11-फरवरी-2013 17:48 IST
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में किया सम्मेलन का उद्धाटन
एकता/अखंडता को कमजोर करने की कोशिशों को नाकाम करते रहें
सरकार के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था भी करें
सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह आयोजन दिल्ली में एक लड़की के साथ निर्मम बलात्कार और उसकी मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के साये में हो रहा है जिसने राष्ट्र के सामूहिक अन्त:करण को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्मा समिति की सिफारिशों पर तत्काल कार्रवाई की और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2013 संसद के बजट सत्र में रखे जाने के लिए तैयार है। उन्होंने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण में सुधार की दिशा में कार्य करें। उन्होंने कहा कि समाज में लोगों की सोच बदलने की जरूरत है, ताकि महिलाओं के साथ सम्मानजनक तरीके से व्यवहार किया जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा में 2012 में सुधार हुआ, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें देश की एकता और अखण्डता को कमजोर करने वाली राष्ट्र विरोधी ताकतों की किसी भी साजिश को विफल करने के अपने प्रयासों में अटल रहना होगा। आतंकवाद से निपटने की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत रहनी चाहिए। उन्होंने सीमावर्ती राज्यों को सलाह दी कि वे अतिरिक्त सतर्कता बरतें। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के विकास से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में तेजी लाने की जरूरत है, ताकि बढ़ती चुनौतियों से मुकाबला किया जा सके। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था को तत्काल मजबूत बनाने की जरूरत है।
सरकार ने पंजाब और हरियाणा में फसलों की विविधता की तैयारी करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्वी क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक रणनीति तैयार की है। असम, बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के लिए 2010-11 में एक कृषि विकास कार्यक्रम को लागू करने का फैसला किया गया। 2010-11 और 2011-12 के दौरान कार्यक्रम के लिए 400 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई, जिसे 2012-13 के दौरान बढ़ाकर एक हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। पूर्वी भारत में दूसरी हरित क्रांति पर लगातार ध्यान केन्द्रित करने और केन्द्र और राज्यों की सभी सम्बद्ध एजेंसियों द्वारा प्रयास करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि पहली हरित क्रांति और उसके पर्यावरण पर प्रभाव से सबक लेकर हमें दूसरी हरित क्रांति करनी चाहिए, जिसमें मिट्टी और जल प्रबंधन के मुद्दों पर शुरू से ही विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि खरीद नीति क्षेत्र के किसानों के हित में होनी चाहिए और क्षेत्र में पर्याप्त भण्डारण सुविधाएं बनाई जानी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में लगातार जारी प्रयासों के काफी उत्साहवर्धक परिणाम रहे। देश में चावल के कुल उत्पादन में पूर्वी क्षेत्र के हिस्से में काफी बढ़ोत्तरी हुई। 2011-12 के दौरान देश में चावल का कुल 104.32 मिलियन टन उत्पादन हुआ, जिसमें से पूर्वी क्षेत्र के उत्पादन का 55.34 मिलियन टन रिकॉर्ड योगदान रहा। राष्ट्रपति ने कहा कि जल क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार ने राष्ट्रीय जल नीति (2012) घोषित की और इसके कार्यान्वयन से जल क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों से निपटा जा सकेगा। भारत की आबादी विश्व की कुल आबादी का 18 प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन केवल चार प्रतिशत के पास उपयोग करने योग्य ताजा जल संसाधन हैं। भारत में पानी की कमी है और पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता कम हो गई है। हमारी जल्दी ही पानी की कमी वाले देशों में गिनती होने लगेगी। एक अनुमान के अनुसार 2050 में 17 प्रतिशत आबादी के पास पानी की कमी होगी। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि पानी और स्वच्छता जीवन की मूलभूत जरूरतें हैं और इन्हें संतोषजनक तरीके से प्रदान करना सुशासन का संकेत है। भूमिगत जल के प्रबंध को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम लागू कर रहा है ताकि ग्रामीण इलाकों में पेयजल प्रदान करने के राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रयासों को सहायता मिल सके। इसके लिए 2012-13 के बजट में 10,500 करोड़ रुपये का खर्च रखा गया। इस कार्यक्रम पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है। सुरक्षित पेयजल का इस्तेमाल, खुले में शौच, स्वच्छ भोजन के अभाव से उच्च शिशु मृत्यु दर और अनेक बीमारियों को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि हमें ग्रामीण और शहरी भारत में उपलब्ध जल संसाधनों का इस्तेमाल तरीके से करना चाहिए, बेकार पानी को फिर से इस्तेमाल योग्य बनाना चाहिए और पानी को बर्बाद होने से बचाना चाहिए, भूमिगत जल को रिचार्ज करने और स्वच्छता की सुविधाएं सुनिश्चित करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने सभी राज्यपालों से आग्रह किया कि वे निर्मल भारत अभियान पर विशेष ध्यान दें, जिसे सरकार ने पीने के पानी की सुविधा देने के साथ सभी ग्राम पंचायतों को निर्मल बनाने के लिए शुरू किया है, ताकि गांव वालों को बेहतर स्वास्थ्य और अच्छा जीवन मिल सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2005 से लागू जेएनएनयूआरएम शहरी बुनियादी सुविधाएं सृजित करने के लिए एक प्रमुख निवेश कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि शहर और शहरी इलाके जीडीपी का 60 प्रतिशत से ज्यादा योगदान देते हैं और देश में रोजगार सृजन का 80 प्रतिशत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और हम इन्हें उचित शिक्षा और हुनर देकर बेहतर भविष्य की आशा कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि राज्य विश्वविद्यालयों के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है, 12वीं योजना में एक नए कार्यक्रम राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए केन्द्रीय धनराशि को स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग की स्थापना जनवरी 2013 में की गई। उन्होंने राज्यपालों से कहा कि वे राज्य वित्त आयोगों के गठन पर ध्यान दें, जिसमें पर्याप्त कर्मचारी हों, राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट समय पर राज्यपाल को मिले और उस रिपोर्ट पर सरकार समय पर कार्रवाई करे।
इस दो दिवसीय सम्मेलन की कार्यसूची में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, सरकार के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था को मजबूत करने, पूर्वी क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति के विस्तार, जल प्रबंध और स्वच्छता, जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और सुशासन के संदर्भ में राज्यपालों की भूमिका शामिल है।
सम्मेलन में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नौ केन्द्रीय मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और युआईडीएआई के अध्यक्ष भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन को सुबह मंत्री और दोपहर में प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति सम्बोधित करेंगे। (PIB)
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राष्ट्रपति ने किया राज्यपालों के 44वें सम्मेलन का उद्धाटन वि.कसोटिया/कविता/राजेश-524
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