शुक्रवार, जून 01, 2012

स्‍नातकों एवं अध्‍यापकों के निर्वाचन क्षेत्रों से

 महाराष्‍ट्र विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव
     महाराष्‍ट्र विधान परिषद के 02(दो) स्‍नातकों एवं 02(दो) अध्‍यापकों के निर्वाचन क्षेत्रों से 04(चार) सदस्‍यों के सेवा निवृत होने के कारण उनके कार्यालय की अवधि उनके नाम के सामने दी गई तारीख को पूरी हो जाएगी, इसका ब्‍यौरा नीचे दिया गया है:-

क्रम संख्‍या
सदस्‍यों के नाम
निर्वाचन क्षेत्र का नाम
सेवानिवृति की तारीख

1
2
3
1
डा. दीपक सावंत
मुंबई स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
2
श्री. संजय मुकुन्‍द केलकर
कोंकण डिविजन स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
3
श्री. दिलीपराव शंकरराव सोनवाणे
नासिक डिविजन अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
4
श्री. कपिल पाटिल
मुंबई अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्र
07-07-2012
2.   आयोग ने यह निर्णय लिया है कि महाराष्‍ट्र विधान परिषद की उक्‍त उल्लिखित स्‍नातक एवं अध्‍यापक निर्वाचन क्षेत्रों से द्विवार्षिक चुनाव निम्निलिखित कार्यक्रम के अनुसार संचालित किया जाए:-
क्रम संख्‍या
इवेन्‍ट

अनुसूची
1
अधिसूचना जारी करना
:
08 जून, 2012 (शुक्रवार)
2
नामांकन करने की आखिरी तारीख
:
15 जून, 2012 (शुक्रवार)
3
नामांकनों की संवीक्षा
:
16 जून, 2012 (शनिवार)
4
नामांकन वापिस लेने की आखिरी तारीख
:
18 जून, 2012 (सोमवार)
5
मतदान की तारीख
:
02 जुलाई, 2012 (सोमवार)
6
मतदान की अवधि
:
सुबह 08 से सांय 04 बजे तक
7
वोटों की गणना
:
04 जुलाई, 2012 (बुधवार) सुबह 08 बजे से
8
सामने दी गई तारीख से पहले चुनाव पूरा कर लिया जाए
:
07 जुलाई, 2012 (शनिवार)

3.   उक्‍त उल्लिखित निर्वाचन क्षेत्रों से मतदाता सूचियों को 01 नवम्‍बर, 2011 को योग्‍यता की तारीख मानते हुए संशोधित कर लिया गया है तथा 28 दिसम्‍बर, 2011 एवं 20 जनवरी, 2012 को अंतिम रूप से प्रकाशित कर दिया गया है। तथापि, माननीय बम्‍बई हाई कोर्ट ने पीआईएल न: 48 ऑफ 2012 तथा डब्‍ल्‍यू.पी. न: 901 ऑफ 2012 में दिनांक 09 मई, 2012 के अपने आदेश में यह निर्देश दिया है कि अन्‍य बातों के साथ-साथ तीन नामी मुंबई के अंग्रेजी एवं मराठी अखबारों में सात दिनों यह विज्ञापन जारी किया जाए कि स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र में वोट देने वालों की सूची में जिसका नाम शामिल नहीं है, वोट देने वाले का नाम शामिल करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 होगी। तदनुसार, कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में विज्ञापन लगातार सात दिनों तक प्रकाशित किए जाते रहे कि मतदाता सूची में नामांकन करने के लिए आवेदन प्राप्‍त करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 रहेगी।

4.    माननीय बम्‍बई हाई कोर्ट द्वारा पारित किए गए उक्‍त आदेश को ध्‍यान में रखते हुए, नामांकन करने की आखिरी तारीख 15 जून, 2012 रखी गई है जिससे कि मतदाता सूची में पंजीकरण करने के लिए आवेदन संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा प्राप्‍त कर लिए जाए।

          
******

शुक्रवार, मई 25, 2012

डा. अश्वनी कुमार एक पत्रकार सम्मेलन में

योजना,  विज्ञान व तक्नौकिजी और भू विज्ञान मन्त्रालय के मंत्री डाक्टर अश्वनी कुमार 24 मई 2912 को नई दिल्ली में एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित  करते हुए। उनके साथ पत्र सूचना कार्यालय की प्रिंसिपल  निदेशक सुश्री नीलिमा कपूर भी नज्जार आ रही हैं.  (पीआईबी फोटो    24-May-2012 

