शुक्रवार, दिसंबर 02, 2022

विशेष लेख//पर्यटन पर्वः सब देखो अपना देश//अनिल दुबे

 विशेष सेवा और सुविधाएँ 13-October, 2017 13:56 IST

पर्यटन ही आसान रास्ता है प्रकृति से जुड़ने का 

नई दिल्ली: 2 दिसंबर 2022: (इर्द गिर्द डेस्क):: 

ज़िंदगी में रहते रहते प्राकृति के नज़दीक रहना, उसे जान लेना और उस के साथ अपनी सुर मिला लेना वास्तविक प्रसन्नता के लिए बहुत आवश्यक होता है। दूर दराज के रमणीय स्थानों पर घूमना इस मकसद के लिए बहुत ही अच्छा रहता है। पत्र सूचना कार्यालय के लिए अनिल दुबे ने यह आलेख कुछ वर्ष पहले लिखा था लेकिन यह आज भी बहुत प्रसंगिक है। लीजिए पढ़िए इस आलेख को पूरी तरह से। इस पर आपके विचारों की इंतज़ार भी बनी रहेगी और इसके साथ ही  आपकी अपनी लिखी रिपोर्ट्स/रचना/तस्वीरों और वीडियो इत्यादि की भी।  -संपादक//इर्द-गिर्द 


''सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िंदगानी फिर कहां,

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां ''

यह पंक्तियां घुमक्कड़ी, यायावरी, पर्यटन और यात्राओं के पूरे दर्शन को समाहित किए हुए है। पर्यटन आज दुनिया ही नहीं अब भारत में भी एक बड़ा उद्योग का दर्जा पा चुका है, लेकिन बीते हजारों वर्षों में दुनिया को जोड़ने, खोजने, समझने और साहित्य, कला संस्कृति के साथ विज्ञान को भी एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम भी यात्रियों व पर्यटकों ने ही किया है। कम से कम भारत जैसे विविधताओं और विभिन्नता वाले देश में पर्यटन ही एक ऐसा मजबूत माध्यम रहा है, जिससे विभिन्न संस्कृतियां एक दूसरे के नजदीक तेजी आयीं। विदेशों से भारत में आने वाले सैलानियों के साथ ही अब घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी भारी वृद्धि गत वर्षों में हुई है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से 5 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक शानदार पर्यटन पर्व मना रही है। इसके तहत 'देखो अपना देश', 'सभी के लिए पर्यटन' और 'पर्यटन एवं शासन व्यवस्था' जैसे लक्ष्यों को लेकर एक बड़ा अभियान शुरु किया गया है, जिसमें देश के पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच मौजूद सभी राज्यों में भव्य व विस्तृत कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

देश में  आम लोगों के लिए घुमक्कड़ी कोई शौक नहीं था, लेकिन आज घरेलू पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। देश में राहुल सांस्कृत्यायन भारत के बड़े यायावर अथवा यात्री थे, जिन्होंने पूरा जीवन दर्जनों देशों की यात्रा करने में बिताया. उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे राहुल ने अपने जीवन के 45 वर्ष भारत, तिब्बत, रूस, श्रीलंका, यूरोप और कई एशियाई देशों की दुर्गम यात्राओं में गुजारे थे। साथ ही उन्होंने यात्राओं के संस्मरण भी लिखे, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर  बन चुके हैं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो घूमने के शौकीनों के लिए किसी धर्म ग्रंथ से कम नहीं है।

यहां एक बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि पर्यटक और यात्री में फर्क होता है। पर्यटक उन्हीं चीजों को देखने जाता है, जिसके बारे में वह पहले से जानता है, लेकिन यात्री नये स्थलों को खोजता है और नई जानकारियां जुटाता है। अगर मार्को पोलो व वास्कोडिगामा जैसे यात्री ना होते तो  दुनिया के तमाम देशों को  दूसरे  अज्ञात देशों की जानकारी ना हो पाती। इसी तरह चीनी यात्रियों फाह्यान व ह्वेनसांग आदि की वजह से बौद्ध धर्म व प्राचीन भारतीय संस्कृति का संपर्क चीन के साथ हो सका। देश में उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ने और पश्चिम को पूर्वी भारत से जोड़ने का काम आजादी के बाद पर्यटन उद्योग ने ही किया। इन्हीं सब उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से देश में घूमने और उसकी विविधता को समझने का आह्वान किया था।

