बुधवार, अक्तूबर 09, 2024

सम्पन्न व्यवसाय में बदला जा सकता है छोटे से बगीचे को

Friday 20th September 2024 at 19:22//Horticulture//Domestic Industry//Punjab Screen media Group+Resources

खुशियां बांटता व महकता हुआ बगीचा आर्थिक खुशहाली भी देगा 


चंडीगढ़
//मोहाली: (कार्तिका कल्याणी सिंह//मीडिया लिंक//इर्द गिर्द डेस्क)::

जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है और  बेरोज़गारी भी तो हालात बुरी तरह से भयानक होते जा रहे हैं। नौकरी आसानी से मिलती भी नहीं और नौकरी से पूरी तरह गुज़ारा होता भी नहीं दिखता। ऐसे में कोई न कोई कारोबार होना ही आवश्यक लगने लगा है। लेकिन कारोबार के लिए पूरा अनुभव और इमारतें भी कहां से जुटाई जा सकती  हैं। निराशा और दुविधा के ऐसे अंधेरे में  बागबानी का क्षेत्र भी बहुतसी उम्मीदें लेकर आता है। छोटी सी जगह भी इस मकसद के लिए काफी रहती है। थोड़े से बीज, थोड़ी सी ट्रेनिंग और थोड़े से औज़ार एक अच्छी शुरुआत के लिए काफी हैं। सब्ज़ियों और फूलों के मिला जुला व्यवसाय बहुत आकर्षक आमदनी देने लगता है। पीएयू की कवरेज के दौरान मैंने कई बार किसान मेलों में जा कर भी देखा तो इस मामले में लोगों  को हैरानीजनक हद तक सफल होते देखा।  

छोटे से बगीचे को एक संपन्न व्यवसाय में बदलना कोई ज़्यादा कठिन भी नहीं होता। बस लगन और लगाव बहुत जल्द करिश्मे दिखाने लगते हैं। छोटे से बगीचे की छोटी सी शुरुआत संपन्नता का बहुत बड़ा व्यवसाय सामने ले आती है। आजकल बाज़ार से बहुत बड़ी कीमतें दे कर भी शुद्ध सब्ज़ी नहीं मिलती जिमें मिलावट या कीटनाशकों का दुरपयोग न  हुआ हो ।  छोटा सा बगीचा जहां आपको अपने परिवार के लिए बहुत सी ताज़ी वहीं आपके चाहने वाले, नज़दीकी रिश्तेदार और ओसी-पड़ोसी भी इस सब्ज़ी को खरीदने में  दिखाएंगे क्यूंकि बाज़ार में तो ऐसी सब्ज़ी  ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलती। 

इसलिए छोटे बगीचे के सुझाव कम कारगर न होंगें। इनसे भी काफी फायदा मिल सकेगा। कम इंवेस्टमेंट से ही करीब पूरा अनुभव जुटाना अच्छा ही रहेगा। इसके बाद इसे कभी भी बजट देख कर बढ़ाया जा सकता है। जैसे जैसे उत्पादन बढ़ेगा वैसे वैसे इस कारोबार का दायरा बढ़ाना भी अच्छा रहेगा। यहाँ कुछ मूल्यवान छोटे बगीचे के सुझाव दिए गए हैं जो आपको अपने सीमित स्थान का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेंगे:

शुरुआत बेशक छोटे से बगीचे से ही की जाए लेकिन इसकी योजना और डिजाइन का एक अच्छा सा ब्लूप्रिंट बनाना बहुत ही फायदेमंद रहता है। इसलिए नए उद्यमियों को इन सभी छोटी छोटी लेकिन आरंभिक बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस  अनुभवी जानकारों की सलाह बहुत अनमोल रहती है। 

इसलिए सबसे पहले इसका ध्यान रखें कि छोटे से शुरुआत बहुत बड़े परिणाम दे सकती है। छोटे से शुरू करें जिस पर अपना पूरा ध्यान फॉक्स रखें। एक अच्छे प्रबंधकीय आकार का अनुभव आपको इस छोटी शुरुआत से शुरू करने पर ही होने लगेगा। जैसे ही काम बढ़ने लगे वैसे ही आवश्यकतानुसार इसका विस्तार भी ज़रूर करें लेकिन पूरी तरह से तरह से सोच विचार कर और पूरी योजना। 

इसे पूरी तरह से स्पष्ट करने के लिए यहां लोगों की मिसाल भी दी जाएगी और उनके ज़िक्र भी हम करेंगे।  कुछ मूल्यवान छोटे बगीचे हमारी टीम देखती रही है जो बहुत जल्द ही बड़े व्यवसाय में बदल गए। ऐसा पंजाब हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी देखा गया। इन बगीचों ने जहां अपने संस्थापकों को नौकरी की चाहत ही भुला दी वहां उन्हें इतना पैसा भी कमा कर दिखाया कि उन्होंने किसी बड़े उद्योगपति की तरह  किया। 

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य  राज्यों में अब लोग पारंपरिक कृषि से हट कर तेज़ी से बागबानी की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। इन लोगों  में अब एक नया चलन देखा जा रहा है। अब ये लोग अपनी समृद्ध कृषि विरासत को  लगभग त्यागते हुए बागबानी की तरफ आ रहे हैं। फूलों की खेती और फलों की काश्त इनका मन पसंद क्षेत्र बन रही है। इस नए चलन की वजह है कि छोटे बगीचे आकर्षक व्यवसाय के रूप में उभर रहे हैं। जैविक उत्पादों, सजावटी पौधों और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं की बढ़ती मांग के साथ, छोटे बगीचे नौकरी उन्मुख और पैसा कमाने वाली परियोजना बनते नज़र आ रहे हैं। इस पोस्ट में हम इन क्षेत्रों में छोटे बगीचों की संभावनाओं का पता लगाने और उन्हें सफल व्यावसायिक प्रयासों में बदलने के तौर तरीकों के बारे में भी विचार कर रहे हैं। 

कारोबार बागबानी//बगीचे का हो, नर्सरी का या सब्ज़िओं के उत्पादन का हो या कोई भी और लेकिन उसकी सफलता का बहुत बड़ा प्रतिशत बाजार की मांग पर टिका होता है। बाज़ार में बढ़ती मांग ही व्यवसायिक सफलता का मज़बूत आधार बनती है। उसी से उत्पादन की सही कीमत का अनुमान होता है। 