मंगलवार, मई 22, 2012

जैव विविधता का महत्व

 विशेष सेवा एवं फीचर जैव विविधता                                             डॉ. बालाकृष्णा पिसुपति ⃰ 
चित्र साभार नैनीताल समाचार 
जीवन की विविधता (जैव विविधता) धरती पर मानव के अस्तित्व और स्थायित्व को मजबूती प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) घोषित किए जाने के बावजूद, यह जरूरी है कि प्रतिदिन जैव विविधता से सम्बद्ध मामलों की समझ और उनके लिए जागरूकता बढ़ाई जाए। समृद्ध जैव विविधता अच्छी सेहत, खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास, आजीविका सुरक्षा और जलवायु की परिस्थितियों को सामान्य बनाए रखने का आधार है। विश्व में जैव विविधता का सालाना योगदान लगभग 330 खरब डॉलर है। हालांकि इस बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा का तेजी से ह्रास होता जा रहा है।
           वर्ष 2012 के अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का मूल विषय समुद्रीय जैव विविधता है। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता आज दुनिया भर के लाखों लोगों के अस्तित्व को बचाए रखने का आधार बनाती है। पृथ्वी की सतह के 71 प्रतिशत हिस्से पर महासागर है और यह 90 प्रतिशत से ज्यादा रहने योग्य जगह बनाता है। तटीय क्षेत्र नाजुक पारिस्थितिक तंत्र प्रणालियों-मैनग्रोव्स, प्रवाल-भित्तियों, समुद्री पादप और समुद्री शैवालों के लिए सहायक हैं। लेकिन इन क्षेत्रों में जीवन की विविधता को कम समझा गया है और उनकी अहमियत कम करके आंकी गई है जिसके परिणामस्वरूप उनका जरूरत से ज्यादा दोहन हुआ है। कुछ समुद्रीय प्रजातियां गायब हो रही हैं और कुछ का अस्तित्व संकट में है। समुद्रीय जैव विविधता की आर्थिक एवं बाजार सम्बंधी सम्भावनाओं को अभी तक भली-भांति समझा नहीं जा सका है, जबकि समुद्रीय विविधता की सम्भावनाएं कई गुणा बढ़ गई हैं। समुद्रीय जीवन से सम्बद्ध उत्पादों और प्रक्रियाओं पर लिए जाने वाले पेटेंट्स की संख्या हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है।
           भारत में करीब 7,500 किलोमीटर तटीय क्षेत्र है, जिसमें से करीब 5,400 किलोमीटर प्रायद्वीपीय  क्षेत्र भारत से सम्बद्ध है और बाकि हिस्से में अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह हैं। कम ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों में रहने वाली कुल वैश्विक आबादी का करीब 11 प्रतिशत हिस्सा, दुनिया की 0.25 प्रतिशत से भी कम तटीय क्षेत्र वाले भारत में बसता है। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों समुदायों की आजीविका का प्रमुख साधन मछली पकड़ना है। भारत का तटीय क्षेत्र प्रवाल भित्तियों, मैनग्रोव्स, समुद्रीय पादप/समुद्री शैवालों, खारे पानी वाले निचले दलदली इलाकों, रेत के टीलों, नदियों के मुहानों और लगून्स से भरपूर है।
           भारत में तीनों प्रमुख रीफ या समुद्री चट्टानें (एटॉल, फ्रिंजिंग  और बेरियर) बेहद वैविध्यपूर्ण, विशाल और बहुत कम हलचल वाले समुद्री चट्टानों वाले इलाकों में मिलती हैं। भारत की तटीयरेखा के चारों तरफ चार प्रमुख समुद्री चट्टानों वाले रीफ क्षेत्र हैं। पश्चिमोत्तर में कच्छ की खाड़ी है, दक्षिण पूर्व में पॉक और मन्नार की खाड़ी हैं, पूर्व में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह हैं तथा पश्चिम में लक्षद्वीप द्वीपसमूह है। मैनग्रोव्स 4827 वर्गकिलोमीटर के दायरे में फैले हैं इनमें से पूर्वी तट के साथ 57 प्रतिशत, पश्चिमी तट के साथ 23 प्रतिशत और बाकी के 20 प्रतिशत अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के साथ हैं। भारतीय समुद्रों में छह श्रेणियों के साथ समुद्री पादपों की 14 प्रजातियां  होने की जानकारी है। उपरोक्त वर्णित सभी पारिस्थितिक तंत्र अनूठे समुद्रीय और जमीन पर रहने वाले वन्यजीवन को आश्रय देती हैं।
           प्रवाल भित्तियों की आर्थिक सामर्थ्‍य करीब 125 करोड़ डॉलर/हैक्टेयर/वर्ष है। ये आंकड़े अर्थशास्त्रियों के शोध के हैं। सोचिए हमें स्थानीय लोगों के लिए इस सामर्थ्य के महज 10 प्रतिशत हिस्से के बारे में ही मालूम है।
           मानव के बार-बार समुद्रीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र से लाभान्वित होते रहने के बावजूद, हमारी भूमि और महासागर पर आधारित गतिविधियों ने समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है। तटवर्ती शहरों और उद्योगों द्वारा अंधाधुंध कचरा बहाने और मछली तथा अन्य समुद्रीय उत्पादों का सीमा से अधिक दोहन प्रमुख चुनौतियां हैं।
           लिहाजा तटीय और समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्रों पर विपरीत असर डालने वाली जमीनी गतिविधियों को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। इतना ही नहीं, समुद्रीय संसाधन आमतौर पर स्वभाविक रूप से पुनः उत्पन्न हो जाने की क्षमता रखते हैं, इसके बावजूद उनका दोहन उनकी दोबारा उत्पत्ति की क्षमता के लिहाज से सीमित होना चाहिए। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए समुद्रीय संरक्षित क्षेत्रों/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्रों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। भारत में बहुत से समुद्रीय संरक्षण क्षेत्र/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्र हैं और इनका विस्तार किए जाने की जरूरत है।
           दुनिया भर के पर्यावरण मंत्रियों द्वारा आगामी ‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज टू द कंवेशन ऑन बॉयोलॉजिकल डाइवर्सिटी‘(सीबीडी सीओपी 11) की 11वीं बैठक में समुद्रीय और तटीय जैव विविधता पर विशेष और प्रमुख ध्यान दिए जाने की सम्भावना है। इस दौरान सिर्फ समुद्रीय जीवन और तटीय जैव विविधता के संरक्षण के सम्मिलित प्रयासों की पहचान किए जाने की ही सम्भावना नहीं हैं बल्कि इस प्राकृतिक खजाने की आर्थिक सामर्थ्य पर भी गौर किया जाएगा, जो आजीविका मुहैया कराती है, हमें जलवायु परिवर्तन से बचाती है और यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारे भोजन एवं पोषण की सुरक्षा यथावत् रहने के  साथ ही साथ उचित अंतरालों के साथ बढ़ती भी  रहे।