इसको ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन मंत्रालय ने 20 दिवसीय पर्यटन पर्व देशभर में मनाने का अभियान शुरू किया है। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ महेश शर्मा और केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के.जे. अल्फोंस ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे से पर्यटन पर्व का उद्घाटन किया, तो वही सभी राज्यों में 5 अक्टूबर से ही उन राज्यों के प्रमुख पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों पर  विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अभियान की शुरुआत हुई। राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार के 18 मंत्रालय भी इस पर्व में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत पर इस अभियान के जरिए विशेष जोर दिया जा रहा है। पर्यटन पर्व का समापन इंडिया गेट पर 25 अक्टूबर को होगा, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उपस्थित रहेंगे।

इस पर्व की खूबी यह भी है कि यह सिर्फ लोगों को घूमने-फिरने के बारे में जानकारी देने अथवा उन्हें प्रोत्साहित करने मात्र के लिए नहीं है। बल्कि इसके जरिए देश में तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन उद्योग में रोजगार के असीम अवसरों को पहचानना और युवाओं को इस रोजगार के प्रति आकर्षित कराना भी है. इसीलिए अल्फोंस ने अपने संबोधन में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि बढ़ते पर्यटन से लोगों को रोजगार देने और क्षेत्रीय विकास के नए अवसर पैदा होंगे। पर्व के दौरान रेलवे, सड़क परिवहन व शहरी विकास जैसे कई मंत्रालय पर्यटन स्थलों व उसके आस-पास के इलाकों में साफ सफाई को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। वहीं पर्यटन मंत्रालय ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटक स्थलों की साफ-सफाई का अभियान चलाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर ऐसे कार्यक्रम भी चला रहा है, जिससे लोगों को ऐतिहासिक स्थलों का महत्व पता चले और वह उनकी देखभाल व साफ- सफाई करने के लिए प्रेरित हों।

दुनिया में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि वर्ष 2016 में लगभग 123 करोड़ पर्यटकों ने विश्व भ्रमण किया। विश्व जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान 10.2% है. वहीं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का 9.6 प्रतिशत का योगदान है। देश में उपलब्ध रोजगार में से 9.3 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र से मिल रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए सैलानियों को 16 हवाई अड्डों पर ई-पर्यटक वीजा उपलब्ध कराने का काम पहले ही शुरू कर दिया गया था। इससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस वर्ष जनवरी से मार्च के सिर्फ 3 माह में 4.67 लाख विदेशी यात्री इ-वीजा के माध्यम से देश में आए।

पर्यटन पर्व के तीन प्रमुख बिंदु हैं, जिसमें देखो अपना देश, सभी के लिए पर्यटन और पर्यटन एवं शासन व्यवस्था पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर विभिन्न पर्यटन स्थलों के वीडियो, फोटोग्राफी और ब्लॉग लेखन की प्रतियोगिताएं की जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पर्यटकों की दृष्टि से भारत की गाथाओं का वर्णन किया जा रहा है। पर्यटन संबंधी प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, वाद-विवाद और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन राज्यों में हो रहा है। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटकों को लुभाने के लिए टेलीविजन द्वारा अभियान शुरू किया गया है। इसके अलावा सभी राज्यों में पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, नाटक और कथा वाचन का भी आयोजन हो रहा है। कार्यक्रम स्थलों पर पर्यटन प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें संस्कृति, खान-पान और हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन हो रहा है। साथ ही पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों व पक्षकारों के लिए भी कार्यशाला लगाई गई है।

अहमदाबाद में 5 से 25 अक्टूबर तक फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रकृति और वन्यजीव फोटोग्राफी की थीम रखी गई है। 'खुशबू गुजरात की' का विशेष आयोजन करने के अलावा जनजातीय उत्सव भी मनाया गया. महाराष्ट्र में 25 अक्टूबर तक राज्य के विभिन्न स्कूलों में वीडियो प्रदर्शनी व  महाराष्ट्र को खोजें विषय पर कई कार्यक्रम रखे गए हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, पंजाब,  बिहार और मध्य प्रदेश में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ विविध आयोजन किए जा रहे हैं।

रेलवे ने यात्रियों के लिए यात्रा सुखद करने के दृष्टिकोण से स्टेशनों  की विशेषता सज्जा की है इसी तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पर्यटन सर्किटों में सड़कों के किनारे जन सुविधाओं की शुरुआत करके कार्यक्रम में सहयोग किया है। इसके अलावा नागर विमानन मंत्रालय, वित्त, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, गृह,  वाणिज्य और विदेश मंत्रालय ने भी अपने अपने ढंग से पर्व में सहयोग किया है। इस पूरे पर्व के दौरान राज्य सरकारें और केंद्र सरकार के मंत्रालय सभी आयोजनों में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी करा रहे है। विशेष तौर पर युवाओं को इसमें जोड़ा गया है। पर्यटन उद्योग में रोजगार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर असीम संभावनाएं हैं और इसके लिए युवाओं को पर्व के दौरान जानकारी दी जाएगी। यही नहीं कई राज्यों में टैक्सी, ऑटो, रिक्शा चालकों, होटल व्यवसायियों व अन्य लोगों को पर्यटकों के साथ अच्छे व्यवहार करने व उनकी मदद करने  के तरीकों की भी जानकारी दी जा रही है। पर्व का यह पूरा अभियान भारत के पर्यटन उद्योग का परिदृश्य बदल देगा। इससे जहां घरेलू पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा, वही विदेशी सैलानियों को और अनुकूल वातावरण देश में उपलब्ध हो सकेगा।PIB