आजकल तेज़ी से आकर्षण बढ़ रहा है जैविक उत्पादनों की तरफ। बढ़ते हुए प्रदूषण और बिमारियों के चलते उपभोक्ता रसायन मुक्त फल और सब्जियाँ चाहते हैं जो  नहीं मिल पाती। हर घर परिवार अपनी ज़रूरत की सब्ज़ियां भी अपने घर में  नहीं   इतना भी आसान नहीं होता। इसलिए आम लोगों में छोटे बगीचे के मालिकों के लिए आकर्षक बाज़ार तेज़ी से विकसित होता जा रहा है। वैसे भी ऑर्गनिक सब्ज़ियों के स्वाद पूरी तरह से अलग होता है। हर किसी की कोशिश रहती है कि उसे वास्तविक ऑर्गनिक सब्ज़ियां आसानी से, नज़दीक और सही भाव पर मिल जाएं। इस मकसद के लिए बगीचा इत्यादि चलाने वालों कुछ  लोगों ने   समय पर डिलीवरी देने के लिए अपने छोटे हाथी या टैंपो जैसे वाहन भी रखे  हुए हैं। 

इसी तरह सजावटी पौधे भी हैं जिनकी आजकल बहुत मांग है। होटल, रेस्तरां और इवेंट प्लानर को भी विदेशी पौधों की आवश्यकता होती है, जिससे नर्सरी में उगाई जाने वाली प्रजातियों की मांग भी बढ़ती है। इस क्षेत्र में नए ग्राहक  तकरीबन हर रोज़  हैं। इनकी संख्या भी  रही है। 

इसके साथ ही चर्चा उनकी भी ज़रूरी है जो मेडिकल क्षेत्र से सबंधित हैं अर्थात हर्बल और औषधीय पौधे। इनकी मांग तो लगातार बढ़ती जा रही है। आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचारों में बढ़ती रुचि तुलसी, एलोवेरा और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियों की मांग को बढ़ाती है। लोग दवाओं से बुरी तरह तंग आ चुके हैं और लगातार आयुर्वेद और हर्बल जड़ी बूटियों की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर सही पहचान आ जाए तो इनका फायदा भी भी होता है। 

व्यावसायिक अवसर इसके कई उपक्षेत्रों में भी बढ़ रहे हैं। इन्हींमें से एक है नर्सरी व्यवसाय। नर्सरी व्यवसाय की जहल हर जगह मिल जाती है। यहां बहुत महंगे महंगे स्थानीय भूनिर्माताओं, बिल्डरों और खुदरा विक्रेताओं को सजावटी पौधे, रसीले पौधे और जड़ी-बूटियाँ उगाएँ और बेचें।

इसी तरह से जैविक खेती भी इसी से जुडी हुई है। उपभोक्ताओं को सीधे बेचने या रेस्तरां और होटलों को थोक आपूर्ति के लिए जैविक फल, सब्जियाँ और अनाज उगाएँ। इनकी मांग भी बहुत ज़ोरों से बढ़ रही है। हर क्षेत्र में है इसकी मांग। इस तरह इस दिशा में भी मुनाफा होगा ही होगा। 

आजकल मूल्य वर्धित उत्पाद भी बाज़ार में हैं। स्थानीय और ऑनलाइन बाजारों को लक्षित करते हुए बगीचे की उपज से जैम, अचार और मसाले बहुत   बेचे जाते हैं। इनकी मांग भी बहुत।  विभिन्न मोहल्लों और गलियों में इस तरह के सामान को बेचने वाले ठेले भी देखे जा सकते हैं और छोटी बसें भी। 

इसके साथ ही बढ़ रहा है कृषि से सबंधित पर्यटन। लोग जहां उत्पादन और किस्में देखने जाते हैं वहीं इससे सबंधित कार्यशालाएँ, बागवानी सत्र और खेत से लेकर मेज तक के अनुभव हासिल करने भी जाते हैं। इस तरह के इवेंट अक्सर आयोजित होते ही रहते हैं। आप भी ऐसे इवेंट आयोजित कर सकते हैं जिससे पर्यटक आकर्षित हों और राजस्व तेज़ी से अधिक उत्पन्न हो।

इंटरनेट की लोकप्रियता देखते हुए ऑनलाइन बिक्री भी बढ़ रही है। बीज, पौधे और बगीचे से संबंधित उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है। 

इस मामले में सफलता की कहानियां भी बहुत हैं। जालंधर का ग्रीन थंब बहुत प्रसिद्ध हुआ। श्रीमती रूपिंदर कौर ने अपने 1 एकड़ के बगीचे को एक संपन्न नर्सरी में बदल दिया, स्थानीय बिल्डरों और लैंडस्केपर्स को पौधे उपलब्ध कराए। इससे जहाँ उनकी  सेहत को फायदा मिला वहीं आर्थिक खुशहाली बढ़ी। 

इसी तरह से करनाल का ऑर्गेनिक ओएसिस भी लोगों में बहुत पॉपुलर हुआ है। श्री विवेक शर्मा का 2 एकड़ का ऑर्गेनिक फ़ार्म दिल्ली-एनसीआर के शीर्ष रेस्तराँ को ताज़ा उपज प्रदान करता है। इसकी मांग भी बहुत है। इसकी गुणवत्ता की तारीफ़ भी काफी होती है। 

अब तो सरकार ने भी इसे उत्साहित करने के प्रयास बहुत तेज़ कर  दिए हैं।

सरकारी पहल अब बहुत ही अच्छी तरह से मिलने लगी है। इस बढ़ी हुई पहल का फायदा भी बगीचा उद्योग में लगे लोगों को मिलने लगा है। इससे बगीचा  व्यवसाय और मज़बूत होने लगा है। 

