गुरुवार, अप्रैल 25, 2019

नाटक विवाद को लेकर बजरंग दल क़ानूनी लड़ाई को भी तैयार

वकीलों ने कहा-हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवाएंगे 
लुधियाना: 25 अप्रैल 2019: (इर्द गिर्द डेस्क):: 
कुछ दिन पहले यहाँ के सतीश चंद्र धवन कालेज  की एलुमनी मीट के दौरान करवाए गए एक नाटक का विवाद और गहराता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मराठी लेखिका रसिका अगाशे के इस लोक प्रिय नाटक "म्यूज़ियम" में कुछ ऐसे नाटक हैं जिन पर हिन्दू संगठन बजरंग दल ने ऐतराज़ उठाया है। बजरंग दल का कहना है कि हम अपने देवी -देवताओं के अपमान को सहन नहीं करेंगे। इसी मुद्दे को लेकर ये लोग पुलिस के पास गए थे। थाना डिवीजन नंबर 8 ने 295A ए के तहत प्रिंसिपल धर्म सिंह संधू, प्रोफेसर  संधू, नीलम भारद्वाज और 12 स्टूडेंट पर मामला दर्ज किया गया। बजरंग दाल के स्थानीय प्रमुख चेतन मल्होत्रा के मुताबिक इस मामले का ऍफ़ आई आर नंबर 0118 है। बजरंफ दल के मुताबिक आज गुरुवार को नीलम द्धारा सैशन कोर्ट में बेल की अर्जी दी गयी। बजरंग दल का कहना है कि यह अर्ज़ी झूठ के आधार पर थी इस लिए अर्ज़ी देने वालों की पराजय भी निश्चित थी। इस मुद्दे में संगठन की ओर से  एडवोकेट मुनीश मित्तल, एडवोकेट राहुल रल्हन, एडवोकेट गौतम कमल मित्तल की तरफ से मामले की पैरवी की गयी। बजरंग  दल का कहना है कि हमारे दवाब को देखते ही आरोपी के वकील ने बेल की अर्जी वापिस ली।
इसी बीच डवोकेट मुनीश मित्तल और एडवोकेट राहुल रल्हन ने कहा कि हम आरोपियो को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे। अब देखना है कानून क्या रास्ता अख्तियार करता है। 

बुधवार, अप्रैल 24, 2019

मतदान का उत्साह गोवा में भी दिखा

चुनावी स्याही दिखाती हुईं कुछ महिला वोटर 
मोरमुगाओ: 23 अप्रैल 2019:(पीआईबी//इर्द गिर्द)::
कोई बच्चा अगर एक मिटटी का घर भी बनता है तो उसे बेहद प्रसन्नता होती है। मन में एक नया उत्साह सा होता है और चेहरे पर चमक। जब किसी बालग व्यक्ति ने पूरे देश के निर्माण में अपना मतदान करके  तो उस की ख़ुशी का अनुमान लगाना कठिन न होगा। इस ख़ुशी को देखा जा सकता है गोवा में इन महिला मतदाताओं के चेहरों पर। तस्वीर में आप देख सकते हैं। आम चुनाव-2019 के तीसरे चरण के दौरान 23 अप्रैल, 2019 को गोवा में वास्को डी गामा के मोरमुगाओ में एक मतदान केन्द्र पर कुछ महिला मतदाता वोट डालने के बाद चुनावी स्याही दिखाती हुईं।  

मंगलवार, अप्रैल 23, 2019

डॉ. हेडगेवार- भारत के परिवर्तन के वास्तुकार//*तरुण विजय


Posted On: 01 APR 2017 1:23PM
    एक महान व्‍यक्ति की अविश्‍वसनीय गाथा                  यदि हमें किसी ऐसे व्‍यक्तित्‍व का चयन करना हो, जिनके जीवन और संगठनात्‍मक क्षमता ने किसी औसत भारतीय के जीवन को सर्वाधिक प्रभावित किया हो, वह व्‍यक्तित्‍व निर्विवाद रूप से डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार होंगे।

