tag:blogger.com,1999:blog-47074753506601834752024-03-17T22:25:08.067+05:30इर्द गिर्द..बस कुछ रास्तों की चर्चा--कुछ मंज़िलों की--
Contact:medialink32@gmail.com WhatsApp Number +919915322407Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.comBlogger154125tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-6124109802969101672024-03-16T02:00:00.007+05:302024-03-17T22:24:36.962+05:30जब जल, जंगल और ज़मीन पर विकास के नाम पर खतरे मंडराए <p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">कैसे लड़ी जानवरों ने भी अपने अस्तित्व और संघर्ष की वह लड़ाई </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: medium;">एक संकेतक और काल्पनिक रिपोर्ट:-कार्तिका कल्याणी सिंह</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjRWA6e29MrPut29PtDQ32EznxaOIcAss20AotERyENiQBlHMwhwDP8yb12xFX4-YD6rt-bQBSTNb1E05cttaNbxAAStWmKJL1uYXA6sfC8505oXxlozr1yebjbCikKHi7doeBDt8QpIwCjhZEcle1QCY3heRsa95dBARvAIBtt25Xr55DpVdedtAPORzc/s1125/When%20Our%20Motherland%20face%20the%20crisis%20Hindi%20Irad%20Girad.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="775" data-original-width="1125" height="440" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjRWA6e29MrPut29PtDQ32EznxaOIcAss20AotERyENiQBlHMwhwDP8yb12xFX4-YD6rt-bQBSTNb1E05cttaNbxAAStWmKJL1uYXA6sfC8505oXxlozr1yebjbCikKHi7doeBDt8QpIwCjhZEcle1QCY3heRsa95dBARvAIBtt25Xr55DpVdedtAPORzc/w640-h440/When%20Our%20Motherland%20face%20the%20crisis%20Hindi%20Irad%20Girad.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />जंगल के घर और ठिकाने</span>: <span style="color: #666666;">15 मार्च 2024</span>: (<span style="color: #4c1130;">कार्तिका कल्याणी सिंह</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span> <span style="color: #444444;">डेस्क</span>):</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>आधी रात्रि होने को है।</b> कुछ देर बाद तारीख भी बदल जाएगी। फिर कुछ और घंटे सुबह की रौशनी सामने आने लगेगी लेकिन उससे पहले संघर्षों का एक अदभुत दृश्य सामने है। जीवन के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। यह लड़ाई उस विकास के खिलाफ भी जिसे मानव ने जनून की तरह अपना लिया है। पुराना बहुत कुछ है जो आज भी काम का है लेकिन उसकी बलि दे दी गई है। </p><p style="text-align: justify;"><b>मानव समाज का एक समूह अपने हिसाब से दुनिया बना रहा है।</b> वह आज का ईश्वर हो गया है। बड़े बड़े विकसित देश इसी तरह के रौबदाब का ही दिखावा कर रहे हैं। मानव समूहों की भीड़ जब अचानक जंगलों में तबाही मचाने आने लगी तो जानवरों के झुण्ड जंगल में के अंदर दूर तक घुसते चले गए। उन्हें विकास के इस हमले से छिपना जो था। यह उनकी खानदानी ज़मीन थी जिसे मानव समाज उनके सामने ही छीनता चला जा रहा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>जानवरों के समूह भयभीत भी थे </b>लेकिन इसके प्रतिरोध की तैयारी भी कर रहे थे। छिपने की चाह उन्हें जंगल के दुर अंदर तक ले जा रही थी। बाहर से आती सूर्य की रौशनी बहुत पीछे छूट गई थी। जैसे-जैसे वे जंगल में गहराई तक भटकते गए, जानवरों के समूह को हवा में बदलाव नज़र आने लगा। पत्तियाँ, जो आमतौर पर हवा में सरसराहट करती थीं, अब भी शांत थीं। जंगल की तरफ आ रही हवा में बड़ी बड़ी मशीनों के डीज़ल और पैट्रोल की गंध भी आरही थी और मशीनों का शोर भी। जानवरों को यह मशीनें किसी बड़े से राक्षस की तरह लगा रहीं थी। </p><p style="text-align: justify;"><b>उन्होंने एक अपरिचित मशीन की आवाज़ का अनुसरण किया,</b> जो हर कदम के साथ तेज़ होती जा रही थी। अचानक, वे घने पत्तों के बीच से निकले और एक विशाल अर्थमूवर को देखा, जिसके धातु के पंजे मिट्टी में खुदाई कर रहे थे। उनके सामने उनके घर के अवशेष पड़े थे: पेड़ गिरे हुए थे, शाखाएँ बिखरी हुई थीं, और एक बार हरा-भरा जंगल एक उजाड़ बंजर भूमि में बदल गया। उनके क्षेत्र के बीच से एक नया राजमार्ग बनाया जा रहा था, जो उन्हें बाकी जंगल से काट रहा था। वे सदमे में खड़े थे, समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा कैसे हो सकता है।</p><p style="text-align: justify;"><b>जैसे ही उन्होंने विनाश का पैमाना देखा,</b> जानवर अपने अगले कदम पर बहस करने लगे। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि उन्हें मनुष्यों और उनकी मशीनों को दूर भगाने के लिए अपनी संयुक्त शक्ति का उपयोग करके वापस लड़ना चाहिए। दूसरों ने तर्क दिया कि यह व्यर्थ था; इंसानों ने खुद को बहुत शक्तिशाली और अथक साबित कर दिया था। युवा हिरन का बच्चा, जो अभी भी दुनिया की कठोर वास्तविकताओं से अछूता था, उसने अपने बड़ों से आशा न छोड़ने का अनुरोध किया। उसकी बातें सुन कर बड़े बूढ़े जानवर हंसने भी लगे लेकिन युवा हिरण की बातें सचमुच ढांढ़स बढ़ाने वाली थी। उसकी बातों में दम था। </p><p style="text-align: justify;"><b>उसके पास एक विचार था. </b>उसने देखा था कि कैसे इंसानों ने अपनी मशीनों का उपयोग करके अपने आसपास की दुनिया को आकार दिया, और उसका मानना था कि घुसपैठियों के खिलाफ अपनी क्षमताओं का उपयोग करने का एक तरीका होना चाहिए। वह तरीका जिसमें अक्ल का इस्तेमाल हो। शरीरक बल से इस मानव हमले के खिलाफ निपटना आसान नहीं था। उस पल में, उसे तुरंत ही दृढ़ संकल्प की वृद्धि महसूस हुई, एक अहसास हुआ कि उसकी किस्मत में कुछ ऐसा बड़ा है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे अपने अंर्तमन से एक शक्ति का आना महसूस हो रहा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>युवा हिरण के बच्चे ने</b> बहुत ही हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ अन्य जानवरों को अपने चारों ओर इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उसने इस विशेष सभा में सभी को अपनी योजना समझाई। उसने कहा-वे राजमार्ग निर्माण की प्रगति को धीमा करने के लिए अपने शरीर और दिमाग का उपयोग करेंगे। वे सड़क के नीचे सुरंग खोद सकते थे, और अधिक गहरी सुरंग खोदते थे जब तक कि सड़क अस्थिर न हो जाए और उनके पैरों के नीचे ढह न जाए। वे अपने संयुक्त वजन और संख्या का उपयोग करके उन विशाल मशीनों को गिराने के लिए एक जीवित दीवार भी बना सकते थे जो उनके घर को खतरे में डाल रही थीं। अस्तित्व की इस लड़ाई को लड़े बिना कोई दूसरा चारा ही नहीं बचा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>उस युवा हिरण की बातें सुन कर </b>अन्य जानवर पहले तो सशंकित थे, लेकिन हिरन के बच्चे का दृढ़ संकल्प संक्रामक था। उन्हें उसकी योजना में बहुत बड़ी संभावना भी नज़र आने लगी और उन्हें अहसास हुआ कि कोशिश करने से उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है जब की जीतने के लिए एक पूरा संसार उनके सामने है। </p><p style="text-align: justify;"><b>बस सहमति होते ही वे</b> तुरंत काम पर लग गए, प्रत्येक जानवर ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। हर किसी को अपनी ज़िम्मेदारी का पूरा अहसास अहसास था। उनका भोजन पानी और जंग सब कुछ बेहद अनुशासित हो गया। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस लड़ाई के हर मैदान पर सभी ने अपनी डयूटी संभाल ली थी।</b> गिलहरियां और खरगोश झाड़-झंखाड़ में इधर-उधर भागते हुए औजार और सामग्रियाँ इकट्ठा करने लगे। ऊदबिलावों और बिज्जुओं ने सुरंगें तेज़ी से सुरंगें खोदनी खोदनी शुरू कर दिन। इस अभियान के अंतर्गत उन्होंने अपने अस्थायी किले की नींव को मजबूत किया। हिरणों और मृगों ने अपने आप को सर्वाधिक जोखिम में रखते हुए एक जीवित दीवार बनाई, वे कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे और निर्माणाधीन वाहनों का सामना कर रहे थे। उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि खतरे में थी। इसकी रक्षा उनके लिए अब सबसे अधिक आवश्यक कर्तव्य की तरह उनके सामने आ खड़ी हुई थी। </p><p style="text-align: justify;"><b>जानवरों और पक्षियों के समूह जिस रक्षा प्रणाली के अंतर्गत अपनी रक्षा में लगे थे</b> वह एक तरह से गोरिल्ला जंग से मिलती जुलती भी थी। इधर मानव शायद बेखबर था। मनुष्यों ने, अपने पैरों के नीचे पनप रहे प्रतिरोध से अनभिज्ञ होकर, अपनी निरंतर प्रगति जारी रखी। उन्होंने अर्थमूवर्स को आगे बढ़ाया, इस बात से अनजान कि जैसे-जैसे ज़मीन खिसकने लगी और सुरंगें गहरी होती गईं, हर कदम कठिन होता जा रहा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>जानवरों ने अपनी सूझबूझ और एकता के साथ अथक परिश्रम किया,</b> विनाश के ज्वार को रोकने के लिए संघर्ष करते समय उनकी मांसपेशियों में बुरी तरह से खिंचाव आ गया था। वे जब भी थकते तो बस कुछ पल सिस्टा कर फिर से तरोताज़ा हो जाते। यह सब देख कर युवा हिरन का दिल आशा और दृढ़ संकल्प से भरा हुआ था, उसने अपने साथियों को और आगे बढ़ने का आग्रह किया, यह विश्वास करते हुए कि वे प्रगति की इन ताकतों के खिलाफ इस लड़ाई को हर हाल में जीत सकते हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>जैसे-जैसे निर्माण वाहन करीब आते गए, </b>जानवर जमीन के माध्यम से अपने इंजनों के कंपन को महसूस कर सकते थे। ऊदबिलाव और बिज्जू बेहद उत्साहित थे। उन्होंने एक साथ काम करते हुए, अपनी सुरंगों को बहुत ही तेज़ी से मज़बूत किया और भागने के नए रास्ते बनाए। इनकी सुरंगे देख कर बड़े बड़े किलों और जंगलों में मानव की बनाई सुरंगें भी मत खा रही थीं। उनके साथ ही गिलहरियाँ और खरगोश इधर-उधर भागते रहे और इस लड़ाई में ज़रूरी उपकरण और आपूर्ति इकट्ठा करते रहे। हिरण और मृग कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, जिससे एक अभेद्य दीवार बन गई जिसने बुलडोजर और उत्खनन कर्ताओं की प्रगति को काफी धीमा कर दिया था। </p><p style="text-align: justify;"><b>अफ़सोस कि अपनी जन्मभूमि और अपनी कर्मभूमि अर्थात जंगलों को बचाने के लिए</b> जिस शक्ति, बलिदान और हिम्मत का परिचय ये जानवर दे रहे थे उसे दुनिया को बताने के लिए वहां न कोई इतिहासकार था, न कोई लेख, न कोई टीवी चैनल और न कोई अख़बार का प्रतिनिधि। उनकी बहादुरी दुनिया को दिखाने वाला वहां कोई नहीं था। मानव की अमानवीय बर्बरता दिखाने वाला भी वहां कोई नहीं था। कुछ जानवर ही सोच रहे थे कि उनकी बहादुरी और कुर्बानी गुमनामी के अंधेरे में गुम हो कर रह जाएगी। फिर भी सभी जुटे हुए थे। सम्पदा बनाने और शोहरतें कमाने की लालसा और इच्छा से कोसों दूर। त्याग और बलिदान की एक ऐसी जंग लड़ी जा रही थी जिसमें केवल धरती मां का शुद्ध प्रेम नज़र आ रहा था। अपनी जन्मभूमि के साथ अटूट लगाव की एक तस्वीर नज़र आने लगी थी। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस बीच, </b>युवा हिरण के बच्चे ने फिर से कमाल किया। उसकी ऊर्जा सचमुच अटूट लग रही थी, प्रोत्साहन के शब्दों के साथ उसने अन्य जानवरों को एक बार फिर से एक छोटी सी लेकिन आपात बैठक के लिए एकजुट किया। उसने उन्हें उन सभी अन्य जानवरों की कहानियाँ भी उन्हें सुनाईं, जिन्होंने कठिन से कठिन बाधाओं का सामना किया और विजयी हुए, जिससे सबसे अधिक संदेह करने वाले लोगों के मन में भी आशा की किरण जगी। उसका दृढ़ संकल्प संक्रामक था, और यह जंगल की आग की तरह पूरे समूह में फैल गया। शायद पहली बार इस जंगल में इन जानवरों ने अपने बहादुर पुरखों और योद्धाओं का इतिहास पढ़ा था और उससे प्रेरणा लेने की ज़रूत भी महसूस की थी। अतीत उनके सामने वर्तमान बना नज़र आने लगा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>जानवारों का यह ज़ोरदार जवाबी संघर्ष रंग भी लाने लगा था।</b> जैसे-जैसे मनुष्यों ने जल जंगल और ज़मीन पर अपने एकाधिकार और अपने कब्ज़े की अपनी निरंतर प्रगति जारी रखी, उन्होंने ध्यान देना शुरू कर दिया कि उनकी मशीनों को आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही थी। उनके नीचे की ज़मीन खिसक रही थी और अस्थिर थी, और वे समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों है। उन्हें शायद बहुत कम ही पता था कि जानवर अपने घर और देश को बचने के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहे थे, सुरंगें खोद रहे थे और अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहे थे। इस तरह जानवर एक दुर्जेय शक्ति बन गए थे, जो अपनी बुद्धि और ताकत का उपयोग करके मनुष्यों और उनकी मशीनों को मात दे रहे थे। मानव की बड़ी बड़ी मशीनें जानवरों की एकता और क्षमता के सामने हारती हुई लगने लगी थी। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस बीच, युवा हिरण का बच्चा अपने साथी जानवरों के</b> लिए आशा और लचीलेपन का प्रतीक बन गया था। उनके नेतृत्व कौशल और अटूट दृढ़ संकल्प ने उन्हें दुर्गम बाधाओं का सामना करते हुए भी लड़ना जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उस युवा हिरणी की मां भी जानती थी कि वे प्रगति के खिलाफ इस लड़ाई को हमेशा के लिए नहीं जीत सकते, लेकिन उन्हें यह भी विश्वास था कि वे हर हाल में बदलाव ला सकते हैं। वह अपने उस हिरण बेटे पर गर्व से सिर ऊंचा कर के आसमान की तरफ देख रही थी जिसने शेर जैसा कलेजा दिखाया है। अस्तित्व की लड़ाई कमज़ोर से कमज़ोर लोगों को भी कितना बहादुर बना देती है। जब मन की शक्ति तन की शक्ति के साथ आ मिलती है तो ऐसा चमत्कार होना ही होता है। </p><p style="text-align: justify;"><b>जंगलों पर कब्ज़ा जमाने को</b> आतुर मानव समाज तरह तरह के धुएं और ज़हरों का भी इस्तेमाल करने लगा। मशीने भी नई नई मंगवा ली गईं। हरे भरे वृद्ध विशाल पेड़ों को काट कर उनकी जगहों पर कंक्रीट की बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी करने का अभियान ज़ोरों पर था। जानवर हैरान थे कि जिस विकास के लिए मानव पागल हुआ जा रहा है उसके पूरा होने पर मानव भोजन में क्या खाएगा? प्यास लगने पर पानी कहां से पिएगा? इन सभी से बढ़ कर बड़ी समस्या यह भी कि जंगलों के पेड़ों को काट कर सांस कहां से लेगा? पर शायद उनकी सुनने वाला वहां कोई नहीं था। एक मात्र लड़ना ही उनके सामने बाकी था। और कोई चुनाव नहीं था। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसी बीच दो लोग कुछ गाते हुए उधर से गुज़र रहे था।</b> क्या गए रहे थे समझ में नहीं आ रहा था। उन्होंने नीलवन्ती रन्थ जाने वाले एक बहुत ही समझदार वृद्ध सन्यासी से सम्पर्क किया। उसे सभी जानवरों और पशुपक्षियों की ज़ुबानें आती थी। वह सभी की बात समझ सकता था और सभी से बात कर सकता था। उसने दो राहगीरों का वो अदभुत गीत सुना और बताया अरे ज़ेह तो पंजाबी साहित्य की अनमोल है। यह पाश की काव्य रचना है--असीं लड़ागे साथी--असीं लड़ागे साथी! अर्थात हम लड़ेंगे साथी! हम लड़ेंगे साथी!</p><p style="text-align: justify;"><b>इस काव्य रचना को सुनते ही </b>अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे जानवरों के हौंसले और बुलंद हो गए। उन्होंने आक्रमणकारियों के खिलाफ अपने शरीर को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए सुरंगें खोदना और जीवित दीवारें बनाना जारी रखा।</p><p style="text-align: justify;"><b>जानवरों ने इस लड़ाई के साथ ही</b> गीत गाते जा रहे उन दो राहगीरों को सलाम किया और धन्यवाद भी कहा कि आप ने हमारे हक़ में आवाज़ बुलंद की। उन दो राहगीरों ने दोनों हाथ मुक्के की तरफ ऊपर उठाए और नारे लगाए हम आपके साथ हैं। उन्होंने वायड भी किया हम आपकी आवाज़ मेधा पाटकर तक भी पहुंचाएंगे और हिमांशु कुमार तक भी और मेनका गांधी तक भी। </p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #4c1130;">इसी बीच युद्ध जारी रहा। जैसे-जैसे निर्माण आगे बढ़ा, मनुष्य अप्रत्याशित असफलताओं से और अधिक निराश होते गए। वे इस पर काबू पाने की उम्मीद में बड़ी मशीनरी और अधिक श्रमिकों को भी लेकर आए लेकिन उनकी कोशिशे नाकाम होने लगीं। </span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-14303718234043111592023-06-22T02:30:00.007+05:302023-06-23T08:29:02.445+05:30बहुत लोकप्रिय और आकर्षक है कुम्भकर्ण पर्वतमाला <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: white;"><span style="background-color: #660000; font-size: x-large;">नेपाल में कंचनजंगा पहाड़ों के साथ ही स्थित है</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b style="text-align: left;"><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJp4DocyKEFgaA1O6FhGdVITvSoufXyajW5gnHDSYMA1yg3A31Y5PKLO2QWABV2jK9vL5U9lxxyUJIvjCtNyjl03Spq6ALNj0wNxp1DhV3EMxhheeH-TUSzRLE32vxIauoPeVJ_Ma4gQss4dGl4IrJo72ZMMrGFHTq3qOf8A8WLNsc-SBDq3CrcfkNijY/s1193/Kumbhkaran%20Parvat%20%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="518" data-original-width="1193" height="278" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJp4DocyKEFgaA1O6FhGdVITvSoufXyajW5gnHDSYMA1yg3A31Y5PKLO2QWABV2jK9vL5U9lxxyUJIvjCtNyjl03Spq6ALNj0wNxp1DhV3EMxhheeH-TUSzRLE32vxIauoPeVJ_Ma4gQss4dGl4IrJo72ZMMrGFHTq3qOf8A8WLNsc-SBDq3CrcfkNijY/w640-h278/Kumbhkaran%20Parvat%20%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%20.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b style="text-align: left;"><span style="color: #2b00fe;"><br />मोहाली</span>: <span style="color: #444444;">23 जून 2023</span>: <span style="color: #2b00fe;">(इर्द गिर्द </span><span style="color: #4c1130;">डेस्क</span>//<span style="color: #444444;">सहयोग</span> <span style="color: #2b00fe;">टूर्ज एंड ट्रेवेल्स</span>):: </b><p></p><p></p><p style="text-align: justify;"><b>जब भगवान श्री राम और रावण में </b>भयानक युद्ध शुरू हुआ तो हर दिन हर पल सनसनी भरा होता था कि न जाने आज क्या होगा .जब रावण के सभी योद्धा हार कर बारी बारी से मारे जाने लगे तो रावण को अपने उस भाई की याद आई जो सोया हो रहता था। उसे वरदान की बजाए वास्तव में निन्द्रासन का श्राप ही मिला हुआ था जिस वजह से वह सोया ही रहता था। पौराणिक कथा के अनुसार कुंभकरण ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। लेकिन जब वरदान मांगने का सुअवसर आया तो माता सरस्वती उसकी जीभ पर आ कर बैठ गईं, जिसके कारण उसकी जबान फिसल गई और उसने इंद्रासान की बजाए निद्रासन मांग लिया। </p><p><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxjoJXaXbbDpGEjLOFjrTFx7eDo15narYVAwrE4qjElH-Q7jrAacSbB-JW4_oSePUIhcdWk1Tw2aRO2C8JAuWNmZ4D2_5F-lczeC5vKthGnRCZOUlFwnfVg_ilbZImfTzcO1WHx2kLZsQ7QlQT89ypVZS7JTsjxFm9oGZlK5Ta2mjejBREzwJdYMAQzqQ/s1280/1280px-Jannu_from_the_Sinelapche_Pass.jpg" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="853" data-original-width="1280" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxjoJXaXbbDpGEjLOFjrTFx7eDo15narYVAwrE4qjElH-Q7jrAacSbB-JW4_oSePUIhcdWk1Tw2aRO2C8JAuWNmZ4D2_5F-lczeC5vKthGnRCZOUlFwnfVg_ilbZImfTzcO1WHx2kLZsQ7QlQT89ypVZS7JTsjxFm9oGZlK5Ta2mjejBREzwJdYMAQzqQ/w400-h266/1280px-Jannu_from_the_Sinelapche_Pass.jpg" width="400" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="font-size: x-small;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Kumbhakarna_Mountain#/media/File:Jannu_from_the_Sinelapche_Pass.jpg">तस्वीर विकिपीडिया से साभार </a></span></b><span style="color: #0000ee;"><b><u>By Jankovoy - Own work,7</u></b></span></span></td></tr></tbody></table><p></p><div style="text-align: justify;"><b><b>इसे सबसे पहले रावण ने महसूस किया कि </b>निन्द्रासन तो एक तरह से श्राप ही हो गया। बाद में कुम्गभकरण को भी अपनी गलती का अहसास हुआ तो रावण के कहने पर ब्रह्मा जी ने उसे छह माह तक सोने का वरदान दे दिया। इस वरदान के साथ ही व्रह्मा जी ने ये चेतावनी भी दे दी कि इसके बाद वह केवल एक दिन के लिए उठेगा। इस एक दिन के बाद फिर सो जाया करेगा। चेतावनी में पूरी तरह सपष्ट शब्दों में कहा गया था कि यदि इस से पहले कुंभकरण उठेगा या उसे उठाया जाएगा तो तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसके बावजूद हालत ऐसे बने थे कि कुम्भकरण को उठाना ही एक मात्र विकल्प बचा था। बहुत आकर्षक है कुंभकर्ण पर्वतमाला </b></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>गौरतलब है कि</b> कुंभकरण भी रावण की तरह ज्ञानी था। उसकी साधना कम नहीं थी। कुंभकरण के बारे में कहा जाता है कि वो अत्यंत विद्वान था। उसे भी वेद, शास्त्र आदि की पूरी जानकारी थी। इस संबंध में शोघ करें तो पता चलता है कि जब कुंभकरण जागता था तो उस दौरान भी वह शोध कार्य किया करता था। कुम्भकरण के बारे मैं बहुत कुछ इतना अच्छा भी है कि वह आम लोगों के सामने नहीं आ सका। </p><p style="text-align: justify;"><b>विदित हो कि कुंभकर्ण के पिता का नाम ऋषि विश्रवा था।</b> कुंभकरण भूत और भविष्य का भी ज्ञाता था। इसीलिए उसने रावण को कई बार समझाने की भी पूरी कोशिश की लेकिन रावण ने उसकी एक न मानी। हालाँकि उसे नींद से उठाना भी आसान नहीं हुआ करता था लेकिन लंका पर संकटकाल आ चूका था। स्थाथिति गंभीर बन चुकी थी। इस लिए हर ढंग तरीका प्रयोग कर के उसे उठाया गया। </p><p style="text-align: justify;"><b>जब उसे उठाने में</b> कामयाबी मिल गई तो उसे भोजन करवाना आवश्यक हुआ करता था। यह भोजन भी कोई छोटी समस्या नहीं थी। उसे भोजन वगैरा करवा कर सारी समस्या बताई गई की लंका संकट में है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस पर रावण के भाई कुम्भकरण ने</b> रावण की आलोचना भी की और उसकी नीतियों को भला बुरा भी कहा। लेकिन भाई होने के नाते उसने युद्द में जाना स्वीकार कर लिया। श्रीमान कुम्भकरण को युद में जाते हुए देख कर लंका की जनता भी उत्साह में आ गई। इतने विराट शरीर वाला बाहुबली जब लंका की गलियों और बाज़ारों में चल रहा था तो किसी पर्वत से कम नहीं लग रहा था। उसकी विशाल और शक्तिशाली भुजाएं युद्ध में भय का माहौल बना रही थी। </p><p style="text-align: justify;"><b>युद्द के मैदान में श्री राम की सेना को</b> अपने पांवों के नीचे कुचलते हुए उसने त्राहि त्राहि मचा दी। युद्ध क्षेत्र में जाते ही उसने कोहराम मचा दिया। हर तरफ उसने तबाही मचा रखी थी। श्री राम की सेना का कोई भी योद्धा उसे मारने में सक्षम ना था। संकट विकराल था। तब स्वयं श्री राम ने कुंभकरण से युद्ध किया और उसका एक हाथ काट कर उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया। </p><p style="text-align: justify;"><b>यह बात तो भगवान श्री राम ने भी मानी कि</b> न भूतो न भविष्यति। कुम्तीभकरण जैसा न कोई पहले था न ही कभी होगा। एक विशेष तीर के माध्यम से महान योद्धा कुम्भकरण के कटे हुए सिर को दूर पहाड़ी पर रखवा दिया। कहते आज भी हिमालय की कंचनगंगा पहाड़ी के पास एक पहाड़ है जो नेपाल में स्थित है। उसका नाम कुंभकरण हैं ये वही पहाड़ी है जहां पर कुंभकरण का सिर गिरा था। नेपाल में स्थित कुंभकरण पर्वत हिंदी में </p><p style="text-align: justify;"><b>उल्लेखनीय है कि </b>कुम्भकरण पर्वत, जो नेपाल में स्थित है, हिमालय की एक प्रमुख पर्वतमाला है। इसका अपना ही गौअर्यव भी है और महत्व भी। यह पर्वत नेपाल तथा चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित है और अपनी विशालता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ पर्यटकों का लगाव बहुत अच्छा है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसकी चर्चा करें</b> तो पता चलता है कि कुंभकरण पर्वतमाला को मुख्य रूप से तीन पहाड़ीय शिखरों से दूर रह कर भी पहचाना जा सकता है। मान्यता है। इनमें से सबसे ऊँचा शिखर जिसे कुंभकरण शिखर भी कहा जाता है, की ऊँचाई लगभग 8,586 मीटर (28,169 फीट) है। इसी पर रखा गया था कुंभकरण का कटा हुआ। दुसरे शिखर का नाम कर्णाली शिखर है, जो 7,925 मीटर (26,001 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। इसे देख कर एक विशेष किस्म का सौन्दर्य बोध जागता है। तीसरे शिखर का नाम राजारानी शिखर है, जो 7,711 मीटर (25,299 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। इन तीनो शिखरों इस जगह की अलग किस्म की पहचान भी बनती है। यहां आने वाले पर्यटक इसे दूर से ही पहचान जाते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>यहां प्राकृति की सुंदरता भी</b> देखने वाली होती है। कुंभकरण पर्वतमाला वनस्पति और वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पेड़ पौधों, फूलों, जन्तुओं और पक्षियों की विविधता भी बहुत नज़दीक देखी जा सकती है। इसके अलावा, यहां के धरती के नीचे के क्षेत्रों में सफेद हिमाच्छादित पर्वतीय चोटियाँ, ग्लेशियर्स, झीलें और नदियाँ भी बहुत खूबसूरती में नज़र आती हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>कुंभकरण पर्वतमाला</b> यात्रियों के बीच लोकप्रिय है, जो इसके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए आते हैं। पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, जंगल सफारी, और पर्यटनीय गाँवों का दौरा कुछ लोकप्रिय कार्यक्रम हैं। यहाँ आने वाले लोगों को आमतौर पर तिब्बती बौद्ध बिहारी जीवनशैली, धार्मिक स्थलों, और स्थानीय ग्रामीण संस्कृति का भी अनुभव करने का मौका मिलता है। बौद्ध तिब्बतिय साधकों से मिला कर यहां अध्यात्म और समाधि का भी अलौकिक सा अनुभव होने लगता है। मन की एकाग्रता बढ़ जाती है इंसान बहुत ही सहजता से ध्यान में उतरने लगता है। उसकी अध्यात्मिक उड़ान को यहाँ पंख मिलने का अहसास होने लगता है। </p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-18857496073688521412023-06-17T07:35:00.009+05:302023-06-17T07:37:58.486+05:30हमारे आसपास के क्षेत्रों में स्थित सैलानी स्थल भी होते हैं अच्छी जगह <p style="text-align: justify;"> <b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">कम खर्चे में मिलते हैं सैर सपाटे के याद गारी अनुभव </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIuH6ty0p5Zrpo0LXAWKU4LTpc_2yaQLpDLX2Hcjl0pIshT0Yj7hqGAZ5OE5QYTjDlA8FSNhMiT_vrWj58vqjAWLcXpDiwEyUsoBCG3HYpsJIuP5dPdgWndYYB7PJFnDzKuyIvN8lwSSnKJ4LOx-dtKpb20BgAW08CI_6FxL9FeeQtzAseNMcIv04D/s760/image.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="411" data-original-width="760" height="346" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIuH6ty0p5Zrpo0LXAWKU4LTpc_2yaQLpDLX2Hcjl0pIshT0Yj7hqGAZ5OE5QYTjDlA8FSNhMiT_vrWj58vqjAWLcXpDiwEyUsoBCG3HYpsJIuP5dPdgWndYYB7PJFnDzKuyIvN8lwSSnKJ4LOx-dtKpb20BgAW08CI_6FxL9FeeQtzAseNMcIv04D/w640-h346/image.png" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />मोहाली</span>: <span style="color: #444444;">17 जून 2023</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span> <span style="color: #444444;">डेस्क टीम</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>दूरदराज के क्षेत्रों में एक सैलानी की तरह जाने की इच्छा और ललक</b> अक्सर सभी के मन में बनी रहती है लेकिन बहुत दूर निकलने से पहले खुद से एक सवाल ज़रूर कीजिए कि क्या आपने आसपास के सैलानी स्थल देख लिए? बहुत अच्छा अनुभव होता है इन्हें देखने के मिशन में भी। नज़दीक होने के कारण खर्चा भी काम होता है और आपके आधार क्षेत्र में एक प्राकृतिक और भावनात्मक विस्तार भी आने लगता है। </p><p style="text-align: justify;"><b>क्षेत्र और स्थान के अनुसार, </b>आपके आसपास कई सैलानी स्थल हो सकते हैं। यह सारा सिलसिला और इनका अतापता आपके निवास स्थान के आधार पर बदल भी सकता है। हालांकि यहां आपके लिए कुछ प्रमुख सैलानी स्थलों का उल्लेख किया भी जा रहा है लेकिन यह बहुत संक्षिप्त है। यदि आपको ज़्यादा विवरण चाहिए तो आप हमारी टूर ट्रेवल गाईड टीम से भी सम्पर्क कर सकते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>उत्तर भारत में हिमालय दर्शन तो बहुत ही कमाल का अनुभव रहता है।</b> यदि आप भारत में रहते हैं, तो हिमालय एक प्रमुख सैलानी स्थल है। यदि आपका निवास उत्तर भारत है तो यह सब बहुत नज़दीक रहेगा। यहां आपको नेपाल, भूटान, और तिब्बत जैसे सुंदर पर्वतीय प्रदेश भी देखने को मिलेंगे जहाँ जाना किस्मत की बात ही कही जा सकती है। तिब्बत के लोगों से मिलना एक अध्यात्मकअनुभव भी है। हिमालय में जा कर पहुंचे हुए साधु संतों के दर्शन भी सम्भव हो सकते हैं। यदि के अंतर्मन में ऐसे संतों के दर्शनों की कोई प्यास है तो आपकी मनोकामना पूरी भी होगी। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसी तरह हिमाचल प्रदेश में शिमला बेहद कमल का है।</b> शिमला भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और पर्वतारोहण के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। यहां पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, और पर्वतीय वन्यजीवन का आनंद लिया जा सकता है। शिमला में साहित्य, कला और फिल्म निर्माण से जुड़ा हुआ भी बहुत कुछ है। प्रदेश की राजधानी होने के कारण यहाँ अक्सर पत्रकार सम्मेलन भी होते रहते हैं और केंद्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लोग भी आए रहते हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी होते ही रहते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसी सिलसिले में देवदार गढ़ भी एक विशेष जगह है।</b> उत्तराखंड, भारत में स्थित देवदार गढ़ भी एक लोकप्रिय सैलानी स्थल है। यहां बर्फ के मैदान, आकर्षक पर्वतीय झरने, और शानदार दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। उत्तराखंड में पहुंच कर भी ऐसा लगने लगी जैसे कि देवभूमि में पहुँच गए हों। इस तरह की अनुभूति यहां बार बार होने लगती है। धार्मिक स्थलों की भूमि होने के कारण यहां बहुत सी धार्मिक और आध्यात्मिक टँगें भी महसूस होने लगती है। यदि आप संवेदनशील हैं तो आपको ऐसा भी लगने लगेगा कि जैसे स्वयंमेव ही ध्यान किसी शक्ति विशेष से जुड़ने लगेगा। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसी तरह चुनौतियों में रोमांच के मज़े ढूंढ़ने की बात करें तो</b> एवरेस्ट बेस कैम्प ऐसे बहुत से अनुभवों का खज़ाना हो सकता है जहाँ बहुत कुछ मिल सकता है। ज़मीन की हकीकत पर खड़े हो कर आसमान की ऊंचाई छूने जैसा अहसास एक अनूठा अनुभव देता है। गौरतलब है कि एवरेस्ट पर्वतमाला, नेपाल में स्थित है और यहां एवरेस्ट बेस कैम्प वॉक एक प्रसिद्ध सैलानी यात्रा है। यह सैलानी यात्रा पर्वतारोहण का एक उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करती है। जोखिम और चुनौतियों को नज़दीक हो कर शक्ति और क्षमता में वृद्धि ही होती है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस चर्चा के साथ ही तानाह राता की चर्चा भी ज़रूरी है।</b> अरुणाचल प्रदेश, भारत में स्थित तानाह राता एक अत्यंत सुंदर सैलानी स्थल है। यहां आपको वन्य जीवन, झरने, और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का मौका मिलेगा। यहां भी मिलेजुले और अनूठे अनुभव होंगें जो आपको बार बार यहाँ आने को प्रेरित करेंगे। </p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">सैलानी स्थलों और घूमने मामलों में ये कुछ उदाहरण हैं जो बेहद दिलचस्प हैं। इनके इलावा भी आपके आसपास के क्षेत्र में अन्य सैलानी स्थल भी हो सकते हैं। आप अपने नजदीकी पर्यटन ब्यूरो या इंटरनेट से भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपको हमारी टूर ट्रेवल टीम भी सहायता कर सकती है। </span></b></p><div style="text-align: justify;"><br /></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-63456075977968222012023-05-11T14:30:00.001+05:302023-05-13T11:08:28.221+05:30कांग्रेस घोषणापत्र और हेट स्पीच पर प्रतिबन्ध: सन्दर्भ कर्नाटक<p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #666666;">11th May 2023 at 12:32 PM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGSh6dd-r9jcuX6733TVc3jh2XjDeVoOtdqG8ygkbM_m1k_0PWsM-j0sHAdKTwU5E3N_z30tB_k9DG6amJyQUfREdCIylpZljkQdF5L8PS5RZvQm2JUIeIfOvUPm0iNPN1EVU-rZAh5zk6GuP2J70JImCZqHyldyu6AEM-kwRBHxRhZQ3O5Zfg89jA/s1080/Ram%20Puniani%20Arytcle%20Pics%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="809" data-original-width="1080" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGSh6dd-r9jcuX6733TVc3jh2XjDeVoOtdqG8ygkbM_m1k_0PWsM-j0sHAdKTwU5E3N_z30tB_k9DG6amJyQUfREdCIylpZljkQdF5L8PS5RZvQm2JUIeIfOvUPm0iNPN1EVU-rZAh5zk6GuP2J70JImCZqHyldyu6AEM-kwRBHxRhZQ3O5Zfg89jA/w640-h480/Ram%20Puniani%20Arytcle%20Pics%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" width="640" /></a><b><span style="font-size: medium;"><u>राम पुनियानी का विशेष आलेख जो आप में जगाएगा नई सोच और नई दिशा </u></span><span style="font-size: large;"> </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><u><span style="color: #2b00fe;">भोपाल</span>: <span style="color: #444444;">11 मई 2023</span>: (<span style="color: #660000;">राम पुनियानी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span>)</u></b></p><p style="text-align: justify;"><b>कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र (मई 2023) में </b>कांग्रेस ने वायदा किया है कि अगर राज्य में उसकी सरकार बनी तो नफरत फैलाने वाले संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाया जायेगा। पीएफआई पर पहले से ही प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है। कांग्रेस ने संघ परिवार के सदस्य बजरंग दल को भी पीएफई के समतुल्य बताया है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस बात पर हंगामा खड़ा हो गया है। </b>प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर वार्ड स्तर के नेताओं तक ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। एक तरह से उन्हें वह मैदान मिल गया है जिसमें खेलना उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है। वे बजरंग दल को भगवान हनुमान के तुल्य बताने लगे हैं और मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह भगवान हनुमान को उसी तरह कैद करने का प्रयास कर रही है जैसे उसने भगवान राम को किया था। ज्ञातव्य है कि अब तक भाजपा चुनावों में भगवान राम के नाम का भरपूर इस्तेमाल करती आई है। </p><p style="text-align: justify;"><b>कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि</b> भगवान हनुमान की तुलना बजरंग दल से करना उनका अपमान है और भाजपा ने ऐसा करके हिन्दुओं की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। कुछ लोगों ने यह भी याद दिलाया है कि प्रमोद मुत्तालिक की श्री राम सेने पर गोवा की भाजपा सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया था। जब भाजपा स्वयं भगवान राम के नाम वाले संगठन को प्रतिबंधित कर सकती है तो बजरंग दल के मुद्दे पर हंगामा मचाने को अवसरवादिता के अलावा क्या कहा जा सकता है। </p><p style="text-align: justify;"><b>भगवान हनुमान को देश के कई हिस्सों में</b> श्रद्धा के साथ पूजा जाता है और तुलसीदास कृत ‘हनुमान चालीसा’ शायद सबसे लोकप्रिय प्रार्थनाओं में से एक है। हनुमान अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक भी हैं। क्या बजरंग दल को हम किसी भी तरह बजरंगबली से जोड़ सकते हैं? </p><p style="text-align: justify;"><b>समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत करने के लिए भाजपा की चुनावी सभाओं में ‘जय बजरंगबली’ के नारे लगाये जा रहे हैं। </b> किसी ने यह भी पूछा है कि जिन लोगों ने भारत के संविधान के नाम पर शपथ ली है, क्या वे सार्वजनिक मंचों से भगवानों के जयकारे लगा सकते हैं? अगर दूसरे धर्म में आस्था रखने वाले नेता ‘नारा ऐ तकबीर-अल्लाह हू अकबर’ का नारा आमसभाओं में बुलंद करें तो क्या यह उन्हें स्वीकार होगा?</p><p style="text-align: justify;"><b>बजरंग दल आखिर है क्या?</b> वह विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) की एक शाखा है और विहिप, आरएसएस का अनुषांगिक संगठन है। विहिप सन 1980 के दशक में अचानक चर्चा में आई जब उसने राम मंदिर का मुद्दा जोरशोर से उठाना शुरू किया। बजरंग दल का गठन विहिप की युवा शाखा के रूप में किया गया था ताकि पहले उत्तर प्रदेश और फिर देश के अन्य भागों में युवाओं को राममंदिर आन्दोलन से जोड़ा का सके। बजरंग दल ने ही कारसेवा और बाबरी मस्जिद को जमींदोज करने के लिए लड़कों को भर्ती किया। बाबरी मस्जिद के ध्वंस के लिए लोगों को गोलबंद करने में बजरंग दल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह संगठन हिंसा में यकीन रखता है। यह इससे भी साबित होता है कि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान उसने खून से भरा एक पात्र अडवाणी को भेंट किया था और उनके माथे पर रक्त का टीका भी लगाया था। हिंसा इस संगठन के रगों में है। </p><p style="text-align: justify;"><b>बजरंग दल के मुखिया विनय कटियार,</b> जो बाद में भाजपा सांसद बने, ने बाबरी ध्वंस की पूर्वसंध्या पर कहा था कि मस्जिद को मिटा दिया जायेगा और उसके मलबे तो सरयू नदी में बहा दिया जायेगा . बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद किस तरह की भयावह हिंसा पूरे देश में हुई थी यह हम सब को पता है। </p><p style="text-align: justify;"><b>बजरंग दल वैलेंटाइन्स डे के भी खिलाफ था </b>और देश के कई भागों में उसने इस दिन प्रेमी जोड़ों की पिटाई भी की. बाद में उसने लड़कियों के जीन्स पहनने पर भी आपत्ति जताई और महिलाओं के लिए एक ‘ड्रेस कोड’ भी बनाया. </p><p style="text-align: justify;"><b>पास्टर ग्राहम स्टेंस और उनके दो मासूम बच्चों की जिंदा जला कर क्रूर हत्या को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने “समय की कसौटी पर खरी उतरे सहिष्णुता और सद्भाव के मूल्यों के भयावह पतन” का प्रतीक बताते हुए कहा था कि</b> “यह कुत्सित काण्ड दुनिया के सबसे काले कारनामों की सूची में शामिल होगा”. उस समय के केंद्रीय गृहमंत्री एल.के. आडवाणी ने इस अमानवीय घटना में बजरंग दल का हाथ होने से इंकार किया था परन्तु बाद में हुई जांच से पता चला कि बजरंग दल के एक सदस्य राजेंद्र पल उर्फ़ दारा सिंह ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया था. दारा सिंह इस समय आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। </p><p style="text-align: justify;"><b>सन 2006 से 2008 के बीच देश में अनेक आतंकी हमले हुए.</b> इसी दौरान, नरेश और हिमांशु पांसे नामक दो बजरंग दल कार्यकर्ता बम बनाते हुए मारे गए. घटनास्थल से कुर्ता-पायजामा और एक नकली दाढ़ी भी बरामद हुई. इसी तरह की घटनाएं देश के अन्य कई इलाकों में हुईं. सन 2019 की जनवरी में योगेश राज नाम के एक बजरंग दल कार्यकर्ता को बुलंदशहर में मरी हुई गाय से जुड़े एक मामले में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। </p><p style="text-align: justify;"><b>हाल में रामनवमी पर हुई हिंसा के सिलसिले में </b>बिहारशरीफ में बजरंग दल के कुंदन कुमार को गिरफ्तार किया गया है.</p><p style="text-align: justify;"><b>जहाँ तक पीएफआई का सवाल है, </b>नफरत फैलाना और हिंसा करना उसकी प्रमुख गतिविधियों में शामिल रहा है. सन 2010 में केरल में ‘ईशनिंदा’ के नाम पर प्रोफेसर जोसफ के हाथ काटने की वीभत्स घटना हम सबको याद है। </p><p style="text-align: justify;"><b>धर्म के नाम पर</b> अपनी गतिविधियाँ चलाने वाले सभी संगठन असहिष्णु होते हैं, नफरत फैलाते हैं और हिंसा का सहारा लेते है. इस तरह के संगटनों में समानताएं भी होतीं हैं और अंतर भी। </p><p style="text-align: justify;"><b>एक मौके पर राहुल गाँधी ने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी। </b>उन्होंने कहा था, “आरएसएस भारत के मिज़ाज को बदलने का प्रयास कर रहा है। देश में कोई ऐसा कोई अन्य संगठन नहीं है जो भारत की सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा करना चाहता है। मुस्लिम ब्रदरहुड भी अरब देशों में ठीक यही करना चाहता था. दोनों का लक्ष्य यही है कि उनकी सोच हर संस्था पर लागू होनी चाहिए और अन्य सभी विचारों को कुचल दिया जाना चाहिए। ” उन्होंने यह भी कहा कि, “मुस्लिम ब्रदरहुड पर अनवर सादात की हत्या के बाद प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। उसी तरह, महात्मा गाँधी कि हत्या के बाद आरएसएस को प्रतिबंधित कर दिया गया था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही संगठनों में महिलाओं के लिए कोई स्थान नहीं है।”</p><p style="text-align: justify;"><b>इन दोनों संगठनों का काम करने का तरीका बेशक अलग-अलग है</b> परन्तु वे समान इसलिए हैं क्योंकि उनकी नींव उनके धर्मों की उनकी अपनी समझ पर रखी गई है, वे इस सोच को समाज पर लादना चाहते हैं और यही सोच उनकी राजनीति का आधार भी है. वे आज़ादी, बराबरी और भाईचारे के मूल्यों के खिलाफ हैं. और हाँ, दोनों समाज में परोपकार के काम भी करते है.</p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">पिछले कुछ दशकों में समाज में धार्मिकता बढ़ी है और धर्म के नाम पर राजनीति भी. समाज में दकियानूसीपन बढ़ा है और आस्था पर आधारित सोच हावी हुई है. नतीजा यह है कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ भी सांप्रदायिक ताकतों द्वारा धर्म के उपयोग को नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहीं हैं. तालिबान महिलाओं को कुचल रहा है. परन्तु क्या महिलाओं को जीन्स पहनने से रोकना या उन्हें बुर्का पहनने पर मजबूर करना भी तालिबानी सोच का कुछ नरम संस्करण नहीं है? (अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #0b5394;">निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।</span></b></p><form><script async="" data-payment_button_id="pl_KCZ8GjiGCiCHef" src="https://checkout.razorpay.com/v1/payment-button.js"> </script> </form> Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-30674138974209814692023-05-10T22:47:00.000+05:302023-05-13T14:07:31.213+05:30 ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’<p style="text-align: justify;"><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;"><b>ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’</b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;">जिसमें मिलेगी अतीत और आज की झलक </span></b></p><p><span style="color: #2b00fe;"></span></p><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeOnZ1Y3o-t2YdT7YXECbWuo6SWNEuSxpEOHDC1C0plTq7QlxKBlTwS2Z8JKUMlULM-QUTyUWCaR_2uCagIqr8gcrwQPlaafy2YKTGHimaVEeQVKry4aaXXwBbpEYRldqGprpEOP2KnT6fO3qKf8Bs6GcifzPBWlobkoF52nJrA6pBDDoGLxMDV-Ic/s898/G%20T%20Road%20Pics%201%20Hindi%20Screen.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="460" data-original-width="898" height="328" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeOnZ1Y3o-t2YdT7YXECbWuo6SWNEuSxpEOHDC1C0plTq7QlxKBlTwS2Z8JKUMlULM-QUTyUWCaR_2uCagIqr8gcrwQPlaafy2YKTGHimaVEeQVKry4aaXXwBbpEYRldqGprpEOP2KnT6fO3qKf8Bs6GcifzPBWlobkoF52nJrA6pBDDoGLxMDV-Ic/w640-h328/G%20T%20Road%20Pics%201%20Hindi%20Screen.jpg" width="640" /></a></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></span></div><span style="color: #2b00fe;"><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span><span style="color: #444444;">: </span><span style="color: #666666;">12 फरवरी 2023</span><span style="color: #444444;">: (</span><span style="color: #2b00fe;">हिंदी स्क्रीन</span><span style="color: #444444;"> डेस्क)::</span></div></span></span><p></p><p><b><span style="color: #444444;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #444444;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-B4VzeA_QDuv6NrE-TmZ5uDWU1L6F09FLXGpujvVIlOShiNQLPIsaiMHSKWnLkVwzhCnY4nfFczCp77Vyq_5t9LS5-IFUsTON98hVoBIgdgLjR9qzjbM8ueFrXLFOO4ApIY-9z_cUbRLnF6Z9KObXKbLq4kePbxmN2CNrTc1mGPKjdS_FdaO6wc2G/s945/Vijay%20Tiwari%20Vijay%20Bhopal.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="945" data-original-width="945" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-B4VzeA_QDuv6NrE-TmZ5uDWU1L6F09FLXGpujvVIlOShiNQLPIsaiMHSKWnLkVwzhCnY4nfFczCp77Vyq_5t9LS5-IFUsTON98hVoBIgdgLjR9qzjbM8ueFrXLFOO4ApIY-9z_cUbRLnF6Z9KObXKbLq4kePbxmN2CNrTc1mGPKjdS_FdaO6wc2G/w400-h400/Vijay%20Tiwari%20Vijay%20Bhopal.jpg" width="400" /></a></span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"><b><span style="color: #444444;">भोपाल एक ऐसा शहर है जहां शिक्षा और साहित्य से जुड़े बहुत से लोग रहते हैं। बुलंद आवाज़ लेकिन बहुत ही सलीके से सच कहने वाले इन लोगों से मिल कर, इनका कलाम पढ़ कर लगता है जैसे भोपाल के जलवायु में ही कोई ऐसा जादू है जो कलम में इंकलाब ले आता है। वहां भोपाल जा कर इन लोगों के जनजीवन को नज़दीक से देखने का मन भी अक्सर होता है और कुछ समय इनके पास रहने का भी। बहुत ही गहरी बातें बहुत ही सादगी से कह जाते हैं ये लोग। कलम और कलाम की दुनिया में इनका कद बहुत ऊंचा ही बना रहता है इसके बावजूद मिलने वालों को इनकी विनम्रता और स्नेह हमेशां के लिए अपना भी बना लेते हैं ये लोग। विजय तिवारी विजय लम्बे समय से बहुत ही सादगी से बहुत ही गहरी बातों की शायरी करते आ रहे हैं। उनकी शायरी सियासत की साज़िशों की बात भी करती है और जी टी रोड पर जीने को तरसती ज़िंदगी की बात भी। देखिए उनकी एक ग़ज़ल की झलक। आज के महाभारत में घिरे अभिमन्यु की चर्चा भी आपको इसी शायरी में मिलेगी और इसके साथ ही हिंदी की मधुरता और उर्दू की मिठास को एक दुसरे के नज़दीक लाने का ज़ोरदार प्रयास भी। मुशायरा कहीं भी हो उनकी हाज़री उसमें चार चाँद लगा देती है। उनकी कोशिश भी होती है कि निमंत्रण मिलने पर शामिल भी ज़रूर हुआ जाए। इसके बावजूद कभी कभी कोई मजबूरी आन ही पड़ती है तो उनके चाहने वाले उदास हो जाते हैं। आपको उनकी शायरी कैस लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही। </span><span style="color: #351c75;">--रेक्टर कथूरिया </span></b></span></b></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>कितनी मुश्किल से कटा दिन होश के मारों के बीच। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>शाम ए ग़म का शुक्रिया ले आई मयख़ारों के बीच ...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>क्या कभी देखा है वो ग़ुब्बारा ग़ुब्बारों के बीच। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>पेट की ख़ातिर भटकता दौड़ता कारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>रिंद ओ साक़ी जाम ओ पैमाना तलबगारों के बीच। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>आ गये सब ग़म के मारे अपने ग़मख़्वारों के बीच... </b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>चीख़ता ही रह गया मैं अम्न हूँ मैं अम्न हूँ। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>दब गई आवाज़ मेरी मज़हबी नारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>बार ए ग़म से लड़खड़ाकर क्या गिरा मस्जिद में आज । </b></p><p style="text-align: justify;"><b>यूँ घिरा जैसे शराबी कोई दींदारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>मौसम ए तन्हाई में बहते हैं आँसू इस क़दर। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>दस्त में बहता हो जैसे झरना कुहसारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>बज़्म ए जानाँ में मुझे देखा गया कुछ इस तरह। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>जैसे कोई ग़म का नग़मा कहकहाज़ारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>या ख़ुदा अहल ए अदब में यूँ रहे मेरा वुजूद। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>एक जुगनू आसमाँ पर चाँद और तारों के बीच...</b></p><p style="text-align: justify;"><b><br /></b></p><p style="text-align: justify;"><b>एक अभिमन्यु घिरा फिर धर्म संसद में ‘विजय’</b></p><p style="text-align: justify;"><b>रिश्तेदारों चाटुकारों और सियहकारों के बीच</b></p><p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #444444;"> ----विजय तिवारी ‘विजय’</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><u><span style="color: #20124d;">चलते चलते विजय साहिब का ही एक और शेयर:</span></u></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">किसी के इश्क में दुनिया लुटा कर</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">सुखनवर हो गए हैं कुल मिलाकर! </span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-38331750138956436652023-02-07T00:15:00.016+05:302023-04-03T22:20:33.284+05:30पति के गुज़र जाने के बाद ही सामने आया ज़िंदगी का असली इम्तिहान <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">06 February 2023 at 21:17 </span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #fcff01; font-size: large;"><b style="background-color: #660000;">स्वरोजगार योजना से दिखाया यशोदा पटवा ने आजीविका में कमाल </b></span></p><p style="text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2IFGDE7gv2Pa5yBm4l7aTMUgNsfyJgJlv4V5YMK2aRd99gRtzg1QwgezpyneHQc4myvUs6l_uIf0LXXPrfCRR_FRXMMnZ49QDOxIrY7QGPGfwG47MeBqrohDCT-CBF-rstz7eIIK32lkMCJxI9DDv-iUVhy8NDnFyfoiV8Ksq6E5l2ndNm47P8Gj9/s915/Yashoddha%20News%20Feature%20Pivs%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="336" data-original-width="915" height="236" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2IFGDE7gv2Pa5yBm4l7aTMUgNsfyJgJlv4V5YMK2aRd99gRtzg1QwgezpyneHQc4myvUs6l_uIf0LXXPrfCRR_FRXMMnZ49QDOxIrY7QGPGfwG47MeBqrohDCT-CBF-rstz7eIIK32lkMCJxI9DDv-iUVhy8NDnFyfoiV8Ksq6E5l2ndNm47P8Gj9/w640-h236/Yashoddha%20News%20Feature%20Pivs%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" width="640" /></a><b><span style="color: #2b00fe;">छिन्दवाडा</span>: <span style="color: #444444;">06 फरवरी 2023</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द</span> <span style="color: #444444;">ब्यूरो</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"><b>शासन द्वारा संचालित स्वरोजगार योजना जरूरतमंद व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।