शनिवार, दिसंबर 01, 2018

पंजाब और हरियाणा के किसान देश का गौरव हैं-राष्‍ट्रपति को‍विंद

01 DEC 2018 3:42PM by PIB Delhi
13वां अंतरराष्‍ट्रीय कृषि मेला चंडीगढ़ में शुरू
राष्‍ट्रपति ने किया सीआईआई एग्रोटेक इंडिया-2018 का उद्घाटन
चंडीगढ़:दिसंबर  2018 (पीआईबी//इर्दगिर्द टीम):
चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में स्थित परेड ग्राउंड की चहल पहल आज पहले से कहीं ज़्यादा थी। अवसर भी ऐतिहासिक था। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज चंडीगढ़ में भारतीय उद्योग परिसंघ-सीआईआई द्वारा आयोजित 13 वें अंतरराष्‍ट्रीय कृषि मेले-एग्रोटेक इंडिया-2018 का उद्घाटन किया। गांवों के शहरीकरण और इसके साथ ही किसानी के सामने आ रही नई नई तकनीकी चुनैतियों की चर्चा इस प्रदर्शनी में समाधान के साथ की गयी है। आज शुरू हुई यह प्रदर्शनी चार दिसंबर तक चलेगी। गौरतलब है कि पंजाब का कोई भी मंत्री एग्रोटेक मेले में नहीं पहुंचा। यह कोई इतफ़ाक़ था या कोई मजबूरी यह तो सियासतदान ही जानते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर आदि मौजूद थे, लेकिन पंजाब के किसी मंत्री ने इसमें शिरकत नहीं की। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बीमार हैं, लेकिन उनकी गैर मौजूदगी में किसी मंत्री को भी नहीं भेजा गया। इस गैरमौजूदगी का अहसास देर तक महसूस किया जाता रहेगा। 
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय कृषि को समकालीन नयी प्रौद्योगिकी के अनुरूप खुद को ढ़ालना होगा। जलवायु परिवर्तन, कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव और मांग में बदलाव के खतरों से निबटने के लिए पर्याप्‍त सुरक्षात्‍मक उपाय भी करने होंगे और साथ ही सतत निवेश और कारोबारी साझेदारी की ओर ध्‍यान देना होगा। ये सभी चीजें मिलकर कृषि उत्‍पादों के लिए अच्‍छी कीमत के साथ उसकी प्रतिस्‍पर्धात्‍मक क्षमता बढ़ाऐंगी जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भी देश के किसान तकनीक को अपनाने में उतने आगे नहीं आए हैं जितनी जरूरत है। तकनीक अपनाकर किसान पैदावार बढ़ा सकते हैैं। रिसर्च और मंडीकरण में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल अपनाकर छोटे किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने खेती के रिसर्च सेक्टर में निवेश बढ़ाने की सलाह देते हुए कहा कि हरित क्रांति के बाद अब कोई नया बड़ा बदलाव रिसर्च में नहीं लाया गया है।
श्री को‍विंद ने कहा कि मानव इतिहास क्रम में विभिन्‍न पद्धतियों के मेल से कृषि का विकास होता रहा है। यह क्षेत्र एक-दूसरे से सीखने और अपने अनुभव साझा करने का आदर्श मंच है। इसमें विभिन्‍न क्षेत्रों और भौगोलिक परिस्थितियों में साझेदारी के काफी अवसर हैं। पिछले दशकों में विनिर्माण और मशीनीकरण कृषि क्षेत्र के लिए काफी उपयोगी रहा। आज के दौर में सेवा क्षेत्र और कृषि के बीच मजबूत संबंध उभर रहा है। जैव प्रौद्योगिकी, नैनो टेक्‍नॉलाली, डेटा विज्ञान, रिमोट सेंसिंग इमेंजिंग, हवाई और जमीनी वाहन तथा कृत्रिम मेधा में कृषि को और अधिक मूल्‍यवान बनाने की क्षमत नीहित है। राष्‍ट्रपति ने उम्‍मीद जताई कि एग्रोटेक इंडिया-2018 ऐसी विशिष्‍ट भागीदारी को बढ़ावा देगा, जिससे भारत के किसान लाभान्वित होंगे।
पराली जलाए जाने से होने वाले प्रदूषण की समस्‍या का जिक्र करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान देश का गौरव हैं। उन्‍होंने समाज के व्‍यापक हित में, आने वाली चुनौतियों और जिम्‍मेदारियों से कभी मुंह नहीं मोड़ा है। आज हम फसलों के अवशेषों को सुरक्षित तरीके से नष्‍ट करने की बड़ी समस्‍या से जूझ रहे हैं। बड़े पैमाने पर फसलों के अवशेष जलाने से प्रदूषण की गंभीर समस्‍या पैदा हो रही है जिससे बच्‍चे तक प्रभावित हो रहे हैं। श्री कोविंद ने कहा कि इन परिस्थितियों राज्‍य सरकारों के साथ ही किसानों तथा अन्‍य हितधारकों समेत हम सब की  यह जिम्‍मेदारी बनती है कि हम इस समस्‍या का समाधान निकालें। इस काम में प्रौद्योगिकी निश्चित रूप से काफी मददगार साबित होगी।
इस प्रदर्शनी में भी आजकल जी का जंजाल बनी पराली को जलाये जाने का मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा। 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पराली जलाने की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके प्रबंधन के लिए किसानों से आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने किसानों सहित राज्य सरकारों व इंडस्ट्री से भी इसका समाधान ढूंढने को कहा है। राष्ट्रपति शनिवार को सीआइआइ की ओर से आयोजित एग्रोटेक मेले का उद्घाटन करने के बाद किसानों, खेती वैज्ञानिकों व कृषि सेक्टर की मशीनरी बनाने वाले उद्योगपतियों को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है की प्रालि के मुद्दे पर किसान समर्थक संगठन कई बार साफ़ कर चुके हैं कि पराली के धुएं को कोसने वाले 
राष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब व हरियाणा के किसान चुनौतियों का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटे हैैं और समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारियां निभाई हैं। आज हम फसली अवशेषों को जलाने की समस्या से दो-चार हो रहे हैं। यह समस्या हमारे बच्चों की सेहत को भी खराब कर रही है। इसलिए न केवल किसानों का बल्कि राज्य सरकारों और अन्य सभी लोगों का यह दायित्व बनता है कि इस समस्या से निपटने के लिए आगे आएं। टेक्नोलॉजी इसमें हमारी मदद कर सकती है।

