बुधवार, अक्तूबर 09, 2024

सम्पन्न व्यवसाय में बदला जा सकता है छोटे से बगीचे को

Friday 20th September 2024 at 19:22//Horticulture//Domestic Industry//Punjab Screen media Group+Resources

खुशियां बांटता व महकता हुआ बगीचा आर्थिक खुशहाली भी देगा 


चंडीगढ़
//मोहाली: (कार्तिका कल्याणी सिंह//मीडिया लिंक//इर्द गिर्द डेस्क)::

जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है और  बेरोज़गारी भी तो हालात बुरी तरह से भयानक होते जा रहे हैं। नौकरी आसानी से मिलती भी नहीं और नौकरी से पूरी तरह गुज़ारा होता भी नहीं दिखता। ऐसे में कोई न कोई कारोबार होना ही आवश्यक लगने लगा है। लेकिन कारोबार के लिए पूरा अनुभव और इमारतें भी कहां से जुटाई जा सकती  हैं। निराशा और दुविधा के ऐसे अंधेरे में  बागबानी का क्षेत्र भी बहुतसी उम्मीदें लेकर आता है। छोटी सी जगह भी इस मकसद के लिए काफी रहती है। थोड़े से बीज, थोड़ी सी ट्रेनिंग और थोड़े से औज़ार एक अच्छी शुरुआत के लिए काफी हैं। सब्ज़ियों और फूलों के मिला जुला व्यवसाय बहुत आकर्षक आमदनी देने लगता है। पीएयू की कवरेज के दौरान मैंने कई बार किसान मेलों में जा कर भी देखा तो इस मामले में लोगों  को हैरानीजनक हद तक सफल होते देखा।  

छोटे से बगीचे को एक संपन्न व्यवसाय में बदलना कोई ज़्यादा कठिन भी नहीं होता। बस लगन और लगाव बहुत जल्द करिश्मे दिखाने लगते हैं। छोटे से बगीचे की छोटी सी शुरुआत संपन्नता का बहुत बड़ा व्यवसाय सामने ले आती है। आजकल बाज़ार से बहुत बड़ी कीमतें दे कर भी शुद्ध सब्ज़ी नहीं मिलती जिमें मिलावट या कीटनाशकों का दुरपयोग न  हुआ हो ।  छोटा सा बगीचा जहां आपको अपने परिवार के लिए बहुत सी ताज़ी वहीं आपके चाहने वाले, नज़दीकी रिश्तेदार और ओसी-पड़ोसी भी इस सब्ज़ी को खरीदने में  दिखाएंगे क्यूंकि बाज़ार में तो ऐसी सब्ज़ी  ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलती। 

इसलिए छोटे बगीचे के सुझाव कम कारगर न होंगें। इनसे भी काफी फायदा मिल सकेगा। कम इंवेस्टमेंट से ही करीब पूरा अनुभव जुटाना अच्छा ही रहेगा। इसके बाद इसे कभी भी बजट देख कर बढ़ाया जा सकता है। जैसे जैसे उत्पादन बढ़ेगा वैसे वैसे इस कारोबार का दायरा बढ़ाना भी अच्छा रहेगा। यहाँ कुछ मूल्यवान छोटे बगीचे के सुझाव दिए गए हैं जो आपको अपने सीमित स्थान का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेंगे:

शुरुआत बेशक छोटे से बगीचे से ही की जाए लेकिन इसकी योजना और डिजाइन का एक अच्छा सा ब्लूप्रिंट बनाना बहुत ही फायदेमंद रहता है। इसलिए नए उद्यमियों को इन सभी छोटी छोटी लेकिन आरंभिक बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस  अनुभवी जानकारों की सलाह बहुत अनमोल रहती है। 

इसलिए सबसे पहले इसका ध्यान रखें कि छोटे से शुरुआत बहुत बड़े परिणाम दे सकती है। छोटे से शुरू करें जिस पर अपना पूरा ध्यान फॉक्स रखें। एक अच्छे प्रबंधकीय आकार का अनुभव आपको इस छोटी शुरुआत से शुरू करने पर ही होने लगेगा। जैसे ही काम बढ़ने लगे वैसे ही आवश्यकतानुसार इसका विस्तार भी ज़रूर करें लेकिन पूरी तरह से तरह से सोच विचार कर और पूरी योजना। 

इसे पूरी तरह से स्पष्ट करने के लिए यहां लोगों की मिसाल भी दी जाएगी और उनके ज़िक्र भी हम करेंगे।  कुछ मूल्यवान छोटे बगीचे हमारी टीम देखती रही है जो बहुत जल्द ही बड़े व्यवसाय में बदल गए। ऐसा पंजाब हरियाणा में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी देखा गया। इन बगीचों ने जहां अपने संस्थापकों को नौकरी की चाहत ही भुला दी वहां उन्हें इतना पैसा भी कमा कर दिखाया कि उन्होंने किसी बड़े उद्योगपति की तरह  किया। 

