बुधवार, दिसंबर 19, 2012

केन्‍द्रीय पर्यटन मंत्री श्री चिरंजीवी ने की घोषणा

पर्यटन मंत्रालय द्वारा दक्षिणी क्षेत्र पर्यटन परिषद का गठन 
                                                                                                                                      साभार चित्र 
केन्‍द्रीय पर्यटन मंत्री श्री चिरंजीवी ने आज आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और संघ शासित राज्‍य पुडुचेरी को मिलाकर दक्षिणी क्षेत्र पर्यटन परिषद (एसजेडटीसी) का गठन करने की घोषणा की। मंत्रालय ने विश्‍व वर्ल्‍ड ट्रेवल एंड टूरिज्‍म कौंसिल- इंडिया इनिशिएटिव (डब्‍ल्‍यूटीटीसीआईआई) के पदाधिकारियों के साथ हुई अपनी बातचीत में इस कौंसिल की इस वर्ष सितम्‍बर में आयोजित बेकाल रिट्रीट के दौरान सामने आए विचार का स्‍वागत किया। इस परिषद के गठन से दक्षिण भारत में पर्यटन और पर्यटन उत्‍पादों के विकास में सहायता मिलेगी। पर्यटन उत्‍पादों के प्रतियोगी कराधान, अंतर्राज्‍यीय कराधान और राज्‍यों के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर बिना किसी बाधा के पर्यटकों की आवाजाही जैसे मुद्दों की यह परिषद देखरेख करेगी। 

संबंधित राज्‍यों के मुख्‍य सचिव बारी-बारी से एसजेडटीसी के अध्‍यक्ष होंगे जबकि इन राज्‍यों के पर्यटन सचिव और वित्‍त सचिव इसके स्‍थाई आमंत्रित सदस्‍य होंगे। इस घोषणा का स्‍वागत करते हुए डब्‍ल्‍यूटीटीसीआईआई ने एक वक्‍तव्‍य में कहा कि दक्षिण भारत में पर्यटन का विकास करने की दिशा में यह एक श्रेष्‍ठ कदम है, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन के विकास के लिए आवश्‍यक अवसंरचना, नीति और अन्‍य हस्‍तक्षेपों को बढ़ाने में मदद मिलेगी। (PIB) 
19-दिसंबर-2012 17:30 IST

