बहुत उतराव चढ़ाव देखे इस एयरलाईन ने
सोशल मीडिया//इंटरनेट:12 नवम्बर 2021 (इर्दगिर्द ब्यूरो)::
सन 1932 में टाटा ग्रुप ने भारत की पहली कमर्शियल "टाटा एअरलाईन" की स्थापना की थी। इस तरह भारतीय जज़बात भी आसमान छूने में कामयाब रहे। यह उड़ान ऐतिहासिक थी। निजी कम्पनी थी लेकिन फिर भी कहीं न कहीं राष्ट्रीयता की भावना जुडी हुई थी।
इस एअरलाईन को मुंबई से कराची के बीच "डाक विमान सेवा" का काम मिला था। एक शुरुआत थी जिसने बहुत सी उपलब्धियां भी अर्जित कीं। बेहद दिलचस्प बात कि इस विमान मे जे.आर.डी.टाटा खुद पायलट थे। यह भी एक ऐतिहासिक तथ्य रहा। भावनाओं से जुडी हुई बात।
विकास का यह दौर जारी रहा। सन 1946 मे जे.आर.डी.टाटा ने "टाटा एअरलाईन" को पब्लिक लिमिटेड कंपनी "एअर इंडिया लिमिटेड" मे रूपांतरित कर दिया था। यह भी एक ऐतिहासिक कदम रहा।
वर्ष 1953 में भारत सरकार ने "एअर इंडिया लिमिटेड" का राष्ट्रीयकरण करके "एअर इंडिया" को अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा बनाया गया और "इंडियन एअरलाईन" नाम की घरेलू विमान सेवा बनाई गई थी। यह शायद उड़ान के क्षेत्र में टाटा परिवार की सेवाओं और उपलब्धियों की एक नई शिखर थी।
गौरतलब है कि राष्ट्रीयकरण से पहलें "एयर इंडिया" एक प्राईवेट लिमिटेड कंपनी थी। "एअर इंडिया" के CEO जे. आर. डी. टाटा (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) खुद थे। उनकी देखरेख और सूझबूझ इसे तरक्की पर ले कर जाती रही। नए नए एक्सः छूए इस एअरलाईन ने।
यह सिलसिला राष्ट्रीयकरण के बाद भी जारी रहा। "एयर इंडिया" के राष्ट्रीयकरण के बाद भी कांग्रेस प्रणित भारत सरकार ने जे.आर.डी.टाटा को "एअर इंडिया" का चेयरमैन बनाये रखा था। "एअर इंडिया" बहुत ही अच्छी तरह चल रही थी। दुनिया के सभी प्रमुख देशो मे "एअर इंडिया" के विमान जाते थे। "एअर इंडिया" मे सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। एक नाम बन गया था। एक साख बन गयी थी। लोग गर्व से लेते थे एयर इंडिया का नाम।
लेकिन जल्द ही मोड़ आने लगा। शायद उतराव शुरू हो गया। इंदिरा गांधी को चुनाव मे हरा कर पहली बार संधी जनता पार्टी की सरकार बनी. उस संघी सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने थे। इसी सरकार ने भारत की सिक्रेट गुप्तचर संस्था "रॉ" के पाकिस्तान मे मौजूद गुप्त एजेंटो की जानकारी पाकिस्तान को देकर "रॉ" के सभी गुप्त एजेंटो की पाकिस्तान मे हत्या करवा दी थी। उस समय के "आई बी" और "रॉ" चीफ ऑफ डायरेक्टर ने रिटायर्ड होने के बाद अपनी किताब मे यें सब बात लिखी है। बातें सनसनीखेज़ हैं जिन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। आम जनता तक ये बातें नहीं पहुंच पायीं। इसी दौर से शुरू हो गयी थी एयरलाईन में गिरावट की शुरुआत।
बात कोई ज़यादा पुरानी नहीं है। सन 1978 मे संघी मोरारजी देसाई सरकार ने "एअर इंडिया" के चेयरमैन पद से जे.आर.डी.टाटा को हटाकर अपने संघी विचारधारा के समर्थक व्यक्ती को चेयरमैन बनाया था। उसके बाद से ही धीरे धीरे एअर इंडिया आय के मामले पिछडने का सिलसिला शुरू हो गया था।
जे.आर.डी.टाटा ने अपने जीवन में सिर्फ एक ही टीवी इंटरव्यू दिया था। Convention कार्यक्रम के इस इंटरव्यू में पत्रकार राजीव मेहरोत्रा ने जे.आर.डी.टाटा से मोरारजी देसाई सरकार द्वारा उन्हें एयर इंडिया चेयरमैन पद से हटाने के बारे में पूछा तो उन्होने बडी विनम्रता से जवाब दिया-“जो काम शुरू होता है, वो काम ख़त्म भी होता है। इस के बारे मे उन्हें उम्मीद भी थी। परन्तु मोरारजी देसाई सरकार ने मुझे बिना सूचित किये एकदम से हटा दिया। यूं मुझे अपमानित करके बहोत दुःख देने वाला था।”
जब सन 1980 के लोकसभा चुनाव मे पूर्ण बहुमत के साथ इंदिरा गाँधी ने सत्ता वापिस हासिल कर ली, और जे.आर.डी.टाटा को दोबारा एयर इंडिया चेयरमैन बनाने का फेसला लिया था मगर जे.आर.डी.टाटा ने खुद इंदिरा गांधी से मुलाकात करके चेअरमेन पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
जे.आर.डी.टाटा ने इंदिरा गांधी से कहा-
"मुझे कामचलाऊ काम करना बिलकुल पसंद नहीं है। मै एक perfectionist हूं. और मै चाहता हूं, कि हर काम पुर्णतः समर्पित हो कर किया जायें।"
इसी तरह "एयर इंडिया" के स्टाफ से वो हमेशा कहते थे, की एअर इंडिया का कोई विमान उड़ान भरे तो वह अन्दर-बाहर से इतना चमचमाता हो जैसे उसे अभी-अभी ख़रीदा गया है। अपने विमान में उड़ान भरते समय वे हमेशा नोट्स लिखते थे कि और किन-किन सुधारों की एअर इंडिया को ज़रुरत है और विमान से उतरते ही उन सुधारों पर काम शुरू कर देते थे।
संघर्ष और उतराव चढ़ावों का लम्बा दौर देखा इस एयरलाईन ने। अब "8 अक्टूबर 2021 को रतन टाटा ने 68 साल के बाद "एयर इंडिया" को देश को बर्बाद करके दिवालीयां बना चुकी संघी नरेंद्र मोदी सरकार से खरीद कर फिर से "टाटा ग्रुप" में वापीस लेकर आ गये है।"
"एअर इंडिया" को बधाई। बहुत से लोग खुश हैं इस वापिसी से और उनके मनों में नई उम्मीदें जगी हैं। जल्दी ही एयरलाइन फिर से आसमान छाएगी पूरे गौरव के साथ।
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