बुधवार, जून 06, 2018

साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज करने के लिए नई पहल

प्रविष्टि तिथि: 06 JUN 2018 8:07PM by PIB Delhi महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
ऑनलाइन केन्द्रीय सूचना प्रणाली शीघ्र ही स्थापित की जाएगी
श्रीमती मेनका संजय गांधी ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सभी मंत्रालयों को पत्र लिखा
 विशेष प्रकोष्ठ बनाने के लिए कहा 
नई दिल्ली: 6 जून 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध विशेषकर ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री, दुष्कर्म संबंधी वीडियो सामग्री और अन्य आपत्तिजनक सामग्री को हटाने से जुड़े मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी की अध्यक्षता में आज विभिन्न हितधारकों के साथ अपनी तरह की एक विशिष्ट गोलमेज बैठक आयोजित की गई। महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा को लगातार जारी रखने के लिए डिजिटल माध्यम का व्यापक इस्तेमाल निरंतर बढ़ता जा रहा है।
उपर्युक्त बैठक में विभिन्न सरकारी हितधारकों, उद्योग संगठनों एवं भारतीय इंटरनेट सेवा प्रदाता संघ के साथ-साथ सोशल मीडिया एजेंसियों ने भी भाग लियाओ)। इस दौरान डेटा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद द्वारा विचार-विमर्श किया गया। बैठक में सिविल सोसायटी का भी प्रतिनिधित्व रहा।
संपन्न बैठक में निर्णय यह लिया गया कि अगले 3 महीनों में निम्नलिखित कार्य किए जायेंगे:
साइबर अपराध के अंतहीन प्रकृति से महिलाओं और बच्चों को पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन बनाया जाए।
किसी भी समय कहीं से भी साइबर अपराध की शिकायतों को दर्ज करने और कार्यान्वितकरने के लिए एक ऑनलाइन केंद्रीय सूचना तंत्र का विकास किया जाए।
ऑनलाइन बीभत्स/अपमानजनक सामग्री को वास्तविक समयसीमा में हटाने/अवरुद्ध करने के लिए एक तंत्र बनाया जाए।
एकल सुविधा केन्द्र
193 एकल सुविधा केन्द्र (ओएससी), जिसे लोकप्रिय रूप से सखी केंद्र के नाम से जाना जाता है, पूरे देश में कार्य कर रहा है। आज नई दिल्ली में डब्ल्यूसीडी मंत्रालय की उपलब्धियों पर मीडिया के साथ बातचीत करते हुए, डब्ल्यूसीडी मंत्री ने कहा कि हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए पूरे देश में 193 सखी केंद्र स्थापित किए गए हैं। साथ ही मंत्री ने कहा कि अगले वर्ष तक एकल सुविधा केन्द्रों (ओएससी) की संख्या बढ़ाकर 600 कर दिए जाने का लक्ष्य है।इन केन्द्रों के जरिए 1.3 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान किया गया है।
मंत्रालयों में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर विशेष प्रभाग
मंत्री ने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने हाल ही में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों के समाधान के लिए विशेष प्रभाग बनाया है। डब्ल्यूसीडी मंत्री ने सभी मंत्रालयों को इस तरह के प्रभाग बनाने के लिए पत्र लिखा है। मंत्री ने आगे कहा कि एमएचए सेक्स अपराधियों के राष्ट्रीय रिपोजिटरी (एनआरएसओ) का गठन कर रहा है। यौन अपराधियों की प्रोफाइल से जुड़ी जानकारी सभी राज्य / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा की जाएगी।
निर्भया कोष  
निर्भया कोष के तहत मूल्यांकन की गई परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रधान मंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा निर्भया कोष के तहत 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है।
एनआरआई वैवाहिक विवाद