वि. कासोटिया/इन्‍द्रपाल/दयाशंकर — 6218

शनिवार, नवंबर 24, 2012

ग्रामीण पर्यटन

पंजाब में कृषि पर्यटन लोकप्रिय हो चुका है
विशेष लेख:पर्यटन                                                          सरिता बरारा*
                                                                                                                Courtesy Photo
   पिछले साल जब पुणे के विवेक शिरोड ने अपने बच्‍चों से कहा कि वे उन्‍हें घुमाने ले जा रहा है तो उनके बच्‍चे काफी खुश हुए। उन्‍होंने अनुमान लगाना शुरू किया कि 'क्‍या उनके पिता उन्‍हें मुम्‍बई ले कर जाएंगे या गोवा?' लेकिन विवेक ने इस बार कुछ और ही सोच कर रखा था। उसने ग्रामीण पर्यटन के बारे में सुना था और इस बार वे अपने बच्‍चों को गांव की सैर कराना चाहता था। जब बच्‍चों को इस बारे में पता चला तो वे यह सुनकर पहले तो काफी निराश हुए। लेकिन जैसे ही उन्‍होंने गांव में कदम रखा तो उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगा। उन‍के लिए यह एक अलग अनुभव था। वहां बच्‍चे कभी चीकू तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ रहे थे या बैलगाड़ी या ट्रेक्‍टर की सवारी का आनंद ले रहे थे या कुएं पर पानी के साथ खेल रहे थे। विवेक ने कहा कि उसने अपने बच्‍चों को इतना खुश पहले कभी नहीं देखा था । उसने कहा कि रात में स्‍थानीय नृत्‍य और संगीत आयोजित हुआ जिसे उसके परिवार को शहर में पहले कभी देखने का मौका नहीं मिला था।
  बड़ी-बड़ी इमारतों और दौड़ –भाग भरी जिंदगी में लोग इस शोर से थोड़ा दूर आना चाहते हैं और चैन की सांस लेना चाहते हैं। ग्रामीण पर्यटन का विचार 2002 में राष्‍ट्रीय पर्यटन नीति में परिकल्पित किया गया था। इसे गांव की जिंदगी, कला, संस्‍कृति, विरासत प्रदर्शित के रूप में परिभाषित किया गया था, जिससे स्‍थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक  रूप से फायदा हो। साथ ही पर्यटकों और स्‍थानीय लोगों के बीच संवाद भी हो ।
ग्रामीण पर्यटन योजना
 ग्रामीण पर्यटन योजना विशेष रूप से गांवों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए बनाई गई थी जिससे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। बाद में प्रायोगिक आधार पर संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ मिलकर इंडोजिनस टूरिज़म प्रोजेक्‍ट (ईटीपी) को इसके साथ जोड़ा गया। इस परियोजना का उद्देश्‍य भी टिकाऊ आजीविका, पुरूष और महिला में समानता, महिलाओं, युवा और समुदाय के अन्‍य वंचित वर्गों का सशक्तिकरण और सांस्‍कृतिक संवेदनशीलता तथा पर्यावरणीय स्थिरता पर कार्य करने जैसे मुद्दों पर ध्‍यान देना है।
पर्यटन मंत्रालय की क्षमता निर्माण योजना के तहत क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए 2006 से वित्‍तीय सहायता भी दी जा रही है।
 पंडुरंगा ग्रामीण पर्यटन का हिस्‍सा हैं। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में ग्रामीण पर्यटन की 2004 में बारामती जिले में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरूआत हुई थी। यहां 65 एकड़ के क्षेत्र में बागबानी होती है। उन्‍होंने कहा कि जब शहर से लोग घूमने आते हैं तो रेशम प्रसंस्‍करण इकाइयों, दूध की डेयरी और फलों के बाग भी देखते हैं। ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्‍साहित करने का एक उद्देश्‍य यह भी था कि गांव के लोगों का शहरों में पलायन रोका जा सके। 2004 से महाराष्‍ट्र में ग्रामीण और कृषि पर्यटन के 200 से अधिक केंद्र विकसित हुए हैं और एक लाख से ज्‍यादा पर्यटक यहां घूमने आए हैं। इसके अतिरिक्‍त किसान, गांव के बेरोज़गार युवक भी ग्रामीण पर्यटन की गतिविधियों से जुड़ गए हैं।
राजस्थान एक अन्य राज्य है जहां ग्रामीण पर्यटन पिछले कुछ समय में तेजी से विकसित हुआ है। राजस्थान न केवल अपने ऐतिहासिक स्मारकों और धर्मस्थलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपने शिल्प, नृत्य और संगीत जैसी ललित कलाओं की समृद्धि संस्कृति के लिए भी मशहूर है। मुरारका फाउंडेशन के विजयदीप सिंह के अनुसार उन्होंने न केवल भारतीय पर्यटकों बल्कि अमरीका, फ्रांस, इंग्लैंड और यहां तक कि स्विट्जरलैंड के पर्यटकों के लिए अनेक पैकेज तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि कई पर्यटक स्थानीय जीवन, खानपान और संस्कृति का सीधे तौर पर आनंद लेने के लिए गांव वालों के साथ उनके घर पर ही रुकना चाहते हैं। इस तरह के पैकेज के अंतर्गत पर्यटकों से एक दिन के लिए 1200 रुपए लिए जाते हैं, जिसमें से 850 रुपए किसानों के परिवारों को दे दिए जाते हैं। पर्यटकों के लिए यह कोई महंगा शौक नहीं है और किसान को भी इससे अतिरिक्त आमदनी हो जाती है।
पंजाब में कृषि पर्यटन लोकप्रिय हो चुका है। कोई भी व्यक्ति पीली सरसों के खेतों में घूमफिर सकता है, ट्रैक्टर पर घूम सकता है, मवेशियों को चराने के लिए ले जा सकता है या उन्हें खाना खिला सकता है, हरे भरे खेतों में मक्के की रोटी और साग के साथ छांछ का लुत्फ उठा सकता है, लोकनृत्य भांगड़ा का मजा लेने के साथ स्थानीय शिल्प फुलकारी बनते हुए देखने के अलावा ग्रामीण समुदाय और पंचायत से मिल सकता है। पर्यटक कुश्ती, गिल्ली-डंडा, पतंगबाजी जैसे स्थानीय खेलों में भाग ले सकते हैं या उन्हें देख सकते हैं। बच्चे घास पर उछलकूद करने के साथ-साथ ट्यूबल में नहा सकते हैं।
अनेक अन्य राज्य भी ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
12वीं योजना में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति
12वीं योजना के लिए पर्यटन के बारे में कार्यदल का मानना है कि अनेक कारणों से ग्रामीण पर्यटन से जुड़ी परियोजनाओं के सीमित सफलता मिली है। इस कार्यदल ने एक योजना का सुझाव दिया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण पर्यटन की पूरी संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।

ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने की रणनीति एक गांव को विकसित करने की बजाय गांवों के समूहों को अलग-अलग चरणों में विकसित करने पर केंद्रित है।

इसमें कहा गया है कि भौगोलिक दृष्टि से आसपास मौजूद गांवों के समूहों में पर्यटन सुविधाओं या अवसरों पर विशेष ध्यान देने से पर्यटकों को बेहतर तरीके से आकर्षित किया जा सकता है।

शिल्प बाजार या हाट लगाकर स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग की जा सकती है। टूर ऑपरेटर ऐसे सस्ते और व्यावहारिक यात्रा पर बड़ी संख्या में पर्यटन के इलाकों में ले जा सकते हैं जहां उनके लिए जीवन शैली, स्थानीय कला और शिल्पियों/कलाकारों और ललित कला सहित विविधता से भरे शॉपिंग के अवसर उपलब्ध हों।  (PIB)  22-नवंबर-2012 12:34 IST                                     (पीआईबी फीचर)

*लेखिका स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।

इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय उनसे सहमत हो।

मीणा/कविता/प्रियंका/अर्जुन- 287

पूरी सूची -22.11.2012

शुक्रवार, जून 01, 2012

स्‍नातकों एवं अध्‍यापकों के निर्वाचन क्षेत्रों से

 महाराष्‍ट्र विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव
     महाराष्‍ट्र विधान परिषद के 02(दो) स्‍नातकों एवं 02(दो) अध्‍यापकों के निर्वाचन क्षेत्रों से 04(चार) सदस्‍यों के सेवा निवृत होने के कारण उनके कार्यालय की अवधि उनके नाम के सामने दी गई तारीख को पूरी हो जाएगी, इसका ब्‍यौरा नीचे दिया गया है:-

क्रम संख्‍या
सदस्‍यों के नाम
निर्वाचन क्षेत्र का नाम
सेवानिवृति की तारीख

1
2
3
1
डा. दीपक सावंत
मुंबई स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
2
श्री. संजय मुकुन्‍द केलकर
कोंकण डिविजन स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
3
श्री. दिलीपराव शंकरराव सोनवाणे
नासिक डिविजन अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
4
श्री. कपिल पाटिल
मुंबई अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
2.   आयोग ने यह निर्णय लिया है कि महाराष्‍ट्र विधान परिषद की उक्‍त उल्लिखित स्‍नातक एवं अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्रों से द्विवार्षिक चुनाव निम्निलिखित कार्यक्रम के अनुसार संचालित किया जाए:-
क्रम संख्‍या
इवेन्‍ट

अनुसूची
1
अधिसूचना जारी करना
:
08 जून, 2012 (शुक्रवार)
2
नामांकन करने की आखिरी तारीख
:
15 जून, 2012 (शुक्रवार)
3
नामांकनों की संवीक्षा
:
16 जून, 2012 (शनिवार)
4
नामांकन वापिस लेने की आखिरी तारीख
:
18 जून, 2012 (सोमवार)
5
मतदान की तारीख
:
02 जुलाई, 2012 (सोमवार)
6
मतदान की अवधि
:
सुबह 08 से सांय 04 बजे तक
7
वोटों की गणना
:
04 जुलाई, 2012 (बुधवार) सुबह 08 बजे से
8
सामने दी गई तारीख से पहले चुनाव पूरा कर लिया जाए
:
07 जुलाई, 2012 (शनिवार)