कुल मिला कर पंजाब और हरियाणा में छोटे बगीचों में व्यावसायिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। कहा जा सकता है कि आर्थिक खुशहाली आपके द्वार पर है। बाजार की मांग को पहचानकर, सरकारी पहलों का लाभ उठाकर और अभिनव प्रथाओं को अपनाकर, बाग मालिक अपने जुनून को लाभदायक उद्यमों में बदल सकते हैं। खिलती, महकती और मुस्काहटें बिखेरती हुई यह बगीचा क्रांति आपको भी बुला रही है। आप भी इसमें में शामिल हों और भारत के कृषि क्षेत्र के केंद्र में एक सफल व्यवसाय विकसित करें।

बातें और भी हैं। मुद्दे और भी हैं। पहलू और भी हैं -हम इन सब की चर्चा करते रहेंगे आने वाली पोस्टों में। इन सभी जानकारियों से फायदा उठाने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ। 

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रविवार, अक्तूबर 06, 2024

नागालैंड आपकी कल्पना से भी ज़्यादा खूबसूरत है

वहां का खान-पान और रीति रिवाज तेज़ी से मोह लेते हैं 

Photo by MOHAMED ABDUL RASHEED on Unsplash
चंडीगढ़//कोहिमा: 5 अक्टूबर 2024: (के के सिंह//मीडिया लिंक//इर्द-गिर्द डेस्क)::

पर्यटन की बात करें तो दुनिया बहुत बड़ी लगती है लेकिन अगर सैलानी बन कर निकल चलें तो सारी की सारी विशाल दुनिया भी कुछ समय बाद छोटी लगने लगती है। इस दुनिया का हर कोना, हर क्षेत्र अपने आप में कोई न कोई खासियत समेटे हुए है। बहुत से इलाकों की विशेषताएं ज़्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाती लेकिन जो लोग घूमने जाते हैं वे इन्हें ढूंढ ही लेते हैं। आज बात  उत्तर पूर्वी  राज्यों की।  फ़िलहाल नागालैंड की चर्चा। 

आप भी जानते ही होंगें कि आम तौर पर्यटन की इच्छा रखने वालों का ध्यान देश के उत्तरपूर्वी राज्यों की तरफ बहुत कम जाता है। वास्तव में पूर्वोत्तर भारत खूबसूरत जगहों का बहुत है। जहां  प्राकृतिक सुंदरता बार बार बुलाती है। वहां के जन जीवन की  विविधता हर दिल को आकर्षित करती है। कुछ लोगों को वहां के बारे में गलतफहमियां भी होती हैं  वहां सैलानी के तौर पर जाने की पूरी जानकारी भी नहीं होती। हम आपको बताएंगे नागालैंड में पर्यटन का सही राह और ढंग तरीका। नागालैंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल और उन तक पहुंचने के लिए आसान मार्ग भी उपलब्ध हैं। इस सारे पर्यटन प्रोजेक्ट पर कितना कितना खर्चा आएगा हम यह भी बताएंगे। कितने खर्चे में आप कितने दिन में आप  सकेंगे हम यह भी बताने की करेंगे। 

आप से अपनी इस वार्ता के दौरान हम एक बार फिर दोहरा दें कि नागालैंड पूर्वोत्तर भारत का एक बेहद खूबसूरत राज्य है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें आप कुछ दिनों में ही  आराम से देख सकते हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों और वहां तक पहुंचने के मार्ग के बारे में जानकारी इस प्रकार है। सबसे पहले हम बात  कोहिमा की। 

बहुत सी बातों के लिए प्रसिद्ध राज्य नागालैंड की बात करें तो कोहिमा खुद में ही बहुत विशेष है और कोहिमा वॉर सेमेट्री तो बहुत ही। यह स्थल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है। यहां थोड़ा सा ध्यान मग्न होते ही आप अनुभव कर सकेंगे युद्ध के उस बेहद भयावह समय वह दर्द। उस  बलि ले ली इसका सही शायद  सके।   

बहुत सी विशेषताओं वाले नागालैंड में एक और विशेष गांव भी है जिसे त्सेमिन्यु विलेज कहा जाता है। अंगामी जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को जानने का ही बेहतरीन स्थान है।  अंगामी जनजाति के जनजीवन की परंपराओं और संस्कृति की महक आप  में बहुत , महसूस कर सकेंगे। 

ज़िंदगी में पर्यटन के दौरान झीलें शायद आप ने भी बहुत देखी होंगीं लेकिन दिजू लेक का जलवा तो बिलकुल ही अलग। यह एक एक खूबसूरत पहाड़ी झील, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श भी कही जा सकती है। इसकी  खूबसूरती देखते ही बनती है। प्रकृति की छटा का अंदाज़ ही अलग है इस झील में। 

पर्यटन शुरू समय कोहिमा तक कैसे पहुंचें यह सवाल भी बहुत महत्वपूर्ण है। हवाई  निकटतम हवाई अड्डा है दीमापुर। दीमापुर हवाई अड्डा कोहिमा से लगभग 70 किमी की दूरी पर है। जिसे सड़क मार्ग से बहुत ही आसानी से  तय किया जा सकता है। 

कोहिमा जाएं तो दीमापुर भी महत्वपूर्ण है। कई बार दीमापुर पहले आ जाता है और कई बार कोहिमा।   लेकिन दीमापुर कैसे पहुंचा जाए तो यह जानना भी ज़रूरी। इसकी चर्चा भी हम करेंगे ही। दीमापुर से टैक्सी या बस द्वारा आप लोग कोहिमा पहुंच सकते हैं। टैक्सी का एकतरफा किराया अनुमानता ₹2000-3000 होगा। यह दर कभी कभार कम ज़्यादा भी हो सकती है। इसलिए अब आती है कोहिमा से दीमापुर जाने की बात। इस पर भी समय तो  लेकिन कितना? समय की बात भी आवश्यक  है। आम तौर पर दीमापुर से कोहिमा पहुंचने में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। इतनी दूरी और इतना समय शायद सही भी है। 

