शनिवार, फ़रवरी 23, 2013

पाकिस्तान को 'खरीदने' की कोशिश कर रहा चीन

चीन उसे मुहैया कराएगा 136 अरब रुपए का कर्ज 
                                                                                            Photo: EPA
पाकिस्तान को 'खरीदने' की कोशिश कर रहा चीन--इस शीर्षक से एक खबर दी है रेडियो रूस ने। जानीमानी अख़बार भास्कर की  वैब साईट के हवाले से यह खबर देते हुए रेडियो रूस ने बताया है कि चीन अपना प्रभुत्व बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता। यह खबर आज दोपहर को दी गई।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक चीन पाकिस्‍तान को परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए चीन उसे 136 अरब रुपए का कर्ज मुहैया कराएगा। ये संयंत्र 340 मेगावाट क्षमता के हैं।
पंजाब प्रांत के चश्मा में निर्माण किए जाने वाले दोनों संयंत्रों के निर्माण में कुल 190 अरब रुपए का खर्च आएगा। ये संयंत्र 2016 से काम करने लगेंगे।

पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन ने चश्मा के सी3 और सी4 प्लांट के लिए 34.6 अरब रुपए दिए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान सरकार ने अब तक इस प्रोजेक्ट के लिए 62.4 अरब रुपए खर्च किए हैं।

पाकिस्तानी सरकार को उम्मीद है कि 2013 जून तक इस प्रोजेक्ट का आधा काम पूरा हो जाएगा। चश्मा प्रोजेक्ट में तीन संयंत्र पहले ही काम कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार की योजना है कि वह 2030 तक 8,800 मेगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन करेगी।

भारत में लगातार अशांति फैलाने में लगे पाकिस्‍तान (पढें, सईद की अगुवाई में बनी थी हैदराबाद धमाके की साजिश) में चीन अपना प्रभुत्‍व बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहता है। हाल ही में चीन की एक कंपनी ने पाकिस्‍तानी बंदरगाह पर नियंत्रण हासिल करने में भी कामयाबी हासिल की है।

यह जानकारी दैनिक भास्कर के वेब साइट पर प्रकाशित की गई।

भारतीय चुनाव आयोग में प्रशि‍क्षण

22-फरवरी-2013 19:17 IST
अफगानि‍स्‍तान के चुनाव अधि‍कारि‍यों का 
अफगानि‍स्‍तान के चुनाव अधि‍कारि‍यों के एक बैंच ने भारत के अंतर्राष्‍ट्रीय लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन संस्‍थान में प्रशि‍क्षण प्राप्‍त कि‍या है। यह संस्‍थान भारतीय चुनाव आयोग का एक प्रशि‍क्षण और संसाधन केंद्र है। ‘चुनाव प्रबंधन के लि‍ए क्षमता वि‍कास’ नामक दो सप्ताह के इस वि‍शेष पाठ्यक्रम को अफगानि‍स्‍तान के स्‍वतंत्र चुनाव आयोग के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारि‍यों के लि‍ए तैयार कि‍या गया है। इसका आयोजन भारत के वि‍देश मंत्रालय के सहयोग से कि‍या गया है। दक्षि‍ण एशि‍याई क्षेत्र में अपने अनुभव, दक्षता और वि‍शेषज्ञता की भागीदारी के लि‍ए भारतीय चुनाव आयोग की यह नवीनतम पहल है। 

प्रशि‍क्षण कार्यक्रम के प्रथम दि‍वस पर शि‍ष्‍टमंडल को संबोधि‍त करते हुए भारत के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त श्री वी.एस. संपत ने अफगान अधि‍कारि‍यों को बताया कि‍ चुनाव आयोग उन्‍हें मुख्‍य प्रशि‍क्षक के रूप में मानता है जो अगले साल अपने देश में होने वाले चुनावों में अन्‍य प्रशि‍क्षको को प्रशि‍क्षण प्रदान करेंगे। इस प्राठ्यक्रम में अफगानि‍स्‍तान के 17 प्रति‍भागी भाग ले रहे हैं। (PIB)