3.   उक्‍त उल्लिखित निर्वाचन क्षेत्रों से मतदाता सूचियों को 01 नवम्‍बर, 2011 को योग्‍यता की तारीख मानते हुए संशोधित कर लिया गया है तथा 28 दिसम्‍बर, 2011 एवं 20 जनवरी, 2012 को अंतिम रूप से प्रकाशित कर दिया गया है। तथापि, माननीय बम्‍बई हाई कोर्ट ने पीआईएल न: 48 ऑफ 2012 तथा डब्‍ल्‍यू.पी. न: 901 ऑफ 2012 में दिनांक 09 मई, 2012 के अपने आदेश में यह निर्देश दिया है कि अन्‍य बातों के साथ-साथ तीन नामी मुंबई के अंग्रेजी एवं मराठी अखबारों में सात दिनों यह विज्ञापन जारी किया जाए कि स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र में वोट देने वालों की सूची में जिसका नाम शामिल नहीं है, वोट देने वाले का नाम शामिल करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 होगी। तदनुसार, कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में विज्ञापन लगातार सात दिनों तक प्रकाशित किए जाते रहे कि मतदाता सूची में नामांकन करने के लिए आवेदन प्राप्‍त करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 रहेगी।

4.    माननीय बम्‍बई हाई कोर्ट द्वारा पारित किए गए उक्‍त आदेश को ध्‍यान में रखते हुए, नामांकन करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 रखी गई है जिससे कि मतदाता सूची में पंजीकरण करने के लिए आवेदन संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा प्राप्‍त कर लिए जाए।

          
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शुक्रवार, मई 25, 2012

डा. अश्वनी कुमार एक पत्रकार सम्मेलन में

योजना,  विज्ञान व तक्नौकिजी और भू विज्ञान मन्त्रालय के मंत्री डाक्टर अश्वनी कुमार 24 मई 2912 को नई दिल्ली में एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित  करते हुए। उनके साथ पत्र सूचना कार्यालय की प्रिंसिपल  निदेशक सुश्री नीलिमा कपूर भी नज्जार आ रही हैं.  (पीआईबी फोटो    24-May-2012 