</b> छिंदवाड़ा जिले की नगर परिषद चांद की श्रीमती यशोदा पटवा के लिए भी स्वरोजगार योजना संकट की घड़ी में बड़ा सहारा साबित हुई है। </p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEis6l2wclXFIdxmBhZJ5VgXnmeeFqCogtCs1Gq8VcoSIVBHg66FkGsUdZjl1f1WLUwmpskJ-KJmdQL1tocGQnHSJAadn9NdcY8Zx5A_bWGAf1fkPKbcjQiBqYh3eWqqv5Qvzne4Oj3SpFAOC61z_Z0qy94PDTCmplZrxVMVh9JZJ-c5sWRsmm8kgHVE/s807/Yashoddha%20Success%20Story%20Pics%202nd.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="572" data-original-width="807" height="284" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEis6l2wclXFIdxmBhZJ5VgXnmeeFqCogtCs1Gq8VcoSIVBHg66FkGsUdZjl1f1WLUwmpskJ-KJmdQL1tocGQnHSJAadn9NdcY8Zx5A_bWGAf1fkPKbcjQiBqYh3eWqqv5Qvzne4Oj3SpFAOC61z_Z0qy94PDTCmplZrxVMVh9JZJ-c5sWRsmm8kgHVE/w400-h284/Yashoddha%20Success%20Story%20Pics%202nd.jpg" width="400" /></a></div><b><div style="text-align: justify;"><b>कोरोना महामारी में पति के गुजर जाने के बाद</b> नगर परिषद चांद की स्वरोजगार योजना की मदद से ही उनकी आजीविका संभल सकी है और अब वे अपने रेडीमेड कपड़े के व्यवसाय को लगातार बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्हें स्वरोजगार योजना के साथ ही नगर परिषद् के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना, खाद्यान्न सुरक्षा</div></b><div style="text-align: justify;">योजना, मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना का भी लाभ प्राप्त हुआ है। इसके लिए वे केंद्र शासन, मध्यप्रदेश शासन, जिला प्रशासन और नगर परिषद चाँद को धन्यवाद देती हैं। </div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>गौरतलब है कि चांद नगर की श्रीमती यशोदा ने</b> दुर्भाग्य और गरीबी की इस अकस्मात मुसीबत के साथ एक जंग लड़ी भी है और जीती भी है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी में मेरे पति का स्वर्गवास हो गया। पति का साथ छूटने के बाद परिवार की जिम्मेदारी पूरी तरह मेरे ऊपर आ गई थी। </p><p style="text-align: justify;"><b><br />पूर्व में मैं गांव-गांव घूमकर मनिहारी एवं मंगलसूत्र गुथाई का काम करके</b> अपने परिवार का पालन-पोषण करती थी जिससे लगभग 4-5 हजार रूपए की मासिक आय होती थी, लेकिन कोरोना काल में मेरा व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो गया। कोरोना के दौर में जो पाबंदियां लगीं उनके कारण गांव गांव घूमना सम्भव ही नहीं था। घरों में बंद रहना ही जान बचने के लिए आवश्यक हो गया था। </p><p style="text-align: justify;"><b>व्यवसाय बंद हो जाने का मानसिक तनाव भी बना रहता था।</b> बचत राशि पास में कुछ नही थी, जैसे-जैसे पैसे का जुगाड़ कर के रेडीमेड कपडे की दुकान बाजार चौक चाँद में लगाना प्रारंभ किया जिससे 200-300 रूपए की आमदनी प्रतिदिन हो जाती थी। लगभग एक साल मैंने फुटपाथ पर दुकान लगाई। इसके बाद नगर परिषद चाँद के माध्यम से स्वरोजगार योजना का पता चला कि इसमें रोजगार स्थापित करने के लिए 2 लाख रूपए तक का ऋण कम ब्याज दर पर प्राप्त हो रहा है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इसके लिए मैने नगर परिषद में आवेदन किया और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा चाँद से मुझे 2 लाख रूपए का ऋण प्राप्त हुआ। </b>इस राशि से मैंने सबसे पहले बाजार क्षेत्र में एक दुकान किराये से ली और उसमें किड्स वेयर, मेन्स वेयर और रेडीमेड कपड़ों से दुकान आरम्भ की। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस दुकान के माध्यम से मुझे अब प्रतिदिन 500-600 रूपए और प्रति माह लगभग 15 हजार रुपए की बचत हो जाती है।</b> ऋण की मासिक किश्त और दुकान का किराया भी समय पर जमा कर देती हूं। बाकी रुपयों से परिवार का भरन-पोषण अच्छी तरह से हो जाता है और परिवार के साथ हँसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रही हूँ। पति के जाने के बाद शासन की योजना की मदद से ही मेरा जीवन पहले से बेहतर हो सका है, इसके लिए मैं शासन को धन्यवाद देती हूं।</p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">इस तरह शासन की योजनाओं का लाभ ले कर सुश्री यशोदा पटवा ने अपनी किस्मत की लकीरों को ही बदल डाला। उसने दुर्भाग्य की रेखाओं को मिटा डाला और हिम्मत कर के अपनी मर्ज़ी की किस्मत खुद लिख दी। आप भी चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। सत्ता की योजनाएं आप के लिए भी खुली हैं। </span></b></p><div style="text-align: justify;"><br /></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-88025115929896359352022-12-02T02:30:00.005+05:302023-02-12T09:58:33.083+05:30विशेष लेख//पर्यटन पर्वः सब देखो अपना देश//अनिल दुबे<p style="text-align: justify;"> <span style="color: #999999; font-size: x-small;"><b>विशेष सेवा और सुविधाएँ 13-October, 2017 13:56 IST</b></span></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #fcff01; font-size: x-large;"><b style="background-color: #660000;">पर्यटन ही आसान रास्ता है प्रकृति से जुड़ने का </b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">नई दिल्ली</span>: <span style="color: #666666;">2 दिसंबर 2022</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द</span> <span style="color: #666666;">डेस्क</span>):: </b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><b>ज़िंदगी में रहते रहते प्राकृति के नज़दीक रहना, उसे जान लेना और उस के साथ अपनी सुर मिला लेना वास्तविक प्रसन्नता के लिए बहुत आवश्यक होता है। दूर दराज के रमणीय स्थानों पर घूमना इस मकसद के लिए बहुत ही अच्छा रहता है। पत्र सूचना कार्यालय के लिए अनिल दुबे ने यह आलेख कुछ वर्ष पहले लिखा था लेकिन यह आज भी बहुत प्रसंगिक है। लीजिए पढ़िए इस आलेख को पूरी तरह से। इस पर आपके विचारों की इंतज़ार भी बनी रहेगी और इसके साथ ही आपकी अपनी लिखी रिपोर्ट्स/रचना/तस्वीरों और वीडियो इत्यादि की भी। </b></span><b><span style="color: #20124d;"> </span><span style="color: #073763;">-संपादक//इर्द-गिर्द </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="font-size: medium;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNs4rxIvvc_5tajfCq2C8E5aQdmlSKLrXP7GQzS96Hl6AoYVwqNva2wMahyhCWLP75VH4KcGwRwevXWNZggrKlu17Sms4uGcAxDEAUp4RQ9CyjcEOPI2fgPNg7rMD8igrrXvA70rdnsN5gdgD9QbIHSVmu1DM3reIw5SeQ5PVJ9dtoTQ56Urf9n9fN/s1180/India%20Tourism%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="589" data-original-width="1180" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNs4rxIvvc_5tajfCq2C8E5aQdmlSKLrXP7GQzS96Hl6AoYVwqNva2wMahyhCWLP75VH4KcGwRwevXWNZggrKlu17Sms4uGcAxDEAUp4RQ9CyjcEOPI2fgPNg7rMD8igrrXvA70rdnsN5gdgD9QbIHSVmu1DM3reIw5SeQ5PVJ9dtoTQ56Urf9n9fN/w640-h320/India%20Tourism%20Details%20in%20Irad%20Girad.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="font-size: medium;"><br />''सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िंदगानी फिर कहां,</span></b><p></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां ''</span></b></p><p style="text-align: justify;">यह पंक्तियां घुमक्कड़ी, यायावरी, पर्यटन और यात्राओं के पूरे दर्शन को समाहित किए हुए है। पर्यटन आज दुनिया ही नहीं अब भारत में भी एक बड़ा उद्योग का दर्जा पा चुका है, लेकिन बीते हजारों वर्षों में दुनिया को जोड़ने, खोजने, समझने और साहित्य, कला संस्कृति के साथ विज्ञान को भी एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम भी यात्रियों व पर्यटकों ने ही किया है। कम से कम भारत जैसे विविधताओं और विभिन्नता वाले देश में पर्यटन ही एक ऐसा मजबूत माध्यम रहा है, जिससे विभिन्न संस्कृतियां एक दूसरे के नजदीक तेजी आयीं। विदेशों से भारत में आने वाले सैलानियों के साथ ही अब घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी भारी वृद्धि गत वर्षों में हुई है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से 5 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक शानदार पर्यटन पर्व मना रही है। इसके तहत 'देखो अपना देश', 'सभी के लिए पर्यटन' और 'पर्यटन एवं शासन व्यवस्था' जैसे लक्ष्यों को लेकर एक बड़ा अभियान शुरु किया गया है, जिसमें देश के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच मौजूद सभी राज्यों में भव्य व विस्तृत कार्यक्रम किए जा रहे हैं।</p><p style="text-align: justify;">देश में आम लोगों के लिए घुमक्कड़ी कोई शौक नहीं था, लेकिन आज घरेलू पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। देश में राहुल सांस्कृत्यायन भारत के बड़े यायावर अथवा यात्री थे, जिन्होंने पूरा जीवन दर्जनों देशों की यात्रा करने में बिताया. उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे राहुल ने अपने जीवन के 45 वर्ष भारत, तिब्बत, रूस, श्रीलंका, यूरोप और कई एशियाई देशों की दुर्गम यात्राओं में गुजारे थे। साथ ही उन्होंने यात्राओं के संस्मरण भी लिखे, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर बन चुके हैं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो घूमने के शौकीनों के लिए किसी धर्म ग्रंथ से कम नहीं है।</p><p style="text-align: justify;">यहां एक बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि पर्यटक और यात्री में फर्क होता है। पर्यटक उन्हीं चीजों को देखने जाता है, जिसके बारे में वह पहले से जानता है, लेकिन यात्री नये स्थलों को खोजता है और नई जानकारियां जुटाता है। अगर मार्को पोलो व वास्कोडिगामा जैसे यात्री ना होते तो दुनिया के तमाम देशों को दूसरे अज्ञात देशों की जानकारी ना हो पाती। इसी तरह चीनी यात्रियों फाह्यान व ह्वेनसांग आदि की वजह से बौद्ध धर्म व प्राचीन भारतीय संस्कृति का संपर्क चीन के साथ हो सका। देश में उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ने और पश्चिम को पूर्वी भारत से जोड़ने का काम आजादी के बाद पर्यटन उद्योग ने ही किया। इन्हीं सब उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से देश में घूमने और उसकी विविधता को समझने का आह्वान किया था।</p><p style="text-align: justify;">इसको ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन मंत्रालय ने 20 दिवसीय पर्यटन पर्व देशभर में मनाने का अभियान शुरू किया है। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ महेश शर्मा और केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के.जे. अल्फोंस ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे से पर्यटन पर्व का उद्घाटन किया, तो वही सभी राज्यों में 5 अक्टूबर से ही उन राज्यों के प्रमुख पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अभियान की शुरुआत हुई। राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार के 18 मंत्रालय भी इस पर्व में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत पर इस अभियान के जरिए विशेष जोर दिया जा रहा है। पर्यटन पर्व का समापन इंडिया गेट पर 25 अक्टूबर को होगा, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उपस्थित रहेंगे।</p><p style="text-align: justify;">इस पर्व की खूबी यह भी है कि यह सिर्फ लोगों को घूमने-फिरने के बारे में जानकारी देने अथवा उन्हें प्रोत्साहित करने मात्र के लिए नहीं है। बल्कि इसके जरिए देश में तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन उद्योग में रोजगार के असीम अवसरों को पहचानना और युवाओं को इस रोजगार के प्रति आकर्षित कराना भी है. इसीलिए अल्फोंस ने अपने संबोधन में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि बढ़ते पर्यटन से लोगों को रोजगार देने और क्षेत्रीय विकास के नए अवसर पैदा होंगे। पर्व के दौरान रेलवे, सड़क परिवहन व शहरी विकास जैसे कई मंत्रालय पर्यटन स्थलों व उसके आस-पास के इलाकों में साफ सफाई को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। वहीं पर्यटन मंत्रालय ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटक स्थलों की साफ-सफाई का अभियान चलाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर ऐसे कार्यक्रम भी चला रहा है, जिससे लोगों को ऐतिहासिक स्थलों का महत्व पता चले और वह उनकी देखभाल व साफ- सफाई करने के लिए प्रेरित हों।</p><p style="text-align: justify;">दुनिया में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि वर्ष 2016 में लगभग 123 करोड़ पर्यटकों ने विश्व भ्रमण किया। विश्व जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान 10.2% है. वहीं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का 9.6 प्रतिशत का योगदान है। देश में उपलब्ध रोजगार में से 9.3 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र से मिल रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए सैलानियों को 16 हवाई अड्डों पर ई-पर्यटक वीजा उपलब्ध कराने का काम पहले ही शुरू कर दिया गया था। इससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस वर्ष जनवरी से मार्च के सिर्फ 3 माह में 4.67 लाख विदेशी यात्री इ-वीजा के माध्यम से देश में आए।</p><p style="text-align: justify;">पर्यटन पर्व के तीन प्रमुख बिंदु हैं, जिसमें देखो अपना देश, सभी के लिए पर्यटन और पर्यटन एवं शासन व्यवस्था पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर विभिन्न पर्यटन स्थलों के वीडियो, फोटोग्राफी और ब्लॉग लेखन की प्रतियोगिताएं की जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पर्यटकों की दृष्टि से भारत की गाथाओं का वर्णन किया जा रहा है। पर्यटन संबंधी प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, वाद-विवाद और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन राज्यों में हो रहा है। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटकों को लुभाने के लिए टेलीविजन द्वारा अभियान शुरू किया गया है। इसके अलावा सभी राज्यों में पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, नाटक और कथा वाचन का भी आयोजन हो रहा है। कार्यक्रम स्थलों पर पर्यटन प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें संस्कृति, खान-पान और हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन हो रहा है। साथ ही पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों व पक्षकारों के लिए भी कार्यशाला लगाई गई है।</p><p style="text-align: justify;">अहमदाबाद में 5 से 25 अक्टूबर तक फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रकृति और वन्यजीव फोटोग्राफी की थीम रखी गई है। 'खुशबू गुजरात की' का विशेष आयोजन करने के अलावा जनजातीय उत्सव भी मनाया गया. महाराष्ट्र में 25 अक्टूबर तक राज्य के विभिन्न स्कूलों में वीडियो प्रदर्शनी व महाराष्ट्र को खोजें विषय पर कई कार्यक्रम रखे गए हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, पंजाब, बिहार और मध्य प्रदेश में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विविध आयोजन किए जा रहे हैं।</p><p style="text-align: justify;">रेलवे ने यात्रियों के लिए यात्रा सुखद करने के दृष्टिकोण से स्टेशनों की विशेषता सज्जा की है इसी तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पर्यटन सर्किटों में सड़कों के किनारे जन सुविधाओं की शुरुआत करके कार्यक्रम में सहयोग किया है। इसके अलावा नागर विमानन मंत्रालय, वित्त, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, गृह, वाणिज्य और विदेश मंत्रालय ने भी अपने अपने ढंग से पर्व में सहयोग किया है। इस पूरे पर्व के दौरान राज्य सरकारें और केंद्र सरकार के मंत्रालय सभी आयोजनों में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी करा रहे है। विशेष तौर पर युवाओं को इसमें जोड़ा गया है। पर्यटन उद्योग में रोजगार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर असीम संभावनाएं हैं और इसके लिए युवाओं को पर्व के दौरान जानकारी दी जाएगी। यही नहीं कई राज्यों में टैक्सी, ऑटो, रिक्शा चालकों, होटल व्यवसायियों व अन्य लोगों को पर्यटकों के साथ अच्छे व्यवहार करने व उनकी मदद करने के तरीकों की भी जानकारी दी जा रही है। पर्व का यह पूरा अभियान भारत के पर्यटन उद्योग का परिदृश्य बदल देगा। इससे जहां घरेलू पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, वही विदेशी सैलानियों को और अनुकूल वातावरण देश में उपलब्ध हो सकेगा।<b><span style="color: #999999; font-size: x-small;">PIB</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #999999; font-size: x-small;"></span><span style="color: #999999; font-size: xx-small;">**** वीएल/पीकेए/एमबी-194</span></b></p><p style="text-align: justify;"><br /></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-82901618409850577952022-11-30T19:00:00.009+05:302022-12-02T12:38:40.302+05:30सरप्राईज़ सप्लाई की राहत के कुछ पल कैमरे की ज़ुबानी<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> मोटरबोट में फंसे नागरिकों को पहुंचे गई राहत सामग्री </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2UidX9RbiKEfFx3WonfoN70MVnSunRa3CtJB1XZ9z9JEaFkgr_XYVBx0zxCKINJ6gs22ShlvxXlDRMMIFbC_eHsqM83khQr5nvhnprTNNuX5_rGiitLyFGYtIeuL2FBHyqodKTbtxioAawvFMfzSzTEMJq_uGHhTJT8amY2P9J_54WxfT-j3b0mkc/s1100/Surprise%20Supply%20C1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="733" data-original-width="1100" height="426" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2UidX9RbiKEfFx3WonfoN70MVnSunRa3CtJB1XZ9z9JEaFkgr_XYVBx0zxCKINJ6gs22ShlvxXlDRMMIFbC_eHsqM83khQr5nvhnprTNNuX5_rGiitLyFGYtIeuL2FBHyqodKTbtxioAawvFMfzSzTEMJq_uGHhTJT8amY2P9J_54WxfT-j3b0mkc/w640-h426/Surprise%20Supply%20C1.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />अदन की खाड़ी</span>: <span style="color: #444444;">30 नवंबर 2022</span>: (<span style="color: #660000;">अमेरिकी रक्षा विभाग</span> <span style="color: #444444;">के सौजन्य से</span> <span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द</span> <span style="color: #444444;">डेस्क</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>जब जंग लगी हुई हो तो बहुत कुछ बर्बाद कर देती है। बहुत कुछ उजाड़ देती है। बहुत से घरों और परिवारों को तबाह कर देती है। जंग का यही स्वभाव है। तबाही निशाना रहती है। फिर भी कभी कभी जंग आवश्यक हो जाती है। इसे लड़े बिना गुज़ारा भी नहीं होता। इसलिए कोशिश रहती है जंग न ही छिड़े लेकिन कभी कभी दुश्म इसके लिए मजबूर कर देता है। जंग जैसी स्थितियां अक्सर कहीं न कहीं बनी ही रहती हैं। इन हालतों में भी जंग में काम करने वाले योद्धा लोग सक्रिय रहते हैं। आम नागरिकों का ध्यान रखते हैं और उन तक आवश्यक सामग्रियां पहुंचाते रहते हैं। जंग में किस के लिए संकट आएगा इसका अंदाज़ा पहले से लगाना कई बार नामुमकिन जैसा ही होता है। इस तरह के अनिश्चित हालात में आम नागरिक कहीं न कहीं किसी न किसी कारणवश फंस ही जाते हैं। कई बार आम नागरिक ऐसी जगहों पर फंस जाते हैं जहां उनके पास न भोजन पहुँचता है, न ही पानी और न ही दवाएं। जंग लड़ने वाले योद्धा लोग आम नागरिकों तक बिना किसी भेदभाव के यह सब ज़रूरी सामग्रियां पहुंचाते ही रहते हैं। अमेरिकी सेना से जुड़े योद्धाओं ने एक मोटरबोट में फंसे हुए आम नागरिकों तक जब 29 नवंबर 2022 को राहत सामग्री पहुंचाई तो अमेरिकी रक्षा विभाग से जुड़े हुए उच्च अधिकारी Navy Petty Officer 2nd Class Cryton Vandiesal ने इन ख़ास क्षणों को तुरंत अपने कैमरे में उतार लिया। सरप्राइज सप्लाई से जो राहत इन नागरिकों को मिली होगी उसका अनुमान आप इस तस्वीर को देख कर लगा ही सकजते हैं। लगा ही सकते हैं। यह तस्वीर अदन की खाड़ी में खींची गई थी। </b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-68592297796026372342022-11-21T20:30:00.005+05:302022-11-22T10:59:54.932+05:30 मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, आस-पास से ही खोज लेता हूं <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 21 NOV 2022 7:13PM by PIB Delhi</span></b></p><div style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;"><u>53वें इफ्फी की मास्टरक्लास में वी विजयेंद्र प्रसाद</u></span></b></div><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">जो अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्पन्न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है</b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiS4ELo8zT6hr9yiZsJoICcanbSdcMnFUc8qcrxPdndFcWKjTH4Zn_ZcTQ8lmWr5j0bYDtLmfNpWq0XYR424-nSyaNuKLl1svx3KWc4nncwPT-PbYNpKizqDVT5jyX7_wyjFSTG3AnmafpFCvL1ZuUVGJl9JlWdyUwC_4G3_MoR1fs8gEK2lmNhT8a3/s1384/VVPrasadVTME.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1384" data-original-width="1021" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiS4ELo8zT6hr9yiZsJoICcanbSdcMnFUc8qcrxPdndFcWKjTH4Zn_ZcTQ8lmWr5j0bYDtLmfNpWq0XYR424-nSyaNuKLl1svx3KWc4nncwPT-PbYNpKizqDVT5jyX7_wyjFSTG3AnmafpFCvL1ZuUVGJl9JlWdyUwC_4G3_MoR1fs8gEK2lmNhT8a3/w472-h640/VVPrasadVTME.jpg" width="472" /></a></div><p style="text-align: justify;"><b></b><b><span style="color: #2b00fe;">गोवा</span>: <span style="color: #444444;">21 नवंबर 2022</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div style="text-align: justify;"><b style="font-weight: bold;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixQ5GpZNLS7wrsnjd6zzdJFrTq_zYa2BKqIjTx5kjXEFiXsoYevAklVFshCOxkDv3Y37ETIK3fkbVuezSkmsFTvDan8fylGBasvd54G0deENDIWOzNEa_kqZWSxs-0yD6xqCssihx0cqYM2o-bYoA7YMN2r1mZ4M2uS3mYwv4psJexYnjoVQEjRuoK/s400/IFFI%20logo.png" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="265" data-original-width="400" height="133" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixQ5GpZNLS7wrsnjd6zzdJFrTq_zYa2BKqIjTx5kjXEFiXsoYevAklVFshCOxkDv3Y37ETIK3fkbVuezSkmsFTvDan8fylGBasvd54G0deENDIWOzNEa_kqZWSxs-0yD6xqCssihx0cqYM2o-bYoA7YMN2r1mZ4M2uS3mYwv4psJexYnjoVQEjRuoK/w200-h133/IFFI%20logo.png" width="200" /></a></div>मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं।</b><span style="font-weight: bold;"> </span><span>कहानियां आपके आस-पास हैं, चाहे वह महाभारत, रामायण जैसे महाकाव्य हों या वास्तविक जीवन की घटनाएं, कहानियां हर जगह हैं। जरूरत बस आपको इन्हें अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत करने भर की है। यह बात बाहुबली, आरआरआर, बजरंगी भाईजान और मगधीरा जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के विख्यात पटकथा लेखक वी विजयेंद्र प्रसाद ने कही।</span></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>“दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्पन्न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है। </b>मैं हमेशा अपनी कहानी और पात्रों के लिए दर्शकों के भीतर भूख उत्पन्न करने की कोशिश करता हूं और यही मुझे कुछ अनूठा और आकर्षक बनाने के लिए प्रेरित करता है।" ये विचार मास्टर कहानीकार ने व्यक्त किए। वह आज गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के अवसर पर 'द मास्टर्स राइटिंग प्रोसेस' विषय पर एक मास्टरक्लास में फिल्म में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को संबोधित कर रहे थे।</p><p style="text-align: justify;"><b>पटकथा लेखन की अपनी शैली के बारे में बताते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि</b> वह हमेशा मध्यांतर के समय कहानी में मोड़ लाने के बारे में सोचते हैं और उसी के अनुसार अपनी कहानी को व्यवस्थित करते हैं। उन्होंने कहा, "आपको राई का पहाड़ बनाना होगा। आपको एक झूठ को इस तरह पेश करना होगा, कि वह सच जैसा लगे। जो व्यक्ति अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है।”</p><p style="text-align: justify;"><b>एक नवोदित कहानीकार के प्रश्न का जवाब देते हुए</b> प्रसिद्ध कहानीकार ने कहा कि व्यक्ति को अपना दिमाग खुला रखना होगा और हर चीज को आत्मसात करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "आपको अपना सबसे कठोर आलोचक बनना होगा, तभी आपका सर्वश्रेष्ठ सामने आएगा और तभी आप अपने काम को असीमित ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।"</p><p style="text-align: justify;"><b>बाहुबली और आरआरआर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए लिखने के</b> अपने अनुभव को साझा करते हुए श्री प्रसाद ने कहा, “मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं। सब कुछ मेरे मन में है; कहानी का प्रवाह, पात्र, ट्विस्ट ”। उन्होंने कहा कि अच्छे लेखक को निर्देशक, निर्माता, प्रमुख नायक और दर्शकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। <b>(<span style="color: #660000;">PIB</span>)</b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">सत्र का संचालन फिल्म समीक्षक और पत्रकार मयंक शेखर ने किया।