-22 मई 2012 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है।
⃰अध्यक्ष राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण
दावाअस्‍वीकरण- इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं कि पीआईबी उनसे सहमत हो।                          (पीआईबी फ़ीचर21-मई-2012 17:45 IST

सोमवार, मई 21, 2012

आतंकवाद निरोधी दिवस:सरकारी कर्मचारियों ने ली शपथ

सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का किया विरोध
दिल्ली की वीर भूमि पर स्थित दिवंगत प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी की समाधि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नैशनल एडवाइज़री  काउन्सिल की चेयरपर्सन   सुश्री सोनिया गाँधी उनके साथ उनके बेटे राहुल गाँधी भी हैं
इसी दुखद घड़ी पर प्रधानमन्त्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये (पीआईबी फोटो)
कर्मचारियों को शपथ दिलाते केन्द्रित गृह मंत्री पी चिदम्बरम (पीआईबी) फोटो)
आज पूरे देश में आतंकवाद निरोधी दिवस मनाया जा रहा है। देश के सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और अन्‍य जनसंस्‍थानों के कर्मचारियों ने सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा के विरूद्ध शपथ ली। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्‍बरम ने आज प्रात: नॉर्थ ब्‍लाक स्थित गृह मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को शपथ दिलाई।
देश के सभी वर्गों के लोगों में आतंकवाद, हिंसा और जनता, समाज और पूरे देश पर पड़ने वाले इसके खतरनाक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
आतंकवाद निरोधी दिवस मनाये जाने के पीछे मुख्‍य उद्देश्‍य युवाओं को आम जनता की पीड़ा के बारे में जानकारी देते हुए और यह दर्शाते हुए कि आतंकवाद किस प्रकार राष्‍ट्रीय हितों के विरूद्ध है, आतंकवाद/हिंसा की पद्धति से दूर रखना है। स्‍कूलों, कॉलेजों और विश्‍वविद्यालयों में वाद-विवाद/विचार-विमर्श के आयोजन, आतंकवाद और हिंसा के खतरों के बारे में विचार गोष्‍ठियों/सेमिनारों/व्‍याख्‍यानों आदि के आयोजन द्वारा तथा आतंकवाद व हिंसा के विरूद्ध जागरूकता लाने के लिए समर्पित एवं स्‍थायी अभियान चलाकर इन उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य है।( पीआईबी)
21-मई-2012 13:48 IST 

