मोटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बड़ा हब बन सकता है। एटीवी रैली, कार रैली व गो कार्टिंग के चौंपियन रह चुके सनम सेखो ने धन्नासर के धोरों पर एटीवी के जरिए खूब धूम मचाई। उनकी एटीवी की स्पीड और उस पर जोरदार पकड़ ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। सेखो बताते हैं कि धन्नासर एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। यहां स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब ने मेहनत कर बहुत अच्छा ट्रेक बनाया है।वहीं देश में आरएफसी( रैन फोरेस्ट चौलेंज) के तीन बार चौंपियन रहे और मलेशियन आरएफसी के एकमात्र भारतीय चौंपियन रहे श्री गुरमीत विर्दी बताते हैं कि धन्नासर का ऑफरोडिंग ट्रेक बहुत ही चौलेंजिंग है। हमें यहां ऑफरोडिंग करके बहुत मजा आता है। नए ऑफरोडर भी यहां आकर स्टार्ट करें तो उन्हें अच्छा एक्सपीरियंस मिलेगा। 

जिले के मोटर स्पोर्ट्स से जुड़े "जर्ट रेडर्स क्लब" में हनुमानगढ़ के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और राजस्थान के अन्य जिलों के ऑफरोडर भी शामिल हैं। क्लब प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी) के नेतृत्व में यह क्लब पूरे अनुशासन के साथ मोटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए जुटा हुआ है। इसके सदस्य धन्नासर के धोरों पर वर्ष 2012-13 से ऑफरोडिंग की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं। क्लब के द्वारा वर्ष 2017 से तीन दिवसीय नेचर ड्राइव का आयोजन भी धन्नासर में प्रतिवर्ष दिसंबर के तीसरे वीकेंड पर किया जा रहा है। ताकि हनुमानगढ़ को पर्यटन मानचित्र पर एडवेंचर टूरिज्म के रूप में नई पहचान मिले।डेजर्स रेडर्स क्लब के प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी )बताते हैं कि ये बड़े गर्व की बात है कि हनुमानगढ़ जिला स्थापना दिवस के अवसर पर धन्नासर में आयोजित ऑफरोडिंग में मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र में देश के तीन दिग्गज यहां आए। हम धन्नासर को मोटर स्पोर्ट्स के हब के रूप में विकसित करने को लेकर प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन भी हमें पूरा सपोर्ट कर रहा है। 

दरअसल ,धन्नासर में एक तरफ रेत के धोरे हैं तो दूसरी तरफ आपणी योजना के बड़े बड़े वाटर रिजर्वायर। तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित ने धन्नासर की इस खूबसूरती को देखते हुए पहली बार सभी जिला स्तरीय अधिकारियों की डीएलओ मीट का आयोजन भी यहां करवाया। उसके बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री जाकिर हुसैन ने जिला स्थापना दिवस पर यहां ऑफरोडिंग के अलावा विभिन्न खेलों का आयोजन करवाया। वर्तमान जिला कलेक्टर श्री नथमल डिडेल ने नेचर ड्राइव के आयोजन में पर्यटन विभाग का सपोर्ट दिलवाकर इसे मोटिवेट किया। साथ ही जैसलमेर के मरू महोत्सव, बीकानेर के केमल फेस्टिवल की तर्ज पर यहां धन्नासर में नेचर ड्राइव को जिले के एक बड़े आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। 

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- सुरेश बिश्नोई

जनसंपर्क अधिकारी, हनुमानगढ़