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य  राज्यों में अब लोग पारंपरिक कृषि से हट कर तेज़ी से बागबानी की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। इन लोगों  में अब एक नया चलन देखा जा रहा है। अब ये लोग अपनी समृद्ध कृषि विरासत को  लगभग त्यागते हुए बागबानी की तरफ आ रहे हैं। फूलों की खेती और फलों की काश्त इनका मन पसंद क्षेत्र बन रही है। इस नए चलन की वजह है कि छोटे बगीचे आकर्षक व्यवसाय के रूप में उभर रहे हैं। जैविक उत्पादों, सजावटी पौधों और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं की बढ़ती मांग के साथ, छोटे बगीचे नौकरी उन्मुख और पैसा कमाने वाली परियोजना बनते नज़र आ रहे हैं। इस पोस्ट में हम इन क्षेत्रों में छोटे बगीचों की संभावनाओं का पता लगाने और उन्हें सफल व्यावसायिक प्रयासों में बदलने के तौर तरीकों के बारे में भी विचार कर रहे हैं। 

कारोबार बागबानी//बगीचे का हो, नर्सरी का या सब्ज़िओं के उत्पादन का हो या कोई भी और लेकिन उसकी सफलता का बहुत बड़ा प्रतिशत बाजार की मांग पर टिका होता है। बाज़ार में बढ़ती मांग ही व्यवसायिक सफलता का मज़बूत आधार बनती है। उसी से उत्पादन की सही कीमत का अनुमान होता है। 

आजकल तेज़ी से आकर्षण बढ़ रहा है जैविक उत्पादनों की तरफ। बढ़ते हुए प्रदूषण और बिमारियों के चलते उपभोक्ता रसायन मुक्त फल और सब्जियाँ चाहते हैं जो  नहीं मिल पाती। हर घर परिवार अपनी ज़रूरत की सब्ज़ियां भी अपने घर में  नहीं   इतना भी आसान नहीं होता। इसलिए आम लोगों में छोटे बगीचे के मालिकों के लिए आकर्षक बाज़ार तेज़ी से विकसित होता जा रहा है। वैसे भी ऑर्गनिक सब्ज़ियों के स्वाद पूरी तरह से अलग होता है। हर किसी की कोशिश रहती है कि उसे वास्तविक ऑर्गनिक सब्ज़ियां आसानी से, नज़दीक और सही भाव पर मिल जाएं। इस मकसद के लिए बगीचा इत्यादि चलाने वालों कुछ  लोगों ने   समय पर डिलीवरी देने के लिए अपने छोटे हाथी या टैंपो जैसे वाहन भी रखे  हुए हैं। 

इसी तरह सजावटी पौधे भी हैं जिनकी आजकल बहुत मांग है। होटल, रेस्तरां और इवेंट प्लानर को भी विदेशी पौधों की आवश्यकता होती है, जिससे नर्सरी में उगाई जाने वाली प्रजातियों की मांग भी बढ़ती है। इस क्षेत्र में नए ग्राहक  तकरीबन हर रोज़  हैं। इनकी संख्या भी  रही है। 

इसके साथ ही चर्चा उनकी भी ज़रूरी है जो मेडिकल क्षेत्र से सबंधित हैं अर्थात हर्बल और औषधीय पौधे। इनकी मांग तो लगातार बढ़ती जा रही है। आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचारों में बढ़ती रुचि तुलसी, एलोवेरा और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियों की मांग को बढ़ाती है। लोग दवाओं से बुरी तरह तंग आ चुके हैं और लगातार आयुर्वेद और हर्बल जड़ी बूटियों की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर सही पहचान आ जाए तो इनका फायदा भी भी होता है। 

व्यावसायिक अवसर इसके कई उपक्षेत्रों में भी बढ़ रहे हैं। इन्हींमें से एक है नर्सरी व्यवसाय। नर्सरी व्यवसाय की जहल हर जगह मिल जाती है। यहां बहुत महंगे महंगे स्थानीय भूनिर्माताओं, बिल्डरों और खुदरा विक्रेताओं को सजावटी पौधे, रसीले पौधे और जड़ी-बूटियाँ उगाएँ और बेचें।

इसी तरह से जैविक खेती भी इसी से जुडी हुई है। उपभोक्ताओं को सीधे बेचने या रेस्तरां और होटलों को थोक आपूर्ति के लिए जैविक फल, सब्जियाँ और अनाज उगाएँ। इनकी मांग भी बहुत ज़ोरों से बढ़ रही है। हर क्षेत्र में है इसकी मांग। इस तरह इस दिशा में भी मुनाफा होगा ही होगा। 