****   वीएल/पीकेए/एमबी-194


बुधवार, नवंबर 30, 2022

सरप्राईज़ सप्लाई की राहत के कुछ पल कैमरे की ज़ुबानी

 मोटरबोट में फंसे  नागरिकों को पहुंचे गई राहत सामग्री 


अदन की खाड़ी
: 30 नवंबर 2022: (अमेरिकी रक्षा विभाग के सौजन्य से इर्द गिर्द डेस्क)::

जब जंग लगी हुई हो तो बहुत कुछ बर्बाद कर देती है। बहुत कुछ उजाड़ देती है। बहुत से घरों और परिवारों को तबाह कर देती है। जंग का यही स्वभाव है। तबाही  निशाना रहती है। फिर भी कभी कभी जंग आवश्यक हो जाती है। इसे लड़े बिना गुज़ारा भी नहीं होता। इसलिए कोशिश रहती है जंग न ही छिड़े लेकिन कभी कभी दुश्म इसके लिए मजबूर कर देता है। जंग जैसी स्थितियां अक्सर कहीं न कहीं बनी ही रहती हैं। इन हालतों में भी जंग में काम करने वाले योद्धा लोग सक्रिय रहते हैं। आम नागरिकों का ध्यान रखते हैं और उन तक आवश्यक सामग्रियां पहुंचाते रहते हैं। जंग में  किस के लिए संकट आएगा इसका अंदाज़ा पहले से लगाना कई बार नामुमकिन जैसा ही होता है। इस तरह के अनिश्चित हालात में आम नागरिक कहीं न कहीं किसी न किसी कारणवश फंस ही जाते हैं। कई बार आम नागरिक ऐसी जगहों पर फंस जाते हैं जहां उनके पास न भोजन पहुँचता है, न ही पानी और न ही दवाएं। जंग लड़ने वाले योद्धा लोग आम नागरिकों तक बिना किसी भेदभाव के यह सब ज़रूरी सामग्रियां पहुंचाते ही रहते हैं। अमेरिकी सेना से जुड़े योद्धाओं ने एक मोटरबोट में फंसे हुए आम नागरिकों तक जब 29 नवंबर 2022 को राहत सामग्री पहुंचाई तो अमेरिकी रक्षा विभाग से जुड़े हुए उच्च अधिकारी Navy Petty Officer 2nd Class Cryton Vandiesal ने इन ख़ास क्षणों को तुरंत अपने कैमरे में उतार लिया।  सरप्राइज सप्लाई से जो राहत इन नागरिकों को मिली होगी उसका अनुमान आप इस तस्वीर को देख कर लगा ही सकजते हैं। लगा ही सकते हैं। यह तस्वीर अदन की खाड़ी में खींची गई थी। 

सोमवार, नवंबर 21, 2022

मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, आस-पास से ही खोज लेता हूं

प्रविष्टि तिथि: 21 NOV 2022 7:13PM by PIB Delhi

53वें इफ्फी की मास्टरक्लास में वी विजयेंद्र प्रसाद

जो अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है

दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्‍पन्‍न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है

गोवा: 21 नवंबर 2022: (पीआईबी//इर्दगिर्द)::

मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं।
कहानियां आपके आस-पास हैं, चाहे वह महाभारत, रामायण जैसे महाकाव्य हों या वास्तविक जीवन की घटनाएं, कहानियां हर जगह हैं। जरूरत बस आपको इन्‍हें अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत करने भर की है। यह बात बाहुबली, आरआरआर, बजरंगी भाईजान और मगधीरा जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के विख्‍यात पटकथा लेखक वी विजयेंद्र प्रसाद ने कही।

“दर्शकों में अपनी कहानी की 'भूख' उत्‍पन्‍न करने की कोशिश आपके भीतर रचनात्मकता जगाती है। मैं हमेशा अपनी कहानी और पात्रों के लिए दर्शकों के भीतर भूख उत्‍पन्‍न करने की कोशिश करता हूं और यही मुझे कुछ अनूठा और आकर्षक बनाने के लिए प्रेरित करता है।" ये विचार मास्टर कहानीकार ने व्‍यक्‍त किए। वह आज गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्‍सव के अवसर पर 'द मास्टर्स राइटिंग प्रोसेस' विषय पर एक मास्टरक्लास में फिल्म में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों को संबोधित कर रहे थे।