मंगलवार, मई 22, 2012

जैव विविधता का महत्व

 विशेष सेवा एवं फीचर जैव विविधता                                             डॉ. बालाकृष्णा पिसुपति ⃰ 
चित्र साभार नैनीताल समाचार 
जीवन की विविधता (जैव विविधता) धरती पर मानव के अस्तित्व और स्थायित्व को मजबूती प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) घोषित किए जाने के बावजूद, यह जरूरी है कि प्रतिदिन जैव विविधता से सम्बद्ध मामलों की समझ और उनके लिए जागरूकता बढ़ाई जाए। समृद्ध जैव विविधता अच्छी सेहत, खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास, आजीविका सुरक्षा और जलवायु की परिस्थितियों को सामान्य बनाए रखने का आधार है। विश्व में जैव विविधता का सालाना योगदान लगभग 330 खरब डॉलर है। हालांकि इस बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा का तेजी से ह्रास होता जा रहा है।
           वर्ष 2012 के अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का मूल विषय समुद्रीय जैव विविधता है। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता आज दुनिया भर के लाखों लोगों के अस्तित्व को बचाए रखने का आधार बनाती है। पृथ्वी की सतह के 71 प्रतिशत हिस्से पर महासागर है और यह 90 प्रतिशत से ज्यादा रहने योग्य जगह बनाता है। तटीय क्षेत्र नाजुक पारिस्थितिक तंत्र प्रणालियों-मैनग्रोव्स, प्रवाल-भित्तियों, समुद्री पादप और समुद्री शैवालों के लिए सहायक हैं। लेकिन इन क्षेत्रों में जीवन की विविधता को कम समझा गया है और उनकी अहमियत कम करके आंकी गई है जिसके परिणामस्वरूप उनका जरूरत से ज्यादा दोहन हुआ है। कुछ समुद्रीय प्रजातियां गायब हो रही हैं और कुछ का अस्तित्व संकट में है। समुद्रीय जैव विविधता की आर्थिक एवं बाजार सम्बंधी सम्भावनाओं को अभी तक भली-भांति समझा नहीं जा सका है, जबकि समुद्रीय विविधता की सम्भावनाएं कई गुणा बढ़ गई हैं। समुद्रीय जीवन से सम्बद्ध उत्पादों और प्रक्रियाओं पर लिए जाने वाले पेटेंट्स की संख्या हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है।
           भारत में करीब 7,500 किलोमीटर तटीय क्षेत्र है, जिसमें से करीब 5,400 किलोमीटर प्रायद्वीपीय  क्षेत्र भारत से सम्बद्ध है और बाकि हिस्से में अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह हैं। कम ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों में रहने वाली कुल वैश्विक आबादी का करीब 11 प्रतिशत हिस्सा, दुनिया की 0.25 प्रतिशत से भी कम तटीय क्षेत्र वाले भारत में बसता है। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों समुदायों की आजीविका का प्रमुख साधन मछली पकड़ना है। भारत का तटीय क्षेत्र प्रवाल भित्तियों, मैनग्रोव्स, समुद्रीय पादप/समुद्री शैवालों, खारे पानी वाले निचले दलदली इलाकों, रेत के टीलों, नदियों के मुहानों और लगून्स से भरपूर है।
           भारत में तीनों प्रमुख रीफ या समुद्री चट्टानें (एटॉल, फ्रिंजिंग  और बेरियर) बेहद वैविध्यपूर्ण, विशाल और बहुत कम हलचल वाले समुद्री चट्टानों वाले इलाकों में मिलती हैं। भारत की तटीयरेखा के चारों तरफ चार प्रमुख समुद्री चट्टानों वाले रीफ क्षेत्र हैं। पश्चिमोत्तर में कच्छ की खाड़ी है, दक्षिण पूर्व में पॉक और मन्नार की खाड़ी हैं, पूर्व में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह हैं तथा पश्चिम में लक्षद्वीप द्वीपसमूह है। मैनग्रोव्स 4827 वर्गकिलोमीटर के दायरे में फैले हैं इनमें से पूर्वी तट के साथ 57 प्रतिशत, पश्चिमी तट के साथ 23 प्रतिशत और बाकी के 20 प्रतिशत अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के साथ हैं। भारतीय समुद्रों में छह श्रेणियों के साथ समुद्री पादपों की 14 प्रजातियां  होने की जानकारी है। उपरोक्त वर्णित सभी पारिस्थितिक तंत्र अनूठे समुद्रीय और जमीन पर रहने वाले वन्यजीवन को आश्रय देती हैं।
           प्रवाल भित्तियों की आर्थिक सामर्थ्‍य करीब 125 करोड़ डॉलर/हैक्टेयर/वर्ष है। ये आंकड़े अर्थशास्त्रियों के शोध के हैं। सोचिए हमें स्थानीय लोगों के लिए इस सामर्थ्य के महज 10 प्रतिशत हिस्से के बारे में ही मालूम है।
           मानव के बार-बार समुद्रीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र से लाभान्वित होते रहने के बावजूद, हमारी भूमि और महासागर पर आधारित गतिविधियों ने समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है। तटवर्ती शहरों और उद्योगों द्वारा अंधाधुंध कचरा बहाने और मछली तथा अन्य समुद्रीय उत्पादों का सीमा से अधिक दोहन प्रमुख चुनौतियां हैं।
           लिहाजा तटीय और समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्रों पर विपरीत असर डालने वाली जमीनी गतिविधियों को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। इतना ही नहीं, समुद्रीय संसाधन आमतौर पर स्वभाविक रूप से पुनः उत्पन्न हो जाने की क्षमता रखते हैं, इसके बावजूद उनका दोहन उनकी दोबारा उत्पत्ति की क्षमता के लिहाज से सीमित होना चाहिए। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए समुद्रीय संरक्षित क्षेत्रों/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्रों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। भारत में बहुत से समुद्रीय संरक्षण क्षेत्र/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्र हैं और इनका विस्तार किए जाने की जरूरत है।
           दुनिया भर के पर्यावरण मंत्रियों द्वारा आगामी ‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज टू द कंवेशन ऑन बॉयोलॉजिकल डाइवर्सिटी‘(सीबीडी सीओपी 11) की 11वीं बैठक में समुद्रीय और तटीय जैव विविधता पर विशेष और प्रमुख ध्यान दिए जाने की सम्भावना है। इस दौरान सिर्फ समुद्रीय जीवन और तटीय जैव विविधता के संरक्षण के सम्मिलित प्रयासों की पहचान किए जाने की ही सम्भावना नहीं हैं बल्कि इस प्राकृतिक खजाने की आर्थिक सामर्थ्य पर भी गौर किया जाएगा, जो आजीविका मुहैया कराती है, हमें जलवायु परिवर्तन से बचाती है और यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारे भोजन एवं पोषण की सुरक्षा यथावत् रहने के  साथ ही साथ उचित अंतरालों के साथ बढ़ती भी  रहे।

