सोमवार, जनवरी 23, 2012

भारत निर्माण स्‍वयंसेवी-ग्रामीण जागरूकता के संवाहक

परिवारों तथा विभिन्‍न विभागों के बीच सहज कड़ी
पत्र सूचना कार्यालय अगरतला की ओर से कराई गई.एक संगोष्ठी में बेबाक होकरसवाल पूछती एक महिला. इस संगोष्ठी का आयोजन भारत निर्माण जन सूचना अभियान के अंतर्गत २० जनवरी को राज नगर दक्षिणी त्रिपुरा में किया गया था. (फोटो: पी.आई.बी.
भारत निर्माण स्‍वयंसेवी एक ऐसा व्‍यक्‍ति है जो ग्रामीण परिवेश से जुड़ा है वह अपनी मर्जी से परिवारों तथा विभिन्‍न विभागों के मेजबानों के बीच सहज कड़ी के रूप में कार्य करता है। वह सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्‍न कार्यक्रमों के लाभ बिना पहुंच वाले ग्रामीणों को दिलवाना सुनिश्‍चित करता है। दूसरे शब्‍दों में, वे कार्यक्रमों तथा इन कार्यक्रमों की पहंच से दूर बिना के लोगों के बीच मील का आखिरी मानवीय संपर्क है। अब तक देश में 31,000 स्‍वयंसेवी को भारत निर्माण स्‍वयंसेवी के रूप में नामांकित कर लिया गया है। इस वर्ष मार्च तक 1,60,000 को नामांकित करने का लक्ष्‍य है।
भारत निर्माण स्‍वयंसेवी क्‍यों?
     सरकार तथा संबंधित राज्‍य सरकारें कई दशकों से विभिन्‍न कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों को संचालित कर रही हैं। तथापि, कई मूल्‍यांकन अध्‍ययनों में यह दर्शाया गया है कि कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में कमी रह गई और गरीबी से नीचे रहने वाले कई संबद्ध परिवारों को वांछित लाभ नहीं मिल पाया। विभिन्‍न स्‍तरों पर इन सुविधाओं का लाभ देने वालों का आकार सीमित रहने तथा पर्याप्‍त समय न देने पर लक्षित ग्रामीण घर परिवारों को इनका लाभ भी समय पर नहीं मिल पाया तथा कहीं पर ऐसे लोगों को भी लाभ मिल गया जिन्‍हें इसकी जरूरत नहीं थी।

     ग्रामीण घर परिवारों के साथ आखिरी जुड़ाव के रूप में मानवीय चेहरा प्रस्‍तुत करने के लिए यह सोचा गया कि क्षमतावान युवकों का उपयोग भारत निर्माण स्‍वयंसेवी के नाम से किया जाए जो ग्रामीण घर परिवारों के बीच कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता फैलाएंगे जिससे बेहतर योजना तथा कार्यक्रमों का सुचारू कार्यान्‍वयन हो और पारदर्शिता तथा जवाबदेही लाई जा सके।
वे क्‍यों स्‍वयंसेवी बने?
पिछले काफी समय से देखा जा रहा था कि ग्रामीण परिवेश में स्‍थानीय शक्‍ति के समूह बढ़ने, विभिन्‍न समुदायों के बीच एकता का अभाव, उनसे संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता का अभाव, कार्यक्रम की कार्यान्‍वयन प्रक्रिया के पहलुओं के बारे में जागरूकता का अभाव जैसे मुद्दे सामने आ रहे थे इससे विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों का लाभ गरीब परिवारों को नहीं पहुंच पा रहा था। इसके साथ ही, विभिन्‍न कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों की योजना की प्रक्रिया में ग्रामीण परिवारों की सहभागिता पर्याप्‍त नहीं थी। इसलिए, ग्रामीणों की विशेष तौर पर युवाओं की स्‍वयंसेवी भागीदारी तथा ग्राम विकास के लिए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में भाग लेने का अवसर प्रदान करना आवश्‍यक समझा गया। भारत निर्माण स्‍वयंसेवकों ने अपने कार्यों से अपने व्‍यक्‍तित्‍व, व्‍यवहार में काफी परिवर्तन महसूस किया। उन्‍होंने सम्‍मान और पहचान प्राप्‍त की तथा जहां उन्‍होंने कोई विशिष्‍ट कार्य किया तो उनमें यह भाव पैदा हुआ कि ‘यह हमने किया’।

     प्रशिक्षण में मूल्‍यों तथा नैतिकता के साथ-साथ सरकार की सभी विकास योजनाओं के उद्देश्‍यों पर बल दिया गया है। इससे उनका ध्‍यान उनके समुदाय में व्‍याप्‍त विभिन्‍न बुराइयों जैसे कि शराबखोरी, जल्‍दी स्‍कूल छोड् देने के साथ ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था, सुशासन और योजना की ओर गया। ग्राम सभा, ग्राम पंचायत तथा समितियों के अंतर्गत मुद्दों का निपटान, अनुशासन, सहजता तथा निर्धारित ढंग के होने से वे स्‍वयं अचंभित थे और ऐसा उन्‍होंने पहले सोचा भी नहीं था। वे शक्‍तिशाली स्‍तंभों से भी सामना करने लगे और उन्‍हें अपने विकास कार्यक्रम के अनुरूप ढालने में समर्थ रहे।