साभार चित्र 

नागपुर में 1889 में हिंदू नव वर्ष (1 अप्रैल)  को जन्‍में, डॉ हेडगेवार आगे चलकर राष्‍ट्र की हिंदू सभ्‍यता से संबंधित विरासत के प्रति सुस्‍पष्‍ट गौरवयुक्‍त आधुनिक सर्वशक्तिमान भारत के वास्‍तुकार बनें।
यह एक ऐसे महान व्‍यक्ति की अविश्‍वसनीय गाथा है, जो समर्पित युवाओं की एक ऐसी नई व्‍यवस्‍था के साथ समाज में परिवर्तन लाने में सफल रहा, जिसका प्रसार आज - तवांग से लेकर लेह तक और ओकहा से लेकर अंडमान तक भारत के कोने-कोने में देखा जा रहा है।
लेखक-तरुण विजय 
उन्‍होंने 1925 में विजय दशमी के अवसर पर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्‍थापना की थी, लेकिन इसे यह नाम एक वर्ष बाद दिया गया। इस संगठन के बारे में पहली घोषणा एक साधारण वाक्‍य - ‘’मैं आज संघ (संगठन) की स्‍थापना की घोषणा करता हूं‘’  के साथ की गई। इस संगठन को आरएसएस का नाम साल भर के गहन वि‍चार-विमर्श और अनेक सुझावों के बाद दिया गया, जिनमें - भारत उद्धारक मंडल (जिसका अस्‍पष्‍ट अनुवाद- भारत को पुनर्जीवित करने वाला समाज) और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ शामिल थे। इसका प्रमुख उद्देश्‍य आंतरिक झगड़ों का शिकार न बनने वाले समाज की रचना करना और एकजुटता कायम करना था, ताकि भविष्‍य में कोई भी हमें अपना गुलाम न बना सके। इससे पहले वे कांग्रेस के सक्रिय सदस्‍य और कांग्रेस के प्रसिद्ध नागपुर अधिवेशन के आयोजन के सह-प्रभारी रह चुके थे। उन्‍होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया था और  आजादी के लिए जोशीले भाषण देने के कारण उन्‍हें एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह अनुशीलन समिति के क्रांतिकारियों और उसके नेता पुलिन बिहारी बोस के साथ संबंधों के कारण भी ब्रिटेन के निशाने पर  थे।
लेकिन उन्‍हें अधिक प्रसिद्धि नहीं मिली और उनके जीवन के बारे में उन लोगों से भी कम जाना गया, जिनको उन्‍होंने सांचे में ढाला था और जो आगे चलकर अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जानी-मानी हस्तियां बनें। आज भारत में अगर किसी संगठन द्वारा सेवाओं और परियोजनाओं का विशालतम नेटवर्क संचालित किया जा रहा है, तो वह संभवत: आरएसएस – डॉ. हेडगेवार से प्ररेणा प्राप्‍त लोगों द्वारा संचालित जा रहा नेटवर्क ही है। इन परियोजनाओं की संख्‍या एक लाख 70 हजार है, जिनमें अस्‍पताल, ब्‍लड बैंक, आइ बैंक, दिव्‍यांगों, दृष्टि बाधितों और थेलेसीमिया से पीडि़त बच्‍चों  की सहायता के लिए विशेष केंद्र शामिल हैं। चाहे युद्ध काल हो या प्राकृतिक आपदा की घड़ी- हेडगेवार के समर्थक मौके पर सबसे पहले पहुंचते हैं और राहत पहुंचाते हैं। चाहे चरखी दादरी विमान दुर्घटना हो, त्‍सुनामी, भुज, उत्‍तरकाशी भूकम्‍प या केदारनाथ त्रासदी हो- आरएसएस के स्‍वयंसेवक पीडि़तों की मदद के लिए और बाद में पुनर्वास के कार्यों में भी सबसे आगे रहते हैं।
यह सत्‍य है कि भाजपा अपने नैतिक बल के लिए आरएसएस की ऋणी है और उसके बहुत से नेता स्‍वयंसेवक हैं, तो भी भारतीय समाज पर डॉ. हेडगेवार के प्रभाव का आकलन केवल भाजपा के राजनीतिक प्रसार से करना, उसे बहुत कम करके आंकना होगा। भारत-म्‍यांमार सीमा के अंतिम छोर पर बसे गांव – मोरेह को ही लीजिए- वहां स्‍कूल कौन चला रहा है और स्‍थानीय ग्रामीणों को दवाइयां कौन उपलब्‍ध करवा रहा है ? ये वे लोग हैं, जो डॉ. हेडगेवार के विज़न से प्रेरित हैं। इसी तरह पूर्वोत्‍तर में स्‍थानीय लोगों की सेवा के लिए मोकुकचेंग और चांगलांग परियोजनाएं और अंडमान के जनजातीय विद्यार्थियों के लिए पोर्टब्‍लेयर आश्रम भी इन्‍हीं केवल लोगों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। आरएसएस के पास आज स्‍कूलों और शिक्षकों तथा शैक्षणिक संस्‍थाओं का विशालतम नेटवर्क है। विद्या भारती आज 25000 से ज्‍यादा स्‍कूल चलाती है, उनमें पूर्वोत्‍तर के सुदूर गांव से लेकर लद्दाख का बर्फीले क्षेत्रों तक,  राजस्‍थान, जम्‍मू और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में 2,50,000 छात्र पढ़ते हैं और एक लाख अध्‍यापक शिक्षा प्रदान करते हैं।