वि‍.कासोटि‍या/इंद्रपाल/सुजीत – 700

चंद्रगिरि : भूरे सोने की पहाड़ियां

21-फरवरी-2013 19:32 IST
वाणिज्य फीचर                                                     अमित गुइन*
विश्व के कॉफी पारखियों को दिसंबर 2007  में केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान (सीसीआरआई) ने नए किस्म की कॉफी के पौधे चंद्रगिरि के बीज से परिचित कराया था। तभी से 'भूरे सोने' की खुशबू और रंग ने विश्व के विभिन्न भागों के कॉफी प्रेमियों को अपने से बांध लिया  है। चंद्रगिरि  पौध जब भारत के कॉफी बागानों में व्यावसायिक उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया गया तो उनका अच्छा परिणाम निकला और इसके बीज की भारी मांग होने लगी।
    इसके बारे में प्रचलित लोक कथा कुछ इस प्रकार है कि लगभग चार सौ साल पहले एक युवा फकीर बाबा बुदान मक्का की यात्रा पर निकले। यात्रा से थक कर चूर होने के बाद वे सड़क के किनारे एक दुकान पर नाश्ते के लिए रूके। वहां उन्हें काले रंग का मीठा तरल पदार्थ एक छोटे कप में दिया गया। उसे पीते ही युवा फकीर में गजब की ताजगी आ गयी। उन्होंने उसे अपने देश ले जाने का निश्चय कर लिया। लेकिन उन्हें जानकारी मिली कि अरब के लोग अपने रहस्यों की कड़ाई से रक्षा करते हैं और स्थानीय कानून उसे अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं देंगे। बाबा ने अरब के कॉफी के पौधे के सात बीज अपने कमर में अपने चोले के नीचे छिपा लिए। स्वदेश लौटने पर बाबा बुदान ने कर्नाटक की चंद्रगिरि  पहाड़ियों में बीज को बोया। आज वे सात बीज विभिन्न किस्मों में बदल गए हैं और एक देश में विश्व की तरह-तरह की कॉफी पैदा होने लगी है।
    चंद्रगिरि की झाड़ियां छोटी किंतु कॉफी की अन्य किस्मों कावेरी और सान रेमन की तुलना में घनी होती हैं। इसके पत्ते बड़े, मोटे और गहरे हरे रंग के होते हैं। कॉफी की यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले लंबे और मोटे बीज पैदा करती है।
    कॉफी उत्पादकों से इस किस्म के पैदाबार के बारे में बहुत उत्साहजनक जानकारी मिली है। इसकी अनुवांशिकी एकरूपता और शुरूआती पैदावार भी अच्छी होती है। इसके अलावा अधिकतर उत्पादक चंद्रगिरि  को अपने खेतों में खाली समय की भरपाई के लिए इस्तेमाल करते हैं।
    यह भी देखा गया है कि अगर खेती के उचित तरीके अपनाए जाएं तो कावेरी  एचडीटी और चंद्रगिरि  जैसी विभिन्न घनी झाड़ियों से उपज में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता। चंद्रगिरि  की फलियां अच्छे किस्म की होती हैं और औसतन 70  प्रतिशत फलियां 'ए' स्तर की होती हैं, इनमें से 25-30 प्रतिशत एए स्तर की होती हैं। अन्य किस्मों की तुलना में 'ए' स्तर की फलियां 60-65 प्रतिशत होती हैं  जिनमें से 15-20 प्रतिशत एए स्तर की होती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं को यह भी पता चला है कि चंद्रगिरि  में बीमारी अन्य किस्मों के मुकाबले बहुत देर से लगती है। इसके अलावा बीमारी की गंभीरता बहुत कम (5  प्रतिशत से भी कम) होती है। लेकिन कॉफी के पौधे के तनों में छिद्र करने वालो सफेद कीटों के मामले में चंद्रगिरि  भी अन्य किस्मों की तरह ही है। भारत और दक्षिण एशिया में ये कॉफी के सबसे खतरनाक कीट होते हैं। लेकिन उत्पादन की आदर्श परिस्थितियों यथा समुद्र से 1000 मीटर की ऊंचाई वाले खेतों में कीट लगने की घटनाएं कम होती है। ऐसा इसलिए होता है कि झाड़ियां बहुत घनी और डालियां चारों ओर फैली होती हैं, जिससे सफेद कीट मुख्य तने पर हमला नहीं कर पाते। कीट नियंत्रण के लिए संक्रमित पौधों को नष्ट करना आवश्यक है। कीट प्रबंधन के लिए अन्य उपायों में आवश्यकतानुसार 10 प्रतिशत चूने का उपयोग, फेरोमोन जालों का इस्तेमाल और तने को लपेटने आदि का काम किया जा सकता है।
(पीआईबी फीचर)
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार है
लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और पसूका का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।
वी.कासोटिया/राजेन्द्र/चित्रदेव-45
पूरी सूची-21-02-2013

