शुक्रवार, अप्रैल 10, 2020

जो परिवार चटनी के साथ चावल मिलाकर खाता है

अब सोचिये वो सेनिटाइजर कहाँ से खरीदेगा !
लॉक डाउन आवश्यक था। लॉक डाउन आवश्यक है। इसी से लड़ा जा सकेगा कोरोना के साथ। इस लड़ाई में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसके साथ ही आवश्यक है उन सवालों की चर्चा जिनकी चिंता न किसी राजनीतिक दल ने की और न ही किसी समाजिक संगठन ने। इन सवालों को उठाया है डा. अनुराग आर्य ने। आप भी देखिये ज़रा एक नज़र:
सोशल मीडिया//फेसबुक: शुक्रवार:10 अप्रैल 2020: 10:45 AM:: (इर्द गिर्द डेस्क की प्रस्तुति)
जो परिवार चटनी के साथ चावल मिलाकर इसलिए खाता है क्योंकि इस समय मसालों के लिये उसके पास पैसे नही है। अब सोचिये वो सेनिटाइजर कहाँ से खरीदेगा।
सेनिटाइजर उसके लिए लक्ज़री है। एक बड़ी आबादी के पास पीने और इस्तेमाल करने के लिये साफ पानी नही है उनसे हम कैसे कहेगे के साबुन से हाथ 20 सेकंड तक धोते रहिये। दूर गांव कस्बो के दिहाड़ी मजदूरो के आंकड़े देखने की जरूरत नही है।
अपनी कालोनी के बाहर बैठे चौकीदार को देखिए ,फल सब्जी बेचते लोगो को देखिए इस पेंडेमिक ने इनके जीवन पर कितना असर डाला होगा । रिक्शा ,ऑटोरिक्शा ना जाने कितने लोग।
ऑस्ट्रेलिया से मेरा दोस्त जब पेंडेमिक में वहां की टेस्टिंग की गाइडलाइन की बात करता है ,मैं कालोनी की गली में टहलते टहलते मुंह पर मास्क बंधे चौकीदार को देखता हूँ उससे कहता हूं यहां दूसरी बड़ी चुनोतियाँ है जिसका भारत जैसे और कई देशों को सामना करना है।
असंगठित क्षेत्रो में दिहाड़ी मजदूर की संख्या आप इमेजिन नही कर सकते ,ऐसे समय मे जब निजी उद्योग वाला भी लगातार दूसरे महीने अपने उधोग और कर्मचारियों की तनख्वाह को लेकर थोड़ा चिंतित हुआ हैं। मजदूरो की क्या हालत होगी आप सोचिये।

हम कहते है ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गो को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है ।हमारे यहां के कुपोषित बच्चों और टी बी ग्रस्त आबादी के बारे में सोचिये ,एक कमरे में बसर करते 6 लोगो के बारे में के उन्हें कैसे बतायेगे सोशल डिस्टेंसिंग क्या है ?
तो क्या केवल पैसे वाले लोग सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट की लड़ाई देर तक लड़ेंगे गर पेंडेमिक उसी इंफेक्टिविटी से इस देश मे आया तो ।
लेखक:डा. अनुराग आर्य 
मैं आंकड़ो और ग्राफ से बहुत सी डिटेल आपके सामने बात को अधिक प्रभावी बनाने के लिए रख देता पर वो महत्वपूर्ण नही है ,महत्वपूर्ण था ये बात आपको बताना।
P.S -ब्रिटेन की 32 साल की एक डॉक्टर कहती है उसने रेड कलर के शूज़ अपने आप को" चीयर" करने के लिये पहने है क्योंकी उस पर हस्पताल ने ये जिम्मेदारी दी है के वो लोगो को बताये के कहाँ म्रत्यु का सामना करना पसंद करेंगे घर पर या अस्पताल में। वो बाथरूम में जाकर रो रो कर थक गई है।

मेरे पास मरीज़ों की, डॉक्टर की कई नई कहानियां है पर मैं उन्हें आज दोहराना नही चाहता इसलिए कुछ उम्मीदों की तस्वीरें लगा रहा हूँ। कुछ के नीचे उनकी डिटेल है। 
डा. अनुराग आर्य की फेसबुक Wall से साभार 
(लॉक डाउन की तस्वीर पत्रकार संतोष पाठक ने 10 अप्रैल 2020 को बाद दोपहर खींची)

मंगलवार, अप्रैल 07, 2020

सीरिया:अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन करने में विफल रहे युद्धरत पक्ष