उत्तर पूर्वी भारत देखते समय नागालैंड जानेवाली इस पहली ही ट्रिप पर खर्च की बात करें तो होटल  में रहने का खर्च  ₹2000-₹5000 प्रति रात आ सकता है। होटल के मुताबिक कुछ कम ज़्यादा भी संभव है। इस तरह भोजन पर ₹500-₹1000 प्रति दिन दिन आ।  इस मामले में भी कम ज़्यादा की संभावना बानी रहती है। इसके साथ साथ लोकल आवाजाई का खर्चा भी होता है। स्थानीय यात्रा: ₹500-₹1000 प्रति दिन के हिसाब से पड़ सकती है। कुछ और स्थान और कुछ और बातें हम आपको अलग पोस्ट  में बताने  वाले हैं। आपके ज्ञान  वृद्धि होगी और साथ ही कैरियर और कारोबार में भी फायदा होने की संभावना रहेगी।  

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गुरुवार, सितंबर 26, 2024

पर्यटन मंत्रालय कल विश्व पर्यटन दिवस मनाएगा

पर्यटन मंत्रालय: 26 September 2024 at 6:29 PM by PIB Delhi Azadi ka amrit mahotsavg20-india-2023

इस साल की थीम है ‘पर्यटन और शांति’

*माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ विज्ञान भवन में किए जाने वाले समारोह में मुख्य अतिथि होंगे

*मंत्रालय ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम विजेताओं’ की घोषणा करेगा


नई दिल्ली
: 26 सितंबर 2024: (पीआईबी दिल्ली//इर्द-गिर्द डेस्क)::

पर्यटन मंत्रालय 27 सितंबर को ‘पर्यटन और शांति’ थीम के साथ ‘विश्व पर्यटन दिवस-2024’ मनाएगा जिस दौरान विकास के साथ-साथ वैश्विक सद्भाव को भी काफी बढ़ावा देने में पर्यटन की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा। यह समारोह नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित किया जाएगा। माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल रहेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय रेल, सूचना और प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पर्यटन राज्य मंत्री और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।  

इस कार्यक्रम में पर्यटन मंत्रालय की निम्नलिखित अनगिनत पहल को दर्शाया जाएगा:

पर्यटन मित्र

सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम विजेता

आतिथ्य शृंखलाओं के साथ उद्योग साझेदारी

पर्यटन और आतिथ्य को उद्योग का दर्जा - एक पुस्तिका

अतुल्य भारत कंटेंट हब

विश्व पर्यटन दिवस का इतिहास, महत्व और थीम:

सतत विकास और विशेष रूप से गरीबी उन्मूलन के लिए पर्यटन को प्रमुख माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संघटन (यूएनडब्ल्यूटीआर) ने प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। वर्ष 1980 में पहली बार विश्व पर्यटन दिवस मनाया गया था। यह तिथि 1970 में संगठन की विधाओं को स्वीकार करने की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसने पांच वर्ष बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यटन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। हर साल विश्व पर्यटन दिवस एक विशेष थीम के तहत मनाया जाता है। इस साल की थीम ‘पर्यटन और शांति’ है।

***//एमजी/वीएस//रिलीज़ आईडी: 2059187

गुरुवार, सितंबर 12, 2024

यात्रा सेवाओं और सुविधाओं से हो जाती है पर्यटन यात्रा मज़ेदार

यात्राओं से सबंधित योजना बनाने से पहले देख लें क्या ज़रूरी है!


चंडीगढ़
: 11 सितंबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//इर्द गिर्द डेस्क)::

पर्यटन पर जाना हो तो मनचाहे पर्यटन स्थल की अधिक से अधिक जानकारी होनी आवश्यक है। अब हर मामले में तो ऐसा हो नहीं पाता इसलिए किसी न किसी यात्रा सेवा की सुविधा लेना ही अच्छा रहता है जिससे पर्यटन में आने वाली संभावित मुश्किलें आसान हो जाती हैं। आजकल जहां इस मकसद के लिए व्यक्तिगत गाईड भी मिल जाते हैं वहीं कुछ संगठित कंपनियां भी कुछ न कुछ शुल्क लेकर इस काम के लिए सहायता को तैयार रहती हैं। 

हमारे प्यारे देश भारत में भी पर्यटकों की विविध आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए कई तरह की यात्रा सेवाएं उपलब्ध रहती हैं। अक्सर इनके शाखा कार्यालय या प्रतिनिधि भी तकरीबन सभी प्रमुख  स्थानों पर सक्रिय रहते हैं।  इस क्षेत्र में  पर्यटन के लिए उपलब्ध कुछ यात्रा सेवाएँ इस प्रकार हैं जिनका संचालन व्यक्तिगत स्तर से लेकर संगठित स्तर तक होता है। 

इस तरह की सेवा/सुविधा देने वालों में टूर ऑपरेटर भी महत्वपूर्ण रहते हैं। देश विदेश में कई टूर ऑपरेटर हैं जो अलग-अलग रुचियों, बजट और अवधि के हिसाब से कई तरह के टूर पैकेज पेश करते हैं। ये ऑपरेटर दर्शनीय स्थलों की सैर से लेकर साहसिक यात्राओं, सांस्कृतिक भ्रमण और बहुत कुछ अन्य मकसदों की पूर्ती काआयोजन भी  करते हैं। तीर्थ यात्रा के लिए सामूहिक टीम और जत्थे से ले कर व्यक्तिगत तौर पर भी ये लोग पूरी योजना बना कर बजट बना देते हैं। 

इस संबंध में परिवहन सेवाएं तकरीबन सबसे पहले नबर पर आती हैं। भारत में घरेलू उड़ानों, ट्रेनों, बसों, टैक्सियों और ऑटो-रिक्शा सहित एक अच्छी तरह से विकसित परिवहन नेटवर्क है। पर्यटन के इच्छुक मनचाहे शहरों, कस्बों और पर्यटन स्थलों के बीच यात्रा करने के लिए इन सेवाओं का लाभ आसानी से उठा सकते हैं।

मनचाहे स्थान पर पहुंचने के तुरंत बाद आता है आवास का ख्याल। बेशक थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन माहौल घर जैसा हो तो अच्छा महसूस होता है जिसमें बेगानापन महसूस नहीं होता। इस मकसद के लिए लग्जरी होटल और रिसॉर्ट से लेकर बजट गेस्टहाउस और होमस्टे तक उपलब्ध रहते हैं। हमारे प्यारे देश भारत में भी हर बजट और पसंद के हिसाब से आवास विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला मिल जाती है। ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफ़ॉर्म और ट्रैवल एजेंसियाँ पर्यटकों को उपयुक्त आवास खोजने में मदद भी कर सकती हैं। हां इन एजेंसियों की प्रमाणिकता और बजट योजना को पूरी सतर्कता के साथ पहले ही देख लेना चाहिए। 