पटकथा लेखन की अपनी शैली के बारे में बताते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि वह हमेशा मध्‍यांतर के समय कहानी में मोड़ लाने के बारे में सोचते हैं और उसी के अनुसार अपनी कहानी को व्यवस्थित करते हैं। उन्‍होंने कहा, "आपको राई का पहाड़ बनाना होगा। आपको एक झूठ को इस तरह पेश करना होगा, कि वह सच जैसा लगे। जो व्यक्ति अच्छा झूठ बोल सकता है वह अच्छा कहानीकार हो सकता है।”

एक नवोदित कहानीकार के प्रश्‍न का जवाब देते हुए प्रसिद्ध कहानीकार ने कहा कि व्यक्ति को अपना दिमाग खुला रखना होगा और हर चीज को आत्मसात करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "आपको अपना सबसे कठोर आलोचक बनना होगा, तभी आपका सर्वश्रेष्ठ सामने आएगा और तभी आप अपने काम को असीमित ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।"

बाहुबली और आरआरआर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्‍मों के लिए लिखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए श्री प्रसाद ने कहा, “मैं कहानियां लिखता नहीं हूं, हमारे आस-पास ही कहानियां है जिन्हें मैं खोजता हूं। सब कुछ मेरे मन में है; कहानी का प्रवाह, पात्र, ट्विस्ट ”। उन्होंने कहा कि अच्छे लेखक को निर्देशक, निर्माता, प्रमुख नायक और दर्शकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। (PIB)

सत्र का संचालन फिल्म समीक्षक और पत्रकार मयंक शेखर ने किया।

**** एमजी/एएम/आरके/डीए--(रिलीज़ आईडी: 1877832)

शुक्रवार, जुलाई 29, 2022

विशेष सामग्री-हनुमानगढ़ जिले का धन्नासर

29th July 2022 at 01:38 PM

जो राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है 


हनुमानगढ़
: 29 जुलाई 2022: (इर्द-गिर्द//राजस्थान स्क्रीन)::

हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील का धन्नासर क्षेत्र राजस्थान में एडवेंचर टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है। धन्नासर के रेत के धोरे मोटर स्पोर्ट्स के दिग्गजों को सहर्ष ही आकर्षित करते हैं। जिले के 29 वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब की ओर से यहां ऑफरोडिंग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किए गए इस ऑफरोडिंग कार्यक्रम में देश के मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र के तीन दिग्गज खिलाड़ी सन्नी सिद्दू, सनम सेखो और गुरमीत विर्दी भी यहां पहुंचे और धन्नासर के धोरों पर एटीवी, पोलारिस समेत अन्य स्पोर्ट्स गाड़ियों के जरिए ऑफरोडिंग में जमकर धूम मचाई।

डेजर्ट स्ट्रोम के 7 बार और रेड हिमालया के एक बार चौंपियन रह चुके सन्नी सिद्धू बताते हैं कि हनुमानगढ़ की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है लिहाजा जिले का धन्नासर मोटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बड़ा हब बन सकता है। एटीवी रैली, कार रैली व गो कार्टिंग के चौंपियन रह चुके सनम सेखो ने धन्नासर के धोरों पर एटीवी के जरिए खूब धूम मचाई। उनकी एटीवी की स्पीड और उस पर जोरदार पकड़ ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। सेखो बताते हैं कि धन्नासर एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। यहां स्थानीय डेजर्ट रेडर्स क्लब ने मेहनत कर बहुत अच्छा ट्रेक बनाया है।वहीं देश में आरएफसी( रैन फोरेस्ट चौलेंज) के तीन बार चौंपियन रहे और मलेशियन आरएफसी के एकमात्र भारतीय चौंपियन रहे श्री गुरमीत विर्दी बताते हैं कि धन्नासर का ऑफरोडिंग ट्रेक बहुत ही चौलेंजिंग है। हमें यहां ऑफरोडिंग करके बहुत मजा आता है। नए ऑफरोडर भी यहां आकर स्टार्ट करें तो उन्हें अच्छा एक्सपीरियंस मिलेगा। 