     अनेक गांवों में गलियों की सफाई की, कूड़े का निपटान किया, टैंकों को साफ किया, श्रमदान करके सड़क तैयार की, सूचना प्रदान की। कई बार उन्‍होंने अपनी कमाई भी लगाई। उनमें से कुछ ने बेसहारा परिवारों, जिनमें केवल महिलाएं घर चलाती थीं जिनके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्राप्‍त चावल पूरा नहीं पड़ता था, ऐसे परिवारों की पहचान की और कार्यकर्ताओं ने ऐसे परिवारों की मदद की और यह सुनिश्‍चित किया कि वे हर रोज अपने तीन समय का भोजन प्राप्‍त कर सकें। कई स्‍वयंसेवी अपने गांव में रोशनी लाने के लिए ऊर्जा के वैकल्‍पिक स्रोतों की योजना सरकार से धनराशि प्राप्‍त करने के लिए बना रहे हैं। कुछ अपनी गलियों में सौर ऊजा से रोशनी तथा कुछ सौर कुकर और बिजली के लिए योजना बना रहे हैं। गांव में विभिन्‍न समुदायों के बीच काफी समय से चल रहे झगड़ों का निपटारा कर लिया गया है और भाईचारा पनपा है। भारत निर्माण स्‍वयंसेवी ने मंडल स्‍तर पर सभी विभागों से संपर्क कर समुदायों के पूरे नहीं किए गए अनुरोधों के संबंध में उत्‍तर प्राप्‍त किए हैं। इनमें से अनेक ने दफनाने के लिए स्‍थान, खेल के मैदान तथा कुछ ने अपने गांव में बस चलाने के लिए प्रशासन से पहचान तथा अधिसूचना प्राप्‍त कर ली है। प्राय: सभी गांव वालों ने यह सूचित किया है कि उन्‍होंने ऐसी दुकानें (शराब की दुकान) बंद कराने के प्रयास किए और उनमें से कई ऐसी दुकाने बंद कराने में सफल रहे। कुछ ने गांव की दुकानों में पान और गुटकों की बिक्री बंद करा दी। कइयों ने सौ प्रतिशत आईएसएल कवरेज के बारे में अनेक लोगों को सूचित किया है।

     कइयों ने प्रशासन से नालियों की लाइन के निर्माण के लिए संपर्क किया है। एक गांव में प्रत्‍येक घर परिवार के लिए गड्ढ़ा भरना निश्‍चित किया गया है, यह उनका लक्ष्‍य है और उन्‍हें यह विश्‍वास कि वे इस कार्य को शीघ्र ही पूरा कर लेंगे। कुछ गांवों में खुली हवादार लाइब्रेरी शुरू की गयी हैं। अख़बार और पत्रिकाएं शाम तक छोटे कमरे में रख दी जाती हैं और शाम को इन्‍हें पेड़ के पास चौपाल में पढ़ने के लिए पहुंचा दिया जाता है। बाद में इन्‍हें फिर से स्‍वयंसेवी  प्रभारीद्वारा कमरे में वापस पहुंचा दिया जाता है।

     आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास अकादमी (अपार्ड) के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों को स्‍वयं सेवा की भावना का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रबुद्ध व्‍यक्‍तियों, उस्‍मालिया विश्‍वविद्यालय के साइक्‍लोजिस्‍ट, ब्रह्म कुमारियां, भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम द्वारा शुरू किया गया लीड इंडिया फाउंडेशन, अनुभवी पत्रकार तथा प्रोग्रेसिव सरपंच तथा अपार्ड से लोगों को शामिल किया गया।

इस प्रयोग की सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह रही कि यह सभी स्‍वयंसेवी किसी भी स्रोत से कोई वित्‍तीय सहायता या मानदेय प्राप्‍त नहीं करते। इसके विपरीत कई मामलों में वे जहां आवश्‍यकता पड़ती है अपनी खुद की धनराशि खर्च करते हैं। उन्‍होंने यह सिद्ध कर दिया है कि ग्रामीण समुदाय निष्‍क्रिय नहीं हैं और वे अपनी समस्‍याओं का समाधान करने में सक्षम हैं। उन्‍होंने यह भी सिद्ध कर दिया है कि वे अपने समुदाय के अधूरे सपनों को पूरा कर सकते हैं तथा वे ग्रामीण आंध्र प्रदेश के स्‍तर में गुणवत्‍ता परक सुधार लाएंगे। एक खास बात जो अपार्ड ने देखी कि भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों तथा चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच कार्य का बेहतर माहौल बना जबकि यह लगता था कि इनके बीच टकराव तथा तकरार न हो जाए। यात्रा जारी है और भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों से लम्‍बी सूची प्राप्‍त करने की अपेक्षा है।                                       {
पी.आई.बी.} 
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*ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्राप्‍त सामग्री के आधार पर

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