पर्यटन के मामले में गाइडेड टूर बहुत बार बहुत अच्छे रहते हैं। अनुभवी स्थानीय गाइड के साथ गाइडेड टूर भारत भर में लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक स्थलों पर उपलब्ध हैं। ये यात्राएँ इतिहास, संस्कृति और देखी गई जगहों के महत्व के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती हैं। पर्यटक को इसका बहुत फायदा भी होता है। 

आज के व्यस्त दौर में भी साहसिक पर्यटन सेवाएँ काफी लोकप्रिय हैं। इनका आकर्षण अभी भी बरकरार है। गौरतलब है कि भारत साहसिक उत्साही लोगों के लिए स्वर्ग गिना जाता है। यहाँ ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, वन्यजीव सफ़ारी और बहुत कुछ जैसी गतिविधियाँ उपलब्ध हैं। साहसिक पर्यटन संचालक और विशेष एजेंसियाँ सुरक्षा उपायों के साथ इन गतिविधियों का आयोजन करती हैं।

इसके साथ ही सांस्कृतिक अनुभव अभी भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भारत में कई यात्रा सेवाएँ प्रामाणिक सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जैसे पारंपरिक त्योहारों में भाग लेना, ग्रामीण गाँवों का दौरा करना, खाना पकाने की कक्षाओं में भाग लेना और पारंपरिक कला और शिल्प सीखना।

तीर्थ यात्राएँ लगातार मन्त्व्पूर्ण बनी हुई हैं। भारत में कई धार्मिक स्थल और तीर्थ स्थल हैं जो विभिन्न धर्मों के लिए पवित्र हैं। तीर्थ यात्रा पैकेज धार्मिक यात्रियों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं और इनमें मंदिर, मस्जिद, चर्च और अन्य पवित्र स्थानों की यात्राएँ शामिल हैं।

विशेष रुचि वाले पर्यटन भी लगातार लोगों को अपनी तरफ खींचते हैं। योग और स्वास्थ्य, फ़ोटोग्राफ़ी, पक्षी देखना या पाक पर्यटन जैसी विशिष्ट रुचि वाले यात्री अपनी पसंद के अनुसार विशेष टूर पैकेज और सेवाएँ पा सकते हैं। इनमें बहुत बार आर्थिक फायदा भी हो जाता है क्यूंकि इस तरह के आयोजनों में लोग अपने बनाए सामान और अपनी सेवायों की सुविधा भी बेच सकते हैं। 

आज के महंगे और व्यस्त दौर में अनुकूलित यात्रा के कार्यक्रम बहुत प्रिय लोक[होते जा रहे हैं। कई ट्रैवल एजेंसियां ​​और टूर ऑपरेटर पर्यटकों की पसंद के अनुसार यात्रा कार्यक्रम को अनुकूलित करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें अपनी रुचि, बजट और शेड्यूल के आधार पर व्यक्तिगत यात्रा के नए नए अनुभव हासिल करने और नए रिकॉर्ड  बनाने की अनुमति मिलती भी है।

इस तरह के सफ़र को बेहद आसान बना देते हैं ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल जो आजकल बहुत ही लोकप्रिय भी होते जा रहे हैं। अब डिजिटल युग में विभिन्न ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल और बुकिंग प्लेटफ़ॉर्म भारत में यात्रा सेवाओं की योजना बनाने और बुकिंग की सुविधा प्रदान करते हैं, जिसमें उड़ानें, आवास, पर्यटन और परिवहन शामिल हैं, जिससे पर्यटकों के लिए अपनी यात्राएँ व्यवस्थित करना सुविधाजनक हो जाता है।

कुल मिलाकर, भारत में पर्यटन उद्योग अच्छी तरह से विकसित है और देश में आने वाले पर्यटकों के लिए एक यादगार और आनंददायक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए यात्रा सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।

अंग्रेज़ी में पढ़िए इसे टूर एंड ट्रेवल्स स्क्रीन में 

शुक्रवार, अगस्त 30, 2024

मलेशिया के 2022 में ढाई लाख से अधिक पर्यटकों ने भारत का दौरा किया

 पर्यटन मंत्रालय Ministry of Tourism//Posted On: 30th August 2024 at 2:44 PM by PIB Delhi

भारत और मलेशिया ने पर्यटन के क्षेत्र में समझौता पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली: 30 अगस्त 2024:(पीआईबी//इर्द गिर्द डेस्क)::

AI की सहायता से बनी इमेज 

भारत और मलेशिया ने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़ करने के लिए समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं।   

भारत और मलेशिया के बीच गहन राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत और मलेशिया ने पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय और मलेशिया सरकार के पर्यटन, कला और संस्कृति मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मलेशिया के पर्यटन, कला और संस्कृति मंत्री श्री वाई बी दातो श्री तिओंग किंग सिंग के बीच 20 अगस्त, 2024 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

अन्य विशेषताओं के अतिरिक्त समझौता ज्ञापन के मुख्य उद्देश्य, निम्न हैं:

पर्यटन उत्पादों और सेवाओं का प्रचार और विपणन;

विनिमय कार्यक्रमों सहित पर्यटन अनुसंधान, प्रशिक्षण और विकास के क्षेत्र में विस्तार;

पर्यटन अवसंरचना, सुविधाओं, उत्पादों और सेवाओं में निवेश को प्रोत्साहित करना;

चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना और उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों को प्रोत्साहित करना;

व्यावसायिक पर्यटन, जिसमें बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन, प्रदर्शनियां (एमआईसीई) शामिल हैं;

पर्यटन हितधारकों, टूर ऑपरेटरों और ट्रैवल एजेंटों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना;

समुदाय आधारित पर्यटन, इको-पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म को विकसित करना।

