20-अगस्त-2013 16:42 IST
29 दुकानों में बेचीं जा रही थीं प्रतिबंधित दवाएं
कोई दवा एक देश में प्रतिबंधित हो सकती है लेकिन दूसरे देशों के बाजार में बेची जा सकती है, क्योंकि हर देश की सरकारें दवा के इस्तेमाल, खुराक, उससे जुड़े जोखिम, अनुपात के बारे में अलग-अलग निर्णय लेती है। राज्य औषधि नियंत्रण विभाग अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण रखने के लिए छापे डालते हैं। 2011 में दिल्ली और मुंबई के पास केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने छापे डाले। जैटिफलॉक्स सेसिन, टिगासरोड, रोजीगिलिटाजोन की वापसी के लिए यह छापे डाले गए थे, क्योंकि ये दवाएं प्रतिबंधित की गई थीं। यह पाया गया कि 29 दुकानों में भारत के गजट में अधिसूचना जारी होने के बाद प्रतिबंधित दवाएं बेची जा रही थीं। इन मामलों में औषधि तथा प्रसाधन कानून-1940 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई।
औषधि महानियंत्रक की मंजूरी के बिना राज्य के लाइसेंसिंग प्राधिकरणों ने नई दवाएं समझकर तय खुराक वाले मिश्रणों के 23 मामलों को मंजूरी दी। राज्य की लाइसेंसिंग प्राधिकरणों से कहा गया कि वे इन मामलों में औषधि तथा प्रसाधन कानून-1940 के तहत कार्रवाई करें।
नई दवाओं की मंजूरी केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन देता है। यह मंजूरी नान- क्लिनिकल डाटा, सुरक्षा संबंधी क्लिनिकल डाटा, तथा दूसरे देशों में उनकी नियामक स्थिति को देखकर दी जाती है, लेकिन ऐसे मामले में क्लिनिकल जांच की जरूरत नहीं होती, जिनमें दवाएं अन्य देशों में उपलब्ध डाटा के आधार पर मंगाने की मंजूरी सार्वजनिक हित में लाइसेंसिंग प्राधिकरण देता है।
सीडीएससीओ ने बिना क्लिनिकल जांच के निम्न संख्या में दवाओं की मंजूरी दी-
औषधि महानियंत्रक की मंजूरी के बिना राज्य के लाइसेंसिंग प्राधिकरणों ने नई दवाएं समझकर तय खुराक वाले मिश्रणों के 23 मामलों को मंजूरी दी। राज्य की लाइसेंसिंग प्राधिकरणों से कहा गया कि वे इन मामलों में औषधि तथा प्रसाधन कानून-1940 के तहत कार्रवाई करें।
नई दवाओं की मंजूरी केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन देता है। यह मंजूरी नान- क्लिनिकल डाटा, सुरक्षा संबंधी क्लिनिकल डाटा, तथा दूसरे देशों में उनकी नियामक स्थिति को देखकर दी जाती है, लेकिन ऐसे मामले में क्लिनिकल जांच की जरूरत नहीं होती, जिनमें दवाएं अन्य देशों में उपलब्ध डाटा के आधार पर मंगाने की मंजूरी सार्वजनिक हित में लाइसेंसिंग प्राधिकरण देता है।
सीडीएससीओ ने बिना क्लिनिकल जांच के निम्न संख्या में दवाओं की मंजूरी दी-
वर्ष
|
बिना क्लिनिकल जांच के मंजर दवाओं की संख्या
|
2010
|
13
|
2011
|
3
|
2012
|
8
|
2013(जुलाई तक)
|
2
|
यह जानकारी आज लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। (PIB)
इ.अहमद/गांधी/यशोदा- 5709
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें