वहां का खान-पान और रीति रिवाज तेज़ी से मोह लेते हैं
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पर्यटन की बात करें तो दुनिया बहुत बड़ी लगती है लेकिन अगर सैलानी बन कर निकल चलें तो सारी की सारी विशाल दुनिया भी कुछ समय बाद छोटी लगने लगती है। इस दुनिया का हर कोना, हर क्षेत्र अपने आप में कोई न कोई खासियत समेटे हुए है। बहुत से इलाकों की विशेषताएं ज़्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाती लेकिन जो लोग घूमने जाते हैं वे इन्हें ढूंढ ही लेते हैं। आज बात उत्तर पूर्वी राज्यों की। फ़िलहाल नागालैंड की चर्चा।
आप भी जानते ही होंगें कि आम तौर पर्यटन की इच्छा रखने वालों का ध्यान देश के उत्तरपूर्वी राज्यों की तरफ बहुत कम जाता है। वास्तव में पूर्वोत्तर भारत खूबसूरत जगहों का बहुत है। जहां प्राकृतिक सुंदरता बार बार बुलाती है। वहां के जन जीवन की विविधता हर दिल को आकर्षित करती है। कुछ लोगों को वहां के बारे में गलतफहमियां भी होती हैं वहां सैलानी के तौर पर जाने की पूरी जानकारी भी नहीं होती। हम आपको बताएंगे नागालैंड में पर्यटन का सही राह और ढंग तरीका। नागालैंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल और उन तक पहुंचने के लिए आसान मार्ग भी उपलब्ध हैं। इस सारे पर्यटन प्रोजेक्ट पर कितना कितना खर्चा आएगा हम यह भी बताएंगे। कितने खर्चे में आप कितने दिन में आप सकेंगे हम यह भी बताने की करेंगे।
आप से अपनी इस वार्ता के दौरान हम एक बार फिर दोहरा दें कि नागालैंड पूर्वोत्तर भारत का एक बेहद खूबसूरत राज्य है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें आप कुछ दिनों में ही आराम से देख सकते हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों और वहां तक पहुंचने के मार्ग के बारे में जानकारी इस प्रकार है। सबसे पहले हम बात कोहिमा की।
बहुत सी बातों के लिए प्रसिद्ध राज्य नागालैंड की बात करें तो कोहिमा खुद में ही बहुत विशेष है और कोहिमा वॉर सेमेट्री तो बहुत ही। यह स्थल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है। यहां थोड़ा सा ध्यान मग्न होते ही आप अनुभव कर सकेंगे युद्ध के उस बेहद भयावह समय वह दर्द। उस बलि ले ली इसका सही शायद सके।
बहुत सी विशेषताओं वाले नागालैंड में एक और विशेष गांव भी है जिसे त्सेमिन्यु विलेज कहा जाता है। अंगामी जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को जानने का ही बेहतरीन स्थान है। अंगामी जनजाति के जनजीवन की परंपराओं और संस्कृति की महक आप में बहुत , महसूस कर सकेंगे।
ज़िंदगी में पर्यटन के दौरान झीलें शायद आप ने भी बहुत देखी होंगीं लेकिन दिजू लेक का जलवा तो बिलकुल ही अलग। यह एक एक खूबसूरत पहाड़ी झील, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श भी कही जा सकती है। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। प्रकृति की छटा का अंदाज़ ही अलग है इस झील में।
पर्यटन शुरू समय कोहिमा तक कैसे पहुंचें यह सवाल भी बहुत महत्वपूर्ण है। हवाई निकटतम हवाई अड्डा है दीमापुर। दीमापुर हवाई अड्डा कोहिमा से लगभग 70 किमी की दूरी पर है। जिसे सड़क मार्ग से बहुत ही आसानी से तय किया जा सकता है।
कोहिमा जाएं तो दीमापुर भी महत्वपूर्ण है। कई बार दीमापुर पहले आ जाता है और कई बार कोहिमा। लेकिन दीमापुर कैसे पहुंचा जाए तो यह जानना भी ज़रूरी। इसकी चर्चा भी हम करेंगे ही। दीमापुर से टैक्सी या बस द्वारा आप लोग कोहिमा पहुंच सकते हैं। टैक्सी का एकतरफा किराया अनुमानता ₹2000-3000 होगा। यह दर कभी कभार कम ज़्यादा भी हो सकती है। इसलिए अब आती है कोहिमा से दीमापुर जाने की बात। इस पर भी समय तो लेकिन कितना? समय की बात भी आवश्यक है। आम तौर पर दीमापुर से कोहिमा पहुंचने में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। इतनी दूरी और इतना समय शायद सही भी है।
उत्तर पूर्वी भारत देखते समय नागालैंड जानेवाली इस पहली ही ट्रिप पर खर्च की बात करें तो होटल में रहने का खर्च ₹2000-₹5000 प्रति रात आ सकता है। होटल के मुताबिक कुछ कम ज़्यादा भी संभव है। इस तरह भोजन पर ₹500-₹1000 प्रति दिन दिन आ। इस मामले में भी कम ज़्यादा की संभावना बानी रहती है। इसके साथ साथ लोकल आवाजाई का खर्चा भी होता है। स्थानीय यात्रा: ₹500-₹1000 प्रति दिन के हिसाब से पड़ सकती है। कुछ और स्थान और कुछ और बातें हम आपको अलग पोस्ट में बताने वाले हैं। आपके ज्ञान वृद्धि होगी और साथ ही कैरियर और कारोबार में भी फायदा होने की संभावना रहेगी।
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