    मैं पिछले सप्‍ताह एक वृत्‍तचित्र बनाने के लिए हेडगेवार के पैतृक गांव तेलंगाना के कंडाकुर्ती गया था। यह गोदावरी, हरिद्र और मंजरी के संगम पर बसा एक ऐतिहासिक गांव है। हेडगेवार परिवार का पैतृक घर लगभग 50 फुट बाइ 28 फुट का है, जिसे आरएसएस के वरिष्‍ठ नेता मोरोपंत पिंगले की सहायता और प्रेरणा से स्‍थानीय ग्रामीणों द्वारा स्‍मारक का रूप दिया जा चुका है। यहां एक उत्‍कृष्‍ट सह-शिक्षा विद्यालय केशव बाल विद्या मंदिर का संचालन किया जा रहा है, जिसमें लगभग 200 बच्‍चे पढ़ते हैं। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि उस स्‍कूल के विद्यार्थियों की काफी बड़ी संख्‍या, लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों और लड़कों की थी। ऐसा नहीं कि उस गांव में और स्‍कूल नहीं हैं। इस शांत, प्रशांत गांव में लगभग 65 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों और 35 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है। वहां जितने प्राचीन मंदिर हैं, उतनी ही मस्जिदे भी हैं। दोनों साथ- साथ स्थित हैं और वहां एक भी अप्रिय घटना नहीं हुई है। मुस्लिम अपने बच्‍चों को ऐसे स्‍कूल में पढ़ने क्‍यों भेजते हैं, जिसकी स्‍थापना आरएसएस के संस्‍थापक की याद में की गई है?
    मेरी मुलाकात एक अभिभावक – श्री जलील बेग से हुई, जिनके वंश का संबंध मुगलों से है। वे पत्रकार हैं और उर्दू दैनिक मुन्सिफ के लिए लिखते हैं। उन्‍होंने कहा कि उनका परिवार इस स्‍कूल को पढ़ाई के लिए अच्‍छा मानता है, क्‍योंकि यह स्‍कूल गरीबों और आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर वर्गों को उत्‍कृ‍ष्‍ट सुविधाएं उपलब्‍ध कराता है। सबसे बढ़कर इस स्‍कूल का स्‍तर अच्‍छा है और उसमें डिजिटल क्‍लास भी है, जहां बच्‍चों को कंप्‍यूटर शिक्षा प्रदान की जाती है। मैंने स्‍कूल की नन्‍हीं सी छात्रा राफिया को लयबद्धढंग से ‘’हिंद देश के निवासी सभी हम एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं’’ गाते सुना।
    कई प्रमुख नेताओं पर बहुत अधिक प्रभावित करने वाले डॉ हेडगेवार ने ‘सबका साथ सबका विकास’ थीम को पूर्ण गौरव के साथ प्रस्‍तुत करते अपने पैतृक गांव के माध्‍यम से एक सर्वोत्‍तम उपहार दिया है।
    जिस व्‍यक्ति ने लाखों लोगों को अखिल भारतीय विज़न प्रदान किया, प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं को प्रचारक – भिक्षुओं के रूप में एक ऐसी नई विचारधारा का अंग बनने के लिए प्रेरित किया, जो भले ही गेरूआ वस्‍त्र धारण न करें, लेकिन तप‍स्‍वी जैसा जीवन व्‍यतीत करते हुए लोगों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, शांति के साथ, बिना किसी प्रचार के, मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हुए सभ्‍यता के उत्‍थान में अपना उत्‍कृष्‍ट योगदान दें।  यह एक ऐसे भारत की गाथा है, जो अभूतपूर्व रूप से बदल रहा है।
    डॉ हेडगेवार ने लाखों लोगों को राष्‍ट्र के व्‍यापक कल्‍याण के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया, भारत के सार्वभौमिक मूल्‍यों और धार्मिक परम्‍पराओं के लिए गर्व और साहस की भावना से ओत-प्रोत किया, जिसके बारे में  देश को अधिक जानकारी प्राप्‍त करने और उसका आकलन किए जाने की आवश्‍यकता है। वे भारत में परिवर्तन के अब तक के सबसे बड़े प्रवर्तक हैं। (PIB)
****
*लेखक राज्‍य सभा के पूर्व सदस्‍य, वरिष्‍ठ पत्रकार और समालोचक हैं
लेख में व्‍यक्‍त विचार निजी हैं।
वि लक्ष्‍मी/ रीता/ एनआर-46
पूरी सूची-01-04-2017