इस मौके पर मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछली सरकार की तुलना में एनडीए की मोदी सरकार ने खेती में निवेश को बढ़ाया है। इससे न केवल अनाज की पैदावार बढ़ी है बल्कि दूध की पैदावार में 28 फीसद और मछली पालन में 27 फीसद वृद्धि दर्ज की है। किसानों के लिए कई तरह के फंड स्थापित किए गए हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर फसलों की कीमत लागत से 50 फीसद से ज्यादा पर खरीदने के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में भारी वृद्धि की गई है। आयोग ने मंडीकरण समेत अन्य जो भी सिफारिशें की थीं उन पर काम शुरू किया गया है।
एक लाख करोड़ का अनाज बचाने के लिए कर रहे काम : हरसिमरत
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि देश में हर साल एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का अनाज खराब होता है। इस अनाज को बचाने के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है, लेकिन मोदी सरकार ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर का अलग मंत्रालय बनाकर इस पर काम शुरू किया है। खेती संपदा योजना के तहत सात नई योजनाएं चलाई गई हैं जिसमें न केवल फूड को प्रोसेस करने पर काम किया जा रहा है बल्कि छोटे कोल्ड स्टोर बनाकर भी इन्हें बचाया जा रहा है।
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आर.के.मीणा/अर्चना/मधुलिका/सागर-11528