शुक्रवार, फ़रवरी 22, 2013

एमआईजी फ्लैट का आवंटन

22-फरवरी-2013 12:54 IST
दिसंबर 2012 को दिल्‍ली में यौन हिंसा की पीडिता के परिवार को एमआईजी फ्लैट का आवंटन
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 16 दिसंबर 2012 को दिल्‍ली में यौन हिंसा की पीडिता के परिवार को डीडीए के एमआईजी फ्लैट आवंटित करने की मंजूरी दी है। 

यह डीडीए फ्लैट आवंटित करने की मौजूदा नीति/दिशा निर्देश में छूट के तहत बिना बारी के आधार पर दिया जाएगा। फ्लैट की लागत दिल्‍ली सरकार द्वारा वहन की जाएगी। (PIB)

मीणा/शोभा/यशोदा - 677

गुरुवार, फ़रवरी 21, 2013

विशेष लेख........//......... *डॉ के. परमेश्‍वरन

12-फरवरी-2013 19:04 IST
एक गांव में एक किसान क्‍लब: कृषि क्षेत्र में नई पहल 
कुछ समय पहले मदुरई जिले के पश्चिमी हिस्‍से के गांव में तैनात अधिकारियों ने महिला स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रबंधन की जिम्‍मेदारी पडोस के रज्‍जुकर किसान क्‍लब को सौंपी। मदुरई जिले के मेलूर ब्‍लॉक के लक्ष्‍मीपुरम स्थित यह क्‍लब स्‍थानीय स्‍कूल के गरीब बच्‍चों को हर साल किताबें  बांट रहा है। जिले के वैगई विवासाइगलसंघम के किसान क़ृषि संबंधी कार्यक्रम राज्‍य के विभिन्‍न हिस्‍सों में चला रहे हैं।  यह सब राष्‍ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा देश के गांव में चलाए जा रहे अभियान के तहत हुआ। किसान क्‍लब की अवधारणा नाबार्ड समर्थित है और इसका नारा एक गांव में किसानों का एक क्‍लब है। इसके तहत प्रगतिशील किसान क्‍लब के झंडे तले एकत्रित होते हैं। नाबार्ड तीन वर्षों तक इन क्‍लबों को किसानी के प्रगतिशील तौर-तरीके संबंधी प्रशिक्षण और कृषि संबंधी यात्राओं के लिए राशि उपलब्‍ध कराता है।
    मदुरई जिले के विभिन्‍न गावों में अभी 170 किसान क्‍लब काम कर रहे हैं। इन क्‍लबों में सर्वाधिक सफल किसान हैं उत्‍थापनीकनूर के किसान। किसान चमेली उगाते हैं। नाबार्ड ने इस क्‍लब को इंडियन बैंक की साझेदारी में 30 क्‍लबों में शुमार किया है। एक कदम बढकर इन क्‍लबों ने एक फेडरेशन बनाया है जिसका नाम है उत्‍थापनीकनूर फलावर ग्रोअर फेडरेशन। जास्‍मीन उगाने वाले किसान चाहते हैं कि वे स्‍वयं अपना बाजार चलाएं। किसान इसके लिए जिला प्रशासन से समर्थन चाहते हैं और सिद्धांत रूप में उन्‍हें जमीन देने की मंजूरी भी दी गई है।