जिले के मोटर स्पोर्ट्स से जुड़े "जर्ट रेडर्स क्लब" में हनुमानगढ़ के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और राजस्थान के अन्य जिलों के ऑफरोडर भी शामिल हैं। क्लब प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी) के नेतृत्व में यह क्लब पूरे अनुशासन के साथ मोटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए जुटा हुआ है। इसके सदस्य धन्नासर के धोरों पर वर्ष 2012-13 से ऑफरोडिंग की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं। क्लब के द्वारा वर्ष 2017 से तीन दिवसीय नेचर ड्राइव का आयोजन भी धन्नासर में प्रतिवर्ष दिसंबर के तीसरे वीकेंड पर किया जा रहा है। ताकि हनुमानगढ़ को पर्यटन मानचित्र पर एडवेंचर टूरिज्म के रूप में नई पहचान मिले।डेजर्स रेडर्स क्लब के प्रेसिडेंट गुरपिंदर सिंह (केपी )बताते हैं कि ये बड़े गर्व की बात है कि हनुमानगढ़ जिला स्थापना दिवस के अवसर पर धन्नासर में आयोजित ऑफरोडिंग में मोटर स्पोर्ट्स क्षेत्र में देश के तीन दिग्गज यहां आए। हम धन्नासर को मोटर स्पोर्ट्स के हब के रूप में विकसित करने को लेकर प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन भी हमें पूरा सपोर्ट कर रहा है। 

दरअसल ,धन्नासर में एक तरफ रेत के धोरे हैं तो दूसरी तरफ आपणी योजना के बड़े बड़े वाटर रिजर्वायर। तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित ने धन्नासर की इस खूबसूरती को देखते हुए पहली बार सभी जिला स्तरीय अधिकारियों की डीएलओ मीट का आयोजन भी यहां करवाया। उसके बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री जाकिर हुसैन ने जिला स्थापना दिवस पर यहां ऑफरोडिंग के अलावा विभिन्न खेलों का आयोजन करवाया। वर्तमान जिला कलेक्टर श्री नथमल डिडेल ने नेचर ड्राइव के आयोजन में पर्यटन विभाग का सपोर्ट दिलवाकर इसे मोटिवेट किया। साथ ही जैसलमेर के मरू महोत्सव, बीकानेर के केमल फेस्टिवल की तर्ज पर यहां धन्नासर में नेचर ड्राइव को जिले के एक बड़े आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। 

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- सुरेश बिश्नोई

जनसंपर्क अधिकारी, हनुमानगढ़

मंगलवार, जून 21, 2022

स्वस्थ जीवन पर विशेष//योग द्वारा टाइप-2 मधुमेह पर कारगर नियंत्रण

 Posted On: 16th June 2017 at 8:07 PM

 योगमय जीवन पर विशेष लेख                        *योगाचार्य डॉ. आनंद बालयोगी भवनानी   

पी आई बी के सौजन्य से योग साधना पर विशेष: 21 जून 2022: (इर्दगिर्द डेस्क)::

योग का आमूल विज्ञान एक बेहतरीन जीवनशैली है, जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि उसके द्वारा तनाव से उत्‍पन्‍न विकारों और जीवनशैली से उत्‍पन्‍न होने वाले मधुमेह जैसे विकारों को प्रभावशाली तरीके से दुरूस्‍त किया जा सकता है। आधुनिक अनुसंधानों से पता लगा है कि योग द्वारा मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ प्राप्‍त होते है। योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है (इन्‍स और विन्‍सेंट, 2007)।

लेखक डा. आनंद बालयोगी 

बताया गया है कि योग आधारित जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और तनाव कम करने के प्रयासों के जरिये हृदय रोग तथा मधुमेह के जोखिमों को 9 दिनों में ही कम किया जा सकता है (बिजलानी, 2005)। इसके अलावा 1980 और 2007 के बीच प्रकाशित होने वाले 32 आलेखों की समीक्षा से पता लगा है कि योग द्वारा वजन, रक्‍तचाप, शर्करा के स्‍तर और बढ़े हुये कोलेस्‍ट्रॉल को कम किया जा सकता है (यांग, 2007)।

अध्‍ययनों से पता लगा है कि मधुमेह के कारण शरीर की केन्‍द्रीय स्‍नायु तंत्र प्रणाली प्रभावित होती है। 6 सप्‍ताह की योग थेरेपी कार्यक्रम के जरिये मधुमेह के मरीजों में श्रवण प्रतिक्रिया समय में अभूतपूर्व कमी देखी गई है (मदनमोहन, 1984 : मदनमोहन, 2012)। यह भी प‍ता लगा है कि योग से स्‍नायु तंत्र में और मधुमेह के मरीजों के बायो-कैमिकल प्रोफाइल में सुधार होता है।

योगाभ्‍यास से मधुमेह के रखरखाव और उसकी रोकथाम में सहायता होती है तथा उच्‍च रक्‍तचाप और डिसलिपिडेमिया जैसी परिस्थितियों से बचाव होता है। लंबे समय तक योगाभ्‍यास करने से इन्‍सुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और शरीर के वजन या कमर के घेरे तथा इन्‍सुलिन संवेदनशीलता के बीच का नकारात्‍मक संबंध घट जाता है (छाया, 2008)।  

योग का कोई साइफ इफेक्ट नहीं है। इसके कई संपार्श्विक लाभ हैं। यह इतना सुरक्षित और आसान है कि इसे बीमार, बुजुर्ग और दिव्यांग भी कर सकते हैं। सुरक्षित, साधारण और आर्थिक रूप से किफायती थेरेपी होने के चलते इसे मधुमेह रोगियों के लिए काफी सहायक माना गया है।

इन्स और विन्सेन्ट (2007) की एक व्यापक समीक्षा ने इससे कई जोखिम सूचकों में लाभदायक बदलाव पाए जैसे ग्लूकोस सहिष्णुता, इंसुलिन संवेदनशीलता, लिपिड प्रोफाइल, एन्थ्रोपोमेट्रिक विशेषताओं, रक्तचाप, ऑक्सीडेटिव तनाव,  कोग्यूलेशन प्रोफाइल, सिम्पेथेटिक एक्टिवेशन और पलमोनरी फंक्शन में इसे काफी फायदेमंद पाया गया। उन्होंने सुझाव दिया है कि योग व्यस्कों में टाइफ 2 डीएम के साथ जोखिम कर करता है। इसके अलावा हृदय संबंधी जटिलताओं की रोकथाम और प्रबंधन के लिए भी यह काफी फायदेमंद है।

इस तरह से योग टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस और इससे जुड़ी जटिलताओं की स्थिति में जोखिम कम करने में मदद कर सकता है

पुरानी बीमारियों को रोकने और उसे नियंत्रित करने में भी योग काफी मददगार साबित हो सकता है। जनसमूह के स्वास्थ्य में सुधार के लिए योग एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। योग में बीमारी को बढ़ने से रोकने की क्षमता है और यदि इसे जल्द शुरू किया जाए तो ये इलाज को भी प्रभावित करता है (भवनानी, 2013)।

डीएएम के प्रबंधन में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी योग सिद्धांतों में शामिल हैं:

मनोवैज्ञानिक पुनर्स्थापन और यम-नियम, चुतर्भावना, प्रतिपक्ष भावानाम आदि दृष्टिकोणों के विकास।

काउंसलिंग, जाथी, आसन, क्रिया, प्रणायाम से तनाव प्रबंधन

सूर्य नमस्कार, आसन, क्रिया और प्रणायाम जैसी शारीरिक गतिविधि के माध्यम से ग्लूकोज को बेहतर बनाने में मदद करना

मधुमेह के लिए योग थेरेपीः

मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करने में योग एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। योग का महत्त्व उन लोगों के लिए और महत्त्वपूर्ण हैं जो द्वितीय प्रकार या गैर इनसोलिन मधुमेह से पीड़ित है। यह एसे लोगो को अधिक प्रभावी ढंग से उपचार करने में मदद करता है। योग को अगर नियमित रुप से दिनचर्या में शामिल किया जाए तो इससे बीमारियों पर रोकथाम के साथ-साथ वजन कम करने में मदद मिलती है।

नियमित रुप से व्यायामः नियमित रूप से व्यायाम करने से अतिरिक्त ब्लड शुगर का उपयोग करने में मदद मिलता है। जितना संभव हो सके पैदल चलना चाहिएं या और योग थेरेपी के लिए तराकी भी एक बेहतर उपाय है।

खान-पान पर नियंत्रणः

नियमित रुप से कार्बोहाइड्रेट के साथ हल्का भोजन

रिफाइंड से बने खाद्य पदार्थों और जंक फूड से बचें

हरी सब्जी सलाद, करेला और नीम का सेवन करें

पानी की भरपूर मात्रा लें

सूर्यनमस्कारः तीन या छः बार सूर्य नमस्कार करने से शर्करा का स्तर कम हो जाता है। और इससे वजन को कम करने में भी मदद मिलती है।

योगा आसनः

कमर का आसनः

खड़े होकरः त्रिकोण आसन, अर्ध कटी चक्रासन

बैठकरः वक्रासन, अर्ध मत्सयेंद्र, भारतवाजा आसन, शशांग आसन

झुककरः जात्र परिवर्तन आसन

पेट के बल आसनः

बैठकरः उत्कट आसन, जानु सिरासा आसन, पश्चिमोत्तन आसन, नवा आसन, योग मुद्रा आसन, स्तम्बम आसन और मयूर आसन

झुककरः पवन मुक्त आसन, धनुर आसन, भुजंग आसन, शलभ आसन, नौका आसन

पीठ के बल लेट कर किए जाने वाले आसनः सर्वांग आसन, जानो सिरसा इन सर्वांग आसन, कर्णपीडी आसन, और हाला आसन