</span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #666666; font-size: xx-small;">**** एमजी/एएम/आरके/डीए--(रिलीज़ आईडी: 1877832)</span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-80463025886226856532022-07-29T14:30:00.008+05:302022-08-04T16:31:52.628+05:30विशेष सामग्री-हनुमानगढ़ जिले का धन्नासर<p style="text-align: justify;"><span style="background-color: white; font-family: "Open Sans", sans-serif;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">29th July 2022 at 01:38 PM</span></b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">जो राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgbE5QjXL2CG_6Lg8-ztPD6MDAb_D2q1JfmvwCJnFm8kXcgoWTCkQG9rRpdaUhNn6byaYcZmMPL-jGauJP57ACCr85QxMIU61m1TTbLUChHuWbX6A6a9p-PAmuDCoeI2bmz90B22XWsisVnE3J6IVmaao9pTc4CBfxkqUOqtNQC2BMXtcf0ZGhL41a/s1180/Adventure%20Tourism%20Rajasthan%20Feature.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="884" data-original-width="1180" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgbE5QjXL2CG_6Lg8-ztPD6MDAb_D2q1JfmvwCJnFm8kXcgoWTCkQG9rRpdaUhNn6byaYcZmMPL-jGauJP57ACCr85QxMIU61m1TTbLUChHuWbX6A6a9p-PAmuDCoeI2bmz90B22XWsisVnE3J6IVmaao9pTc4CBfxkqUOqtNQC2BMXtcf0ZGhL41a/w640-h480/Adventure%20Tourism%20Rajasthan%20Feature.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />हनुमानगढ़</span>: <span style="color: #444444;">29 जुलाई 2022</span>: (<span style="color: #660000;">इर्द-गिर्द</span>//<span style="color: #2b00fe;">राजस्थान स्क्रीन</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील का धन्नासर क्षेत्र</b> राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है। धन्नासर के रेत के धोरे मोटर स्पोर्ट्स के दिग्गजों को सहर्ष ही आकर्षित करते हैं। जिले के 29 वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब की ओर से यहां ऑफरोडिंग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किए गए इस ऑफरोडिंग कार्यक्रम में देश के मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र के तीन दिग्गज खिलाड़ी सन्नी सिद्दू, सनम सेखो और गुरमीत विर्दी भी यहां पहुंचे और धन्नासर के धोरों पर एटीवी, पोलारिस समेत अन्य स्पोर्ट्स गाड़ियों के जरिए ऑफरोडिंग में जमकर धूम मचाई।</p><p style="text-align: justify;"><b>डेजर्ट स्ट्रोम के 7 बार और रेड हिमालया के एक बार चौंपियन रह चुके सन्नी सिद्धू </b>बताते हैं कि हनुमानगढ़ की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है लिहाजा जिले का धन्नासर मोटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बड़ा हब बन सकता है। एटीवी रैली, कार रैली व गो कार्टिंग के चौंपियन रह चुके सनम सेखो ने धन्नासर के धोरों पर एटीवी के जरिए खूब धूम मचाई। उनकी एटीवी की स्पीड और उस पर जोरदार पकड़ ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। सेखो बताते हैं कि धन्नासर एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। यहां स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब ने मेहनत कर बहुत अच्छा ट्रेक बनाया है।वहीं देश में आरएफसी( रैन फोरेस्ट चौलेंज) के तीन बार चौंपियन रहे और मलेशियन आरएफसी के एकमात्र भारतीय चौंपियन रहे श्री गुरमीत विर्दी बताते हैं कि धन्नासर का ऑफरोडिंग ट्रेक बहुत ही चौलेंजिंग है। हमें यहां ऑफरोडिंग करके बहुत मजा आता है। नए ऑफरोडर भी यहां आकर स्टार्ट करें तो उन्हें अच्छा एक्सपीरियंस मिलेगा। </p><p style="text-align: justify;"><b>जिले के मोटर स्पोर्ट्स से जुड़े</b> "जर्ट रेडर्स क्लब" में हनुमानगढ़ के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और राजस्थान के अन्य जिलों के ऑफरोडर भी शामिल हैं। क्लब प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी) के नेतृत्व में यह क्लब पूरे अनुशासन के साथ मोटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए जुटा हुआ है। इसके सदस्य धन्नासर के धोरों पर वर्ष 2012-13 से ऑफरोडिंग की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं। क्लब के द्वारा वर्ष 2017 से तीन दिवसीय नेचर ड्राइव का आयोजन भी धन्नासर में प्रतिवर्ष दिसंबर के तीसरे वीकेंड पर किया जा रहा है। ताकि हनुमानगढ़ को पर्यटन मानचित्र पर एडवेंचर टूरिज्म के रूप में नई पहचान मिले।डेजर्स रेडर्स क्लब के प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी )बताते हैं कि ये बड़े गर्व की बात है कि हनुमानगढ़ जिला स्थापना दिवस के अवसर पर धन्नासर में आयोजित ऑफरोडिंग में मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र में देश के तीन दिग्गज यहां आए। हम धन्नासर को मोटर स्पोर्ट्स के हब के रूप में विकसित करने को लेकर प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन भी हमें पूरा सपोर्ट कर रहा है। </p><p style="text-align: justify;"><b>दरअसल ,धन्नासर में</b> एक तरफ रेत के धोरे हैं तो दूसरी तरफ आपणी योजना के बड़े बड़े वाटर रिजर्वायर। तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित ने धन्नासर की इस खूबसूरती को देखते हुए पहली बार सभी जिला स्तरीय अधिकारियों की डीएलओ मीट का आयोजन भी यहां करवाया। उसके बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री जाकिर हुसैन ने जिला स्थापना दिवस पर यहां ऑफरोडिंग के अलावा विभिन्न खेलों का आयोजन करवाया। वर्तमान जिला कलेक्टर श्री नथमल डिडेल ने नेचर ड्राइव के आयोजन में पर्यटन विभाग का सपोर्ट दिलवाकर इसे मोटिवेट किया। साथ ही जैसलमेर के मरू महोत्सव, बीकानेर के केमल फेस्टिवल की तर्ज पर यहां धन्नासर में नेचर ड्राइव को जिले के एक बड़े आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। </p><p style="text-align: justify;">---</p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">- सुरेश बिश्नोई</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">जनसंपर्क अधिकारी, हनुमानगढ़</span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-74426696098652977992022-06-21T00:00:00.037+05:302022-06-25T12:49:17.836+05:30स्वस्थ जीवन पर विशेष//योग द्वारा टाइप-2 मधुमेह पर कारगर नियंत्रण<p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #999999; font-size: x-small;">Posted On: 16th June 2017 at 8:07 PM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: medium;"> योगमय जीवन पर विशेष लेख *योगाचार्य डॉ. आनंद बालयोगी भवनानी </span></b> </p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">पी आई बी के सौजन्य से</span> <span style="color: #444444;">योग साधना पर विशेष</span>: <span style="color: #444444;">21 जून 2022</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span> <span style="color: #999999;">डेस्क</span>)::</b></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><br /></b></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b>योग का आमूल विज्ञान</b><span style="font-weight: bold;"> एक बेहतरीन जीवनशैली है, जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि उसके द्वारा तनाव से उत्पन्न विकारों और जीवनशैली से उत्पन्न होने वाले मधुमेह जैसे विकारों को प्रभावशाली तरीके से दुरूस्त किया जा सकता है। आधुनिक अनुसंधानों से पता लगा है कि योग द्वारा मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते है। योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है (इन्स और विन्सेंट, 2007)।</span></div><p></p><p></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4yU2pQYFPYViIn85cFmlVy9s2Laifg_QYBmu3KPkSWpNHjOSqCpIIo3SlrQtPNoBVl2lyWTO-asp28M-gMewpQ9UICM74wyEuS-XwG4vM0txYndKqbR0JL2Uk7VXjxpvM7W4LYh45t12SJwJ8f24w_j1erKTip2w8m8VvV4OiZkc_1wB8CTUvHmKb/s900/Dr%20Anand%20Balyogi.jpg" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="900" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4yU2pQYFPYViIn85cFmlVy9s2Laifg_QYBmu3KPkSWpNHjOSqCpIIo3SlrQtPNoBVl2lyWTO-asp28M-gMewpQ9UICM74wyEuS-XwG4vM0txYndKqbR0JL2Uk7VXjxpvM7W4LYh45t12SJwJ8f24w_j1erKTip2w8m8VvV4OiZkc_1wB8CTUvHmKb/w200-h200/Dr%20Anand%20Balyogi.jpg" width="200" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">लेखक डा. आनंद बालयोगी</span></b> </td></tr></tbody></table><b></b><p></p><div style="text-align: justify;"><b><b>बताया गया है कि</b> योग आधारित जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और तनाव कम करने के प्रयासों के जरिये हृदय रोग तथा मधुमेह के जोखिमों को 9 दिनों में ही कम किया जा सकता है (बिजलानी, 2005)। इसके अलावा 1980 और 2007 के बीच प्रकाशित होने वाले 32 आलेखों की समीक्षा से पता लगा है कि योग द्वारा वजन, रक्तचाप, शर्करा के स्तर और बढ़े हुये कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है (यांग, 2007)।</b></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>अध्ययनों से पता लगा है कि</b> मधुमेह के कारण शरीर की केन्द्रीय स्नायु तंत्र प्रणाली प्रभावित होती है। 6 सप्ताह की योग थेरेपी कार्यक्रम के जरिये मधुमेह के मरीजों में श्रवण प्रतिक्रिया समय में अभूतपूर्व कमी देखी गई है (मदनमोहन, 1984 : मदनमोहन, 2012)। यह भी पता लगा है कि योग से स्नायु तंत्र में और मधुमेह के मरीजों के बायो-कैमिकल प्रोफाइल में सुधार होता है।</p><p style="text-align: justify;"><b>योगाभ्यास से मधुमेह के रखरखाव और उसकी रोकथाम में </b>सहायता होती है तथा उच्च रक्तचाप और डिसलिपिडेमिया जैसी परिस्थितियों से बचाव होता है। लंबे समय तक योगाभ्यास करने से इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और शरीर के वजन या कमर के घेरे तथा इन्सुलिन संवेदनशीलता के बीच का नकारात्मक संबंध घट जाता है (छाया, 2008)। </p><p></p><div style="text-align: justify;"><b>योग का कोई साइफ इफेक्ट नहीं है।</b> इसके कई संपार्श्विक लाभ हैं। यह इतना सुरक्षित और आसान है कि इसे बीमार, बुजुर्ग और दिव्यांग भी कर सकते हैं। सुरक्षित, साधारण और आर्थिक रूप से किफायती थेरेपी होने के चलते इसे मधुमेह रोगियों के लिए काफी सहायक माना गया है।</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGlrHh6QTD2tyRMcIeitsVU36eje_3s1YGpeV47QHrPnd2rQrAypwGEc-N8plFo_zk9wlzNGYZ_kg9hv-jc_qn8snILyu1PdBm6GMnk_lfu9JtbjXtdJNNIMcAF21SMccGP-fk7ebDaJb44vuB5lt34VtM1PI2pO33DvxVMn9tM7SqNxJg_qBw8aAq/s627/Diabetes%20control%20by%20Yoga.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="399" data-original-width="627" height="204" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGlrHh6QTD2tyRMcIeitsVU36eje_3s1YGpeV47QHrPnd2rQrAypwGEc-N8plFo_zk9wlzNGYZ_kg9hv-jc_qn8snILyu1PdBm6GMnk_lfu9JtbjXtdJNNIMcAF21SMccGP-fk7ebDaJb44vuB5lt34VtM1PI2pO33DvxVMn9tM7SqNxJg_qBw8aAq/s320/Diabetes%20control%20by%20Yoga.jpg" width="320" /></a></div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>इन्स और विन्सेन्ट (2007) की एक व्यापक समीक्षा ने</b> इससे कई जोखिम सूचकों में लाभदायक बदलाव पाए जैसे ग्लूकोस सहिष्णुता, इंसुलिन संवेदनशीलता, लिपिड प्रोफाइल, एन्थ्रोपोमेट्रिक विशेषताओं, रक्तचाप, ऑक्सीडेटिव तनाव, कोग्यूलेशन प्रोफाइल, सिम्पेथेटिक एक्टिवेशन और पलमोनरी फंक्शन में इसे काफी फायदेमंद पाया गया। उन्होंने सुझाव दिया है कि योग व्यस्कों में टाइफ 2 डीएम के साथ जोखिम कर करता है। इसके अलावा हृदय संबंधी जटिलताओं की रोकथाम और प्रबंधन के लिए भी यह काफी फायदेमंद है।</p><p style="text-align: justify;"><b>इस तरह से योग टाइप 2</b> डायबिटीज मेलिटस और इससे जुड़ी जटिलताओं की स्थिति में जोखिम कम करने में मदद कर सकता है</p><p style="text-align: justify;"><b>पुरानी बीमारियों को रोकने</b> और उसे नियंत्रित करने में भी योग काफी मददगार साबित हो सकता है। जनसमूह के स्वास्थ्य में सुधार के लिए योग एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। योग में बीमारी को बढ़ने से रोकने की क्षमता है और यदि इसे जल्द शुरू किया जाए तो ये इलाज को भी प्रभावित करता है (भवनानी, 2013)।</p><p style="text-align: justify;"><b>डीएएम के प्रबंधन में </b>उपयोग किए जाने वाले बुनियादी योग सिद्धांतों में शामिल हैं:</p><p style="text-align: justify;"><b>मनोवैज्ञानिक पुनर्स्थापन</b> और यम-नियम, चुतर्भावना, प्रतिपक्ष भावानाम आदि दृष्टिकोणों के विकास।</p><p style="text-align: justify;"><b>काउंसलिंग, जाथी, आसन, क्रिया, प्रणायाम से तनाव प्रबंधन</b></p><p style="text-align: justify;"><b>सूर्य नमस्कार, आसन, क्रिया और प्रणायाम जैसी शारीरिक गतिविधि के माध्यम से ग्लूकोज को बेहतर बनाने में मदद करना</b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: white; font-size: medium;"><b style="background-color: #2b00fe;">मधुमेह के लिए योग थेरेपीः</b></span></p><p style="text-align: justify;">मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करने में योग एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। योग का महत्त्व उन लोगों के लिए और महत्त्वपूर्ण हैं जो द्वितीय प्रकार या गैर इनसोलिन मधुमेह से पीड़ित है। यह एसे लोगो को अधिक प्रभावी ढंग से उपचार करने में मदद करता है। योग को अगर नियमित रुप से दिनचर्या में शामिल किया जाए तो इससे बीमारियों पर रोकथाम के साथ-साथ वजन कम करने में मदद मिलती है।</p><p style="text-align: justify;">नियमित रुप से व्यायामः नियमित रूप से व्यायाम करने से अतिरिक्त ब्लड शुगर का उपयोग करने में मदद मिलता है। जितना संभव हो सके पैदल चलना चाहिएं या और योग थेरेपी के लिए तराकी भी एक बेहतर उपाय है।</p><p style="text-align: justify;"><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: medium;"><b>खान-पान पर नियंत्रणः</b></span></p><p style="text-align: justify;">नियमित रुप से कार्बोहाइड्रेट के साथ हल्का भोजन</p><p style="text-align: justify;">रिफाइंड से बने खाद्य पदार्थों और जंक फूड से बचें</p><p style="text-align: justify;">हरी सब्जी सलाद, करेला और नीम का सेवन करें</p><p style="text-align: justify;">पानी की भरपूर मात्रा लें</p><p style="text-align: justify;">सूर्यनमस्कारः तीन या छः बार सूर्य नमस्कार करने से शर्करा का स्तर कम हो जाता है। और इससे वजन को कम करने में भी मदद मिलती है।</p><p style="text-align: justify;"><b>योगा आसनः</b></p><p style="text-align: justify;"><b>कमर का आसनः</b></p><p style="text-align: justify;">खड़े होकरः त्रिकोण आसन, अर्ध कटी चक्रासन</p><p style="text-align: justify;">बैठकरः वक्रासन, अर्ध मत्सयेंद्र, भारतवाजा आसन, शशांग आसन</p><p style="text-align: justify;">झुककरः जात्र परिवर्तन आसन</p><p style="text-align: justify;"><b>पेट के बल आसनः</b></p><p style="text-align: justify;">बैठकरः उत्कट आसन, जानु सिरासा आसन, पश्चिमोत्तन आसन, नवा आसन, योग मुद्रा आसन, स्तम्बम आसन और मयूर आसन</p><p style="text-align: justify;">झुककरः पवन मुक्त आसन, धनुर आसन, भुजंग आसन, शलभ आसन, नौका आसन</p><p style="text-align: justify;">पीठ के बल लेट कर किए जाने वाले आसनः सर्वांग आसन, जानो सिरसा इन सर्वांग आसन, कर्णपीडी आसन, और हाला आसन</p><p style="text-align: justify;"><b>प्रणायामः</b></p><p style="text-align: justify;">एडम प्रणायाम और एएए ध्वनि के साथ विभागा और प्रणव प्रणायाम।</p><p style="text-align: justify;">भाषत्रिका प्रणायाम रक्त शर्करा को बेहतर करने में मदद करता है।</p><p style="text-align: justify;">तानाव में कमी के लिए सावित्री प्रणायाम, चन्द्र अनुलोम प्रणायाम, नाडी शुद्धि प्रणायाम।</p><p style="text-align: justify;"><b>मुद्रा और बंधनः</b></p><p style="text-align: justify;">विपारिता कारिणी और महामुद्रा।</p><p style="text-align: justify;">+</p><p style="text-align: justify;"><span> </span>उद्यियना, मूल और जालंधरा बंध।</p><p style="text-align: justify;">आसानः शैव आसन, मकरा आसान, काया क्रिया और योगनिद्रा</p><p style="text-align: justify;">ध्यानः ओम जाप, अजाप जाप, प्राण दर्शन और प्रणव ध्यान। (PIB) </p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: x-small;">***</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">लेखक अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षा और अनुसंधान केन्द्र, पुदुचेरी के अध्यक्ष हैं।</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>यह लेखक के निजी विचार हैं। </b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: x-small;"> </span><span style="color: #999999; font-size: xx-small;">वीके/पीवी/एपी/केजे/सीएल/जीआरएस – 98</span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-26640671712105759072022-04-29T22:40:00.003+05:302022-06-14T10:08:20.221+05:30हम ऐसे इंसान बनेंगे कब किस दिन?<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">क्या रहस्य है हिमांशु कुमार जी के चेहरे की शांति और चमक का </span></b></p><p><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjz-5HntPfplkynXurv5ZJ8guQA-vYZB2nXzsxFJUMalo15PqgkQQkWHzCsAet-0urYY-7W7g6t0A7zvYHtsTc8MrYUdqf2N7OhYY_NrgmuV0kRIKUZ4OzmVZcZa3AbGlb0fUwvmTXc_wcvFLrvM0Xd_eDxmnhCNswlQ6c0scr1U_esuffRIanr_tyi/s1024/Himanshu%20Kumar%20with%20Prof%20Jagmohan%20Singh%20in%20November%202011.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="576" data-original-width="1024" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjz-5HntPfplkynXurv5ZJ8guQA-vYZB2nXzsxFJUMalo15PqgkQQkWHzCsAet-0urYY-7W7g6t0A7zvYHtsTc8MrYUdqf2N7OhYY_NrgmuV0kRIKUZ4OzmVZcZa3AbGlb0fUwvmTXc_wcvFLrvM0Xd_eDxmnhCNswlQ6c0scr1U_esuffRIanr_tyi/w640-h360/Himanshu%20Kumar%20with%20Prof%20Jagmohan%20Singh%20in%20November%202011.jpg" width="640" /></a></span></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe; font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="color: #2b00fe; font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span><span style="color: #444444;">: 29 अप्रैल 2022: (</span><span style="color: #660000;">रेक्टर कथूरिया</span><span style="color: #444444;">//</span><span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द </span><span style="color: #444444;">डेस्क)::</span></div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">कुछ बरस पूर्व हिमांशु कुमार जी लुधियाना में थे। किसी पत्रकार सम्मेलन के संबंध में आए थे। पत्रकारों के हर सवाल का जवाब उन्होंने बहुत ही शांति से दिया था। हर पहलू को अपने नज़रिए से बहुत ही बारीकी से रखा था। यह मेरी खुशकिस्मती थी कि उनके पास बैठने और उनसे बातें करने के कुछ पल मुझे अन्य लोगों से ज़्यादा मिल गए थे क्यूंकि मैं निश्चित समय से कुछ पहले ही वहां पहुँच गया था। उनके पास बैठ कर एक स्कून का अहसास होता। उनका चेहरा और उस पर असीम शांति का प्रभाव उनकी वाणी और बातों से ज़्यादा बोलता था। मौन रह कर भी वे मुस्कराते हुए बहुत कुछ ऐसा कह जाते जिन्हें शब्दों में बताना मुश्किल सा है। उनके पास बैठ कर प्रकृति के पास बैठने जैसा अहसास होता। उनके सामीप्य में एक निडरता और निर्भयता का अहसास होता। एक गहन शांति सी मिलती। उनके चेहरे पर भी एक खास चमक थी और आँखों में भी। आज उनकी एक पोस्ट देखी तो कुछ कुछ समझ में आया कि यह शांति और चमक कहां से आ रही थी। --रेक्टर कथूरिया </span></b></p><p><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhk7t4kG0twTGKWdHgRHS-d5mPW1yLQmLrgj_K3AQ3t1GncWzymV0gAa4PaTVONx_cj4-z3i8HhLER8IRMg_m6XG61zq4632zBzzLh5fkePRpWkRr-wG5yd5UYgdDB2H_dHkYzlzT8qvlpFwtTJqx-MRe0EobpY9Shp7P5N1WRvOCy5U0jCNbY9VSKI/s1080/Himanshu%20Kumar%20with%20family.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="811" data-original-width="1080" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhk7t4kG0twTGKWdHgRHS-d5mPW1yLQmLrgj_K3AQ3t1GncWzymV0gAa4PaTVONx_cj4-z3i8HhLER8IRMg_m6XG61zq4632zBzzLh5fkePRpWkRr-wG5yd5UYgdDB2H_dHkYzlzT8qvlpFwtTJqx-MRe0EobpY9Shp7P5N1WRvOCy5U0jCNbY9VSKI/w640-h480/Himanshu%20Kumar%20with%20family.jpg" width="640" /></a></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;">हिमांशु कुमार जी अपने लाईफ स्टाईल की जानकारी देते हुए बताते हैं:</div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>जब हम आदिवासियों के पक्ष में आवाज़ उठाते हैं,</b> तो बहुत से खाते पीते मौज की ज़िन्दगी जीने वाले सवर्ण हमसे कहते हैं कि तुम लोग विदेशी एजेंट हो, डालर से चंदा लेते हो, हवाई जहाज से घूमते हो सरकार के बारे में झूठा प्रचार करते हो, और आदिवासियों का विकास रोकते हो, तुम लोग विकास विरोधी हो आदि आदि। </p><p style="text-align: justify;"><b>तो कुछ बातें साफ़ साफ़ बता दूं,</b> मेरा कोई एनजीओ नहीं है, मैं किसी भी संगठन का सदस्य नहीं हूँ, मैं डालर, पाऊंड, रूबल या रूपये में किसी से चंदा नहीं लेता,मैं अनुवाद का काम करता हूँ, तथा लेख लिखता हूँ और अपना परिवार का काम चलाता हूँ। </p><p style="text-align: justify;"><b>पहले छत्तीसगढ़ में</b> संस्था के आश्रम में रहता था। वहाँ से निकलने के बाद दिल्ली में रहा लेकिन दिल्ली में ज्यादा खर्च होता था इसलिए अब हिमाचल के एक गांव में रहता हूँ. ताकि कम खर्च में गुज़ारा हो जाए। </p><p style="text-align: justify;"><b>मेरी दो बेटियाँ हैं </b>दोनों घर पर पढ़ती हैं उनका स्कूल कालेज का कोई खर्चा नहीं है। हम सभी शाकाहारी हैं सस्ता गांव का चावल और सब्जियां खाते हैं, एसी कूलर की ज़रूरत नहीं है। </p><p style="text-align: justify;"><b>मेरे नाम से </b>पूरी दुनिया में कोई ज़मीन नहीं है, मेरा कोई मकान नहीं है, ना ही मैंने किसी दुसरे के नाम से कोई ज़मीन मकान कभी खरीदा है क्योंकि कभी मेरे पास इतना पैसा रहा ही नहीं। मैं हमेशा किराए के मकान में रहा हूँ।</p><p style="text-align: justify;"><b>मैं किसी का अनुयायी नहीं हूँ</b> ना गांधी का ना मार्क्स का ना अम्बेडकर या किसी और का,मैं इन सभी के अच्छे विचारों से प्रेरणा ज़रूर लेता हूँ। मैं एक मुक्त इंसान हूँ, मेरे दोस्त न्याय की लड़ाई लड़ने वाले दलित आदिवासी, अल्पसंख्यक हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>मैं अपने जन्म से मिली जाति धर्म सम्प्रदाय और राष्ट्र के नकली गर्व को छोड़ चूका हूँ,</b> मैं अपने खुद के धर्म की तलाश में हूँ अभी तक मुझे यही समझ में आया है कि मैं सत्ता के दमन का विरोध और पीड़ित की मदद करूं यही मेरे लिए सबसे अच्छा धर्म है। </p><p style="text-align: justify;"><b>सभी सरकारें मुझे नापसंद करती रही हैं </b>कांग्रेस की भी और भाजपा की भी। मेरे लिखने और पीड़ितों की मदद करने के कारण मुझे कभी भी जेल में डाला जा सकता है या मेरी हत्या करी जा सकती है। </p><p style="text-align: justify;"><b>मुझे अब तक के जीवन पर पूरा संतोष है।