आजकल मूल्य वर्धित उत्पाद भी बाज़ार में हैं। स्थानीय और ऑनलाइन बाजारों को लक्षित करते हुए बगीचे की उपज से जैम, अचार और मसाले बहुत   बेचे जाते हैं। इनकी मांग भी बहुत।  विभिन्न मोहल्लों और गलियों में इस तरह के सामान को बेचने वाले ठेले भी देखे जा सकते हैं और छोटी बसें भी। 

इसके साथ ही बढ़ रहा है कृषि से सबंधित पर्यटन। लोग जहां उत्पादन और किस्में देखने जाते हैं वहीं इससे सबंधित कार्यशालाएँ, बागवानी सत्र और खेत से लेकर मेज तक के अनुभव हासिल करने भी जाते हैं। इस तरह के इवेंट अक्सर आयोजित होते ही रहते हैं। आप भी ऐसे इवेंट आयोजित कर सकते हैं जिससे पर्यटक आकर्षित हों और राजस्व तेज़ी से अधिक उत्पन्न हो।

इंटरनेट की लोकप्रियता देखते हुए ऑनलाइन बिक्री भी बढ़ रही है। बीज, पौधे और बगीचे से संबंधित उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है। 

इस मामले में सफलता की कहानियां भी बहुत हैं। जालंधर का ग्रीन थंब बहुत प्रसिद्ध हुआ। श्रीमती रूपिंदर कौर ने अपने 1 एकड़ के बगीचे को एक संपन्न नर्सरी में बदल दिया, स्थानीय बिल्डरों और लैंडस्केपर्स को पौधे उपलब्ध कराए। इससे जहाँ उनकी  सेहत को फायदा मिला वहीं आर्थिक खुशहाली बढ़ी। 

इसी तरह से करनाल का ऑर्गेनिक ओएसिस भी लोगों में बहुत पॉपुलर हुआ है। श्री विवेक शर्मा का 2 एकड़ का ऑर्गेनिक फ़ार्म दिल्ली-एनसीआर के शीर्ष रेस्तराँ को ताज़ा उपज प्रदान करता है। इसकी मांग भी बहुत है। इसकी गुणवत्ता की तारीफ़ भी काफी होती है। 

अब तो सरकार ने भी इसे उत्साहित करने के प्रयास बहुत तेज़ कर  दिए हैं।

सरकारी पहल अब बहुत ही अच्छी तरह से मिलने लगी है। इस बढ़ी हुई पहल का फायदा भी बगीचा उद्योग में लगे लोगों को मिलने लगा है। इससे बगीचा  व्यवसाय और मज़बूत होने लगा है। 

कुल मिला कर पंजाब और हरियाणा में छोटे बगीचों में व्यावसायिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। कहा जा सकता है कि आर्थिक खुशहाली आपके द्वार पर है। बाजार की मांग को पहचानकर, सरकारी पहलों का लाभ उठाकर और अभिनव प्रथाओं को अपनाकर, बाग मालिक अपने जुनून को लाभदायक उद्यमों में बदल सकते हैं। खिलती, महकती और मुस्काहटें बिखेरती हुई यह बगीचा क्रांति आपको भी बुला रही है। आप भी इसमें में शामिल हों और भारत के कृषि क्षेत्र के केंद्र में एक सफल व्यवसाय विकसित करें।

बातें और भी हैं। मुद्दे और भी हैं। पहलू और भी हैं -हम इन सब की चर्चा करते रहेंगे आने वाली पोस्टों में। इन सभी जानकारियों से फायदा उठाने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ। 

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रविवार, अक्तूबर 06, 2024

नागालैंड आपकी कल्पना से भी ज़्यादा खूबसूरत है

वहां का खान-पान और रीति रिवाज तेज़ी से मोह लेते हैं 

Photo by MOHAMED ABDUL RASHEED on Unsplash
चंडीगढ़//कोहिमा: 5 अक्टूबर 2024: (के के सिंह//मीडिया लिंक//इर्द-गिर्द डेस्क)::

पर्यटन की बात करें तो दुनिया बहुत बड़ी लगती है लेकिन अगर सैलानी बन कर निकल चलें तो सारी की सारी विशाल दुनिया भी कुछ समय बाद छोटी लगने लगती है। इस दुनिया का हर कोना, हर क्षेत्र अपने आप में कोई न कोई खासियत समेटे हुए है। बहुत से इलाकों की विशेषताएं ज़्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाती लेकिन जो लोग घूमने जाते हैं वे इन्हें ढूंढ ही लेते हैं। आज बात  उत्तर पूर्वी  राज्यों की।  फ़िलहाल नागालैंड की चर्चा। 

आप भी जानते ही होंगें कि आम तौर पर्यटन की इच्छा रखने वालों का ध्यान देश के उत्तरपूर्वी राज्यों की तरफ बहुत कम जाता है। वास्तव में पूर्वोत्तर भारत खूबसूरत जगहों का बहुत है। जहां  प्राकृतिक सुंदरता बार बार बुलाती है। वहां के जन जीवन की  विविधता हर दिल को आकर्षित करती है। कुछ लोगों को वहां के बारे में गलतफहमियां भी होती हैं  वहां सैलानी के तौर पर जाने की पूरी जानकारी भी नहीं होती। हम आपको बताएंगे नागालैंड में पर्यटन का सही राह और ढंग तरीका। नागालैंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल और उन तक पहुंचने के लिए आसान मार्ग भी उपलब्ध हैं। इस सारे पर्यटन प्रोजेक्ट पर कितना कितना खर्चा आएगा हम यह भी बताएंगे। कितने खर्चे में आप कितने दिन में आप  सकेंगे हम यह भी बताने की करेंगे। 

आप से अपनी इस वार्ता के दौरान हम एक बार फिर दोहरा दें कि नागालैंड पूर्वोत्तर भारत का एक बेहद खूबसूरत राज्य है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें आप कुछ दिनों में ही  आराम से देख सकते हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों और वहां तक पहुंचने के मार्ग के बारे में जानकारी इस प्रकार है। सबसे पहले हम बात  कोहिमा की। 

बहुत सी बातों के लिए प्रसिद्ध राज्य नागालैंड की बात करें तो कोहिमा खुद में ही बहुत विशेष है और कोहिमा वॉर सेमेट्री तो बहुत ही। यह स्थल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है। यहां थोड़ा सा ध्यान मग्न होते ही आप अनुभव कर सकेंगे युद्ध के उस बेहद भयावह समय वह दर्द। उस  बलि ले ली इसका सही शायद  सके।   

बहुत सी विशेषताओं वाले नागालैंड में एक और विशेष गांव भी है जिसे त्सेमिन्यु विलेज कहा जाता है। अंगामी जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को जानने का ही बेहतरीन स्थान है।  अंगामी जनजाति के जनजीवन की परंपराओं और संस्कृति की महक आप  में बहुत , महसूस कर सकेंगे। 

ज़िंदगी में पर्यटन के दौरान झीलें शायद आप ने भी बहुत देखी होंगीं लेकिन दिजू लेक का जलवा तो बिलकुल ही अलग। यह एक एक खूबसूरत पहाड़ी झील, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श भी कही जा सकती है। इसकी  खूबसूरती देखते ही बनती है। प्रकृति की छटा का अंदाज़ ही अलग है इस झील में। 

पर्यटन शुरू समय कोहिमा तक कैसे पहुंचें यह सवाल भी बहुत महत्वपूर्ण है। हवाई  निकटतम हवाई अड्डा है दीमापुर। दीमापुर हवाई अड्डा कोहिमा से लगभग 70 किमी की दूरी पर है। जिसे सड़क मार्ग से बहुत ही आसानी से  तय किया जा सकता है। 

कोहिमा जाएं तो दीमापुर भी महत्वपूर्ण है। कई बार दीमापुर पहले आ जाता है और कई बार कोहिमा।   लेकिन दीमापुर कैसे पहुंचा जाए तो यह जानना भी ज़रूरी। इसकी चर्चा भी हम करेंगे ही। दीमापुर से टैक्सी या बस द्वारा आप लोग कोहिमा पहुंच सकते हैं। टैक्सी का एकतरफा किराया अनुमानता ₹2000-3000 होगा। यह दर कभी कभार कम ज़्यादा भी हो सकती है। इसलिए अब आती है कोहिमा से दीमापुर जाने की बात। इस पर भी समय तो  लेकिन कितना? समय की बात भी आवश्यक  है। आम तौर पर दीमापुर से कोहिमा पहुंचने में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। इतनी दूरी और इतना समय शायद सही भी है। 

उत्तर पूर्वी भारत देखते समय नागालैंड जानेवाली इस पहली ही ट्रिप पर खर्च की बात करें तो होटल  में रहने का खर्च  ₹2000-₹5000 प्रति रात आ सकता है। होटल के मुताबिक कुछ कम ज़्यादा भी संभव है। इस तरह भोजन पर ₹500-₹1000 प्रति दिन दिन आ।  इस मामले में भी कम ज़्यादा की संभावना बानी रहती है। इसके साथ साथ लोकल आवाजाई का खर्चा भी होता है। स्थानीय यात्रा: ₹500-₹1000 प्रति दिन के हिसाब से पड़ सकती है। कुछ और स्थान और कुछ और बातें हम आपको अलग पोस्ट  में बताने  वाले हैं। आपके ज्ञान  वृद्धि होगी और साथ ही कैरियर और कारोबार में भी फायदा होने की संभावना रहेगी।  

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