बोसनिया हरज़ेगोविना से विशेष रिपोर्ट
IOM/Ervin Causevic//बोसनिया हर्ज़ेगोविना में लीपा आपदा शिविर में आग लगने से भीषण तबाही का दृश्य. इस शिविर में लगभग 1400 प्रवासी रह रहे थे।
24 दिसम्बर 2020//प्रवासी और शरणार्थी//संयुक्त राष्ट्र समाचार
मानवीय संवेदना जगाने वाले प्रयासों को निरंतरता रखते हुए इस बार भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने लीपा में लगी आग की खबर को प्रमुखता से अपने बुलेटिन में शामिल किया है। इस संबंध ,में जो विस्तृत जानकारी दी गई है उसे हम आप तक भी पहुंचा रहे हैं। --सम्पादक इर्द गिर्द
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने बताया है कि बोसनिया हरज़ेगोविना में बुधवार को एक प्रवासी शिविर में आग लग जाने के कारण हज़ारों प्रवासी बिना किसी आश्रय स्थल और हिफ़ाज़त के रह गए हैं, जबकि सर्दियों का मौसम होने के कारण तापमान काफ़ी नीचे है।
प्रवासन एजेंसी ने बताया है कि लीपा आपदा टैन्ट शिविर का लगभग तमाम ढाँचा तबाह हो गया है, उसे बुरी तरह नुक़सान पहुँचा है।
उस शिविर में लगभग 1 हज़ार 400 प्रवासियों को ठहराया गया था।
नके अलावा लगभग 1 हज़ार 500 शरणार्थी, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी हैं, आसपास के इलाक़ों में, जंगलों में बनाए हुए शिविरो में फँसे हुए हैं।
प्रवासन संगठन के अनुसार इस भारी तबाही के बाद, ऐसे लोगों की संख्या लगभग 3 हज़ार हो गई है जिन्हें तुरन्त सहायता की ज़रूरत है।
बोसनिया हरज़ेगोविना में आईओएम के मिशन प्रमुख पीटर वैन डेर ऑवेराएर्त ने बुधवार को बताया, “ये बहुत तबाही वाला मंज़र है: इन लोगों को इस समय तो आश्रय स्थलों के भीतर, ऐसे हालात में होना चाहिये था जहाँ सर्दी से बचा जा सके, जैसाकि योरोप के अन्य देशों और क्षेत्रों में, लोग छुट्टियों और त्यौहार के दौर में रह रहे हैं।”
ये शिविर, बोसनिया हरज़ेगोविना के पश्चिमोत्तर इलाक़े में स्थित है, और ये इलाक़ा क्रोएशिया के साथ मिलने वाली सीमा के निकट है।
अन्य स्थानों पर ज़्यादा भीड़ होने जाने और अनुपयुक्त हालात बन जाने के कारण, ये शिविर, वर्ष 2020 के शुरू में बनाया गया था।
मिशन प्रमुख ने कहा, “अनेक कारणों से, और उनमें ज़्यादातर राजनैतिक कारण हैं, इस शिविर में कभी भी जल और बिजली आपूर्ति स्थापित नहीं की जा सकी, और ना ही इस शिविर को सर्दियों का मुक़ाबला करने में सक्षम बनाया गया, और अब आग की तबाही, जिसने तमाम उम्मीदें ख़त्म कर दी हैं। ”
मिशन प्रमुख के अनुसार प्रवासी अब भी स्थानीय इलाक़ों में हैं और उनमें से कुछ तो राजधानी सरायेवो की तरफ़ जाने की योजना बना रहे हैं, जबकि कुछ अन्य प्रवासी, स्थानीय इलाक़ों में ही, समय गुज़ारने का कुछ सहारा तलाश करेंगे।
उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा चिन्ता की बात ये है कि कुछ प्रवासी राजधानी सरायेवो और अन्य इलाक़ों में जाने की योजना तो बना रहे हैं, मगर एकल पुरुष प्रवासियों के लिये कहीं भी ठहरने के लिये कोई क्षमता ही नहीं बची है।
इस कारण, बहुत से लोग सीमा के निकटवर्ती इलाक़ों की तरफ़ जाने को मजबूर होंगे।
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासी संगठन और रैडक्रॉस व डैनिश शरणार्थी परिषद जैसे उसके मानवीय सहायता साझीदार संगठनों ने पहले ही, लगभग 1 हज़ार 500 प्रभावित लोगों को ज़रूरी सामग्री वितरित की है जिसमें सर्दियों में गर्माहट देने वाले कपड़े, कम्बल, खाद्य सामग्री और साफ़-सफ़ाई किटें भी शामिल हैं।
आईओएम ने कहा है, “हम सामग्री वितरित करने वाली टीमों की संख्या बढ़ाने जा रहे हैं और नई ज़रूरतें पूरी करने के लिये वितरित किये जाने वाली वस्तुओं की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।” (संयुक्त राष्ट्र समाचार)
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