    नाबार्ड ने मदुरई जिले के अलंगनाल्‍लानूर के सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिक कृषि सहयोग समितियां को इस तरह के क्‍लब बनाने की मंजूरी दी है। हाल में अलंगनाल्‍लानूर ब्‍लॉक में परीपेट्टी किसान क्‍लब और देवासेरी किसान क्‍लब के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम चलाया गया।
    नाबार्ड के एजीएम श्री शंकर नारायण की राय है कि किसान वैल्‍यू चैन की बारीकियों को पूरी तरह समझें। इससे उन्‍हें लाभ होगा और वे किसान क्‍लब को परिवर्तन एजेंट समझ लाभ की ओर बढ सकते हैं। उन्‍हें नवीनतम टेक्‍नॉलोजी के बारे में जानकारी मिल सकेगी, विशेषज्ञों की मदद ले सकेंगे और अतंत: अपने पेशे में निपुण हो जाएंगे।
    उन्‍होंने बताया कि नाबार्ड अपने किसान टेक्‍नॉलोजी ट्रांसफर फंड के जरिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, डेमोप्‍लॉट का विकास और कृषि ज्ञान के लिए किसानों की यात्राओं जैसे प्रयासों का पूरा खर्च वहन करेगा। उन्‍होंने कहा कि आने वाले दिनों में आम और अमरूद के पौधे लगाने के लिए गम्‍भीर प्रयास किए जाएंगे।           नाबार्ड किसान क्‍लब के लिए हर तीन साल पर दस हजार रूपये की राशि आबंटित करता है। तीन साल बाद किसान क्‍लब से जुडे लोगों को प्रोत्‍साहित किया जाता है कि वे वैसी छोटी-छोटी बचत करें जिनसे रोजाना के खर्च पूरा हो सकें और जरूरत पडने पर एक-दूसरे को ऋण भी दे सकें।
    किसान क्‍लब कार्यक्रम के तहत किसानों को तीन सालों के लिए वार्षिक रख-रखाव ग्रांट भी मिलता है। किसान तमिलनाडु में प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं (पुड्डुकोटई, कोयम्‍बटूर, त्रिची और कांचीपूरम किसान ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए चुने गए हैं।  किसानों को इस कार्यक्रम के तहत रायटर मार्केट लाइट लिमिटेड के जरिए स्‍थानीय भाषा में एसएमएस एलर्ट भी हा‍सिल होते हैं। जल प्रबंधन, डेयरी, ओर्गेनिक किसानी तथा सब्‍जी उगाने जैसे विषयों पर विशेषज्ञों की राय भी मिलती है।       क्‍लब की अवधारणा का लाभ उठाते हुए किसानों तथा क्‍लबों को नियमित बैठकें करनी चाहिए। प्रत्‍येक महीने बचत करनी चाहिए ताकि जरूरत पडने पर एक –दूसरे की मदद हो सके। इसके अलावा उन्‍हें ऋण अदायगी के उचित व्‍यवहारों का भी प्रचार करना चाहिए तथा अपने उत्‍पादों के मूल्‍यवर्धन पर ध्‍यान देना चाहिए ताकि वे स्‍वयं अपनी उत्‍पादक कंपनी खडी कर सकें। (PIB)


*लेखक पत्र सूचना कार्यालय मदुरई में सहायक निदेशक हैं
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वि.कासोटिया/गांधी/-निशांत 41     
पूरी सूची-12.02.2013