</b> मैं सदैव उत्साह और खुशी से भरा रहता हूँ मेरे मन पर कोई बोझ नहीं है। मुझे शान्ति प्राप्त करने के लिए किसी गुरु या ईश्वर की कोई ज़रूरत महसूस नहीं होती। </p><p style="text-align: justify;"><b>मेरे लिए ये दुनिया बहुत आश्चर्यजनक जगह है</b> मैं रोज़ इसमें एक उत्सुक बच्चे की तरह जागता हूँ और दिन भर उत्साह से भरा रहता हूँ। मेरे ज्यादातर दोस्त मेरी ही तरह के लोग हैं मैं उनकी संगत में बहुत आनन्द से जी रहा हूँ। </p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-80345224678792099382022-02-16T02:30:00.009+05:302022-02-18T09:39:51.163+05:30बहुत दम है इन जांबाज़ लेकिन वफादार कुत्तों में<p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: large;"><span style="background-color: #660000;"><span style="color: white;">अमेरिकी सेना: </span><span style="color: #fcff01;">कदम से कदम मिला कर चलते चार पैरों वाले फाईटर</span></span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjd1g-Ug4dbRTMF0M400bK2D4YO29aK_kEv2X4Z8hbXtZ_4MloQIr3w2fEdRFTNdZFmFiz0Kl9oX1X7Hfv2HVxiBUNGVJQdUJyT0dGhb_jK63gYZYcZtSpIK4FJ46BUZpnGR5-AQq_LNCbdF93ONcKIuw-GpHrPp_uC51c4BrXHXqf3dWILDPMIHU30=s1027" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="770" data-original-width="1027" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjd1g-Ug4dbRTMF0M400bK2D4YO29aK_kEv2X4Z8hbXtZ_4MloQIr3w2fEdRFTNdZFmFiz0Kl9oX1X7Hfv2HVxiBUNGVJQdUJyT0dGhb_jK63gYZYcZtSpIK4FJ46BUZpnGR5-AQq_LNCbdF93ONcKIuw-GpHrPp_uC51c4BrXHXqf3dWILDPMIHU30=w640-h480" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />इंटरनेट वर्ल्ड</span>: <span style="color: #444444;">16 फरवरी 2022</span>: (<span style="color: #660000;">इर्दगिर्द </span><span style="color: #444444;">के लिए कार्तिका सिंह की</span><span style="color: #2b00fe;"> खोज</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>बहुत सी हिंदी फिल्मों में जानवरों </b>और इंसानों का प्रेम और हमदर्दी शिद्द्त से दिखाया गया है। किसी में हाथी से दोस्ती, किसी में बंदर से, किसी में कुत्ते से और कहीं कहीं और मिसालें भी हैं। ऐसी बहुत सी फ़िल्में हैं जिनमें जानवर अपनी सीमाओं से विकास करते करते बल्कि उनसे भी कहीं पार जा कर इंसान की सहायता करते हैं। उनके लिए बाकायदा ज़िंदगी के संघर्ष में भाग लेते हैं। इस तरह की मिसालें केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी हैं। आम लोगों के साथ साथ सेना में भी कुत्तों पर विशेष ध्यान दिया जाता है और उन्हें बाकायदा महंगी ट्रेनिंग दी जाती है। </p><p style="text-align: justify;"><b>अमेरिकी सेना में</b> जो ट्रेनिंग प्रोग्राम चलते हैं उनमें इस तरह एकमात्र नस्ल बेल्जियम मालिनोइस भी है जिसे उनकी उच्च ऊर्जा, मजबूत खोजी, प्रशिक्षण क्षमता, चपलता, गति, ड्राइव, कार्य नैतिकता, वफादारी और जब आवश्यक हो, उग्रवादियों के कारण सेना के लिए उसके दुश्मनों के साथ सख्त से सख्त जंग भी लड़नी। इसे इस दिशा में आदर्श माना जाता है। वे जर्मन शेफर्ड से मिलते जुलते हैं, लेकिन वास्तव में उनसे भी कहीं अधिक कॉम्पैक्ट हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>सूंघना, पहचान लेना, भाग कर पकड़ लेना</b> जैसी इनकी बहुत सी खूबियां हैं। आग हो या पानी बस इसे आदेश की इंतज़ार रहती है। सड़क का सफर हो जा ट्रेन का या हवाज़ी जहाज़ का इसे कभी डर नहीं लगता। इसे सेना की महंगी ट्रेनिंग से पूरी तरह तैयार किया जाता है। इसमें हर आपातकाल से निपटने की पूरी तरह से क्षमता है। यह तस्वीरें और जानकारी अमेरिक रक्षा विभाग से साभार ली गई है। </p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-size: xx-small;">अमेरिकी सेना में कदम से कदम मिला कर चलते चार पैरों वाले फाईटर </span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-66262067401441959732021-12-19T15:43:00.009+05:302021-12-19T17:58:55.649+05:30जब देवी कृपा करती है तब हर दुःख को वह हरती है<p style="text-align: justify;"><b> </b><span style="text-align: left;"><b><span style="color: #fcff01; font-size: x-large;"><span style="background-color: #660000;">बहुत ही समृद्धि वाला होगा इस नन्हीं परी का आना</span></span></b></span></p><p style="text-align: justify;"><b style="text-align: center;"><span style="color: #2b00fe;"><b style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"></span></b></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b style="text-align: center;"><span style="color: #2b00fe;"><b style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhqpaeN62AdOYJdVsGYDD9buZlv32XqP_8RGE67XXUX1ugoD46djw_2xAyb9qrkPLpIrH9dAbtlAJDc_lFtc5NbpG8YDV5PhI-vWUSDp6ay-s_EzroHSNZCS4VYFG0whzynEvfAUwpTudb6agIpXD_d3xBHzsfvDIGBZZZRJOq8R_hMkQYvrWpjhXZ3=s1197" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="415" data-original-width="1197" height="222" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhqpaeN62AdOYJdVsGYDD9buZlv32XqP_8RGE67XXUX1ugoD46djw_2xAyb9qrkPLpIrH9dAbtlAJDc_lFtc5NbpG8YDV5PhI-vWUSDp6ay-s_EzroHSNZCS4VYFG0whzynEvfAUwpTudb6agIpXD_d3xBHzsfvDIGBZZZRJOq8R_hMkQYvrWpjhXZ3=w640-h222" width="640" /></a></span></b></span></b></div><b style="text-align: center;"><span style="color: #2b00fe;"><b style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"><br />लुधियाना</span>: <span style="color: #444444;">18 दिसंबर 2021</span>: (<span style="color: #660000;">रेक्टर कथूरिया</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span> <span style="color: #444444;">डेस्क</span>)</b></span></b><p></p><p></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhcLeoZkBestf4v-ZzG66ZogMJY7IIXbAumldgVSgiA9cfBaEq7dWusd6ZxByNsExTRrrirEg6lcdZIZyjwoo7D82RKOVsdSB0lortpQZTabAB8hUa0lXrgveK38fDEbf2Q6O86ckFEXxJCfHx60-ftdYndcdsW2uwUF4sfX4aYWv2XXoH1wrMBQ2TR=s640" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="640" data-original-width="640" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhcLeoZkBestf4v-ZzG66ZogMJY7IIXbAumldgVSgiA9cfBaEq7dWusd6ZxByNsExTRrrirEg6lcdZIZyjwoo7D82RKOVsdSB0lortpQZTabAB8hUa0lXrgveK38fDEbf2Q6O86ckFEXxJCfHx60-ftdYndcdsW2uwUF4sfX4aYWv2XXoH1wrMBQ2TR=s320" width="320" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">नन्ही परी सीरत कौर </span></b></td></tr></tbody></table><b><div style="text-align: justify;"><b>कोई ज़माना था</b> जब हम जोश, सम्मान और स्नेह में गाया करते थे-- </div></b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा!</b></p><p style="text-align: justify;"><b>हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिस्तां हमारा!</b></p><p style="text-align: justify;"><b>इस गीत को मैंने अपने रेडियो प्रोग्रामों में भी इस्तेमाल किया।</b> इसके गायन से सबंधित जितने अंदाज़ थे तकरीबन सभी बहुत अच्छे गाए हुए हैं। फिर तकनीकी विकास शुरू हुआ तो इस भावना में तब्दीली जैसी रफ्तार भी तेज़ थी। पहले पहल कुछ अटपटा भी लगा फिर एक अहसास ज़ोर पकड़ने लगा की सारी दुनिया ही अपनी है। पूरा संसार अपने किसी गांव जैसा ही तो है।कभी कभार तो ऐसा भी लगता कि लोकल बात करनी मुश्किल है लेकिन विदेश में बात करनी आसान है। इस तरह दूरियां नज़दीकियों में बदलती रहीं। </p><p style="text-align: justify;"><b>फेसबुक, व्टसप और वीडियो कालिंग ने</b> तो इस अहसास को तेज़ी से बढ़ावा दिया। जो बच्चे विदेशों में गए हुए हैं रोज़ी रोटी के लिए उनसे बात करनी बेहद आसान हो गई है अब। उनसे आमने सामने जैसी बात का अहसास होता है। वहां के गलियां बाजार अपने अपने से लगते हैं। इसके बावजूद भी अगर हमें उनकी दूरी बार बार खलती तो उनको भी इस दूरी का अहसास शिद्दत से होता ही है। लेकिन तकनीक उस तकलीफ को कम कर देती। किसी ने इस तकलीफ को देखना हो तो उस ग़ज़ल से देख भी सकता है, सुन भी सकता है और समझ भी सकता है--चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है। इस गीत में इस दर्द का अहसास शिद्दत से होता है। इस गीत को फिल्म "नाम" के लिए लिखा था आनंद बक्शी साहिब ने और संगीत तैयार किया लक्ष्मी कान्त प्यारे लाल जी ने। आवाज़ दी थी पंकज उधास साहिब ने। इसकी आगे की पंक्तियाँ हैं:-</p><p style="text-align: justify;"><b>-चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है। </b></p><p style="text-align: justify;">बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद -२</p><p style="text-align: justify;">वतन की मिट्टी आई है, चिट्ठी आई है ...</p><p style="text-align: justify;"><br /></p><p style="text-align: justify;"><b>ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं -२</b></p><p style="text-align: justify;">ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले</p><p style="text-align: justify;">सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू</p><p style="text-align: justify;">खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू</p><p style="text-align: justify;">कम खाते हैं कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं, चिट्ठी ...</p><p style="text-align: justify;"><br /></p><p style="text-align: justify;"><b>सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ -२</b></p><p style="text-align: justify;">कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले</p><p style="text-align: justify;">तेरे बिन जब आई दीवाली, दीप नहीं दिल जले हैं खाली</p><p style="text-align: justify;">तेरे बिन जब आई होली, पिचकारी से छूटी गोली</p><p style="text-align: justify;">पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना -२</p><p style="text-align: justify;">फ़सल कटी आई बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी, चिट्ठी ...</p><p style="text-align: justify;"><br /></p><p style="text-align: justify;"><b>पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था -२</b></p><p style="text-align: justify;">बंद हुआ ये मेल भी अब तो, खतम हुआ ये खेल भी अब तो</p><p style="text-align: justify;">डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना -२</p><p style="text-align: justify;"><b>मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है</b></p><p style="text-align: justify;"><b>तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती हैं बेवा</b></p><p style="text-align: justify;"><b>तूने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया</b></p><p style="text-align: justify;"><b>पंछी पिंजरा तोड़ के आजा, देश पराया छोड़ के आजा</b></p><p style="text-align: justify;"><b>आजा उमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी हैं रोटी, चिट्ठी ...</b></p><p style="text-align: justify;"><b>हमारे लीडर विकास के ढिंढोरे पीटते रहे लेकिन असलियत में हमारे बच्चे विदेशों में जा बसे। उनकी कमाई से कर्ज़े उतरने लगे जो शायद वैसे सम्भव ही नहीं थे। </b>उनकी कमाई से घरों में आधुनिक साज़ो सामान आने लगा। मुझे याद है बहुत से जानकार लोग जिनके घरों में पहला टीवी सैट उनके बच्चों की इस कमाई से ही आ पाया। सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां फिर भी मन में बना रहा लेकिन एक दर्द भरी चाहत भी जागने लगी कब होगा हमारा देश इतना समृद्ध कि किसी बच्चे को रोज़ी रोटी और कर्ज़ों को उतारने के लिए विदेश न जाना पड़े। इस भावना को भी दशकों गुज़र गए। टीवी सैट ब्लैक ऐंड व्हाईट से कलर्ड हो गए। लेकिन आर्थिक कमज़ोरियाँ बनी रहीं। <b>अब भी याद आतीं हैं सुरजीत पात्तर साहिब की पंक्तियां:</b></p><p style="text-align: justify;"><b>जो बदेसां च रुल्दे ने रोटी लई, ओह जदों देस परतणगे अपने कदी;</b></p><p style="text-align: justify;"><b>जां तां सेकणगे मां दी सिवे दी अगन; ते जां कबरां दे रुख हेठ जा बैहणगे! </b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhEV7zKODt0KP_seZ5iAmGJYkofLnTsXglmYTM6-kQYFm_ahIwx9HyFRPqLQmfyT8wNVX4Cv_ZG50moJDRpNg-xbEvwdSRrdUio7A5p5dpBNQz5npb5t1KNoFlzjNZ9donrfV4MFyx_s3Cbpy86YTWeqTCQxGEnZwgPm7-qUfI58EWX_pVReB5zFXDR=s640" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="640" data-original-width="640" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhEV7zKODt0KP_seZ5iAmGJYkofLnTsXglmYTM6-kQYFm_ahIwx9HyFRPqLQmfyT8wNVX4Cv_ZG50moJDRpNg-xbEvwdSRrdUio7A5p5dpBNQz5npb5t1KNoFlzjNZ9donrfV4MFyx_s3Cbpy86YTWeqTCQxGEnZwgPm7-qUfI58EWX_pVReB5zFXDR=s320" width="320" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">प्रदीप जी का बेटा अनुराग शर्मा <br />अपनी बेटी सीरत कौर के साथ </span></b></td></tr></tbody></table><b><div style="text-align: justify;"><b>समाज के इस तरह के दुःखों और दर्दों को लेकर बहुत पुराने </b><b>वामपंथी सांस्कृतिक संगठन इप्टा से जुड़े प्रदीप शर्मा ने भी</b> काफी कुछ किया। कई नाटक लिखे और उनके मंचन में भी सहयोग दिया। सख्त मेहनत करके भी इतना वक्त न बचता कि कला के लिए कुछ विशेष कर सकें। जो मन में है वो कर सकें। कोई नाटक, कहानी, नावल या कुछ और नया देख या पढ़ सकें। </div></b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>तंगियां, तुर्शियां और चिंता-फ़िक्र </b>ज़िंदगी का एक अंग बने रहे। इन्होने कभी पीछा न छोड़ा। एक परछाईं की तरह यह सब साथ रहते। फिरइनकी आदत ही पक गई। ख़ुशी आ भी जाती तो चिंता होने लगती कि शायद धोखे आ गई होगी। या फिर अपने साथ छुपा कर कोई गम लाई होगी। वरना ख़ुशी और हमारे पास कैसे? यहाँ याद आ रही है <b>जनाब कतील शिफ़ाई साहिब की एक प्रसिद्ध ग़ज़ल की कुछ पंक्तियां:</b></p><p style="text-align: justify;"><b>वफ़ा के शीशमहल में सजा लिया मैनें,</b></p><p style="text-align: justify;"><b>वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें,</b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई,</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">गमों की ओट में खुद को छुपा लिया मैनें,</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>कभी न ख़त्म किया मैंने रोशनी का मुहाज़,</b></p><p style="text-align: justify;"><b>अगर चिराग बुझा तो दिल जला लिया मैनें,</b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">कमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना था,</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">वो तीर अपने ही कलेजे पे खा लिया मैनें।</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>घुटन, तंगदस्ती और इन्हीं चिंताओं में </b>शर्मा जी सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए। ख़ुशी भी थी परिवार के साथ रहने की लेकिन गम था संगी साथी छूट जाने का। आगे गुज़ारा कैसे होगा इसकी चिंता भी थी। उस रिटायरमेंट के वक्त कुछ लाख रुपयों की रकम मिली जो शर्मा जी को भारी भरकम भी लगी। लेकिन यह भी एक खाम ख्याली जैसी ही बात थी। उसका नशा भी ज़्यादा देर तक रहने वाला नहीं था। </p><p style="text-align: justify;"><b>मध्यवर्गीय परिवारों में पैसे आते बाद में हैं उनके खर्च होने की लिस्ट झट से बनी होती है।</b> घर का राशन, बच्चों की स्कूल फीसें, कर्ज़े उतारने के लिए बनी हुई किस्तें, खुशियों गर्मियों में आना जाना-यह सब पहले से ही तैयार होता है। कभी कभार पीज़ा या गोलगप्पे बाजार में निकल कर खा लिए जाएं यही बहुत बड़ी पार्टी ह जाती है। बहुत बड़ी सेलिब्रेशन। बाकी चाहतें, बाकी इच्छाएं तो उम्र भर दबी ही रह जाती हैं। खुद की भी परिवार की भी। बस यही है ज़िंदगी का सच। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस परिवार के सदस्यों की भी</b> कुछ अपनी अपनी इच्छाएं थे। सबसे छोटा बेटा अनुराग विदेश जाने की चाहत लिए बैठा था। उसके मन में यह बहुत देर से ही थी। उसे लगता था कोई बड़ा कदम उठा क्र ही घर की हालत बदल सकती है। छोटे बच्चे अक्सर ज़्यादा जोशीले होते हैं और ज़्यादा हिम्मती भी। वे रिस्क उठाने में बहुत तेज़ होते हैं। आर्थिक कमज़ोरी के हालात में बच्चे अपनी छोटी छोटी इच्छाएं भी बहुत बार सोच सोच कर बताते हैं कि कहीं घर का बजट न बिगड़ जाए। विदेश जाना तो बहुत बड़ी बात थी। लेकिन अनुराग ने हिम्मत की। अपनी इच्छा सभी को ज़ाहिर कर दी। कहा आप बेशक इन्वेस्टमेंट समझ कर कर दो। आप मेरे लिए कुछ खतरा उठा लो। परिवार के सभी लोगों ने भी ज़ोर देते हुए बेटे का ही साथ दिया। इस तरह वह रकम उसे विदेश भेजने में खर्च हो गई। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस तरह गुज़ारा फिर से तंग होने लगा। </b>थोड़े बहुते तकरार भी होने लगे। जब जेब खाली हो तो गुस्सा भी खुद पर या अपनों पर ही आता है। जानेमाने लेखक और ज्योतिषी डा. ज्ञान सिंह मान कहा करते थे-बलशाली सब को खाता है-बलहीन खुद को खता है-ऐसी हालत में अपने ही लोग बुरे लगते हैं और फिर वही दिलासा भी देते हैं। काम भी आते हैं। उसे विदेश भेज दिया गया। फिर उसी बेटे ने वहां एक लड़की पसंद कर ली। लड़की पंजाब की ही थी मनप्रीत कौर। दोनों ने कहा कि हम माता पिता का आशीर्वाद लिए बिना शादी न करेंगे। दोनों पंजाब आए। धार्मिक रस्मों के बाद शानदार पार्टी भी हुई। फिर बात आई गई हो गई। कोरोना के कहर ने सब कुछ भुला दिया। आर्थिक तरक्की में इस बेटे ने भी बहुत योगदान दिया। शर्मा जी की एक आवाज़ और मिनटों में ही पैसे इनके खाते में पहुंच जाते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDkPj28vDl0JHMDlgxgczvQfWWLzH-F15WARrANZj3iYJwrfU6ZMAabvcVOj-7J-KPCgCyJ7Bq14gsjSGS1vOu8XpH_GQ-pOOu_zWJ94PtzinB557U9boLjS_NNIPrUbBOly2XAc05SfmMd0weaeX3uH2LXrg_p2cwyxquDRZgsjUh1Tnj95w8u_fL=s355" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="355" data-original-width="319" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDkPj28vDl0JHMDlgxgczvQfWWLzH-F15WARrANZj3iYJwrfU6ZMAabvcVOj-7J-KPCgCyJ7Bq14gsjSGS1vOu8XpH_GQ-pOOu_zWJ94PtzinB557U9boLjS_NNIPrUbBOly2XAc05SfmMd0weaeX3uH2LXrg_p2cwyxquDRZgsjUh1Tnj95w8u_fL=s320" width="288" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">पत्रकारिता में सक्रिय प्रदीप शर्मा </span></b></td></tr></tbody></table><b><div style="text-align: justify;"><b>खुशियां फिर से लौटने लगीं।</b> चेहरे के साथ साथ आंखों की चमक भी बढ़ने लगी। माहौल फिर से खुशगवार हो गया। प्रदीप शर्मा जी स्टेज के साथ साथ पत्रकारिता में भी रूचि दिखाने लगे। ऑनलाइन मुशायरों में भी दिलचस्पी बढ़ने लगी। लेकिन खुशियां थोड़े समय की ही रहीं। हम जैसे आर्थिक कमज़ोरी के मारे लोगों की किस्मत में ख़ुशी की झलक भी आ जाए तो भी गनीमत है। </div></b><div style="text-align: justify;"><b>कुछ देर बीमार रहने के बाद </b>पत्नी बाला शर्मा का देहांत गया। सी एम सी अस्पताल में जो भरी भरकम खर्चा हुआ वह अलग हुआ। खर्चा कर के भी उसे बचाया न जा सका यह सदमा अलग लगा। मन ज़िंदगी से उचाट सा हो गया। लोग तो अर्धांगिनी की बात धार्मिक नुक्ते से करते हैं लेकिन कामरेडों के नज़दीक रहे शर्मा जी के लिए यह ज़िंदगी की हकीकत रही जैसे कि संवेदनशील लोगों के साथ होता ही है। धर्म कर्म को बेहद आस्था से मानने वाले इसे भगवान की मर्ज़ी समझ लेते हैं और आम तौर पर दूसरी शादी भी कर लेते हैं लेकिन शर्मा जी ने ऐसा कभी न सोचा। जानेमाने प्रगतिशील लेखक जनाब सूर्यकांत त्रिपाठी जी की तरह वह ऐसा सोच भी न पाए। </div><div style="text-align: justify;"><b>उन्हें बार बार लगता </b>उनकी शख्सियत का आधा हिस्सा बाला शर्मा ही थी उसे तो मौत ने निगल लिया।शर्मा जी की बातें सुन कर लगता धर्म में बिलकुल सच कहा गया है कि पत्नी अर्धांगनी ही होती है। </div><div><div style="text-align: justify;"><b>हर सुख दुःख साथ साथ बांटने वाली जादू की कोई परी </b>जो हमारा हर दुःख हर लेती है। बदकिस्मती के हर वार को खुद पर ले लेती है लेकिन हमें गमों की आंच नहीं लगने देती। सचमुच देवी ही होती है पत्नी। जो पत्नी को देवी नहीं समझते उन्हें देवी पूजा का कोई अधिकार भी नहीं होना चाहिए। इस तरह के लोग कन्या को भी देवी नहीं समझ सकते। </div><p></p><p style="text-align: justify;"><b>आज सुबह शर्मा जी का फोन आया। </b>कहने लगे परी आ गई। कुछ हैरानी भी हुई क्यूंकि झट से बात समझ ही नहीं आई थी। । पूछा कुछ डिटेल में बताओ तो? कहने लगे मेरे घर पोती ने जन्म लिया है न्यूज़ीलैंड की धरती पर। बहु को पांच दिन पहले ही अस्पताल में दाखिल कर लिया गया था। अलग प्राइवेट कमरा। कमरे में बहु बेटे के शिव कोई नहीं जा सकता। वहां पर आई परी। कोई साईजेरियन ऑपरेशन का ड्रामा नहीं। सब कुछ बहुत ही सहज ढंग से हुआ। पूरी तरह प्राकृतिक। नाम रखा है सीरत कौर। गौरतलब है कि मां का नाम मनप्रीत कौर है। अनुराग और मनप्रीत की बेटी सीरत कौर। प्रदीप शर्मा जी की पोती सीरत कौर। न्यूज़ीलैंड की नागरिकता तो उसे जन्म के साथ ही मिल गई। लेकिन यह बेटी एक पुल बनेगी भारत और न्यूज़ीलैंड के दरम्यान। दरसल कहा जाए कि यह बिटिया उन लोगों का दूत है जो मेहनत में यकीन रखते हैं और मेहनती बन कर ही परिवार की गरीबी को समाप्त करते हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>उनका फोन सुनते हुए</b> मैंने पूछा अब कैसा महसूस हो रहा है? </p><p style="text-align: justify;"><b>जवाब में गीत गाने लगे-</b></p><p style="text-align: justify;"><b>मेरे घर आई</b> एक नन्ही परी ..चांदनी के हसीन रथ पे सवार--मेरे घर आई एक नन्हीं परी। साथ ही एक छोटी सी वीडियो भी भेजी जो उनके बेटे ने वहीँ न्यूज़ीलैंड करके भेजी। देखिए आप भी एक झलक। </p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dyL5Yv3w_CTTKaKbpXpzvE-tnz_DBbMzRw5suVxKSthZ-Y7bTGrYiFly4-EzkF_6xOA-OLiOKLSbyGTd1-vkQ' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;">इस गीत को लिखा था साहिर लुधियानवी साहिब ने, आवाज़ दी थी लता मंगेशकर जी ने संगीत से संवारा था ख्याम साहिब ने। फिल्म थी कभी कभी। बहुत हिट हुई थी यह फिल्म। गमों के रेगिस्तान में तपती रेत पर चलते हुए कभी कभी गुलिस्तान इसी तरह खिला करते हैं। जैसे सीरत कौर आई है। आप भी सभी इस नन्हीं परी को सुस्वागतम कहिए। <b><span style="color: #444444;">--रेक्टर कथूरिया</span></b><b><span style="color: #444444;"> </span></b></div></span></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-14155260312945613112021-11-13T02:40:00.003+05:302021-12-02T11:34:21.162+05:30एअर इंडिया फिर से ऊंचाई पर पहुंचे यही है कामना<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;">बहुत उतराव चढ़ाव देखे इस एयरलाईन ने </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhSgGGuDlasz7-ov3mGIeMkVzZ6kF0tT93wrhPDxfPEl-GVVXMMiTYOLFrgvWAVrka8-xqxo-Ha6NbuQlhVcZFQXGwi-qU8ZcthTSIL9LbEIRNc1v4ImpNoW42OFHNjmH5Gm8-6k2Vaq-zO9Ehnv_tfXh7mPsqJ43hVOncJVle4dM50kf280PnRVE0M=s1027" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="630" data-original-width="1027" height="392" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhSgGGuDlasz7-ov3mGIeMkVzZ6kF0tT93wrhPDxfPEl-GVVXMMiTYOLFrgvWAVrka8-xqxo-Ha6NbuQlhVcZFQXGwi-qU8ZcthTSIL9LbEIRNc1v4ImpNoW42OFHNjmH5Gm8-6k2Vaq-zO9Ehnv_tfXh7mPsqJ43hVOncJVle4dM50kf280PnRVE0M=w640-h392" width="640" /></a></b></div><b><br /><span style="color: #2b00fe;">सोशल मीडिया</span>//<span style="color: #783f04;">इंटरनेट</span>:12 नवम्बर 2021 (इर्दगिर्द ब्यूरो)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>सन 1932 में </b>टाटा ग्रुप ने भारत की पहली कमर्शियल "टाटा एअरलाईन" की स्थापना की थी। इस तरह भारतीय जज़बात भी आसमान छूने में कामयाब रहे। यह उड़ान ऐतिहासिक थी। निजी कम्पनी थी लेकिन फिर भी कहीं न कहीं राष्ट्रीयता की भावना जुडी हुई थी। <b></b></p><p style="text-align: justify;"><b>इस एअरलाईन को</b> मुंबई से कराची के बीच "डाक विमान सेवा" का काम मिला था। एक शुरुआत थी जिसने बहुत सी उपलब्धियां भी अर्जित कीं। बेहद दिलचस्प बात कि इस विमान मे जे.आर.डी.टाटा खुद पायलट थे। यह भी एक ऐतिहासिक तथ्य रहा। भावनाओं से जुडी हुई बात। </p><p style="text-align: justify;"><b>विकास का यह दौर जारी रहा। </b>सन 1946 मे जे.आर.डी.टाटा ने "टाटा एअरलाईन" को पब्लिक लिमिटेड कंपनी "एअर इंडिया लिमिटेड" मे रूपांतरित कर दिया था। यह भी एक ऐतिहासिक कदम रहा। </p><p style="text-align: justify;"><b>वर्ष 1953 में भारत सरकार ने "एअर इंडिया लिमिटेड" का राष्ट्रीयकरण करके "एअर इंडिया" को अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा बनाया गया और "इंडियन एअरलाईन" नाम की घरेलू विमान सेवा बनाई गई थी।</b> <b>यह शायद उड़ान के क्षेत्र में टाटा परिवार की सेवाओं और उपलब्धियों की एक नई शिखर थी। </b></p><p style="text-align: justify;"><b> गौरतलब है कि</b> राष्ट्रीयकरण से पहलें "एयर इंडिया" एक प्राईवेट लिमिटेड कंपनी थी। "एअर इंडिया" के CEO जे. आर. डी. टाटा (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) खुद थे। उनकी देखरेख और सूझबूझ इसे तरक्की पर ले कर जाती रही। नए नए एक्सः छूए इस एअरलाईन ने। </p><p style="text-align: justify;"><b>यह सिलसिला राष्ट्रीयकरण के बाद भी जारी रहा।</b> "एयर इंडिया" के राष्ट्रीयकरण के बाद भी कांग्रेस प्रणित भारत सरकार ने जे.आर.डी.टाटा को "एअर इंडिया" का चेयरमैन बनाये रखा था। "एअर इंडिया" बहुत ही अच्छी तरह चल रही थी। दुनिया के सभी प्रमुख देशो मे "एअर इंडिया" के विमान जाते थे। "एअर इंडिया" मे सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। एक नाम बन गया था। एक साख बन गयी थी। लोग गर्व से लेते थे एयर इंडिया का नाम। </p><p style="text-align: justify;"><b>लेकिन जल्द ही मोड़ आने लगा। शायद उतराव शुरू हो गया। </b>इंदिरा गांधी को चुनाव मे हरा कर पहली बार संधी जनता पार्टी की सरकार बनी. उस संघी सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने थे। इसी सरकार ने भारत की सिक्रेट गुप्तचर संस्था "रॉ" के पाकिस्तान मे मौजूद गुप्त एजेंटो की जानकारी पाकिस्तान को देकर "रॉ" के सभी गुप्त एजेंटो की पाकिस्तान मे हत्या करवा दी थी। उस समय के "आई बी" और "रॉ" चीफ ऑफ डायरेक्टर ने रिटायर्ड होने के बाद अपनी किताब मे यें सब बात लिखी है। बातें सनसनीखेज़ हैं जिन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। आम जनता तक ये बातें नहीं पहुंच पायीं। इसी दौर से शुरू हो गयी थी एयरलाईन में गिरावट की शुरुआत। </p><p style="text-align: justify;"> <b>बात कोई ज़यादा पुरानी नहीं है।</b> सन 1978 मे संघी मोरारजी देसाई सरकार ने "एअर इंडिया" के चेयरमैन पद से जे.आर.डी.टाटा को हटाकर अपने संघी विचारधारा के समर्थक व्यक्ती को चेयरमैन बनाया था। उसके बाद से ही धीरे धीरे एअर इंडिया आय के मामले पिछडने का सिलसिला शुरू हो गया था। </p><p style="text-align: justify;"><b>जे.आर.डी.