मंगलवार, मई 15, 2012

बहुत ही उत्साह से देखा गया रेड रिबन एक्सप्रेस को

रेड रिबन एक्सप्रेस जब 15 मई 2012 को तमिलनाडू के ज़िला करूर में पहुंची तो वहां इसे बहुत ही उत्साह से देखा गया।  इस मौके पर जिला कुलेक्टर सुश्री वी शोभना ने भी इस रेलगाड़ी में लगी प्रदर्शनी को विशेष तौर पर देखने के लिए \वक्त  निकला।.(पीआईबी फोटो)   15-May-2012

सोमवार, मई 14, 2012

दूरियों को नजदीकियों में बदलने का एक और प्रयास


ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा पुल
विशेष लेख


एच सी कुंवर *
            असम में बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर रेल सह रोड़ पुल बनाए जाने की घोषणा 1996-97 के रेल बजट में एक राष्‍ट्रीय परियोजना के रूप में की गई थी। इसकी आधारशिला 1997 में तत्‍कालीन भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई और निर्माण कार्य वर्ष 2002 में शुरू किया गया। देश के इस सबसे लंबे पुल को 2007 में एक राष्‍ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। इसका निर्माण पूर्वोत्‍तर फ्रंटियर रेलवे करवा रहा है और काम चल रहा है। इसकी अनुमानित लागत रूपये 3232.01 करोड़ है और इसके अंतर्गत छोटे-बड़े पुलों, स्‍टेशनों और तटबंधों को मजबूत करने का काम भी शामिल है जो इस पुल के उत्‍तरी तट और दक्षिणी तट पर पूरा किया जा चुका है।

लक्ष्‍य मार्च 16                              करोड़ रूपये में
स्‍वीकृति का वर्ष
अनुमानित लागत
अनुमानित संपूर्णता मार्च-12
   2012-13
प्रगति ( %)
1997-98
3230.01
2382.61
 परिव्‍यय    
व्‍यय (अप्रैल     12 तक)
75 %
230
-

      इस पुल की लंबाई 4.940 किलोमीटर होगी और इसे बनाने के लिए 42 खंभे खड़े किये जायेंगे। इनमें से 32 खंभे बनाने का काम पूरा किया जा चुका है और इस सेतु के 2013 तक बनकर पूरा हो जाने की संभावना है। इस परियोजना को पूरी करने की सबसे बड़ी बाधा मौसम है क्‍योंकि निर्माण कार्य सूखे मौसम में ही चलता है। ऐसा कार्य सिर्फ चार महीनों के दौरान 15 नवम्‍बर से 15 मार्च तक हो पाता है। वर्ष के बाकी महीनों के दौरान यहां बारिश होती रहती है जिससे नदी में खंभे गलाने का काम मुश्किल हो जाता हे। वर्ष 2015-16 तक इसे बना कर चालू कर देने का लक्ष्‍य तय किया गया है1
      बोगीबील रेल सड़क सेतु पर बड़ी लाइन की दोहरी लाइनें बिछाई जायेंगी और इसपर तीन लेन वाली सड़क होगी जिससे ब्रह्मपुत्र नदी के उत्‍तरी और दक्षिणी तट को जोड़ा जा सकेगा और इसपर यातायात सुगम हो सकेगा। अरूणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी भाग के लोगों को इसके कारण बहुत लाभ होगा। इस सेतु के बन जाने पर असम के सोनितपुर, लखीमपुर, ढेमाजी जिलों और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए असम आना-जाना आसान हो जायेगा। अभी तक इन लोगों को ब्रह्मपुत्र नदी नाव से पार करनी पड़ती है।
      अरुणाचल प्रदेश के लोगों को इसके रास्‍ते ईटानगर जाने पर चौबीस घंटे से ज्यादा का समय बचेगा। यही नहीं इस सेतु के बन जाने पर रंगिया से मुकोंगसेलेक बड़ी लाइन के बीच संपर्क जुड़ जायेगा और देश के अन्‍य भागों से लोग सीधे वहां पहुंच सकेंगे। इसके चलते ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच संपर्क भी सुधरेगा। इस बड़ी परियोजना के पूरी हो जाने पर पूरे इलाके का सामाजिक-आर्थिक विकास तेज ही नहीं होगा बल्कि पूर्वी क्षेत्र में देश की सुरक्षा व्‍यवस्‍था भी मजबूत होगी। (पीआईबी)
*उपनिदेशक (मीडिया एवं संचार), रेल मंत्रालय

