माहज़बीं बानो से मीना कुमारी तक का सफ़र केवल 39-40 बरस का ही था. छोटी सी ज़िन्दगी और वह भी गमसे भरी हुयी. मना कुमारी ने इस गम को गले कगाया और लोगों को शायरी की वह सौगात दी कि 39 बरस सात महीनों की वह छोटी सी ज़िन्दगी सदियों पर भारी हो गयी. बहुत से लोग आते हैं...लम्बी उम्र तक जीते भी हैं....बहुत कुछ करते भी हैं..पर वे कब रुखसत होते हैं कुछ पता नहीं चलता. उनके जाने के बाद भी कभी उनकी कोई चर्चा नहीं होती लेकिन मीना कुमारी को भूलना अगर नामुमकिन नहीं तो मुश्किल ज़रूर है. वह जिंदगी के हर सुख दुःख में याद आती है. जब वह कहती है हम सफ़र कोई गर मिले भी कहीं... दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा...कल उसकी बरसी थी. साँसों का जो सिलसिला एक अगस्त 1932 को शुरू हुआ था वह 31 मार्च 1972 को थ गया बिलकुल ऐसे जैसे कोई गुज़र चूका वित्तीय वर्ष रुक जाता है अपने तमाम पुराने कारोबारी हिसाबों के साथ. आओ आज उसकी यादों का एक नया पन्ना उलटते हैं किसी नए साल की तरह.
दिल मिला है कहाँ -कहाँ तन्हां
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हां
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हां है और जां तन्हां
हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे यहाँ तन्हां
जलती -बुझती -सी रौशनी के परे
सिमटा -सिमटा -सा एक मकां तन्हां
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये मकां तन्हा
आप इए उसकी आवाज़ में भी अवश्य सुनिए और महसूस कीजिये उसके दिल का दर्द... ;
उसकी एक और ग़ज़ल लोकप्रिय हुयी थी जिसके बोल थे टुकड़े टुकड़े दिन बीता और धज्जी धज्जी रात मिली :
टुकडे -टुकडे दिन बीता, धज्जी -धज्जी रात मिली
जितना -जितना आँचल था, उतनी हीं सौगात मिली
जब चाह दिल को समझे, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसा कोई कहता हो, ले फ़िर तुझको मात मिली
होंठों तक आते -आते, जाने कितने रूप भरे
जलती -बुझती आंखों में, सदा-सी जो बात मिली
इस ग़ज़ल को भी आप सुन सकते हैं उसकी आवाज़ में........:
आज भी मीना कुमारी की फिल्में बहुत कुछ कहती हैं. आप देखना चाहें तो प्रस्तुत है उन फिल्मों की एक लिस्ट:
जिसे विकिपीडिया के साभार यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है.
मीना की प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
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1971 | पाकीज़ा | नर्गिस/साहिबज़ान | |
1971 | दुश्मन | माल्ती बड़जात्या दीन | |
1971 | मेरे अपने | aanandi devi | |
1970 | जवाब | विद्या | |
1967 | मझली दीदी | ||
1967 | नूरजहाँ | ||
1967 | चन्दन का पालना | शोभा राय | |
1967 | बहू बेगम | zeenat | |
1966 | फूल और पत्थर | शांति देवी | |
1965 | काजल | माधवी | |
1965 | भीगी रात | ||
1964 | गज़ल | ||
1964 | बेनज़ीर | बेनज़ीर | |
1964 | चित्रलेखा | चित्रलेखा | |
1963 | दिल एक मन्दिर | सीता | |
1963 | अकेली मत जाइयो | ||
1963 | किनारे किनारे | ||
1962 | साहिब बीबी और ग़ुलाम | ||
1962 | मैं चुप रहूँगी | गायत्री | |
1962 | आरती | आरती गुप्ता | |
1961 | प्यार का सागर | ||
1961 | भाभी की चूड़ियाँ | ||
1960 | कोहिनूर | ||
1960 | दिल अपना और प्रीत पराई | करुणा | |
1959 | अर्द्धांगिनी | छाया | |
1959 | चार दिल चार राहें | ||
1958 | सहारा | लीला | |
1958 | फ़रिश्ता | ||
1958 | यहूदी | ||
1958 | सवेरा | ||
1957 | मिस मैरी | ||
1957 | शारदा | शारदा | |
1956 | मेम साहिब | मीना | |
1956 | एक ही रास्ता | माल्ती | |
1956 | शतरंज | ||
1955 | आज़ाद | शोभा | |
1955 | बंदिश | ऊषा सेन | |
1954 | बादबाँ | ||
1953 | परिनीता | ललिता | |
1952 | बैजू बावरा | गौरी | |
1952 | तमाशा | किरन | |
1951 | सनम | ||
1946 | दुनिया एक सराय |
meena kumaari ke baare mein likhna padhna dono hi behtreen wishy hai ..shukriya isko padhwane ke liye
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