प्रणायामः

एडम प्रणायाम और एएए ध्वनि के साथ विभागा और प्रणव प्रणायाम।

भाषत्रिका प्रणायाम रक्त शर्करा को बेहतर करने में मदद करता है।

तानाव में कमी के लिए सावित्री प्रणायाम, चन्द्र अनुलोम प्रणायाम, नाडी शुद्धि प्रणायाम।

मुद्रा और बंधनः

विपारिता कारिणी और महामुद्रा।

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    उद्यियना, मूल और जालंधरा बंध।

आसानः शैव आसन, मकरा आसान, काया क्रिया और योगनिद्रा

ध्यानः ओम जाप, अजाप जाप, प्राण दर्शन और प्रणव ध्यान। (PIB) 

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लेखक अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षा और अनुसंधान केन्द्र, पुदुचेरी के अध्यक्ष हैं।

यह लेखक के निजी विचार हैं।  

 वीके/पीवी/एपी/केजे/सीएल/जीआरएस – 98

शुक्रवार, अप्रैल 29, 2022

हम ऐसे इंसान बनेंगे कब किस दिन?

क्या रहस्य है हिमांशु कुमार जी के चेहरे की शांति और चमक का 


लुधियाना: 29 अप्रैल 2022: (रेक्टर कथूरिया//इर्दगिर्द डेस्क)::

कुछ बरस पूर्व हिमांशु कुमार जी लुधियाना में थे। किसी पत्रकार सम्मेलन के संबंध में आए थे। पत्रकारों के हर सवाल का जवाब उन्होंने बहुत ही शांति से दिया था। हर पहलू को अपने नज़रिए से बहुत ही बारीकी से रखा था। यह मेरी खुशकिस्मती थी कि उनके पास बैठने और उनसे बातें करने के कुछ पल मुझे अन्य लोगों से ज़्यादा मिल गए थे क्यूंकि मैं निश्चित समय से कुछ पहले ही वहां पहुँच गया था। उनके पास बैठ कर एक स्कून का अहसास होता। उनका चेहरा और उस पर असीम शांति का प्रभाव उनकी वाणी और बातों से ज़्यादा बोलता था। मौन रह कर भी वे मुस्कराते हुए बहुत कुछ ऐसा कह जाते जिन्हें शब्दों में बताना मुश्किल सा है। उनके पास बैठ कर प्रकृति के पास बैठने जैसा अहसास होता। उनके सामीप्य में एक निडरता और निर्भयता का अहसास होता। एक गहन शांति सी मिलती। उनके चेहरे पर भी एक खास चमक थी और आँखों में भी। आज उनकी एक पोस्ट देखी तो कुछ कुछ समझ में आया कि यह शांति और चमक कहां से आ रही थी। --रेक्टर कथूरिया 


हिमांशु कुमार जी अपने लाईफ स्टाईल की जानकारी देते हुए बताते हैं:

जब हम आदिवासियों के पक्ष में आवाज़ उठाते हैं, तो बहुत से खाते पीते मौज की ज़िन्दगी जीने वाले सवर्ण हमसे कहते हैं कि तुम लोग विदेशी एजेंट हो, डालर से चंदा लेते हो, हवाई जहाज से घूमते हो सरकार के बारे में झूठा प्रचार करते हो, और आदिवासियों का विकास रोकते हो, तुम लोग विकास विरोधी हो आदि आदि। 

तो कुछ बातें साफ़ साफ़ बता दूं, मेरा कोई एनजीओ नहीं है, मैं किसी भी संगठन का सदस्य नहीं हूँ, मैं डालर, पाऊंड, रूबल या रूपये में किसी से चंदा नहीं लेता,मैं अनुवाद का काम करता हूँ, तथा लेख लिखता हूँ और अपना परिवार का काम चलाता हूँ। 

पहले छत्तीसगढ़ में संस्था के आश्रम में रहता था। वहाँ से निकलने के बाद दिल्ली में रहा लेकिन दिल्ली में ज्यादा खर्च होता था इसलिए अब हिमाचल के एक गांव में रहता हूँ. ताकि कम खर्च में गुज़ारा हो जाए। 

मेरी दो बेटियाँ हैं दोनों घर पर पढ़ती हैं उनका स्कूल कालेज का कोई खर्चा नहीं है। हम सभी शाकाहारी हैं सस्ता गांव का चावल और सब्जियां खाते हैं, एसी कूलर की ज़रूरत नहीं है। 

मेरे नाम से पूरी दुनिया में कोई ज़मीन नहीं है, मेरा कोई मकान नहीं है, ना ही मैंने किसी दुसरे के नाम से कोई ज़मीन मकान कभी खरीदा है क्योंकि कभी मेरे पास इतना पैसा रहा ही नहीं। मैं हमेशा किराए के मकान में रहा हूँ।