बुधवार, फ़रवरी 20, 2013

2 दिवसय देशव्यापी हड़्ताल

सैन्ट्रल ट्रेड यूनियनों की 10 मांगो के चार्टर का समर्थन 
युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की २ दिवसय देशव्यापी हड़्ताल के आह्वान पर सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक कर्मचारीयों तथा आफिसर्स ने २० एंव २१ फरवरी को हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है । युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की और से बहुत से रोष प्रोग्राम निर्धारित किये गये हैं । 
युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने आज केनरा बैंक, भारत नगर चौंक,  लुधियाना के सामने रोष रैली की । कामरेड सुदेश कुमार, चैयरमैन, पंजाब बैंक इम्प्लाईज फैडरेशन, कामरेड नरेश गौड़, कन्विनर, युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स, कामरेड अशोक अवस्थी (पी.बी.ई.एफ), कामरेड गुल्शन चौहान, कामरेड राकेश खन्ना, कामरेड बलजिंद्र सिंह, कामरेड जे.पी.कालड़ा (ए.आई.बी.ओ.सी), कामरेड डी.सी.लांडरा (एन.सी.बी.ई), कामरेड के.एस.संधु, कामरेड गुरबचन सिंह, ((ए.आई.बी.ओ.ए) तथा कामरेड डी.पी.मौड़, महासचिव, ज्वाईंट काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स  ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया ।कर्मचारियों को संबोधित करते युनाईटेड फोरम के नेताओं ने कहा कि हड्ताल का आह्वान निम्नलिखित मुद्दों तथा मांगों को लेकर किया गया है:-
१) सैन्ट्रल ट्रेड यूनियनों की १० मांगो के चार्टर का समर्थन 
२) बढ़्ती हुई कीमतों को काबू करो
३) मजदूर विरोधी नितियों को रोको
४) बैंकिग क्षेत्र में सुधारों को बंद करो 
५) स्थाई कार्यों को बाहर से करवाना बंद करो 
६) बैंक कर्मचारियों के बकाया मुद्दों का निपटान करो 

आफिर्स तथा कर्मचारियों को संबोधित करते हुए युनाईटेड फारम आफ बैंक ईम्पलाइज़ के नेताओं ने कहा कि ट्रेड यूनियनों की ऐतिहासिक एकता से एक ही प्लेट्फार्म पर आने के साथ ही, सरकार तथा कार्पोरेट्स द्बारा किए जा रहे आक्रमण के विरुद्ध प्रतिरोध करने के लिए नई सम्भावनाओं का रास्ता खुल गया है । खाद्द पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं । अर्थ-व्यवस्था ठ्प है यह उस संकट का द्दोतक है जिससे राष्ट्र घिर गया है । कीमतों को बढ़्ने से रोकने, आर्थिक मंदी को रोकने, गरीबी को दूर करने और काम के नुकसान को सीमित करने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है । सरकार की आर्थिक नितियों को लागु करने की होड़ में राजनीतिक और आर्थिक संकट छाया हुआ है । अर्थ-व्यवसथा ठप है । इस चुनौती का सामना करने के लिए कोई रणनीति नहीं है । यह सरकार संकट का पूरा बोझ आम जनता पर डालने की कोशिश कर रही है । राषट्रीय हितों से मुख मोड़कर, सरकार एक के बाद दूसरा ऐसा कदम उठा रही है जो मंहगाई को बढ़ा रहा है तथा आर्थिक मंदी का कारण बन रहा है । सरकार बिना सोचे समझे रोजमर्रा की जिन्दगी के लिए जरुरी वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाती जा रही है । यह केवल औद्दोगिक क्षेत्र का संगठित मजदूर वर्ग ही नहीं है जो पूरी तरह से प्रभावित हुआ है बल्कि वह ठेके पर काम करने वाले मजदूर अन आधिकारिक और दिहाड़ी मजदूर हैं जिन पर बहुत बुरा असर पड़ा है । जबकि औद्दोगिक मजदूर जो संगठित है उनको अपने कानून सम्म्त अधिकारों, बोनस तथा मजदूरी को बढ़वाने से बंचित कर दिया जाना तो निश्चित है नहीं असंगठित मजदूर वर्ग को काम के नुकसान, मजदूरी में कटौती, कम से कम मजदूरी का भुगतान नहीं किए जाने और कानूनी बकायों की नामंजूरी के माध्यम से बहुत अधिक निर्दयी असर को झेलना पड़ेगा ।    
बैंकिंग क्षेत्र भी इसका अपवाद नहीं है । सरकारी क्षेत्र के बैंकों में सरकार की ईक्विटी कैपीटल को कम करने और घटाने की कोशिश की जा रही है । सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए सरकार सामाजिक बैंक के दायरे को संकुचित करने के लिए विलय तथा समेकित करने की बात करती है । परन्तु उसी सांस में सरकार निजी क्षेत्र की बैंकिंग मो उत्साहित करने की बात करती है । बड़े-बड़े औद्दिगिक घरानों को अपने निजी बैंक शुरु करने के लिए लाइसेंस देने की बात की जा रही है  धनवान ऋणकर्ताओं को सुविधा देने के लिए उनके बड़े-बड़े कर्जों को बटटे खाते डाला जा रहा है । ग्रामीण शाखाओं को बंद करने और ग्रामीण बैंकिंग को बाहर से कारोबारी प्रतिनिधियों के माध्यम से निजी हाथों में दिया जा रहा है । कारपोरेट ऋण बढ़ रहे हैं । बैंक, राष्र्ट्रीयकरण और उद्देश्यों से दूर जा रहे हैं ।                    
  
