इन आवाज़ों का पीछा ही कराएगा आपको पर्यटन में गहरे अनुभव
चंडीगढ़: 28 जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//इर्द गिर्द डेस्क)::
किसी घूमने जाने की इच्छा वास्तव में हमारे गहरे अंतर्मन है। प्रकृतिक जुड़ाव हमें एक दुसरे के नज़दीक लाने के प्रयास निरंतर है। कुछ लोग, कुछ स्थल हमें लगातार आवाज़ें देते रहते हैं। वे आवाज़ें निरथर्क नहीं होती। जो लोग उन आवाज़ों को सुनना शुरू कर देते हैं वे चल पड़ते हैं उन आवाज़ों के पीछे। क्या आपने ऐसी कोई आवाज़?
धर्म और अध्यात्म की दुनिया में यह पंक्ति बहुत लोकप्रिय रही है कि जो ब्रहमंडे सोई पिंडे जो खोजै सो पावै। यह पंक्ति भक्त पीपा जी के लोकप्रिय शब्द में से ली गई है। संत पीपाजी एक प्रजाप्रिय शासक, महान संत व कवि थे। उनका जीवन सदैव प्रेरणादायी रहा भी और रहेगा भी। उनकी यह पंक्ति ब्रह्मण्ड और एकता को भी बताती है और इसकी खोज का भी इशारा करती है। किस्मत वाले लोग ही।
वास्तव में हमारी इधर उधर की भटकना जाने जाने अनजाने अंतर्मन की बेचैनी का ही परिणाम होती है। उसी बेचैनी के चलते लोग शराब जैसे नशे में फंस जाते हैं और उसी के चलते इधर उधर किसी न किसी नै जगह जा कर फंस जाते हैं। मन की शांति फिर भी नहीं मिलती। लेकिन अगर बैठे ही अपने छिपे ब्रह्मंड को देखने की प्यास जाग उठे तो उस खोज का आनंद ही अलग होता है। यह खोज किसी एक सध लोकेशन या स्टेशन की ही नहीं बल्कि सितारों से आगे की यात्रा भी करवा देती है। बस थोड़ी सी प्यास और थोड़ी सी नियमित मेडिटेशन और यूं लगने लगता है जैसे चले गए आसमानों के उस पार। जितनी देर आप आंखें मूँद कर बैठे रहेंगे आप को यह दूर ब्रह्मण्ड की सैर का अहसास होता। रहेगा दुनिया में रहने का बोध भी बना रहेगा।
लेकिन सब को यह अनुभूतियां पहली बार में नहीं होतीं। अंदर की प्यास जागने लगती है। इसी प्यास के चलते फिर बहुत से कहीं दूर दराज के स्टेशन पर जाना चाहते हैं। इच्छा और प्यास का होना तो बहुत अच्छा है लेकिन आम पर्यटन के लिए क्या दूर दराज जाना ठीक और आवश्यक होता है? क्या अपने ही आस पास और नज़दीक रहते हुए इस प्यास को नहीं बुझाया जा सकता? आप नज़दीक के पर्यटन स्थल भी ढूंढ सकते हैं। आओ दोनों के फायदों और चुनौतियों पर डालते हैं एक नज़र।
दूर दराज जाने का एक रोमांच भी होता है और रोमांस भी। आसमान छूते हुए पर्वतों के शिखर। किसी पर्वत के किसी ऊंचे गाँव में खड़े हो कर अगर नीचे की तरफ नज़र नज़र डालें तो तैरते हुए बादल और उड़ाते हुए मोर बहुत मधुर सा दृश्य दिखते हैं। रात्रि को वहां तारे नीचे नज़र डाल कर भी देखे जा सकते हैं तब महसूस होता है अरे भई तारे ज़मीन पर कैसे आ गए?