एनआरआई विवाह से संबंधित विवादों पर बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूसीडी मंत्रालय रजिस्ट्रार को यह आदेश जारी करने की प्रक्रिया में है कि एनआरआई विवाह अगर 48 घंटे के अंदर पंजीकृत नहीं होता है तो उन्हें पासपोर्ट/वीजा जारी नहीं किया जाए। रजिस्ट्रार ऐसे एनआरआई विवाहों का विवरण डब्लूसीडी मंत्रालय को भेजेंगे ताकि केंद्रीय डेटाबेस बनाया जा सके। मंत्रालय ने हाल ही में ऐसे मामलों में 6 लुक आउट सर्कुलर जारी किए हैं तथा 5 मामलों में  विदेश मंत्रालय द्वारा पासपोर्ट रद्द भी कर दिए गए हैं।
महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए उन्नत डीएनए प्रयोगशाला
डब्ल्यूसीडी मंत्री ने 1 जून 2018 को सखी सुरक्षा उन्नत डीएनए प्रयोगशाला की नींव रखी ताकि केस-बैकलॉग को कम करने तथा महिलाओं और बच्चों को न्याय दिलाने के लिए यौन हमले के मामलों को तेजी से और अधिक प्रभावी ढंग से निपटाया जा सके।इसके लिए निर्भया कोष के तहत 99.76 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अगले 3 महीनों में मुंबई, चेन्नई, गुवाहाटी, पुणे और भोपाल में पांच और उन्नत फोरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
बलात्कार के मामलों के लिए विशेष फोरेंसिक किट: यौन उत्पीड़न के मामलों में अपराधियों को पकड़ने में फोरेंसिक के महत्व को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा कि बलात्कार के लिए विशेष फोरेंसिक किट जुलाई के महीने तक सभी पुलिस स्टेशनों और अस्पतालों को वितरित कर दी जाएगी। इन किटों में सबूत इकट्ठा करने के लिए आवश्यक उपकरणों के साथ एकत्र किए जाने वाले साक्ष्य/नमूने की पूरी सूची होगी। फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को भेजने से पहले किट को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा।
महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति
मंत्रालय ने सभी हितधारकों से प्राप्त 15000 से अधिक सुझावों / टिप्पणियों पर विचार करने के बाद महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति, 2017 का मसौदा तैयार किया है। एक संवाददाता द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि नीति कैबिनेट को सौंपस दी गई है।
मौत की सजा संबंधित अध्यादेश
बच्चों के साथ बलात्कार के अपराधियों को सख्त सजा देने के लिए, सरकार ने आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन कर मृत्युदंड देने के एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। 12 वर्ष की उम्र तक की लड़कियों के बलात्कारियों को मौत की सजा के लिए एक नया प्रावधान जोड़ा गया था।  
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना जनवरी 2015 में सेक्स चयन को रोकने, लड़कियों के संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
अप्रैल-मार्च, 2015-16 और 2016-17 के बीच की अवधि में 161 जिलों के लिए एमओएच एंड एफडब्ल्यू के नवीनतम एचएमआईएस डेटा के अनुसार उत्साहजनक रुझान दिखाई दिए हैं;
104 बीबीबीपी जिलों में एसआरबी की प्रवृत्ति में सुधार दिखाई दिया है।  
एंटी-नाटल केयर पंजीकरण के मामलों में 119 जिलों में पहले तिमाही में पंजीकरण में तेजी आई है।
146 जिलों में संस्थागत डिलीवरी में सुधार दिखाई दिया है।
एसएचई बॉक्स (SHe-BOX)
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए पहली इस तरह की ऑनलाइन रिपोर्टिंग और शिकायत प्रबंधन प्रणाली 2017 में शुरू की गई थी। पोर्टल पर लगभग 191 शिकायतें दर्ज की गई और मंत्रालय ने उन पर कार्रवाई की।
प्रसूति लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 
प्रसूति लाभ (संशोधन) बिल, 2016 27 मार्च, 2017 को एक अधिनियम बन गया।इस अधिनियम के तहत मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह तक कर दिया गया जो इस तरह का दुनिया में तीसरा देश बन गया है।कमीशनिंग और गोद लेने वाली मांएं भी 12 सप्ताह के मातृत्व अवकाश की हकदार हैं, बशर्ते बच्चे की उम्र 3 महीने से कम हो। 50 या अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों में अनिवार्य क्रैच सुविधा भी देने की भी प्रावधान इस अधिनियम के माध्यम से किया गया है।   
निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पिछले वर्ष पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) का प्रशिक्षण का कार्य किया है ताकि वे अपने गांवों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकें और जमीनी परिवर्तन लाकर विकास की दिशा में अग्रसर हो सकें।इसके तहत अब तक 18,578 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है और इस वित्त वर्ष में 20,000 निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को और प्रशिक्षित किया जाएगा।
नई टैक्सी नीति दिशानिर्देश
महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से 2017 में नई टैक्सी नीति दिशानिर्देश लाया गया था। इसके तहत सभी टैक्सियों में जीपीएस पैनिक डिवाइस, बच्चों के लिए-लॉकिंग सिस्टम को अक्षम करना, वाहनचालक के फोटो और पंजीकरण संख्या के साथ चालक की पहचान को प्रदर्शित, सीट सांझा करना महिला यात्रियों की इच्छा के अधीन होना आदि अनिवार्य किया गया है।   
181 महिला हेल्पलाइन
यह एक देशव्यापी टोल फ्री नंबर है जो हिंसा से प्रभावित महिलाओं को 24 घंटे की आपातकालीन और नन-आपातकालीन  सुविधा प्रदान करता है। इसके माध्यम से अब तक 16.5 लाख से अधिक महिलाओं की सहायता दी गई है।
पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संवेदनशील मामलों में समग्र पुलिस प्रतिक्रिया में सुधार लाने और पुलिस बल में महिलाओं को आगे लाने के लिए एमएचए (गृह मंत्रालय) के साथ काम कर रहा है।
पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 33 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए सभी राज्य सरकारों को सलाह दिया गया है।33 प्रतिशत आरक्षण को 10 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों तक कर दिया गया है
विधवाओं के लिए घर
केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित 1000 विधवाओं की क्षमता वाले एक विधवा घर  वृंदावन (यूपी) में शुरू किया गया है, जिसमें हर तक सुविधा दी जा रही है।
जेलों में महिलाएं
जेल में महिलाओं और बच्चों की हालत के अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इस संबंध में गृह मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट को सिफारिशें भेज दी जाएंगी।
पोशन (POSHAN) अभियान
इसे 8 मार्च 2018 को प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों (0-6 वर्ष), किशोरावस्था वाली लड़कियों और गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण संबंधी स्थिति में सुधार हासिल करना है।
पॉक्सो ई-बॉक्स
पॉक्सो ई-बॉक्स (http://ncpcr.gov.in/) अगस्त 2016 में शुरू किया गया था और बच्चों या किसी वयस्क के लिए बाल यौन दुर्व्यवहार या उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के लिए एक आसान और उपयोगी सुविधा है।अब तक पोर्टल पर 1100 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं।
बच्चों के लिए हेल्पलाइन (1098)
यह मुश्किल में फंसे बच्चों के लिए राष्ट्रव्यापी आपातकालीन हेल्पलाइन है। यह वर्तमान में पूरे देश में 435 स्थानों पर परिचालित है। इस पर 2014 से हर वर्ष 1.8 करोड़ कॉल प्राप्त होते हैं।
ट्रैकचिल्ड और खोयापाया पोर्टल (Trackchild and KhoyaPaaya)
इन दोनों पोर्टल का उद्देश्य निम्नलिखित है:
लापता बच्चों की समय पर निगरानी सुनिश्चित करना
लापता बच्चों के लिए त्वरित प्रत्यावर्तन और पुनर्वास सुनिश्चित करना
बाल देखभाल संस्थानों में बच्चों की निगरानी सुनिश्चित करना
प्रक्रिया में शामिल संगठनों के लिए एक ढांचा स्थापित करना
173441 बच्चों को इस प्रक्रिया के माध्यम से मिलाया गया है।
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वीके/एएम/आरआरएस/पीकेपी/डीके – 8844