बहुत से जरूरी मुद्दे जैसे कि मृतक कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सहायता, काम करने का समय निर्धारित करना, बैंकों की पैंशन स्कीम का केंद्रीय सरकारी पैंशन स्कीम की तरह सुधार करना, सप्ताह में पांच दिन की बैंकिग रखने पर बहुत समय से बिचार विमर्श नहीं किया गया है।  स्थायी कार्यों को भी निजी हाथों में सौंपने के प्रयास तेज़ी से किये जा रहे हैं । ये सब कदम स्थायी नौकरियों के लिए तथा पढ़े लिखे नौजवानों के लिए नौकरियों के अवसरों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है । यह बैंक के ग्राहकों के हित के लिए भी बहुत नुक्सानदायक है । बैंकों को और अधिक मजबूत करने के जरुरत है । लेकिन इसके वजाय सरकार बैंकों की कार्यप्रणाली में कुछ और ही तरह के संशोधन करने के लिए तत्पर है  जैसे कि पब्लिक सैक्टर बैंकों का निजीकरण, सरकारी पूंजी को घटाना, पब्लिक सैक्टर बैंकों का विलय, निजी व्यवसाय प्रतिनिधि स्कीम को लागू करना । बैंक देश्वासियों की मेहनत की कमाई का प्रतिनिधित्व करते हैं ।  इसलिए बैंकों को मजबूत बनाने की जरुरत है तांकि यू एस ए और दूसरे देशों में बैंकों को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है हमारे बैंकों को उनका सामना नही करना पड़े । लेकिन बदकिस्मति से सरकार हमारे बैंकिंग क्षेत्र को मुक्त छोड़ देने पर तुली हुई है । नई शाखायें खोलने की बजाय पहले से खुली शाखायें जो कि बहुत बेहतर ढ़ंग से कार्य कर रहीं हैं, उन्हें बंद करने की कोशिशें की जा रहीं हैं ।

युनाईटेड फारम के नेताओं ने आगे कहा कि "जो लोगों पर आक्रमण करते हैं उनकी निंदा करो" । सरकारी अत्याचार को रोकने के लिए प्रति रक्षा के उपाय करो । सरकार द्वारा की जा रही अत्याचारी कार्रवाइयों के विरुद्ध सामूहिक हस्तक्षेप करने के लिए यही ठीक समय है । हर जगह क्रोध प्रकट किया जा रहा है । मंहगाई की आग में जल रहे लोग सरकार तथा इसके सभी तंत्रों को रोकने और सरकार की नितियों का विरोध करने वाले लोगों की शक्ति  को दिखाने के लिए सभी  सड़कों पर उतर आये हैं ।  बैंकिंग उद्दोग पूरी तरह से बंद है । सरकार का काम बंद रहना चाहिए । सरकार के आक्रमण का प्रतिरोध करने तथा लोगों के हित में मांगो को मनवाने का एक मात्र यही तरीका है । एकता की शक्ति ने एक अवसर प्रदान किया है, इसका संकट को प्रतिरोध की एक नई लहर में बदल देने  का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए।

नरेश गौड़, 
कन्विनर