लड़ाई के दौरान अस्पतालों और नागरिक प्रतिष्ठानों को नहीं बख़्शा गय
कोरोना के दौर में भी मानवाधिकारों के उलंघन पर नज़र//6 अप्रैल 2020//मानवाधिकार
सीरिया में दसवें साल में प्रवेश कर चुके बर्बर गृहयुद्ध में शामिल पक्ष अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत तय दायित्वों को पूरा कर पाने में विफल रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को सीरिया में बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी की रिपोर्ट के सारांश की जानकारी देते हुए बताया कि लड़ाई के दौरान अस्पतालों और नागरिक प्रतिष्ठानों को नहीं बख़्शा गया है। महासचिव ने बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी द्वारा तैयार 185 पन्नों की एक रिपोर्ट का सारांश सुरक्षा परिषद को भेजा है।
यह बोर्ड 1 अगस्त 2019 को पश्चिमोत्तर सीरिया में संयुक्त राष्ट्र की मदद प्राप्त राहत केंद्रों और अन्य नागरिक प्रतिष्ठानों के हमले में निशाना बनाए जाने के बाद स्थापित किया गया था। 
ये हमले उन स्थानों पर किए गए जो उस सूची में शामिल हैं जिनमें उल्लेखित स्थानों को सैन्य ठिकानों के रूप में निशाना नहीं बनाया जा सकता क्योंकि वे या तो स्वास्थ्य केंद्र हैं या फिर पूरी तरह से नागरिक प्रतिष्ठान हैं, या फिर संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित हैं।
महासचिव गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में कहा है कि पश्चिमोत्तर सीरिया में असैनिक व मानवीय राहत स्थलों पर लड़ाई के प्रभाव स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों का पालन करने का ध्यान दिलाते हैं। 
युद्ध के दौरान आम नागरिकों व लड़ाकों, नागरिक प्रतिष्ठानों और सैन्य ठिकानों के बीच भेद करना अनिवार्य है और सैनिक ठिकानों व लड़ाकों पर ही हमले किए जा सकते हैं।
लेकिन महासचिव ने बताया है कि अनेक रिपोर्टों के मुताबिक संबंधित पक्ष इसका पालन करने में विफल रहे।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए सदस्य देशों द्वारा उठाए जाने वाले क़दम अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों, मानवाधिकार क़ानूनों और शरणार्थी क़ानूनों के अनुरूप होने चाहिए। 
बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी में तीन सदस्य शामिल थे और इसकी अध्यक्षता नाइजीरिया के रिटायर्ड लैफ़्टिनेंट चिकिबिदिया ओबियाकोर ने की थी। 
17 सितंबर 2018 को रूस और तुर्की ने इदलिब में हालात को स्थिर बनाने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। 
पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब प्रांत में विद्रोही गुट सक्रिय हैं। 
इस सहमति पत्र के बाद भी अनेक घटनाएं सामने आई थीं जिनके बाद जॉंच के लिए बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी का गठन किया गया। 
अपनी रिपोर्ट और उसमें उल्लेखित सिफ़ारिशें यूएन महासचिव को एक ऐसा आधार प्रदान करती है जिसकी मदद से संगठन के मानवीय राहत संसाधनों की बेहतर सुरक्षा व प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उपायों की शिनाख़्त की जा सकती है।  
रिपोर्ट तैयार करते समय बोर्ड ऑफ़ इन्क्वयारी ने कोई क़ानूनी निष्कर्ष नहीं पेश किए हैं और ना ही क़ानूनी दायित्वों से संबंधित सवालों पर विचार किया है। 
लेकिन रिपोर्ट के सारांश के मुताबिक जिन स्थलों का जायज़ा लेने के लिए कहा गया था उनमें से किसी भी स्थान पर जाने में बोर्ड असमर्थ साबित हुआ क्योंकि इसके लिए सीरिया सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी। 
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व संस्थाओं, ग़ैर-सरकारी संगठनों, प्रत्यक्षदर्शियों और सैटेलाइट तस्वीरों सहित अन्य स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर छह अलग-अलग स्थानों पर हुए हमलों को विस्तार से समझने का प्रयास किया गया है।  
बोर्ड ने बताया कि अब मिली सूचना की पृष्ठभूमि में कहा जा सकता है कि 3 मई 2019 को इदलिब गवर्नरेट के रकाया प्राथमिक चिकित्सा देखभाल केंद्र पर हमले के पीछे सीरियाई सरकारी सुरक्षा बलों का हाथ होने की प्रबल संभावना है।  
उन्होंने कहा कि यह संभव है कि हमा गवर्नरेट के कफ़्र नबूथा में एक स्वास्थ्य केंद्र पर 7 मई 2019 को हुए हमले में क्षतिग्रस्त होने के पीछे सरकार और उसके साझीदारों का हाथ है।   
14 मई 2019 को एलेप्पो एयरपोर्ट के पास नायराब फ़लस्तीनी शरणार्थी कैंप पर हमले में 11 लोगों की मौत हुई थी और 29 लोग घायल हुए थे। 
बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी ने संभावना जताई है कि ये हमले या तो हथियारबंद विरोधी गुटों द्वारा किए गए थे या फिर इन्हें चरमपंथी गुट हयात तहरीर अल-शाम ने अंजाम दिया था जिसे सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है।   
बोर्ड के मुताबिक इदलिब गवर्नरेट के कफ़्र नोबोल सर्जिकल अस्पताल के 4 जुलाई 2019 को क्षतिग्रस्त होने की वजह सरकार और उसके साथियों द्वारा कार्रवाई हो सकती है। 
इसकी ‘प्रबल संभावना’ जताई गई है लेकिन इस संबंध में पुख़्ता सबूत उपलब्ध नहीं हैं।    
बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी बताती है कि इसकी संभावना प्रबल है कि इदलिब गर्वनरेट में एक बाल संरक्षण केंद्र पर 28 जुलाई 2019 को हमला सरकार या उसके समर्थकों द्वारा किया गया था। 
बोर्ड ने ज़ोर देकर कहा है कि पर्याप्त सबूतों के अभाव में किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। 
बोर्ड ऑफ़ इन्क्वायरी ने हमा गर्वनरेट में अस-सुक़िलाबियाह में राष्ट्रीय अस्पताल पर 26 मई 2019 को हुई सातवीं घटना का निरीक्षण नहीं किया है। 
ना तो यह संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल है और ना ही उसे संगठन से समर्थन प्राप्त है।