मैदानों में कल कल बहता पानी इतना निर्मल होता है कि पूरी तरह से पारदर्शी लगता है। उसकी ठंडक और उसका स्वाद भी अलौकिक सा ही होता है। पहाड़ी लोगों का जनजीवन, जगह जगह छोटे छोटे और बड़े स्थानों पर बने मंदिर एक अलग तरह की ही आस्था जगाते हैं। रेल और सड़क के ज़रिए आवाजाई के साधन, जगह जगह खुले हुए ढाबे और अन्य दुकानें इन सभी में एक अलग सा आकर्षण होता है।
दूर-दराज के स्थानों पर जाने में कुछ कठिनाईयां भी होती हैं और इनके कई फायदे भी होते हैं। दूर दराज जा कर आपको दूर के लोगों की संस्कृति देखने को मिलते हैं। उनके साथ बहुत सी समानताएं भी मिलेंगी। खानपान के मामले में बहुत से नए व्यंजन भी मिलेंगे। वहां लोग कैसे कपड़े पहनते हैं इसका भी कुछ अनुभव होगा। हालां कि पौशाक घर की हो या बाहर पहनने की उस स्थानीय लाइफ स्टाईल को सामने रख कर व्यक्तिगत सुविधाओं के मुताबिक ही बनाया जाता है।
दूर दराज जा कर नई संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव होगा। इसके साथ ही अलग-अलग जगहों की संस्कृति, खान-पान, और रीति-रिवाज जानने को मिलते हैं। वहां के रीति रिवाज, दिन त्यौहार, शकुन-अपशकुन, साहित्य और कला के नए नए लोग मिलते हैं।
इस तरह की यात्राओं में रोमांचक अनुभव भी बहुत से होते हैं। इस मामले में भी नए और अद्वितीय अनुभव मिलते हैं जैसे कि पहाड़ों की ट्रेकिंग, रेगिस्तान सफारी, समुद्र तटों का आनंद आदि। इन सभी क्षेत्रों में जो चाहिए उन्हें कैरियर भी कई बार अच्छा मिल जाता है। साहसिक गतिविधियों का मज़ा भी अलग से मिलता है। स्कीइंग, स्कूबा डाइविंग, पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों का मौका भी खुल कर मिलता है। कुल मिलाकर ज़िन्दगी के इस सफर में गुज़ारा गया थोड़ा बहुत समय भी बहुत ही यादगारी बन जाता है।
इसी तरह से आस-पास और नजदीक स्थानों का दौरा करने के भी कई फायदे होते हैं। एक तो आप अपने मूल रिहायशी केंद्र के नज़दीक रहते हैं। आज के ज़माने में घर बार पर नज़र रखना आसान रहता है। दूसरा नज़दीक के स्थानों की यात्रा कम खर्च में हो जाती है। एक परिवहन के मामले में यात्रा का खर्च कम होता है क्योंकि लंबी दूरी की यात्रा का खर्चा बचता है। इसके साथ ही समय भी काम लगता है। समय की बचत होती है। यात्रा का समय कम होने के कारण आप ज्यादा समय पर्यटन स्थल पर बिता सकते हैं।
नज़दीक के स्थानों पर जाने से आपको परिचितता का फायदा है। पास के स्थानों की जानकारी पहले से होने के कारण यात्रा अधिक सहज और सुरक्षित होती है। दूर दराज के क्षेत्र में अज्ञानता से कई बार नुकसान भी हो जाते हैं। वहां न आपको रास्ते मालुम होते हैं और न ही परिवहन की पूरी जानकारी। ठहरने और खानेपीने के मामले में भी आपको हालात के साथ समझौता करना पड़ता है।
स्वस्थ पर्यावरण प्रभाव भी यात्रा से ही मिलता है। नज़दीक की यात्रा करने से पर्यावरण पर कम बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यात्रा के लिए कम ईंधन की आवश्यकता होती है।
निर्णय लेने के लिए दुविधा हो तो सबसे पहले अपना उद्देश्य स्पष्ट करें। यात्रा का उद्देश्य तय करें कि आप आराम चाहते हैं, रोमांच, सांस्कृतिक अनुभव या कुछ और। इस तरह आपको स्वयं ही जवाब मिलना शुरू हो जाएगा कि आपके लिए कहां घूमने जाना उचित रहेगा।
इसके साथ ही महत्वपूर्ण होता है समय और बजट का ध्यान रखना। नौकरी लोगों को भी इसका ध्यान रखना पड़ता है और कारोबारी लोगों को भी। अपनी यात्रा के लिए उपलब्ध समय और बजट का ध्यान बहुत ज़रूरी। है इसकी चिंता शायद वही छोड़ सकते हैं जिनके पास बेशुमार धन भी हो और साथ ही उनके पीछे उनका काम काज संभालने वाला समझदार स्टाफ भी।
घूमने जाना हो तो स्वास्थ्य और सुरक्षा बेहद ज़रूरी हो जाते हैं। अपनी स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता दें, खासकर तब जब आप दूर-दराज के स्थानों की यात्रा कर रहे हों। जहाँ जहाँ जाना है और जिस जिस रास्ते से जाना है वहां के मौसम और पर्यावरण का पूरा पता होना आवश्यक है।
पर्यटन के लिए दूर-दराज स्थानों पर जाने का अपना एक अलग ही आनंद होता है, लेकिन आस-पास और नजदीक के स्थानों का दौरा करने के भी कई फायदे हैं। आइए, दोनों के फायदों पर एक नज़र डालते हैं। इससे फायदा आपको भी होगा और समाज को भी।
कहीं न कहीं अपने घूमने पूरा करते हुए आप स्थानीय पर्यटन और स्थानीय लोगों की अर्थ व्यवस्था को को समर्थन: आस-पास के पर्यटन स्थलों की यात्रा करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन दें। बहुत से छोटे छोटे लेकिन बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल ऐसे के लोगों की दाल रोटी सैलानियों से ही चलते हैं। इस लिए अगर कुछ महंगा भी लगे तो खरीद अवश्य लें। म्हणत करके रोटी खाने वालों के हाथ मज़बूत करना बहुत अच्छा रहता है।
अंत में, चाहे आप दूर-दराज स्थानों की यात्रा करें या आस-पास के स्थानों की, महत्वपूर्ण यह है कि आप यात्रा का आनंद लें और नए अनुभवों से खुद को समृद्ध बनाएं। इससे आपका देश और दुनिया के साथ एक भावुक जुड़ाव पैदा होगा जो हर बार मज़बूत होता चला जाएगा जाएगा। हो सके तो आप भी सुनिए उन आवाज़ों को जो आपको पुकार रही हैं।