मंगलवार, मई 15, 2012

बहुत ही उत्साह से देखा गया रेड रिबन एक्सप्रेस को

रेड रिबन एक्सप्रेस जब 15 मई 2012 को तमिलनाडू के ज़िला करूर में पहुंची तो वहां इसे बहुत ही उत्साह से देखा गया।  इस मौके पर जिला कुलेक्टर सुश्री वी शोभना ने भी इस रेलगाड़ी में लगी प्रदर्शनी को विशेष तौर पर देखने के लिए \वक्त  निकला।.(पीआईबी फोटो)   15-May-2012

सोमवार, मई 14, 2012

दूरियों को नजदीकियों में बदलने का एक और प्रयास


ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा पुल
विशेष लेख


एच सी कुंवर *
            असम में बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर रेल सह रोड़ पुल बनाए जाने की घोषणा 1996-97 के रेल बजट में एक राष्‍ट्रीय परियोजना के रूप में की गई थी। इसकी आधारशिला 1997 में तत्‍कालीन भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई और निर्माण कार्य वर्ष 2002 में शुरू किया गया। देश के इस सबसे लंबे पुल को 2007 में एक राष्‍ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। इसका निर्माण पूर्वोत्‍तर फ्रंटियर रेलवे करवा रहा है और काम चल रहा है। इसकी अनुमानित लागत रूपये 3232.01 करोड़ है और इसके अंतर्गत छोटे-बड़े पुलों, स्‍टेशनों और तटबंधों को मजबूत करने का काम भी शामिल है जो इस पुल के उत्‍तरी तट और दक्षिणी तट पर पूरा किया जा चुका है।

लक्ष्‍य मार्च 16                              करोड़ रूपये में
स्‍वीकृति का वर्ष
अनुमानित लागत
अनुमानित संपूर्णता मार्च-12
   2012-13
प्रगति ( %)
1997-98
3230.01
2382.61
 परिव्‍यय    
व्‍यय (अप्रैल     12 तक)
75 %
230
-

      इस पुल की लंबाई 4.940 किलोमीटर होगी और इसे बनाने के लिए 42 खंभे खड़े किये जायेंगे। इनमें से 32 खंभे बनाने का काम पूरा किया जा चुका है और इस सेतु के 2013 तक बनकर पूरा हो जाने की संभावना है। इस परियोजना को पूरी करने की सबसे बड़ी बाधा मौसम है क्‍योंकि निर्माण कार्य सूखे मौसम में ही चलता है। ऐसा कार्य सिर्फ चार महीनों के दौरान 15 नवम्‍बर से 15 मार्च तक हो पाता है। वर्ष के बाकी महीनों के दौरान यहां बारिश होती रहती है जिससे नदी में खंभे गलाने का काम मुश्किल हो जाता हे। वर्ष 2015-16 तक इसे बना कर चालू कर देने का लक्ष्‍य तय किया गया है1
      बोगीबील रेल सड़क सेतु पर बड़ी लाइन की दोहरी लाइनें बिछाई जायेंगी और इसपर तीन लेन वाली सड़क होगी जिससे ब्रह्मपुत्र नदी के उत्‍तरी और दक्षिणी तट को जोड़ा जा सकेगा और इसपर यातायात सुगम हो सकेगा। अरूणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी भाग के लोगों को इसके कारण बहुत लाभ होगा। इस सेतु के बन जाने पर असम के सोनितपुर, लखीमपुर, ढेमाजी जिलों और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए असम आना-जाना आसान हो जायेगा। अभी तक इन लोगों को ब्रह्मपुत्र नदी नाव से पार करनी पड़ती है।
      अरुणाचल प्रदेश के लोगों को इसके रास्‍ते ईटानगर जाने पर चौबीस घंटे से ज्यादा का समय बचेगा। यही नहीं इस सेतु के बन जाने पर रंगिया से मुकोंगसेलेक बड़ी लाइन के बीच संपर्क जुड़ जायेगा और देश के अन्‍य भागों से लोग सीधे वहां पहुंच सकेंगे। इसके चलते ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच संपर्क भी सुधरेगा। इस बड़ी परियोजना के पूरी हो जाने पर पूरे इलाके का सामाजिक-आर्थिक विकास तेज ही नहीं होगा बल्कि पूर्वी क्षेत्र में देश की सुरक्षा व्‍यवस्‍था भी मजबूत होगी। (पीआईबी)
*उपनिदेशक (मीडिया एवं संचार), रेल मंत्रालय

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