***

रविवार, अप्रैल 22, 2012

कामरेड अनिल रजिमवाले ने लुधियाना में कहीं खरी खरी बातें

इन्कलाब न बटन दबाने से आयेगा और न ही थाने पर हमला करने से
लुधियाना में भी बहुत उत्साह से मनाया गया लेनिन का जन्म दिन
मानव समाज को दरपेश समस्याएं किसी दैवी शकित की तरफ से नहीं बल्कि मानव के हाथों मानव की लूट खसूट के कारन ही पैदा हो रही हैं. यह विचार आज लुधियाना में आयोजित एक विचार गोष्ठी में मुक्य वक्ता व  मार्क्सवादी दार्शनिक कामरेड अनिल र्जिम्वाले ने रखा.  इस गोष्ठी का आयोजन भारतीय कमियूनिस्ट  पार्टी की लुधियाना इकाई ने सोवियत संघ के संस्थापक व्लादिमीर लेनिन के जन्म दिवस के अवसर पर किया गया था. इसके साथ ही पार्टी विश्व भूमि दिवस को मनाना भी नहीं भूली.न्याय व  बराबरी पर आधारित भारत के विकास मार्ग की चर्चा करते हुए विचार गोष्ठी में इस बात पर चिंता  व्यक्त की गयी न-न्राब्री और बेरोज़गारी जैसी समस्याएं बहुत ही तेज़ी से लगता विकराल हो रही है. इस हकीकत को स्वीकार करने के साथ ही मार्क्सवादी दार्शनिक कमरे अनिल र्जिम्वाले ने चेताया कि न तो कोई बटन द्बनेसे इन्कलाब आयेगा और न ही कीई थाने टी. पर हमला करने से. इन्कलाब अगर आयेगा तो उए आप और हम जैसे आम आदमी ही लायेंगे. उन्होंने इसके लिए बार बार कार्ल मार्क्स के हवाले दिए और याद कराया कि ,आर्क्स के रस्ते पर चल कर ही इन्कलाब आएगा.
इस बेहद गंभीर मुद्दे पर बहुत ही सहजता से लगातार बोलते हुए कामरेड अनिल ने बीच बीच में शायरी का पुट देते हुए समझाया कि सुबह होती है शाम होती है तो यह किसी दैवी शक्ति के कारन नहीं बल्कि प्रकृति और  विज्ञानं के कारण. साम्यवाद के सिद्धांतों कि विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा हर विज्ञानं ने मार्क्सवाद को और मजबूत किया, बार बार सही साबित किया. इन्कलाब में हो रही देरी की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया की न तो बटन दबाने से इन्कलाब आने वाला है और न ही थाने पर हमला करने इन्कलाब आएगा. ढांडस बंधाते हुए उन्होंने कहा की सरमायेदारी से समाजवाद की तरफ जाता रास्ता लम्बा भी है और कठिन भी. उन्होंने स्पष्ट किया की हमारे लड़ने के कई तरीके हैं और जन संघर्षों का तरीका भी हमारा है. उन्होंने कहा की इन्कलाब आयेगा और इस के लिए इन्कलाब के मार्क्सवादी सिद्धांत जन जन तक पहुँचाने होंगें.  उन्होंने अपने लम्बे भाषण के बावजूद श्रोतायों को बांधे रखा. इक्क्लाबी सिद्धांतों के साथ साथ उन्होंने इतिहास की चर्चा भी की.  उन्होंने अख़बार निकलने के काम को भी इकलाब के लिए सहायक बताया और तकनीकी विकास के सदुपयोग की तरफ इशारा करते हुए कहा की मोबाईल और इंटरनेट का उपयोग भी इस कार्य के लिएये किया जाना चाहिए. इस सेमिनार में डाक्टर अरुण मित्र भी थे, डी पी मौड़ भी और कामरेड विजय कुमार भी और कई अन्य कामरेड भी. संगोष्ठी में महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर शामिल थीं. -रेक्टर कथूरिया