-22 मई 2012 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है।
⃰अध्यक्ष राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण
दावाअस्‍वीकरण- इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं कि पीआईबी उनसे सहमत हो।                          (पीआईबी फ़ीचर21-मई-2012 17:45 IST

सोमवार, मई 21, 2012

आतंकवाद निरोधी दिवस:सरकारी कर्मचारियों ने ली शपथ

सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का किया विरोध
दिल्ली की वीर भूमि पर स्थित दिवंगत प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी की समाधि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नैशनल एडवाइज़री  काउन्सिल की चेयरपर्सन   सुश्री सोनिया गाँधी उनके साथ उनके बेटे राहुल गाँधी भी हैं
इसी दुखद घड़ी पर प्रधानमन्त्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये (पीआईबी फोटो)
कर्मचारियों को शपथ दिलाते केन्द्रित गृह मंत्री पी चिदम्बरम (पीआईबी) फोटो)
आज पूरे देश में आतंकवाद निरोधी दिवस मनाया जा रहा है। देश के सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और अन्‍य जनसंस्‍थानों के कर्मचारियों ने सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा के विरूद्ध शपथ ली। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्‍बरम ने आज प्रात: नॉर्थ ब्‍लाक स्थित गृह मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को शपथ दिलाई।
देश के सभी वर्गों के लोगों में आतंकवाद, हिंसा और जनता, समाज और पूरे देश पर पड़ने वाले इसके खतरनाक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
आतंकवाद निरोधी दिवस मनाये जाने के पीछे मुख्‍य उद्देश्‍य युवाओं को आम जनता की पीड़ा के बारे में जानकारी देते हुए और यह दर्शाते हुए कि आतंकवाद किस प्रकार राष्‍ट्रीय हितों के विरूद्ध है, आतंकवाद/हिंसा की पद्धति से दूर रखना है। स्‍कूलों, कॉलेजों और विश्‍वविद्यालयों में वाद-विवाद/विचार-विमर्श के आयोजन, आतंकवाद और हिंसा के खतरों के बारे में विचार गोष्‍ठियों/सेमिनारों/व्‍याख्‍यानों आदि के आयोजन द्वारा तथा आतंकवाद व हिंसा के विरूद्ध जागरूकता लाने के लिए समर्पित एवं स्‍थायी अभियान चलाकर इन उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य है।( पीआईबी)
21-मई-2012 13:48 IST 

मंगलवार, मई 15, 2012

बहुत ही उत्साह से देखा गया रेड रिबन एक्सप्रेस को

रेड रिबन एक्सप्रेस जब 15 मई 2012 को तमिलनाडू के ज़िला करूर में पहुंची तो वहां इसे बहुत ही उत्साह से देखा गया।  इस मौके पर जिला कुलेक्टर सुश्री वी शोभना ने भी इस रेलगाड़ी में लगी प्रदर्शनी को विशेष तौर पर देखने के लिए \वक्त  निकला।.(पीआईबी फोटो)   15-May-2012