मैं किसी का अनुयायी नहीं हूँ ना गांधी का ना मार्क्स का ना अम्बेडकर या किसी और का,मैं इन सभी के अच्छे विचारों से प्रेरणा ज़रूर लेता हूँ। मैं एक मुक्त इंसान हूँ, मेरे दोस्त न्याय की लड़ाई लड़ने वाले दलित आदिवासी, अल्पसंख्यक हैं। 

मैं अपने जन्म से मिली जाति धर्म सम्प्रदाय और राष्ट्र के नकली गर्व को छोड़ चूका हूँ, मैं अपने खुद के धर्म की तलाश में हूँ अभी तक मुझे यही समझ में आया है कि मैं सत्ता के दमन का विरोध और पीड़ित की मदद करूं यही मेरे लिए सबसे अच्छा धर्म है।  

सभी सरकारें मुझे नापसंद करती रही हैं कांग्रेस की भी और भाजपा की भी। मेरे लिखने और पीड़ितों की मदद करने के कारण मुझे कभी भी जेल में डाला जा सकता है या मेरी हत्या करी जा सकती है। 

मुझे अब तक के जीवन पर पूरा संतोष है। मैं सदैव उत्साह और खुशी से भरा रहता हूँ मेरे मन पर कोई बोझ नहीं है। मुझे शान्ति प्राप्त करने के लिए किसी गुरु या ईश्वर की कोई ज़रूरत महसूस नहीं होती। 

मेरे लिए ये दुनिया बहुत आश्चर्यजनक जगह है मैं रोज़ इसमें एक उत्सुक बच्चे की तरह जागता हूँ और दिन भर उत्साह से भरा रहता हूँ। मेरे ज्यादातर दोस्त मेरी ही तरह के लोग हैं मैं उनकी संगत में बहुत आनन्द से जी रहा हूँ। 

बुधवार, फ़रवरी 16, 2022

बहुत दम है इन जांबाज़ लेकिन वफादार कुत्तों में

अमेरिकी सेना: कदम से कदम मिला कर चलते चार पैरों वाले फाईटर


इंटरनेट वर्ल्ड
: 16 फरवरी 2022: (इर्दगिर्द के लिए कार्तिका सिंह की खोज)::

बहुत सी हिंदी फिल्मों में जानवरों और इंसानों का प्रेम और हमदर्दी शिद्द्त से दिखाया गया है। किसी में हाथी से दोस्ती,  किसी में बंदर से, किसी में कुत्ते से और कहीं कहीं और मिसालें भी हैं। ऐसी बहुत सी फ़िल्में हैं जिनमें जानवर अपनी सीमाओं से विकास करते करते बल्कि उनसे भी कहीं पार जा कर इंसान की सहायता करते हैं। उनके लिए बाकायदा ज़िंदगी  के संघर्ष में भाग लेते हैं। इस तरह की मिसालें केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी हैं। आम लोगों के साथ साथ सेना में भी कुत्तों पर विशेष ध्यान दिया जाता है और उन्हें बाकायदा महंगी ट्रेनिंग दी जाती है। 

अमेरिकी सेना में जो ट्रेनिंग प्रोग्राम चलते हैं उनमें इस तरह एकमात्र नस्ल बेल्जियम मालिनोइस भी है जिसे उनकी उच्च ऊर्जा, मजबूत खोजी, प्रशिक्षण क्षमता, चपलता, गति, ड्राइव, कार्य नैतिकता, वफादारी और जब आवश्यक हो, उग्रवादियों के कारण सेना के लिए उसके दुश्मनों के साथ सख्त से सख्त जंग भी लड़नी। इसे इस दिशा में आदर्श माना जाता है। वे जर्मन शेफर्ड से मिलते जुलते हैं, लेकिन वास्तव में उनसे भी कहीं अधिक कॉम्पैक्ट हैं।

सूंघना, पहचान लेना, भाग कर पकड़ लेना जैसी इनकी बहुत सी खूबियां हैं। आग हो या पानी बस इसे आदेश की इंतज़ार रहती है। सड़क का सफर हो जा ट्रेन का या हवाज़ी जहाज़ का इसे कभी डर नहीं लगता। इसे सेना की महंगी ट्रेनिंग से पूरी तरह तैयार किया जाता है। इसमें हर आपातकाल से निपटने की पूरी तरह से क्षमता है। यह तस्वीरें और जानकारी अमेरिक रक्षा विभाग से साभार ली गई है। 

अमेरिकी सेना में कदम से कदम मिला कर चलते चार पैरों  वाले फाईटर