टाटा ने</b> अपने जीवन में सिर्फ एक ही टीवी इंटरव्यू दिया था। Convention कार्यक्रम के इस इंटरव्यू में पत्रकार राजीव मेहरोत्रा ने जे.आर.डी.टाटा से मोरारजी देसाई सरकार द्वारा उन्हें एयर इंडिया चेयरमैन पद से हटाने के बारे में पूछा तो उन्होने बडी विनम्रता से जवाब दिया-“जो काम शुरू होता है, वो काम ख़त्म भी होता है। इस के बारे मे उन्हें उम्मीद भी थी। परन्तु मोरारजी देसाई सरकार ने मुझे बिना सूचित किये एकदम से हटा दिया। यूं मुझे अपमानित करके बहोत दुःख देने वाला था।”</p><p style="text-align: justify;"><b>जब सन 1980 के</b> लोकसभा चुनाव मे पूर्ण बहुमत के साथ इंदिरा गाँधी ने सत्ता वापिस हासिल कर ली, और जे.आर.डी.टाटा को दोबारा एयर इंडिया चेयरमैन बनाने का फेसला लिया था मगर जे.आर.डी.टाटा ने खुद इंदिरा गांधी से मुलाकात करके चेअरमेन पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। </p><p style="text-align: justify;"><b>जे.आर.डी.टाटा ने इंदिरा गांधी से कहा- </b></p><p style="text-align: justify;"><b>"मुझे कामचलाऊ काम करना बिलकुल पसंद नहीं है। मै एक perfectionist हूं. और मै चाहता हूं, कि हर काम पुर्णतः समर्पित हो कर किया जायें।" </b></p><p style="text-align: justify;"><b>इसी तरह "एयर इंडिया" के स्टाफ से वो हमेशा कहते थे,</b> की एअर इंडिया का कोई विमान उड़ान भरे तो वह अन्दर-बाहर से इतना चमचमाता हो जैसे उसे अभी-अभी ख़रीदा गया है। अपने विमान में उड़ान भरते समय वे हमेशा नोट्स लिखते थे कि और किन-किन सुधारों की एअर इंडिया को ज़रुरत है और विमान से उतरते ही उन सुधारों पर काम शुरू कर देते थे। </p><p style="text-align: justify;"><b>संघर्ष और उतराव चढ़ावों का लम्बा दौर देखा इस एयरलाईन ने।</b> अब "8 अक्टूबर 2021 को रतन टाटा ने 68 साल के बाद "एयर इंडिया" को देश को बर्बाद करके दिवालीयां बना चुकी संघी नरेंद्र मोदी सरकार से खरीद कर फिर से "टाटा ग्रुप" में वापीस लेकर आ गये है।"</p><p style="text-align: justify;"><b>"एअर इंडिया" को बधाई।</b> बहुत से लोग खुश हैं इस वापिसी से और उनके मनों में नई उम्मीदें जगी हैं। जल्दी ही एयरलाइन फिर से आसमान छाएगी पूरे गौरव के साथ। </p><div style="text-align: justify;"><br /></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-12979141476677414892021-10-13T06:45:00.004+05:302021-10-23T08:27:34.988+05:30 महात्मा गांधी नरेगा योजना के लिए CRISP-M उपकरण लॉन्च<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 13 OCT 2021 6:10PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और योजना में मिलेगी सहायता </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">*श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पहले से ही मनरेगा का उपयोग विभिन्न परियोजनाओं में जलवायु लचीलापन प्रदान करने के लिए एक प्रणाली के रूप में किया जा रहा है</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">*सीआरआईएसपी-एम के क्रियान्वयन से ग्रामीण समुदायों के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने की नई संभावनाएं खुल जाएंगी</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">*क्लाइमेट रेजिलिएंट प्रोग्राम के लिए पायलट प्रोजेक्ट 7 जिलों - बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, एमपी, यूपी और झारखंड में शुरू हुआ</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">13 अक्टूबर 2021</span>: (<span style="color: #990000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द </span><span style="color: #0b5394;">डेस्क</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"><b>केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने</b> आज एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में दक्षिण एशिया व राष्ट्रमंडल राज्य मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद के साथ संयुक्त रूप से महात्मा गांधी नरेगा के तहत भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वाटरशेड योजना में जलवायु सूचना के एकीकरण के लिए जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और योजना (सीआरआईएसपी-एम) उपकरण का लोकार्पण किया।</p><p></p><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDiEL8x9FbrhHxH1wdvWmdhhdRBAWw6ZW3euCNhs74YHhJvFi56PF9tqml0NvHoMo80NRgROzwKW7eG95bqb8T9uNaSVYQAMfZaKAIrqmOQkVK3_6xW0E9zuVRu2IKxY72oEHg0MaUt2yMU6ED7Ehjr8m4WpGLdOQdZmMdBiuIIDSMAlcUxyK1RtHN=s601" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="389" data-original-width="601" height="414" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDiEL8x9FbrhHxH1wdvWmdhhdRBAWw6ZW3euCNhs74YHhJvFi56PF9tqml0NvHoMo80NRgROzwKW7eG95bqb8T9uNaSVYQAMfZaKAIrqmOQkVK3_6xW0E9zuVRu2IKxY72oEHg0MaUt2yMU6ED7Ehjr8m4WpGLdOQdZmMdBiuIIDSMAlcUxyK1RtHN=w640-h414" width="640" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;">इस लोकार्पण समारोह में श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सीआरआईएसपी-एम टूल महात्मा गांधी नरेगा की जीआईएस आधारित योजना और कार्यान्वयन में जलवायु जानकारी को जोड़ने में सहायता करेगा। उन्होंने आगे ब्रिटिश सरकार और उन सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने उपकरण विकसित करने में ग्रामीण विकास मंत्रालय की सहायता की थी। साथ ही, उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि सीआरआईएसपी-एम के कार्यान्वयन के माध्यम से हमारे ग्रामीण समुदायों के लिए जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए नई संभावनाएं खुल जाएंगी। इस उपकरण का उपयोग उन सात राज्यों में किया जाएगा, जहां विदेशी राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ), ब्रिटिश सरकार और भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय संयुक्त रूप से जलवायु लचीलापन की दिशा में काम कर रहे हैं। इन राज्यों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान हैं।</div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>सीआरआईएसपी-एम उपकरण के संयुक्त लोकार्पण के दौरान</b> ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में दक्षिण एशिया व राष्ट्रमंडल राज्य मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम के माध्यम से जलवायु पहल को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की। अपने संबोधन में लॉर्ड तारिक ने कहा, “पूरे भारत में इस योजना के लागू होने से इसका सकारात्मक और जीवन बदलने वाला प्रभाव पड़ रहा है। यह गरीब और कमजोर लोगों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और उन्हें मौसम संबंधी आपदाओं से बचाने में सहायता कर रही है। आज हम जिस प्रभावशाली नए उपकरण- सीआरआईएसपी-एम का उत्सव मना रहे हैं, इस महान कार्य का नवीनतम उदाहरण है।”</p><p></p><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHyxIRIXSOcix9Ghkv-nxoRz5QNg7srVSoESGEixcqKp91Cv1jgFWVYOXVgZZKhDd2H2Zvix4eVbgiigMENYp5RL8FYm3WcIzdVUxNn7bqbkQRe0nSQOWHsaYJdQXD6ozmAqb5Ux07JTQi1e6qJbwN3FZ3QlQhsNLwfGE39jO09mj2oZV5D0k3b3rn=s598" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="198" data-original-width="598" height="212" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjHyxIRIXSOcix9Ghkv-nxoRz5QNg7srVSoESGEixcqKp91Cv1jgFWVYOXVgZZKhDd2H2Zvix4eVbgiigMENYp5RL8FYm3WcIzdVUxNn7bqbkQRe0nSQOWHsaYJdQXD6ozmAqb5Ux07JTQi1e6qJbwN3FZ3QlQhsNLwfGE39jO09mj2oZV5D0k3b3rn=w640-h212" width="640" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;">भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय में सचिव श्री एन एन सिन्हा ने कहा कि पूरे भारत में महात्मा गांधी नरेगा के कई प्रभाव अध्ययनों में जमीनी स्तर की योजना, कार्यान्वयन और उपयोग का असर भूजल पुनर्भरण, वन कवरेज और भूमि उत्पादकता की बढ़ोतरी के रूप में दिखाई देता है।</div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>इस अवसर पर</b> एक पैनल चर्चा भी हुई, जिसमें पोर्टल और इसकी प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की गई। इस पैनल में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसायटी (आईएफआरसी) के रिस्क इन्फॉर्म्ड अर्ली एक्शन पार्टनरशिप के लिए सचिवालय के प्रमुख श्री बेन वेबस्टर, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एन्वॉयरमेंट एंड डेवलपमेंट (आईआईईडी) में क्लाइमेट चेंज रिसर्च ग्रूप की निदेशिक श्रीमती क्लेयर शाक्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य श्री कमल किशोर, विदेशी राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ)- भारत में अवसंरचना और शहरी विकास के प्रमुख श्री शांतनु मित्रा और मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (एमपीसीएसटी) के जीआईएसएंडआईपी विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आलोक चौधरी शामिल थे। </p><p style="text-align: justify;"><b>संयुक्त सचिव (आरई) श्री रोहित कुमार ने</b> अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भारत की कुल 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में से 1.82 लाख ग्राम पंचायतों के लिए पहले ही जीआईएस आधारित योजनाएं तैयार कर ली हैं, जो रिज टू वैली परिकल्पना (इसमें पानी के बहाव को ध्यान में रखकर उसे संरक्षित करने की तैयारी की जाती है) पर आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक की सहायता से लगभग 68 फीसदी है। अब, इस सीआरआईएसपी-एम उपकरण के लोकार्पण के साथ, जीआईएस आधारित वाटरशेड योजना में जलवायु सूचना का एकीकरण संभव होगा और इससे महात्मा गांधी नरेगा के तहत जलवायु लचकदार कार्यों की योजना को और अधिक मजबूत किया जाएगा।</p><p style="text-align: justify;"><span style="font-size: xx-small;">*****</span></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-size: xx-small;">एमजी/एएम/एचकेपी/डीए</span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-31239241684790868272021-09-21T20:27:00.021+05:302021-09-21T21:23:24.325+05:30दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना हुई लोकप्रिय <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;"> Saturday: 19th September 2021 at 02:50 pm</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"> </span></b><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> इस योजना ने युवाओं के लिए खोले रोजगार के नए नए द्वार </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNpQXVpBfi40BCrE9XU4Loa0cSkqpHx_dL8ceGm9JM8KoD3Ycr_JtJH-ZZtJOSQcI87kqFK0e86und3COOtjoh95FRKxtwkOm868nm1_XOlY3MoUnTjYJWUco44EOYjPr3nbFEOrNPFlQ/s900/rural+Emploment+pexels-photo-Kelly+Lacy+2321839+C1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="600" data-original-width="900" height="426" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNpQXVpBfi40BCrE9XU4Loa0cSkqpHx_dL8ceGm9JM8KoD3Ycr_JtJH-ZZtJOSQcI87kqFK0e86und3COOtjoh95FRKxtwkOm868nm1_XOlY3MoUnTjYJWUco44EOYjPr3nbFEOrNPFlQ/w640-h426/rural+Emploment+pexels-photo-Kelly+Lacy+2321839+C1.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="color: #444444;"><b>प्रतीकत्मक तस्वीर P</b><b>exels Photo By Kelly Lacy </b></span></td></tr></tbody></table><br />शिमला</span>: <span style="color: #444444;">19 सितम्बर, 2021: (</span><span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द ब्यूरो</span><span style="color: #444444;">)::</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #444444;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBZrQuQEupTYV9CABAhhsMJFBuwwHwK2fCbcqvBBkcntveDx0YLxcM8KFYaaueC6HjPn2sgTYQGvNUCEsNEy5K8Y-IK95Tdm9CoCRf_HuXkNCDEkgv4bIhRpy_g38rkf92oQZUTaUrIM8/s758/skill-up-rural-india-inner-h.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="290" data-original-width="758" height="122" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBZrQuQEupTYV9CABAhhsMJFBuwwHwK2fCbcqvBBkcntveDx0YLxcM8KFYaaueC6HjPn2sgTYQGvNUCEsNEy5K8Y-IK95Tdm9CoCRf_HuXkNCDEkgv4bIhRpy_g38rkf92oQZUTaUrIM8/s320/skill-up-rural-india-inner-h.jpg" width="320" /></a></span></b></div><b><span style="color: #444444;">शिक्षा, प्रशिक्षण, कौशल और रोज़गार की मज़बूत कड़ी ही ज़िंदगी को पूरी तरह से सफल और क्षमतापूर्ण बनाती है। इस बात का ध्यान रख कर बनाई गई है </span></b><span style="color: #444444;"><b>दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना जो सफल भी हुई है और लोकप्रिय भी हो रही है। </b></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>प्रदेश के युवाओं को</b> दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अन्तर्गत हुनरमंद बनाने के साथ-साथ काम और रोज़गार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना में प्रदेश की युवाशक्ति का समुचित दोहन कर उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है जिससे उनके कौशल का विकास होता है। </p><p style="text-align: justify;"><b>उल्लेखनीय है कि ज़िंदगी से जुडी इस योजना का मुख्य</b> उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को कौशल प्रदान कर उन्हें न्यूनतम मजदूरी या उससे अधिक नियमित मासिक वेतन पर रोजगार प्रदान करना है। इस से युवा वर्ग को अपने पैरों पर खड़ा होने में बहुत ही सहायता मिलेगी। उनकी शक्ति में बढ़ोतरी होगी। </p><p style="text-align: justify;"><b>आपको बता दें कि दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के अन्तर्गत </b>वर्ष 2023 तक 22000 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत अभी तक 5320 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिनमें से 3021 युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्रदान किया गया हैं। इस योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके लाभार्थी प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में कार्यरत है। हाॅस्पिटैलिटी ट्रेड के अन्तर्गत कार्यरत युवाओं को भोजन के साथ छात्रावास की सुविधा प्रदान की जा रही है।</p><p style="text-align: justify;"><b>इसमें फोकस किया गया है </b>गरीब वर्ग को। गरीब ग्रामीण युवाओं के लिए आयु सीमा 15-35 वर्ष तथा दिव्यांग, महिलाओं तथा अन्य कमजोर वर्गों के लिए आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार, मनरेगा के तहत वित्त वर्ष में कम से कम 15 दिन का कार्य करने वाले श्रमिक के परिवार सदस्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड धारक परिवार, अन्त्योदय अन्न योजना/बीपीएल/पीडीएस कार्ड परिवार तथा स्वयं सहायता समूह के सदस्य इस योजना के पात्र होंगे।</p><p style="text-align: justify;"><b>इस योजना के तहत</b> 70 प्रतिशत प्रशिक्षित लाभार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में निश्चित रोजगार का आश्वासन प्रदान किया जाता है। योजना के तहत प्रशिक्षुओं को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ निःशुल्क छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाती है। इस योजना के अन्तर्गत कोर्स की अवधि 3 से 12 महीने की होती है। योजना के लाभार्थियों को एक वर्ष का पोस्ट प्लेसमेंट प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।</p><p style="text-align: justify;"> <b>वर्तमान में</b> इस योजना के तहत परिधान (अपैरल), हाॅस्पिटैलिटी, ग्रीन जाॅब्स, ब्यूटिशियन, सिलाई मशीन आॅपरेटर, बेकिंग, स्टोरेज आॅपरेटर, स्पा, अनआम्र्ड सिक्योरिटी गार्ड, इलेक्ट्रीशियन डोमेस्टिक, सेल्स एसोसिएट, अकाॅउंटिंग, बैंकिंग सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव, कंप्यूटर हार्डवेयर असिस्टेंट, टेली एक्सेक्यूटिव-लाइफ साइंसेज आदि टेªड्स डीडीयू-जीकेवाई के अन्तर्गत संचालित किए जा रहे हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>इन ट्रेडस के</b> अन्तर्गत युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनके कौशल में विकास किया जाता है। वर्तमान समय में डिजिटल स्किल, सोशल मीडिया, इलैक्ट्राॅनिक, विजुअलाइजेशन, टेलिविजन और मोबाइल रिपेयर जैसे क्षेत्रों में रोजगार, स्वरोजगार और रोजगार सृजन के अपार अवसर उत्पन्न हुए हैं। इन ट्रेडस के माध्यम से अर्धकुशल युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया जाता है।</p><p style="text-align: justify;"><b>आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अन्तर्गत</b> <b>प्रशिक्षण प्राप्त कर कई युवाओं ने भविष्य के लिए सजाए सुनहरे सपनों को साकार किया है। जिला कांगड़ा के गांव कछियारी के अक्षय कुमार के लिए यह योजना वरदान सिद्ध हुई है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी। उनके पिता दिहाड़ीदार मजदूर है और पूरे परिवार का बोझ उन्हीं के कंधों पर था। घर में आर्थिक तंगी होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी लेकिन अक्षय कुमार आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन कर अपने परिवार का सहारा बनना चाहते थे। यह योजना उनके लिए आशा की किरण बनकर आई। जब उन्हें योजना के बारे में पता चला तो इसका लाभ उठाने के लिए उन्होंने बैंकिंग एण्ड अकाउंटिंग पाठ्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण लेना शुरू किया।</b></p><p style="text-align: justify;"><b>इसके अतिरिक्त उन्होंने आई.टी. और स्पोकन इंग्लिश की मुफ्त कक्षाएं भी ली,</b> जिससे उनके संचार कौशल में काफी सुधार हुआ है। योजना के अन्तर्गत उन्हें अध्ययन सामग्री के साथ-साथ यात्रा भत्ता भी मिला और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें संबंधित क्षेत्र से काफी नई चीजें सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। वर्तमान में वह पी.डब्ल्यू.डी. गेस्ट हाउस चंडीगढ़ में बतौर सहायक लेखाकार के रूप में कार्यरत है। उन्हें 12 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। उनका कहना है कि यह योजना उनके सपने को साकार करने में सहायक सिद्ध हुई है और आज वह आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ-साथ अपने परिवार का सहारा भी बन रहे हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>विवरण बताता है कि ऐसा ही कुछ सुखद अनुभव ज़िला शिमला की तहसील रामपुर के गांव</b> काशापाट के कमलेश को भी हुआ, जब उन्होंने डीडीयू-जीकेवाई के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त किया। कृषक परिवार से संबंध रखने वाले कमलेश की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी। इस कारण उन्हें 12वीं के पश्चात अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए उन्होंने शिक्षित होने के बावजूद मजदूरी करना शुरू कर दिया था, जिसमें उन्हें प्रतिमाह केवल तीन हजार रुपये मिलते थे। इतनी कम आय में उनके लिए गुजारा करना बहुत मुश्किल हो गया था, लेकिन जब उन्हें इस योजना के बारे में पता चला, तो उन्होंने हाऊसकिपिंग मैनुअल अटेंडेंट कोर्स में दाखिला लिया। तीन माह के इस कोर्स में उन्हें हाऊसकिपिंग से संबंधित सभी प्रकार का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण प्राप्त होने के पश्चात वह एक निजी होटल में हाऊसकिपिंग मैनुअल अटेंडेंट के रूप में चयनित हुए। वर्तमान में उन्हें अच्छा वेतन मिल रहा है। इसके साथ उन्हें समय-समय पर इंसेंटिव भी मिल रहे हैं। उनका कहना है कि सभी बेरोजगार युवाओं को इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ना चाहिए।</p><p style="text-align: justify;"><b>ऐसे में कमलेश और अक्षय कुमार</b> जैसे कई युवा इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।</p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">जारीकर्ताः </span></b><b><span style="color: #444444;">निदेशालय, सूचना एवं जन सम्पर्क</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">हिमाचल प्रदेश, शिमला-171002</span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-69678834985060307462021-09-20T18:18:00.010+05:302021-09-21T16:42:53.490+05:30ओल्ड गोवा में नवीनीकृत हेलीपैड का उद्घाटन <p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #444444;">प्रविष्टि तिथि: 20 SEP 2021 5:17PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: medium;">उद्घा</span><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: medium;">टन किया मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी और गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और गोवा के उप मुख्यमंत्री श्री मनोहर अजगांवकर, विधायक और गोवा व भारत सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे</b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhfHRiOGq0UjfJEFY2P5A_vyL0WWWvaBYYy3gT7Jz_bJ5ORneUPOCdFe3lcmcbiLYFzp3-EKaKZlm7gIUMCrYllR_i3k18MHqLJBHIThK7Fcy90c4d96OiDaLjdyf96JPEhl4EiRWXBLD8/s1027/Goa+Helipad+News+Pics.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="770" data-original-width="1027" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhfHRiOGq0UjfJEFY2P5A_vyL0WWWvaBYYy3gT7Jz_bJ5ORneUPOCdFe3lcmcbiLYFzp3-EKaKZlm7gIUMCrYllR_i3k18MHqLJBHIThK7Fcy90c4d96OiDaLjdyf96JPEhl4EiRWXBLD8/w640-h480/Goa+Helipad+News+Pics.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">20 सितंबर 2021</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>इस अवसर पर </b>अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि गोवा को न सिर्फ एक राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। केंद्रीय मंत्री ने इजरायल की सेना के साथ अपने अनुभवों का उल्लेख किया, कि कैसे अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण के बाद इजरायली सेना के जवानों ने गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य और किफायती होने के कारण इसे अपने पसंदीदा स्थल के रूप में चुना। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि पर्यटन क्षेत्र रोजगार सृजित करने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और केन्द्र सरकार गोवा में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव समर्थन दे रही है, जिससे ज्यादा संख्या में रोजगार सृजित किए जा सकें। केंद्रीय मंत्री ने यह पुष्टि भी की कि गोवा की आजादी के 60वें साल में, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय गोवा को पर्याप्त वित्तपोषण करेंगे और गोवा को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में शीर्ष पर्यटन स्थल बनाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का संदेश भी दिया कि केन्द्र सरकार हमेशा ही गोवा के नागरिकों के साथ है। गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि 5 करोड़ रुपये के व्यय के साथ हेलीपैड का नवीनीकरण किया गया है और सरकारी व निजी क्षेत्र के लिए इसका अच्छा उपयोग किया जाएगा। इसका मुख्य जोर राज्य में पर्यटन को बढ़ाना है।</p><p><b>हेलीपैड को </b>स्वदेश दर्शन कोस्टल सर्किट थीम के तहत विकसित किया गया है। स्वदेश दर्शन स्कीम थीम-बेस्ड टूरिस्ट सर्किट्स के एकीकृत विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस योजना में पर्यटन क्षेत्र को रोजगार सृजन के लिए एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करने, आर्थिक विकास के लिए मुख्य बल बनाने, पर्यटन क्षेत्र को अपनी क्षमताओं का अहसास कराने में सक्षम बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के साथ तालमेल बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया आदि जैसी भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ सामंजस्य कायम करने की कल्पना की गई है।</p><p><span style="font-size: xx-small;">*******</span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-40045085829638141652021-08-01T21:55:00.001+05:302021-08-01T22:39:36.810+05:30क्या मिशनरियां साम्राज्यवादी अवशेष हैं?<p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #444444;">1st August 2021 at 8:55 AM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b style="color: white; font-size: x-large;"><span style="background-color: #660000;">मिशनरियों के विरूद्ध आरोपों पर श्री राम पुनियानी का विशेष लेख </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_JtwfNunRcWdy7leuHQj6-bocktduFWmDFH2lm9s8F1aJza4FZUTNDwBjdBavEHGqYChCD0fIJe5G41sLCESN1Kokzyj7g-P57qGT8zJSzBLxwHspGt1XHgB2TB5duHlu-DQuj9x5Cck/s720/Competing+chrsitians.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="720" data-original-width="720" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_JtwfNunRcWdy7leuHQj6-bocktduFWmDFH2lm9s8F1aJza4FZUTNDwBjdBavEHGqYChCD0fIJe5G41sLCESN1Kokzyj7g-P57qGT8zJSzBLxwHspGt1XHgB2TB5duHlu-DQuj9x5Cck/w640-h640/Competing+chrsitians.