मलेशिया भारत के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है। वर्ष 2022 में मलेशिया के ढाई लाख से अधिक पर्यटकों ने भारत का दौरा किया। उम्मीद है कि समझौता ज्ञापन, मलेशिया के पर्यटकों को भारत आने के लिए बढ़ावा देगा।

***//एमजी/एआर/वीएल/एचबी//रिलीज़ आईडी: 2050132

बुधवार, अगस्त 14, 2024

पर्यटन के साथ साथ मिलेगा ज्योतिष का ज्ञान भी

Monday 12th August 2024 at 5:00 PM

ज्योतिष से जुड़े पर्यटन में कैरियर भी है और रोज़गार भी 


मोहाली
: 12 अगस्त 2024: (इर्द गिर्द डेस्क):: 

ज्योतिष में कौन विश्वास करता है और कौन नहीं यह एक अलग मुद्दा है लेकिन जो लोग ज्योतिष को मानते हैं वे दूर दराज जा कर भी अपने भविष्य को जानने की जिज्ञासा को शांत करते हैं। पंजाब के जालंधर और होशियारपुर जिले कभी ज्योतिष के प्रमुख केंद्र हुआ करते थे। जानेमाने ज्योतिषी लोगों को देखते ही उनके मन की बात बता दिया करते थे। ज्योतिष ज्ञान की पिपासा के साथ पर्यटक एक मज़ेदार कैरियर भी 

अब वे महाज्ञानी लोग तो शरीरक तौर पर नहीं रहे लेकिन उनके परिवार अभी भी इसी विद्या को चलाते आ रहे हैं। उनकी पत्रिकाएं भी निकलती हैं जिनकी मांग अभी भी लगातार बढ़ रही है। इसी तरह बाद में पंजाब में ही सुल्तानपुर लोधी और कुछ अन्य  स्थान भी इस मकसद के लिए प्रसिद्ध हो गए। 

इन स्थानों पर जा कर जहां ज्योतिष या भविष्य जानने का मकसद पूरा हो जाता था वहीं इन स्थानों से जुड़े पर्यटन स्थल घूमने का भी फायदा हो जाता था। यही वना अब भी तेज़ी से लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही ज्योतिष एक कैरियर के तौर पर भी उभर कर सामने आने लगा है।

आज भी बहुत से स्थान हैं जहां ज्योतिष ज्ञान के विशेषज्ञ आसानी से मिल सकते हैं। उनका अच्छाखासा नाम है इस क्षेत्र में। इस तरह भारत और विदेशों में कई ऐसे स्थान हैं जो ज्योतिषीय अध्ययन और विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हम कुछ प्रमुख स्थानों की संक्षिप्त सी चर्चा भी कर रहे हैं। 

भारत में ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां के ज्योतिषी माने  हुए हैं।  उनकी ज्योतिष विद्या का लोहा बहुत से लोग मानते हैं। लोग दूर दराज से उनसे मिलने पहुंचते हैं। ऐसे स्थानों का धार्मिक पर्यावरण और छवि भी इन स्थानों को और  महत्वपूर्ण बनाते हैं। 

इन स्थानों में वाराणसी भी प्रसिद्ध है जो कि उत्तर प्रदेश में है। वाराणसी (काशी) को ज्योतिष और वेदों का केंद्र भी  माना जाता है। यहां कई प्रतिष्ठित ज्योतिषी और गुरु भी मिलते हैं जो प्राचीन वेदों और ज्योतिष विद्या में विशेषज्ञ होते हैं। इस तरह वाराणसी में धर्मकर्म और ज्योतिष क्षेत्र से सबंधित लोगों की बहुत बड़ी संख्या आती जाती रहती है। 

वाराणसी की तरह ही उज्जैन भी इस मामले में बहुत ही विशेष है जो कि मध्य प्रदेश में है। गौरतलब है कि उज्जैन को ज्योतिष का गढ़ माना जाता है। यह शहर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए भी प्रसिद्ध है और यहां कई पुराने ज्योतिषी विद्वान भी मिलते हैं। उज्जैन में ज्योतिष के अध्ययन के लिए भी कई संस्थान हैं जो  और कैरियर के क्षेत्र में  निभाते हैं। 

 दक्षिण भारत में तिरुपति का तो विशेष स्थान है। यह आंध्र प्रदेश  है। तिरुपति का तिरुमला मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि ज्योतिषी ज्ञान का भी प्रमुख केंद्र है। यहां कई ज्योतिषी हैं जो मंदिर के पुजारी भी होते हैं और ज्योतिष पर विशेष ज्ञान भी रखते हैं। दिलचस्प बात है कि यहां ज्योतिष विज्ञान कई तरह का है। 

पूणे यूं तो कई अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध है लेकिन यहां ज्योतिष का भी विशेष है।  यह स्थान महाराष्ट्र में है। पूणे में ज्योतिष विद्या के कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं, जहां से कई नामी ज्योतिषी निकले हैं। यहां पर ज्योतिष का अध्ययन करने वाले छात्रों और विशेषज्ञों की बड़ी संख्या है। इस तरह यह स्थान भी ज्योतिष के मामले  नहीं है। 

जानेमाने धार्मिक केंद्र हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों ही उत्तराखंड में हैं।  इन दोनों स्थानों को अध्यात्म और ज्योतिष का केंद्र माना जाता है। यहां पर कई ज्योतिषी और विद्वान हैं जो वेदांत, ज्योतिष और ध्यान के विशेषज्ञ होते हैं। यहां  से अंतर्राष्ट्रीय केंद्र भी कहे जा सकते हैं। 

देश के साथ साथ विदेश में भी ज्योतिष चर्चा के कई केंद्र हैं। इन विदेशी केंद्रों में ज्योतिष के विदेशी जिज्ञासुयों की संख्या ऍम तौर पर अधिक होती है। 

नेपाल का इस मामले में विशेष नाम है। नेपाल में भी ज्योतिष का पुराना इतिहास है। काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में कई जाने-माने ज्योतिषी मिलते हैं जो वेदिक ज्योतिष में विशेषज्ञ होते हैं। यहां आस्था के कई केंद्र भी हैं और प्राचीन।  यहां की लाइब्रेरियां भी इस मामले में बहुत अमीर हैं।  नेपाल में पुस्तकों के प्रिंट एडिशन के साथ साथ डिजिटल एडिशन भी बहुत पहले आ गए थे।  

लंदन जो कि यूनाइटेड किंगडम का केंद्र है  पहुंच चुका है। लंदन में भारतीय समुदाय के कई ज्योतिषी मिल सकते हैं जो भारतीय वेदिक ज्योतिष में पारंगत होते हैं। यहां कई ज्योतिष संस्थान भी हैं।  जानने की इच्छा और प्यास भी बहुत से लोगों को है। 

न्यूयॉर्क अर्थात अमेरिका आधुनकिता का ही सर्वाधिक नया रूप है। न्यूयॉर्क में भी कई भारतीय ज्योतिषी मिलते हैं, जो विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। वहां  अंदाज़ भी बहुत उनसे हैं। कम्प्यूटर प्रणाली  बहुत पहले वाकिफ हो चुका था इसलिए ज्योतिष पर कम्प्यूटर का रंग इसे भी बहुत रहस्यमय  बनाता है। 

बाली जो कि इंडोनेशिया में है वहां भी ज्योतिष की बहुत मान्यता है। बाली में हिंदू धर्म और ज्योतिष का गहरा प्रभाव है। यहां कई ऐसे ज्योतिषी मिलते हैं जो स्थानीय संस्कृति और ज्योतिष ज्ञान को मिलाकर कार्य करते हैं।

ये स्थान ज्योतिष विद्या और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं, और यहां आसानी से विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा सकती हैं। इन्हीं स्थानों से ज्योतिष का दायरा लगातार विशाल होता जा रहा है। 

अंग्रेज़ी में The Tours and Travels Screen भी देख सकते हैं 

रविवार, जुलाई 28, 2024

सुनिए उन आवाज़ों को--जो आपको बहुत सच्चे दिल से पुकार रही हैं!

इन आवाज़ों का पीछा ही कराएगा आपको पर्यटन में गहरे अनुभव 


चंडीगढ़
: 28 जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//इर्द गिर्द डेस्क)::

किसी  घूमने जाने की इच्छा वास्तव में हमारे गहरे अंतर्मन  है। प्रकृतिक जुड़ाव हमें एक दुसरे के नज़दीक लाने के प्रयास निरंतर है। कुछ लोग, कुछ स्थल हमें लगातार आवाज़ें देते रहते हैं। वे आवाज़ें निरथर्क नहीं होती। जो लोग उन आवाज़ों को सुनना शुरू कर देते हैं वे चल पड़ते हैं उन आवाज़ों के पीछे। क्या आपने  ऐसी कोई आवाज़?

धर्म और अध्यात्म की दुनिया में यह पंक्ति बहुत लोकप्रिय रही है कि जो ब्रहमंडे सोई पिंडे जो खोजै सो पावै। यह पंक्ति भक्त पीपा जी के लोकप्रिय शब्द में से ली गई है। संत पीपाजी एक प्रजाप्रिय शासक, महान संत व कवि थे। उनका जीवन सदैव प्रेरणादायी रहा भी और रहेगा भी। उनकी यह पंक्ति ब्रह्मण्ड और  एकता को भी बताती है और इसकी खोज का भी इशारा करती है।  किस्मत वाले लोग ही। 

वास्तव में हमारी इधर उधर की भटकना जाने जाने अनजाने अंतर्मन की बेचैनी का ही परिणाम होती है। उसी बेचैनी के चलते लोग शराब जैसे नशे में फंस जाते हैं और उसी के चलते इधर उधर किसी न किसी नै जगह जा कर फंस जाते हैं। मन की शांति फिर भी नहीं मिलती। लेकिन अगर  बैठे ही अपने  छिपे ब्रह्मंड को देखने की प्यास जाग उठे तो उस खोज का आनंद ही अलग होता है। यह खोज किसी एक सध लोकेशन या स्टेशन की ही नहीं बल्कि  सितारों से आगे की यात्रा भी करवा देती है। बस थोड़ी सी प्यास और थोड़ी सी नियमित मेडिटेशन और यूं लगने लगता है जैसे चले गए आसमानों के उस पार। जितनी देर आप आंखें मूँद कर बैठे रहेंगे आप को यह दूर ब्रह्मण्ड की सैर का अहसास होता। रहेगा दुनिया में रहने का बोध भी बना रहेगा। 

लेकिन सब को यह अनुभूतियां पहली बार में नहीं होतीं। अंदर की प्यास जागने लगती है। इसी प्यास के चलते फिर बहुत से कहीं दूर दराज के स्टेशन पर जाना चाहते हैं। इच्छा और प्यास का होना तो बहुत अच्छा है लेकिन आम पर्यटन के लिए क्या दूर दराज जाना ठीक और आवश्यक होता है? क्या अपने ही आस पास और नज़दीक रहते हुए इस प्यास को नहीं बुझाया जा सकता? आप नज़दीक के पर्यटन स्थल भी ढूंढ सकते हैं। आओ दोनों के फायदों और चुनौतियों पर डालते हैं एक नज़र।   

दूर दराज जाने का एक रोमांच भी होता है और रोमांस भी। आसमान छूते हुए पर्वतों के शिखर। किसी पर्वत के किसी ऊंचे गाँव में खड़े हो कर अगर नीचे की तरफ नज़र  नज़र डालें तो तैरते हुए बादल और उड़ाते हुए मोर बहुत मधुर सा दृश्य दिखते हैं। रात्रि को वहां तारे नीचे नज़र डाल कर भी देखे जा सकते हैं तब महसूस होता है अरे भई  तारे ज़मीन पर कैसे आ गए?