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.facebook.com/BanforeignMissionariesinIndia0/photos/a.2024758051081966/2888491324708630/">Courtesy Photo </a></span></b></td></tr></tbody></table><br />आरएसएस चिंतक और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने 'दैनिक जागरण' को </b>दिए एक साक्षात्कार (जुलाई 2021) में कहा कि अब समय आ गया है कि हम 'ईसाई मिशनरी भारत छोड़ो' अभियान शुरू करें। उनके अनुसार, ईसाई मिशनरियां आदिवासी संस्कृति को नष्ट कर रही हैं और भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का दुरूपयोग करते हुए आदिवासियों का धर्मपरिवर्तन करवा रही हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigDwfWdEJn14OCAyBLFzlMjyCteGpEAqMl0shnItruc1clOGTYb6Dz37gX94jclAcatBaC0levLSOTQLEzNOuzyUtYTAp8eOPWOweiCPbsyUmcHZGoHTAsqNB9zq1dy9VtCrTWqYDMYRo/s1300/pexels-photo-Rodolfo+Clix1615776.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1300" data-original-width="867" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigDwfWdEJn14OCAyBLFzlMjyCteGpEAqMl0shnItruc1clOGTYb6Dz37gX94jclAcatBaC0levLSOTQLEzNOuzyUtYTAp8eOPWOweiCPbsyUmcHZGoHTAsqNB9zq1dy9VtCrTWqYDMYRo/w266-h400/pexels-photo-Rodolfo+Clix1615776.jpeg" width="266" /></a></b></div><b>इसके पहले (22 मई 2018) उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि</b> क्या हमें मिशनरियों की जरूरत है? वे हमारे "आध्यात्मिक प्रजातंत्र के लिए खतरा हैं। नियोगी आयोग की रपट (1956) ने उनकी पोल खोल दी थी परंतु नेहरूवादियों ने उन्हें साम्राज्यवाद के एक आवश्यक अवशेष के रूप में संरक्षण दिया. या तो भारत छोड़ो या भारतीय चर्च गठित करो और यह घोषणा करो कि धर्मपरिवर्तन नहीं करवाओगे।‘‘<p></p><p style="text-align: justify;"><b>मिशनरियों के विरूद्ध जो आरोप लगाए जाते हैं </b>वे न केवल आधारहीन हैं बल्कि ईसाई धर्म के बारे में मूलभूत जानकारी के अभाव को भी प्रतिबिंबित करते हैं. सिन्हा के दावे के विपरीत, मिशनरियां साम्राज्यवाद का अवशेष नहीं हैं. भारत में ईसाई धर्म का इतिहास बहुत पुराना है. भारत में पहली ईसाई मिशनरी 52 ईस्वी में आई थी जब सेंट थॉमस मलाबार तट पर उतरे थे और उन्होंने उस क्षेत्र, जो अब केरल है, में चर्च की स्थापना की थी। विभिन्न भारतीय शासकों ने मिशनरियों के आध्यात्मिक पक्ष को देखते हुए उनका स्वागत किया और अपने-अपने राज्य क्षेत्रों में उन्हें उपासना स्थल स्थापित करने की इजाजत दी। महाराष्ट्र के लोकप्रिय शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी सेना को यह निर्देश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हमले में फॉदर अम्बरोज के आश्रम को क्षति न पहुंचे। इसी तरह अकबर ने अपने दरबार में ईसाई प्रतिनिधियों का सम्मानपूर्वक स्वागत किया था। </p><p style="text-align: justify;"><b>महात्मा गांधी, हिन्दू धर्म, इस्लाम और अन्य धर्मों की तरह</b> ईसाई धर्म को भी भारतीय धर्म मानते थे. उन्होंने लिखा था "हर देश यह मानता है कि उसका धर्म किसी भी अन्य धर्म जितना ही अच्छा है। निश्चय ही भारत के महान धर्म उसके लोगों के लिए पर्याप्त हैं और उन्हें एक धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाने की जरूरत नहीं है।" इसके बाद वे भारतीय धर्मों की सूची देते हैं। "ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, हिन्दू धर्म और उसकी विभिन्न शाखाएं, इस्लाम और पारसी धर्म भारत के जीवित धर्म हैं (गांधी कलेक्टिड वर्क्स खंड 47, पृष्ठ 27-28). वैसे भी सभी धर्म वैश्विक होते हैं और उन्हें राष्ट्रों की सीमा में नहीं बांधा जा सकता।</p><p style="text-align: justify;"><b><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3dXOk4Zh8eb465iZaOHmMLqL7tzzfhyphenhyphenz5ZInIjLIZ41Dh8zykNpPAaF7QW-LFZzPRxkO9dKFU4KsLJPLoocRVcL4_wU_52-xokjM7kQG7SF5fzNykt-mY_p0rqnCzXN4LYuDC3shZoU0/s474/Dr.+Ram+Puniyani+FB+Pics+C1.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="474" data-original-width="427" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3dXOk4Zh8eb465iZaOHmMLqL7tzzfhyphenhyphenz5ZInIjLIZ41Dh8zykNpPAaF7QW-LFZzPRxkO9dKFU4KsLJPLoocRVcL4_wU_52-xokjM7kQG7SF5fzNykt-mY_p0rqnCzXN4LYuDC3shZoU0/s320/Dr.+Ram+Puniyani+FB+Pics+C1.jpg" width="288" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444; font-size: medium;">लेखक डा. राम पुनियानी </span></b></td></tr></tbody></table>सिन्हा के अनुसार, </b>मिशनरियां आध्यात्मिक प्रजातंत्र के लिए खतरा हैं। आईए हम देखें कि आध्यात्मिक प्रजातंत्र से क्या आशय है. मेरे विचार से आध्यात्मिक प्रजातंत्र का अर्थ है कि भारतीय संविधान की निगाह में सभी धर्म बराबर हैं और सार्वभौमिक नैतिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कई लेखकों का यह मानना है कि दरअसल भारत के आध्यात्मिक प्रजातंत्र को सबसे बड़ा खतरा जाति और वर्ण व्यवस्था से है। जो लोग भारत में जाति और वर्ण व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं वे भारत के आध्यात्मिक प्रजातंत्र के सबसे बड़े शत्रु हैं। यह बात सिन्हा को अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और अरूण जेटली से सीखनी चाहिए थी। ये दोनों ईसाई मिशनरी स्कूलों में पढ़े हैं। सिन्हा अगर कोशिश करेंगे तो उन्हें अपनी विचारधारा के ऐसे बहुत से दूसरे नेता भी मिल जाएंगे जिन्होंने मिशनरी स्कूलों में अध्ययन किया होगा। </p><p style="text-align: justify;"><b>भारत में ईसाई मिशनरियां क्या करती हैं?</b> यह सही है कि 1960 के दशक के पहले तक भारत में दूसरे देशों, विशेषकर पश्चिमी देशों, से मिशनरी आया करते थे। परंतु अब भारत के अधिकांश चर्च हर अर्थ में भारतीय हैं। वे भारतीय संविधान की हदों के भीतर काम करते हैं। वे मुख्यतः आदिवासी क्षेत्रों और निर्धन दलितों की बस्तियों में शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े काम करते हैं। इसके अलावा वे शहरों में स्कूल भी चलाते हैं जिनमें आडवाणी, जेटली और उनके जैसे अन्य महानुभाव पढ़ चुके हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>मिशनरियां आदिवासियों की संस्कृति को</b> भला कैसे नष्ट कर रही हैं? मूलभूत आवश्यकताओं की कमी से जूझ रहे इन लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध करवाना उनकी संस्कृति को नष्ट करना कैसे है? वैसे भी संस्कृति कोई स्थिर चीज नहीं होती। वह एक सामाजिक अवधारणा है जो संबंधित समाज के लोगों के अन्य लोगों के संपर्क में आने से परिवर्तित होती रहती है। इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र संघ की बेहतरीन रपट 'सभ्यताओं का गठजोड़' का अध्ययन करना चाहिए जिसमें मानवता के इतिहास का अत्यंत सारगर्भित वर्णन करते हुए कहा गया है कि दुनिया का इतिहास दरअसल संस्कृतियों, धर्मों, खानपान की आदतों, भाषाओं और ज्ञान के गठजोड़ का इतिहास है और इसी गठजोड़ के चलते मानव सभ्यता की उन्नति हुई है। </p><p style="text-align: justify;"><b>सच तो यह है कि अगर</b> आदिवासियों के आचरण में कोई परिवर्तन कर रहा है तो वे हैं विहिप और वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठन। पिछले चार दशकों में आदिवासी क्षेत्रों में शबरी कुंभ का आयोजन कर और हनुमान की मूर्तियां लगाकर इन संगठनों ने आदिवासियों के आराध्यों को बदलने का प्रयास किया है। <b>आदिवासी मूलतः प्रकृति पूजक हैं। उन्हें मूर्ति पूजक बनाना क्या उनकी संस्कृति को परिवर्तित करने का प्रयास नहीं है?</b></p><p style="text-align: justify;"><b>जहां तक धर्मपरिवर्तन का प्रश्न है,</b> सन् 1956 में प्रस्तुत की गई नियोगी आयोग की रपट में निःसंदेह यह कहा गया था कि मिशनरियां धर्मपरिवर्तन करवा रही हैं। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि कुछ मिशनरियां धर्मपरिवर्तन करवा रही होंगीं। वैसे भी हमारा संविधान सभी धर्मों के लोगों को अपने धर्म का आचरण करने और उसका प्रचार करने का अबाध अधिकार देता है। सिक्के का दूसरा पहलू भी है। <b>पॉस्टर स्टेन्स और उनके दो नाबालिग बच्चों की हत्या उन्हें जिंदा जलाकर कर दी गई थी। इसके आरोप में बजरंग दल का राजेन्द्र सिंह पाल उर्फ दारासिंह जेल की सजा काट रहा है।</b> उस समय यह प्रचार किया गया था कि पॉस्टर स्टेन्स आदिवासियों को ईसाई बना रहे हैं जो कि हिन्दू धर्म के लिए खतरा है। </p><p style="text-align: justify;"><b>एनडीए सरकार द्वारा</b> नियुक्त वाधवा आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पॉस्टर स्टेन्स द्वारा धर्मपरिवर्तन नहीं करवाया जा रहा था और उड़ीसा के जिस इलाके (क्यांझार-मनोहरपुर) में वे काम कर रहे थे वहां ईसाईयों की आबादी में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। धर्मपरिवर्तन के आरोप के संदर्भ में जनगणना संबंधी आंकड़े दिलचस्प जानकारी देते हैं। भारत में ईसाई धर्म 52 ईस्वी में आया था। सन् 2011 में ईसाई, भारत की कुल आबादी का 2.30 प्रतिशत थे। सन् 1971 में भारत की आबादी में ईसाईयों का प्रतिशत 2.60 था। सन 1981 में यह आंकड़ा 2.44, 1991 में 2.34 और 2001 में 2.30 था। इस प्रकार भारत में ईसाईयों की जनसंख्या या तो स्थिर है या उसमें गिरावट आई है। ईसाई धर्म में परिवर्तन से हिन्दू धर्म को खतरा होने की बात बकवास है। परंतु यह डर जानबूझकर फैलाया जा रहा है। आरएसएस ने हाल (जुलाई 2021) में चित्रकूट में आयोजित अपनी एक बैठक में 'चादर मुक्त, फॉदर मुक्त' भारत की बात कही। </p><p style="text-align: justify;"><b>भारत में जबरदस्ती या लोभ-लालच से</b> धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए पर्याप्त कानून हैं। 'ईसाई मिशनरियों भारत छोड़ो'‘ और 'चादर और फॉदर मुक्त भारत' जैसे नारे देश पर हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडे को थोपने का प्रयास हैं। अगर मिशनरियां आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हैं तो इससे आदिवासी संस्कृति को खतरा होने की बात कहना बचकाना है। <b>और अगर कुछ मिशनरियां धर्मपरिवर्तन के काम में लगी हैं तो भी यह उनका अधिकार है। हां, अगर वे जोर-जबरदस्ती या लालच देकर किसी को ईसाई बना रही हैं तो उनके खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। परंतु उन्हें भारत छोड़ने का आदेश देना अनौचित्यपूर्ण और असंवैधानिक है। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>एक बात और. सिन्हा यह मानकर चल रहे हैं कि आदिवासी हिन्दू धर्म का हिस्सा हैं.</b> तथ्य यह है कि हिन्दू एक बहुदेववादी धर्म है जिसके अपने धर्मग्रंथ और तीर्थस्थल हैं। इसके विपरीत, आदिवासी प्रकृति पूजक हैं, उनके कोई धर्मग्रंथ नहीं हैं और ना ही मंदिर और तीर्थस्थान हैं। (<b><span style="color: #444444;">28 जुलाई 2021)</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><i><span style="color: #444444;">(अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)</span></i></b></p>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-142759580476471372021-05-01T09:45:00.030+05:302021-05-25T11:31:00.427+05:30कोरोना महामारी: मुसलमानों पर निशाना//राम पुनियानी<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">1st <span face="Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif" style="background-color: white; font-size: 14px; text-align: left;">May 2021 at 9:11 AM</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: white; font-size: large;"><span style="font-family: georgia;">'नमस्ते ट्रंप'</span><span style="font-family: georgia;"> </span><span style="font-family: georgia;">और कनिका कपूर की यात्रा को कोरोना से नहीं जोड़ा</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #666666; font-family: georgia; font-size: x-small;"><b><span>28</span><span style="background-color: white;"> </span><span style="background-color: white;">अप्रैल</span><span>, 2021</span></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b></b></span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="font-family: georgia;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifP7C-cEROXCING-A_P36_2NFKM5tpqDBLiTwMWlu2wzBGblx47ybwOubjifKhRn7Gqg6Qz-i2cOZXJT6xPlVSYJhr4UJCpdEqzCz2u8hFxDy-5t4EgtYbfGi8iGG1qlEA_LcuNP3xFHY/s225/Dr.+Ram+Puniyani.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="225" data-original-width="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifP7C-cEROXCING-A_P36_2NFKM5tpqDBLiTwMWlu2wzBGblx47ybwOubjifKhRn7Gqg6Qz-i2cOZXJT6xPlVSYJhr4UJCpdEqzCz2u8hFxDy-5t4EgtYbfGi8iGG1qlEA_LcuNP3xFHY/s0/Dr.+Ram+Puniyani.jpg" /></a></b></span></div><span style="font-family: georgia;"><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>इस समय </b>भारत कोरोना महामारी के सबसे विकट दौर से गुजर रहा है। संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और मौतें भी। हर चीज की कमी है-अस्पतालों में बिस्तरों की</span><b>,</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">दवाईयों की</span><b>,</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">आक्सीजन की</span><b>,</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">जांच सुविधाओं की और वैक्सीनों की। इस रोग से ग्रस्त लोगों और उनके परिवारों के लिए यह एक बहुत बड़ी आपदा है। देश देख रहा है कि योजनाएं बनाने में दूरदृष्टि के अभाव और संसाधनों के कुप्रबंधन के कितने त्रासद परिणाम हो सकते हैं। ज्योंही सरकार की निंदा शुरू होती है</span><b>,</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">सारा दोष</span><span style="font-family: georgia;"> </span><b>'</b><span style="font-family: georgia;">व्यवस्था</span><b>'</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">पर लाद दिया जाता है। दोष श्री मोदी का नहीं है</span><b>,</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">समस्याओं के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं-सारा दोष</span><span style="font-family: georgia;"> </span><b>'</b><span style="font-family: georgia;">व्यवस्था</span><b>'</b><b> </b><span style="font-family: georgia;">का है। </span></div></span><p></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>हमारे शासकों</b></span><span style="font-family: georgia;"><b> में </b>वैज्ञानिक सोच और समझ की भारी कमी है। यही कारण है कि हमारे शीर्ष नेता ने यह दावा किया था कि हम <b>21</b> दिन में महामारी पर विजय प्राप्त कर लेंगे। कुछ नेताओं ने श्रद्धालुओं से अपील की वे बड़ी संख्या में कुंभ में आकर पुण्य लूटें। कुछ अन्य ने मास्क जेब में रखकर बड़ी-बड़ी चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इन सभाओं में श्रोताओं के बीच दो गज तो क्या दो इंच की दूरी भी नहीं रहती थी। कम से कम दो उच्च न्यायालयों ने देश में कोविड के फैलाव के लिए चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है। </span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>इसके साथ ही</b> हमारे सामने कोरोना योद्धाओं की कड़ी मेहनत और समर्पण के उदाहरण भी हैं। इस संकटकाल में हिन्दू और मुसलमान जिस तरह एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं उससे हमारे देश के मूलभूत मूल्य सामने आए हैं। </span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>जिन मुसलमानों को</b> इस रोग को फैलाने का जिम्मेदार ठहराया गया था वे ही अब आगे बढ़कर परेशान हाल लोगों की मदद कर रहे हैं और उनके दर्द में साझेदार बन रहे हैं। हमारे शासक चाहे अपनी पीठ कितनी ही क्यों न थपथपा लें इतिहास में उनकी भूलें दर्ज हो चुकी हैं। हमारे देश की बुरी हालत को पूरी दुनिया अवाक होकर देख रही है। <b></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>हमारे देश में</b> आक्सीजन तक नहीं है। हां,<b> </b>हम अरबों रूपये गगनचुंबी मूर्तियों,<b> </b>सेन्ट्रल विस्टा,<b> </b>बुलैट ट्रेन और राम मंदिर पर खर्च कर रहे हैं। हमारे देश के शासकों को केरल से सबक लेना चाहिए जिसने व्यर्थ की परियोजनाओं में पैसा फूंकने की बजाए आक्सीजन संयत्रों में निवेश किया और नतीजे में आज न केवल राज्य में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है वरन् वह पड़ोसी राज्यों को भी यह जीवनदायिनी गैस उपलब्ध करा रहा है। <b></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>मार्च 2020 में</b> मरकज निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात की अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के बहाने मुसलमानों का जमकर दानवीकरण किया गया था। भारत की साम्प्रदायिक ताकतों को मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा करने के लिए मौके की तलाश रहती है। उन्हें सैकड़ों साल पहले के मुस्लिम बादशाहों के कर्मों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकी गिरोहों से उनके संबंध जोड़े जाते हैं। उन्हें ढ़ेर सारे बच्चे पैदा कर देश की आबादी को बढ़ाने का दोषी ठहराया जाता है। उन्हें लव जिहाद और गौमांस खाने के लिए कठघरे में खड़ा किया जाता है। जाहिर है कि इस माहौल में तबलीगी जमात का आयोजन,<b> </b>साम्प्रदायिक संगठनों और पूर्वाग्रह ग्रस्त मीडिया के लिए एक सुनहरा मौका था। <b></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>इस रोग के फैलने के</b> अन्य सभी कारणों को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए सिर्फ तबलीगी जमात के आयोजन को दोषी ठहराया गया। ऐसा बताया गया कि मरकज का आयोजन ही इसलिए किया गया था ताकि भारत में कोरोना फैलाया जा सके। 'नमस्ते ट्रंप'<b> </b>और कनिका कपूर की यात्रा को कोरोना से नहीं जोड़ा गया। यह हमारा दुर्भाग्य है कि मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकार का भोंपू बन गया है।<b></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>कुछ 'प्रतिभाशाली' पत्रकारों ने</b> कोरोना जिहाद और कोरोना बम जैसे शब्द ईजाद किए। जल्दी ही कई अन्य प्रकार के जिहाद भी सामने आए. ऐसा लगने लगा मानो इस देश के मुसलमानों के पास जिहाद करने के अलावा और कोई काम है ही नहीं। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ सोसायटी एंड सेक्युलरिज्म ने मुसलमानों को बलि का बकरा बनाए जाने पर एक रिपोर्ट जारी की। इसका शीर्षक था <b>'द कोविड पेन्डेमिक: ए रिपोर्ट आन द स्केप गोटिंग ऑफ़ मुस्लिम्स इन इंडिया</b></span><span style="font-family: georgia;">।</span><span style="font-family: georgia;"><b>' </b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><b style="font-family: georgia;">इस रपट में </b><span style="font-family: georgia;">उन विभिन्न प्रकार के जिहादों की चर्चा की गई है जिनके नाम पर मुसलमानों को कठघरे में खड़ा किया जाता है। इनमें शामिल हैं</span><span style="font-family: georgia;"> </span><b style="font-family: georgia;">1. </b><span style="font-family: georgia;">आर्थिक जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात व्यापार और व्यवसाय के जरिए धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ाना,</span><b style="font-family: georgia;"> 2. </b><span style="font-family: georgia;">इतिहास जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात इतिहास को इस प्रकार तोड़ना-मरोड़ना जिससे इस्लाम का महिमामंडन हो,</span><b style="font-family: georgia;"> 3. </b><span style="font-family: georgia;">फिल्म और गीत जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात फिल्मों के जरिए मुगलों और माफिया का महिमामंडन करना व फिल्मी गीतों के जरिए इस्लामिक संस्कृति को बढ़ावा देना,</span><b style="font-family: georgia;"> 4. </b><span style="font-family: georgia;">धर्मनिरपेक्षता जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात वामपंथियों,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">साम्यवादियों और उदारवादियों को मुसलमानों के पाले में लाना,</span><b style="font-family: georgia;"> 5. </b><span style="font-family: georgia;">आबादी जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात चार महिलाओं से शादी करना और अनगिनत बच्चे पैदा करना,</span><b style="font-family: georgia;"> 6. </b><span style="font-family: georgia;">भूमि जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात जमीन पर कब्जा कर बड़ी-बड़ी मस्जिदें,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">मदरसे और कब्रिस्तान बनाना,</span><b style="font-family: georgia;"> 7. </b><span style="font-family: georgia;">शिक्षा जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात मदरसे स्थापित करना और अरबी भाषा को प्रोत्साहन देना,</span><b style="font-family: georgia;"> 8. </b><span style="font-family: georgia;">बेचारगी जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात अपने आप को बेचारा बताकर आरक्षण और अन्य सुविधाएं मांगना एवं</span><span style="font-family: georgia;"> </span><b style="font-family: georgia;">9. </b><span style="font-family: georgia;">प्रत्यक्ष जिहाद,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">अर्थात गैर-मुसलमानों पर हथियारबंद हमले। </span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>रपट में फेक न्यूज के अनेक उदाहरण दिए गए हैं। </b>इनमें शामिल हैं ये खबरें कि मुसलमान जगह-जगह थूककर और खाने के बर्तन चाटकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोरोना का वायरस ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। मीडिया के दोहरे मानदंड मुसलमानों और हिन्दू/सिक्खों के लिए प्रयुक्त अलग-अलग भाषा से ही जाहिर हैं। उदाहरण के लिए जी न्यूज की एक खबर का शीर्षक था,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">'आठ मस्जिदों में 113 लोग छिपे हुए हैं' हिन्दुस्तान टाईम्स की एक खबर का शीर्षक था 'कोविड-19: दिल्ली में छुपे 600 विदेशी तबलीगी जमात कार्यकर्ता पकड़े गए।' इसके विपरीत,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">दो सौ सिक्ख दिल्ली के मजनूं का टीला गुरूद्वारे में 'फंसे'</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">हुए थे। इसी तरह अचानक लॉकडाउन लगा दिए जाने से 400 तीर्थयात्री वैष्णोदेवी में</span><span style="font-family: georgia;"> </span><b style="font-family: georgia;">‘</b><span style="font-family: georgia;">फंस</span><b style="font-family: georgia;">‘ </b><span style="font-family: georgia;">गए थे। अर्थात,</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">जहां हिन्दू और सिक्ख 'फंसे'</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">थे वहीं मुसलमान 'छिपे'</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">थे </span><span style="font-family: georgia;">भाजपा के आईटी सेल के अमित मालवीय ने 'कट्टरपंथी तबलीगी जमात'</span><b style="font-family: georgia;"> </b><span style="font-family: georgia;">की मरकज में गैरकानूनी बैठक की बात कही। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी तबलीगी जमात को कोविड के फैलाव के लिए जिम्मेदार बताते हैं। </span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;">अल्पसंख्यकों के बारे में ये झूठी बातें मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए इतनी बार दुहराई जाती हैं कि लोगों को वो सच लगने लगती हैं। <b></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;">हमें कोरोना से मुक्त होना है। साथ ही हमें धार्मिक पूर्वाग्रह के वायरस से भी मुक्त होना होगा। सोशल मीडिया और मीडिया में अल्पसंख्यकों के विरूद्ध दुष्प्रचार को हमें रोकना ही होगा। कोरोना के मामले में जिस तरह के झूठ बोले गए और जिस तरह एक समुदाय को दोषी ठहराया गया। उससे हमारी आंखे खुल जानी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि कुंभ,<b> </b>चुनाव रैलियां और हमारी सरकारों का निकम्मापन कोरोना संकट के लिए जिम्मेदार हैं। </span></p><p style="background-color: white; text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-family: georgia;"><i><b>(अग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् </b>2007<b> के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)</b></i></span></p>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-66727782654424101482021-03-20T02:45:00.001+05:302021-03-20T16:47:27.382+05:30भारत-उज्बेकिस्तान प्रशिक्षण युद्धाभ्यास 'डस्टलिक' का समापन<p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #666666;">19th March 2021 at 16:50 IST</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;"> रानीखेत (उत्तराखंड) में चला प्रशिक्षण युद्धाभ्यास </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZ8ACUW5JFc_N3rg1W3rPu-uEEyA1F_-17sFlzSa2E2rct587MW8DXc-KmggYZr0_jlWgfULmeWTS8uPwAPTaqz6YxIz3BjBgqxGWhbYh5lJtiJ1W8hsBdTM5d6mGQoxvim5R5Tc-U-gA/s1076/Ranikhet+news+Pics.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="553" data-original-width="1076" height="328" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZ8ACUW5JFc_N3rg1W3rPu-uEEyA1F_-17sFlzSa2E2rct587MW8DXc-KmggYZr0_jlWgfULmeWTS8uPwAPTaqz6YxIz3BjBgqxGWhbYh5lJtiJ1W8hsBdTM5d6mGQoxvim5R5Tc-U-gA/w640-h328/Ranikhet+news+Pics.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />युद्धाभ्यास क्षेत्र से</span>: <span style="color: #444444;">19 मार्च 2021</span>: (<span style="color: #cc0000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>शांति की रक्षा के लिए युद्ध की भी तैयारी रखनी पड़ती है। केवल तैयार ही नहीं रहना पड़ता बल्कि इस क्षेत्र में हर तरह की नई तकनीक भी अपनानी पड़ती है। इस मकसद के लिए युद्धभ्यास भी किये जाते हैं। इसी तरह का युद्धभ्यास रानीखेत उत्तराखंड में हुआ। यह भारत और उज़्बेकिस्तान के साथ ही था। इसका मुख्य मकसद था प्रशिक्षण। </b></p><p style="text-align: justify;">1. परस्पर 10 दिन चले आपसी अभ्यास के बाद भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण युद्धाभ्यास डस्टलिक के दूसरे संस्करण काशुक्रवार, 19 मार्च 2021 को समापन हुआ ।</p><p style="text-align: justify;">2. 10 मार्च, 2021 को शुरू हुए संयुक्त अभ्यास में ज़ोर शहरीपरिदृश्य में उग्रवाद/आतंकवाद विरोधी अभियानों पर होने के साथ-साथ हथियारोंके कौशल पर विशेषज्ञता साझा करने पर केंद्रित था । इस अभ्यास ने दोनोंसेनाओं के सैनिकों को स्थायी पेशेवर और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने काअवसर भी प्रदान किया ।</p><p style="text-align: justify;">3. गहन सैन्य प्रशिक्षण के बाद दोनों सेनाओं के संयुक्तअभ्यास का समापन हुआ, दोनों देशों की सेना इस अभ्यास के दौरान आतंकवादीसमूहों पर अपनी युद्ध शक्ति और प्रभुत्व का प्रदर्शन कर रही थी । समापनसमारोह में दोनों देशों के अनूठे पारंपरिक संपर्क के साथ अपार प्रतिभा काप्रदर्शन किया गया । वरिष्ठ अधिकारियों ने अभ्यास के व्यावसायिक संचालन केप्रति संतोष और आभार व्यक्त किया ।</p><p style="text-align: justify;">4. अभ्यास के दौरान पैदा हुई मिलनसारिता, दल भावना एवंसद्भावना से भविष्य में दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच संबंधों कोमजबूत करने में और बढ़ावा मिलेगा ।</p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #999999; font-size: xx-small;">एमजी /एएम/ एबी</span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-90534758796071569872021-02-06T14:45:00.005+05:302021-02-19T23:00:51.379+05:30रबीन्द्रनाथ टैगोर: मानवतावाद और राष्ट्रवाद//राम पुनियानी<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;"> <span face="Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif" style="background-color: white; text-align: left;">Feb 6, 2021, 2:15 PM</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">BJP ऐसा जताना चाहती है मानो गुरूदेव कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी थे</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUKz1WXzd0x0jENGBK4RAENTxiqHJE0KeH0P76bOUlV9bXWbw8UeGcqQGD3HXjIAYtBVYyXzYZBivG0S3Jh7wwPFtLUDeTX0WSL_pPPj6G2WVT1HloR2CeaCiMaAoR_Vz1pYH4AnmBs6s/s750/PM+Modi+and+Poet+Tagore.jpg" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="422" data-original-width="750" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUKz1WXzd0x0jENGBK4RAENTxiqHJE0KeH0P76bOUlV9bXWbw8UeGcqQGD3HXjIAYtBVYyXzYZBivG0S3Jh7wwPFtLUDeTX0WSL_pPPj6G2WVT1HloR2CeaCiMaAoR_Vz1pYH4AnmBs6s/w640-h360/PM+Modi+and+Poet+Tagore.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.nationalheraldindia.com/opinion/bjps-long-list-of-faux-pas-takshila-in-bihar-santiniketan-as-tagores-place-of-birth">यह तस्वीरअंग्रेजी दैनिक नेशनल हेरल्ड से साभार</a></span></b> </td></tr></tbody></table><b><span style="color: #2b00fe;"><br />भोपाल</span>:<span style="color: #666666;">03 फरवरी, 2021</span>: (<span style="color: #660000;">राम पुनियानी</span>//<span style="color: #2b00fe;">इर्दगिर्द</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5RgkhyphenhyphenijdIT6mJ22-H1jx_MqIJrPEBaQlIFJiP2oNoAcxUTcOz8MQbFCxMoWeQOV79KypRw7UmBzs334DV4r2N63joi0xQ_B861jWY_kwmGz-PJHdOos8y6Z2mle6LhrjMdTFWcuAwuQ/s640/GuruDev+Rabindranath+Tagore.jpg" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="640" data-original-width="460" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5RgkhyphenhyphenijdIT6mJ22-H1jx_MqIJrPEBaQlIFJiP2oNoAcxUTcOz8MQbFCxMoWeQOV79KypRw7UmBzs334DV4r2N63joi0xQ_B861jWY_kwmGz-PJHdOos8y6Z2mle6LhrjMdTFWcuAwuQ/w288-h400/GuruDev+Rabindranath+Tagore.jpg" width="288" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://hindijivanparichya.blogspot.com/2020/08/ravindranath-tagore.html">तस्वीर हिंदी जीवन परिचय से साभार </a></span></b></td></tr></tbody></table><b>पश्चिम बंगाल में</b> चुनाव नजदीक हैं. भाजपा ने बंगाल के नायकों को अपना बताने की कवायद शुरू कर दी है. जहां तक भाजपा की विचारधारा का प्रश्न है, बंगाल के केवल एक नेता, श्यामाप्रसाद मुकर्जी, इस पार्टी के अपने हैं। वे भाजपा के पूर्व अवतार जनसंघ के संस्थापक थे। बंगाल के जिन अन्य नेताओं ने भारत के राष्ट्रीय मूल्यों को गढ़ा और हमारी सोच को प्रभावित किया, उनमें स्वामी विवेकानंद, रबीन्द्रनाथ टैगोर और सुभाषचन्द्र बोस शामिल हैं। स्वामी विवेकानंद जातिप्रथा के कड़े विरोधी थे और हमारे देश से गरीबी का उन्मूलन करने के मजबूत पक्षधर थे। वे दरिद्र को ही नारायण (ईश्वर) मानते थे। उनके लिए निर्धनों की सेवा, ईश्वर की आराधना के समतुल्य थी।<p></p><p style="text-align: justify;"><b>नेताजी प्रतिबद्ध समाजवादी थे</b> और हिन्दू राष्ट्रवाद उनको कतई रास नहीं आता था। इसके बावजूद भाजपा उन्हें अपना सिद्ध करने में लगी है। गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर महान मानवतावादी थे और भयमुक्त समाज के निर्माण के पक्षधर थे। इसके बाद भी भाजपा जैसी साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की पैरोकार पार्टी उन्हें अपनी विचारधारा का समर्थक बताने पर तुली हुई है। पार्टी ऐसा जताना चाहती है मानो गुरूदेव कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी थे।</p><p style="text-align: justify;"><b>नरेन्द्र मोदी ने कहा कि</b> टैगोर स्वराज के हामी थे। आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत का दावा है कि टैगोर ने हिन्दुत्व की परिकल्पना का विकास किया था। यह विडंबना ही है कि जिस राजनैतिक संगठन ने स्वाधीनता संग्राम में हिस्सेदारी ही नहीं की और ना ही भारत के एक राष्ट्र के रूप में विकास की प्रक्रिया में कोई योगदान दिया, वह स्वराज की बात कर रही है। टैगोर प्रतिबद्ध मानवतावादी थे। उनकी सोच मे सम्प्रदायवाद के लिए कोई जगह नहीं थी। मानवता उनके विचारों का केन्द्रीय तत्व थी। उन्होंने लिखा है कि भारत के मूल निवासियों ने पहले आर्यों और उसके बाद मुसलमानों के साथ मिलजुलकर रहना सीखा। इसके विपरीत, हिन्दू राष्ट्रवादी दावा करते आए हैं कि आर्य इस देश के मूलनिवासी थे। और वह इसलिए ताकि इस देश को एक धर्म विशेष की भूमि बताया जा सके। वे मुसलमानों को विदेशी और आक्रांता बताते हैं।</p><p style="text-align: justify;"><b>अपने उपन्यास 'गोरा' में</b> गुरूदेव ने परोक्ष रूप से कट्टर हिन्दू धर्म की कड़ी आलोचना की है. उपन्यास के केन्द्रीय चरित्र गोरा का हिन्दू धर्म, आज के हिन्दुत्व से काफी मिलता-जुलता है. उपन्यास के अंत में उसे पता चलता है कि वह युद्ध में मारे गए एक अंग्रेज दंपत्ति का पुत्र है और उसका लालन-पालन एक हिन्दू स्त्री आनंदमोई ने किया है। वह अवाक रह जाता है।</p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2efeVpNUnQh8bmuj_IXS8g_vKv_CSekyC8d7LM8FMjiS3kw2G1mE_QJY6vU5tqPl4BheWcZDRmFl_N2pOAZS36D_0C1F-hetEAd9fswD5r6FhyHYrufeLTy8hOiSkVIfJshKIxE96sws/s225/Dr.+Ram+Puniyani.jpg" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="225" data-original-width="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2efeVpNUnQh8bmuj_IXS8g_vKv_CSekyC8d7LM8FMjiS3kw2G1mE_QJY6vU5tqPl4BheWcZDRmFl_N2pOAZS36D_0C1F-hetEAd9fswD5r6FhyHYrufeLTy8hOiSkVIfJshKIxE96sws/s0/Dr.+Ram+Puniyani.jpg" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">लेखक डा. राम पुनियानि</span></b> </td></tr></tbody></table><b>आज हमारे देश की राजनीति में</b> जो कुछ हम देख रहे हैं वह टैगोर की प्रसिद्ध और दिल को छू लेने वाली कविता "जहां मन है निर्भय और मस्तक है ऊँचा, जहां ज्ञान है मुक्त" से बिल्कुल ही मेल नहीं खाता. इस सरकार के पिछले छःह सालों के राज में सच बोलने वाला भयातुर रहने को मजबूर है. जो लोग आदिवासियों के अधिकारों की बात करते हैं उन्हें शहरी नक्सल कहा जाता है। जो लोग किसी धर्म विशेष के अनुयायियों पर अत्याचारों का विरोध करते हैं उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग बताया जाता है। अपनी इस कविता में टैगोर 'विवेक की निर्मल सरिता' की बात करते हैं। कहां है वह सरिता? आज की सरकार ने तो अपने सभी आलोचकों को राष्ट्रद्रोही बताने का व्रत ले लिया है। <p></p><p style="text-align: justify;"><b>हमारे वर्तमान शासक आक्रामक राष्ट्रवाद के हामी हैं.</b> वे 'घर में घुसकर मारने' की बात करते हैं। इसके विपरीत, टैगोर युद्ध की निरर्थकता के बारे में आश्वस्त थे। ऐसे राष्ट्रवाद में उनकी कोई श्रद्धा नहीं थी जो कमजोर देशों को शक्तिशाली देशों का उपनिवेश बनाता है और जिससे प्रेरित हो शक्तिशाली राष्ट्र अपनी सैन्य शक्ति का प्रयोग अपने देश की सीमाओं का विस्तार करने के लिए करते हैं। जिस समय पूरी दुनिया प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ने की आशंका से भयभीत थी उस समय टैगोर की 'गीतांजलि' ने ब्रिटिश कवियों पर गहरा प्रभाव डाला था। विलफ्रेड ओन व कई अन्य ब्रिटिश कवि, 'गीतांजलि' मे निहित आध्यात्मिक मानवतावाद से बहुत प्रभावित थे। टैगोर का आध्यात्मिक मानवतावाद, राष्ट्र की बजाए समाज की भलाई और स्वतंत्रता की बात करता है।</p><p style="text-align: justify;"><b>मोदी और शाह टैगोर की शान में जो कसीदे काढ़ रहे हैं </b>उसका एकमात्र लक्ष्य बंगाल में होने वाले चुनावों में वोट हासिल करना है। वैचारिक स्तर पर वे टैगोर के घोर विरोधी हैं। आरएसएस से संबद्ध शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, जिसके अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा थे, ने यह सिफारिश की थी कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में से टैगोर से संबंधित सामग्री हटा दी जाए।</p><p style="text-align: justify;"><b>टैगोर द्वारा लिखित हमारे राष्ट्रगान 'जन गण मन' को भी संघ पसंद नहीं करता। </b>उसकी पसंद बंकिमचन्द्र चटर्जी लिखित 'वंदे मातरम' है। संघ के नेता समय-समय पर यह कहते रहे हैं कि टैगोर ने 'जन गण मन' ब्रिटेन के सम्राट जार्ज पंचम की शान में उस समय लिखा था जब वे भारत की यात्रा पर आए थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने यह आरोप लगाया था कि जन गण मन में 'अधिनायक' शब्द का प्रयोग जार्ज पंचम के लिए किया गया था। यह इस तथ्य के बावजूद कि टैगोर ने अपने जीवनकाल में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अधिनायक शब्द से उनका आशय उस शक्ति से है जो सदियों से भारत भूमि की नियति को आकार देती रही है। नोबेल पुरस्कार विजेता महान कवि के स्पष्ट खंडन के बाद भी संघ और उसके संगी-साथी यह कहने से बाज नहीं आते कि टैगोर ने ब्रिटिश सम्राट की चाटुकारिता करने के लिए यह गीत लिखा था। और इसलिए वे जन गण मन की बात नहीं करते। 'इस देश में रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा' उनका नारा है।</p><p style="text-align: justify;"><b>हमारा राष्ट्रगान देश की विविधता और समावेशिता का अति सुंदर वर्णन करता है। </b>परंतु हमारे वर्तमान शासकों के विचारधारात्मक पितामहों को विविधता और बहुवाद पसंद नहीं हैं। वे तो देश को एकसार बनाना चाहते हैं। संघ परिवार यह भी कहता रहा है कि नेहरू ने मुसलमानों को खुश करने के लिए जन गण मन को राष्ट्रगान के रूप में चुना। जिस समिति ने इस गीत को राष्ट्रगान का दर्जा देने का निर्णय लिया था वह इसमें वर्णित देश के बहुवादी चरित्र से प्रभावित थी। यह गीत भारतीय इतिहास की टैगोर और अन्य नेताओं की इस समझ से भी मेल खाता है कि भारत के निर्माण में देश के मूल निवासियों, आर्यों और मुसलमानों-तीनों का योगदान रहा है।</p><p style="text-align: justify;"><b>भाजपा और उसके साथी वंदे मातरम को</b> प्राथमिकता इसलिए देना चाहते हैं क्योंकि वह हमारे मन में एक हिन्दू देवी की छवि उकेरता है। मुसलमानों का कहना है कि वे अल्लाह के अलावा किसी के सामने अपना सिर नहीं झुका सकते। इस बात को भी ध्यान रखते हुए जन गण मन को राष्ट्रगान के रूप में चुना गया और वंदेमातरम् के पहले अंतरे को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।</p><p style="text-align: justify;"><b>गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे</b> जिनका आध्यात्म, मानवतावाद से जुड़ा हुआ था ना कि किसी संकीर्ण साम्प्रदायिक सोच से। उनका राष्ट्रवाद ब्रिटिश अधिनायकवाद का विरोधी था और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के मूल्यों में आस्था रखता था। </p><p style="text-align: justify;"><b><i><span style="color: #444444;">(अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) </span></i></b></p><p style="text-align: justify;"><b><i><span style="color: #444444;">(लेखक IIT मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)</span></i></b></p><p style="text-align: justify;"><b><u><span style="color: #999999;">(प्रेषक:एल. एस. हरदेनिया) </span></u></b></p>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-46801547102156295162021-01-09T22:45:00.001+05:302021-01-10T21:16:14.763+05:30नहीं रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता माधव सिंह सोलंकी<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> जीवन और कैरियर के आरम्भिक दौर में पत्रकार भी रहे </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">गांधीनगर</span>: <span style="color: #444444;">9 जनवरी 2021</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द डेस्क</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicL87nQCE6cKlhB5ZV-sGwww8bHdjQ1b2hpWZVkF-odhWULFRl-xyMMgay84BXpfcygD4_A18KUzpfHk2HOFcAqG2AkLGf9wTwdgU9Vc07GyBtVD7YHq0SqrNssx_T_k2MKyhWSKbsO-c/s1024/Madhav+Singh+Solanki.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="576" data-original-width="1024" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicL87nQCE6cKlhB5ZV-sGwww8bHdjQ1b2hpWZVkF-odhWULFRl-xyMMgay84BXpfcygD4_A18KUzpfHk2HOFcAqG2AkLGf9wTwdgU9Vc07GyBtVD7YHq0SqrNssx_T_k2MKyhWSKbsO-c/w400-h225/Madhav+Singh+Solanki.jpg" width="400" /></a></div>दुखद खबरों का सिलसिला भी जारी है। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी का शनिवार को निधन हो गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने 94 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह अपने राजनीतिक रणकौशल के बलबूते सियासत पर छाए रहने वाले नेता थे। गौरतलब है कि वह अपने जीवन और कैरियर के आरम्भिक दौर में पत्रकार भी रहे। उनका पुस्तक प्रेम निभा। शब्द और साहित्य उनके जीवन का अभिन्न अंग रहे। <p></p><p style="text-align: justify;">माधव सिंह सोलंकी का जन्म 30 जुलाई 1927 को हुआ था। पेशे से वकील थे और तर्क में उनका कोई जवाब नहीं था। वकालत में भी अच्छा नाम कमा सकते थे लेकिन सियासत में आ गए। सोलंकी वर्ष 1977 में बहुत कम समय के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। लगता था शायद उनकी सियासी कैरियर खत्म हो गया है लेकिन वह हिम्मत के साथ दोबारा उभरे। उन्होंने अपना लोहा फिर से मनवाया। इसके बाद वह साल 1980 में दोबारा सत्ता में आए। यह उनके राजनीतिक करिश्मों में शामिल गिना जायेगा। </p><p style="text-align: justify;">पूर्व मुख्यमंत्री सोलंकी का शनिवार को गांधीनगर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। उनका जाना उनके समर्थकों भी के लिए भी गहरा सदमा है और उनकी पार्टी के लिए भी। सोलंकी का निधन होने के बाद राज्य सरकार ने शनिवार को राजकीय शोक की घोषणा की है। </p><p style="text-align: justify;">मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए घोषणा की कि सोलंकी का अंतिम संस्कार पूरे राजनयिक सम्मान के साथ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर कर कहा कि श्री माधवसिंह सोलंकी जी एक दुर्जेय नेता थे, जो दशकों से गुजरात की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उन्हें समाज के लिए की गई शानदार सेवा के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन से दुखी हूं। श्री मोदी ने उनके बेटे भरत सोलंकी से बात करके अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की हैं। </p><p style="text-align: justify;">गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र चुडास्मा ने भी उनके देहांत पर गहरा शोक व्यक्त किया है और शनिवार को उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों से यह मेरी आदत रही है कि मैं सोलंकी जी के जन्मदिन पर उनके घर जाकर उनके साथ समय बिताया करता था। पिछली बार 15 नवंबर को मिला था तो उन्हें अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी थीं। इस तरह उनके चाहने वालों के मन में उनकी यादें लगातार उमड़ती आ रही हैं। </p><p style="text-align: justify;">इसी तरह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शोक जताया है। निश्चय ही कांग्रेस पार्टी के लिए भी यह क्षति अपूरणीय है। उल्लेखनीय है कि दिग्गज कांग्रेसी नेता सोलंकी का जन्म 30 जुलाई, 1927 को आनंद जिले के बोरसाद तहसील के पिलुंदरा गांव में हुआ था। वह दिसंबर 1976 से 1990 के बीच 3 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। </p><p style="text-align: justify;">गौरतलब है कि मिड-डे मील नाम से जो पहल उन्होंने शुरू की थी, उसे पूरे देश में सफलतापूर्वक अपनाया गया। आज भी मिड डे मील बहुत ही लोकप्रिय है। उन्होंने गुजरात में बालिका पोषण योजना (कन्या केलवानी) और गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) भी शुरू की थी। श्री सोलंकी तुष्टीकरण की राजनीति के लिए चलाई गई योजना क्षत्रिय हरिजन आदीवासी मुस्लिम (केएचएएम) के लिए भी काफी चर्चा में रहे। उनके नेतृत्व में गुजरात राज्य विधानसभा की 183 में से 149 विधानसभा सीटें जीतने का रिकॉर्ड भी है। बहुत कम लोग जानते हैं की वह एक पत्रकार भी रहे। सोलंकी ने एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था, फिर वकील बने और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किया। पढ़ने के शौकीन सोलंकी ने अपने घर में एक लाइब्रेरी बनवाई हुई थी, जिसमें वे घंटों बिताया करते थे। उनके पुस्तक प्रेम ने उनके विचारों को भी संवेदना में ढाला। उनकी मनोवस्था को पुस्तक प्रेम ने एक नई और रचनात्मक दिशा दी। इसी दिशा ने मील जैसी योजनाओं को भी जन्म दिया। </p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-26197633771308564342021-01-09T18:45:00.014+05:302021-01-09T21:27:26.821+05:30किसानों के समर्थन में तेज़ी से फ़ैल रही है पोल खोल यात्रा<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;">6 जनवरी से शुरू हुई और 20 जनवरी तक चलेगी </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNZa9BgaKBlgS2GBrIighFa6E_xiIriyNUeXpfTDF_EHJJuPwsOkEQR23tx3QdalWspm74ef7su4MxNLklffTFY7kjKk1dvY9UFpphYxB_xWIHHchsHy5o0WAcM4MjFPztmqutD59EJkU/s960/Pol+Khol+Yatra+in+Support+of+Farmers.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="720" data-original-width="960" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNZa9BgaKBlgS2GBrIighFa6E_xiIriyNUeXpfTDF_EHJJuPwsOkEQR23tx3QdalWspm74ef7su4MxNLklffTFY7kjKk1dvY9UFpphYxB_xWIHHchsHy5o0WAcM4MjFPztmqutD59EJkU/w640-h480/Pol+Khol+Yatra+in+Support+of+Farmers.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />सोशल मीडिया</span>: <span style="color: #444444;">9 जनवरी 2020</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द ब्यूरो</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;">कृषि कानून रद्द करवाने लिया संघर्ष कर रहे किसानों की हालत पर लगातार आँखें मूँद कर बैठी मोदी सरकार का रवैया न केवल आम जनता में गुस्सा पैदा कर रहा है बल्कि रोष और विरोध के नए नए रूप स्वरूप भी पैदा कर रहा है। अलग अलग क्षेत्रों के लोग अपने अपने अंदाज़ में मोदी सरकार को बताने में लगे हैं कि यह कानून हमारे हक़ में नहीं हैं। इसी तरह का विरोध अभियान महाराष्ट्र में भी शुरू हुआ है। किसान विरोधी तीनों कानूनों के दुष्परिणामों की जनजागृती के लिये महाराष्ट्र में शुरू हुआ व्यापकअभियान तेज़ी से फैलता भी जा रहा है। इस सबंध में 6 जनवरी से 20 जनवरी तक चलने वाली पोलखोल यात्रा सरकार की पोल खोलने पर निकल पड़ी है। लोगों द्वारा दिखाया जा रहा है भरपूर उत्साह इसमें शामिल किसान समर्थकों के हौंसले लगातार बढ़ा रहा है। अपने पहले दिन अर्थात 6 जनवरी से ही यह पोल खोल यात्रा लगातार लोकप्रिय हो रही है। किसान आंदोलन के साथ साथ मोदी सरकार की अन्य नाकामियां भी इसी पोल खोल यात्रा में मंच पर बताई जा रही हैं। </p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4707475350660183475.post-61603366423873846292021-01-06T02:45:00.002+05:302021-01-07T19:34:37.936+05:30पूर्व सैनिकों ने रखी किसानों के समर्थन में भूख हड़ताल<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">कार्पोरेट समर्थकों के खिलाफ खुलकर आए किसान भी जवान भी</span></b> </p><p><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjneqrZAF6OtvUe449USbqnSkviJzoi6PsQgLEO87za4a3kYkBxneIj5N6rkcv8-N7ror0x_tH4Jm9t0o_9UjDdRecew1o-1HwDib1zZV1yWCzpZtgv0L5PWOdc7957KGcczvm-Bpz3qN0/s680/Ex+servicemen+at+hunger+strike.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="494" data-original-width="680" height="464" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjneqrZAF6OtvUe449USbqnSkviJzoi6PsQgLEO87za4a3kYkBxneIj5N6rkcv8-N7ror0x_tH4Jm9t0o_9UjDdRecew1o-1HwDib1zZV1yWCzpZtgv0L5PWOdc7957KGcczvm-Bpz3qN0/w640-h464/Ex+servicemen+at+hunger+strike.jpg" width="640" /></a></span></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe; font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="color: #2b00fe; font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">किसान मोर्चा</span>:<span style="color: #444444;">7 जनवरी 2020</span>: (<span style="color: #2b00fe;">इर्द गिर्द डेस्क</span>)::</div></span><p></p><p style="text-align: justify;">भारतीय जनता पार्टी, केंद्र सरकार और गोदी मीडिया की तरफ से किये जा रहे धुंआधार प्रचार को नाकाम बनाते हुए गाँवों से आए सीधेसादे किसान अपनी रणनीति के चलते लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनके साथी और सहयोगी लगातार शहीद हो रहे हैं। शहीदों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। तेज़ बरसात, बर्फीली हवा और इस तरह की तमाम दिक्क्तों के बावजूद किसानों के हौंसले बुलंद हैं। लखीमपुर उत्तरप्रदेश में रहनेवाले सक्रिय समाजसेवी <b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.facebook.com/groups/2174828076172112/user/100013553895209">अंजनी दीक्षित</a></span></b> ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी विशेष अभियान चलाया हुआ है और आम जनता भी इसी मकसद को लेकर सरगर्म हैं। उन्होंने <b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.facebook.com/groups/2174828076172112/?notif_id=1610025207724154&notif_t=group_r2j_approved&ref=notif">किसान आंदोलन दिल्ली 2020</a></span></b> नामक ग्रुप में भी एक विशेष पोस्ट डाली है जिसमें कुछ पूर्व सैनिक दिखाए गए हैं। यह पोस्ट वास्तव में हरियाणा के करनाल में रहने वाले <b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.facebook.com/dalvir.sandhu.77">दलवीर सिंह संधु</a></span></b> ने यह पोस्ट मंगलवार 5 जनवरी 2020 को बाद दोपहर 1:17 पर पोस्ट की थी। श्री दलवीर संधू भारतीय किसान यूनियन की घरोंदा इकाई के महासचिव भी हैं। उनकी इस पोस्ट को आगे बढ़ाया कई और किसान समर्थकों ने जिनमें लखीमपुर (यू पी) वाले <b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.facebook.com/groups/2174828076172112/user/100013553895209">अंजनी दीक्षित</a></span></b> साहिब भी एक हैं।</p><div style="text-align: justify;"><br /></div>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0