मैदानों में कल कल बहता पानी इतना निर्मल होता है कि पूरी तरह से पारदर्शी लगता है। उसकी ठंडक और उसका स्वाद भी अलौकिक सा ही होता है। पहाड़ी लोगों का जनजीवन, जगह जगह छोटे छोटे और बड़े स्थानों पर बने मंदिर एक अलग तरह की ही आस्था जगाते हैं। रेल और सड़क के ज़रिए आवाजाई के साधन, जगह जगह खुले हुए ढाबे और अन्य दुकानें इन सभी में एक अलग सा आकर्षण होता है।

दूर-दराज के स्थानों पर जाने में कुछ कठिनाईयां भी होती हैं और इनके कई फायदे भी होते हैं। दूर दराज जा कर आपको दूर के लोगों की संस्कृति देखने को मिलते हैं। उनके साथ बहुत सी समानताएं भी मिलेंगी। खानपान के मामले में बहुत से नए व्यंजन भी मिलेंगे। वहां लोग कैसे कपड़े पहनते हैं इसका भी कुछ अनुभव होगा। हालां कि  पौशाक घर की हो या बाहर पहनने की उस स्थानीय लाइफ स्टाईल को सामने रख कर व्यक्तिगत सुविधाओं के मुताबिक ही बनाया जाता है। 

 दूर दराज जा कर नई संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव होगा। इसके साथ ही अलग-अलग जगहों की संस्कृति, खान-पान, और रीति-रिवाज जानने को मिलते हैं। वहां के रीति रिवाज, दिन त्यौहार, शकुन-अपशकुन, साहित्य और कला के  नए नए लोग  मिलते हैं। 

इस तरह की यात्राओं में रोमांचक अनुभव भी बहुत से होते हैं। इस मामले में भी नए और अद्वितीय अनुभव मिलते हैं जैसे कि पहाड़ों की ट्रेकिंग, रेगिस्तान सफारी, समुद्र तटों का आनंद आदि। इन सभी क्षेत्रों में जो  चाहिए उन्हें कैरियर भी कई बार अच्छा मिल जाता है। साहसिक गतिविधियों का मज़ा भी अलग से मिलता है। स्कीइंग, स्कूबा डाइविंग, पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों का मौका भी खुल कर मिलता है। कुल मिलाकर ज़िन्दगी के इस सफर में गुज़ारा गया थोड़ा बहुत समय भी बहुत ही यादगारी बन जाता है। 

इसी तरह से आस-पास और नजदीक स्थानों का दौरा करने के भी कई फायदे होते हैं। एक तो आप अपने मूल रिहायशी केंद्र के नज़दीक रहते हैं। आज के ज़माने में घर बार पर नज़र रखना आसान रहता है। दूसरा नज़दीक के स्थानों की यात्रा कम खर्च में हो जाती है। एक परिवहन के मामले में यात्रा का खर्च कम होता है क्योंकि लंबी दूरी की यात्रा का खर्चा बचता है। इसके साथ ही समय भी काम लगता है। समय की बचत होती है। यात्रा का समय कम होने के कारण आप ज्यादा समय पर्यटन स्थल पर बिता सकते हैं।

नज़दीक के स्थानों पर जाने से आपको परिचितता का फायदा  है। पास के स्थानों की जानकारी पहले से होने के कारण यात्रा अधिक सहज और सुरक्षित होती है। दूर दराज के क्षेत्र में अज्ञानता से कई बार नुकसान भी हो जाते हैं। वहां न आपको रास्ते मालुम होते हैं और न ही परिवहन की पूरी जानकारी। ठहरने और खानेपीने के मामले में भी आपको हालात के साथ समझौता करना पड़ता है।   

स्वस्थ पर्यावरण प्रभाव भी  यात्रा से ही मिलता है। नज़दीक की यात्रा करने से पर्यावरण पर कम बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यात्रा के लिए कम ईंधन की आवश्यकता होती है।

निर्णय लेने के लिए दुविधा हो तो सबसे पहले अपना उद्देश्य स्पष्ट करें। यात्रा का उद्देश्य तय करें कि आप आराम चाहते हैं, रोमांच, सांस्कृतिक अनुभव या कुछ और। इस तरह आपको स्वयं ही  जवाब मिलना शुरू हो जाएगा कि  आपके लिए कहां घूमने जाना उचित रहेगा। 

इसके साथ ही महत्वपूर्ण होता है समय और बजट का ध्यान रखना। नौकरी लोगों को भी इसका ध्यान रखना पड़ता है और  कारोबारी लोगों को भी। अपनी यात्रा के लिए उपलब्ध समय और बजट का ध्यान बहुत ज़रूरी। है इसकी चिंता शायद वही छोड़ सकते हैं जिनके पास बेशुमार धन भी हो और साथ ही उनके पीछे उनका काम काज संभालने वाला समझदार स्टाफ भी। 

घूमने जाना हो तो स्वास्थ्य और सुरक्षा बेहद ज़रूरी हो जाते हैं। अपनी स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता दें, खासकर तब जब आप दूर-दराज के स्थानों की यात्रा कर रहे हों। जहाँ जहाँ जाना है और जिस जिस रास्ते से जाना है वहां के मौसम और पर्यावरण का पूरा पता होना आवश्यक है। 

पर्यटन के लिए दूर-दराज स्थानों पर जाने का अपना एक अलग ही आनंद होता है, लेकिन आस-पास और नजदीक के स्थानों का दौरा करने के भी कई फायदे हैं। आइए, दोनों के फायदों पर एक नज़र डालते हैं।  इससे फायदा आपको भी होगा और समाज को भी। 

कहीं न कहीं अपने घूमने  पूरा करते हुए आप स्थानीय पर्यटन और स्थानीय लोगों की अर्थ व्यवस्था को को समर्थन: आस-पास के पर्यटन स्थलों की यात्रा करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन दें। बहुत से छोटे छोटे लेकिन बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल ऐसे  के लोगों की दाल रोटी सैलानियों से ही चलते हैं। इस लिए अगर कुछ महंगा भी लगे तो खरीद अवश्य लें। म्हणत करके रोटी खाने वालों के हाथ मज़बूत करना बहुत अच्छा रहता है। 

अंत में, चाहे आप दूर-दराज स्थानों की यात्रा करें या आस-पास के स्थानों की, महत्वपूर्ण यह है कि आप यात्रा का आनंद लें और नए अनुभवों से खुद को समृद्ध बनाएं। इससे आपका देश और दुनिया के साथ एक भावुक जुड़ाव पैदा होगा जो हर बार मज़बूत होता चला जाएगा जाएगा। हो सके तो आप भी सुनिए उन आवाज़ों को जो आपको पुकार रही हैं।