मंगलवार, सितंबर 02, 2014

प्रधानमंत्री मोदी ने की नेता जी के सबसे पुराने साथी के साथ मुलाक़ात

02-सितम्बर-2014 19:43 IST
भारतीय समुदाय के समारोह में प्रधानमंत्री का संबोधन यादगारी रहा 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 02 सितंबर, 2014 को जापान के तोक्यो में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सबसे पुराने साथी रहे 99 वर्षीय साइशिरो मिसुमी से मुलाकात करने पहुंचे। (पसूका-हिंदी इकाई)
The Prime Minister, Shri Narendra Modi reaches out to 99 year old Saichiro Misumi, Netaji's oldest living associate in Japan, in Tokyo, Japan on September 02, 2014
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज जापान के तोक्‍यो में एक स्‍वागत समारोह के दौरान भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्‍होंने जापान की यात्रा को सफल बताया और जापान द्वारा की गई 3.5 ट्रिलियन येन के निवेश की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्‍होंने छह भारतीय कम्‍पनियों पर लगाई गई पाबंदी को हटाने का भी जिक्र किया और कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि दोनों देशों के आपसी रिश्‍ते विश्वास के मजबूत धागे पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री ने वाराणसी-क्योतो साझेदारी नगर सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए जाने पर भी संतोष जताया और उम्‍मीद जताई कि वाराणसी भी क्‍योतो जैसे एक आधुनिक धरोहर नगर के रूप में उभरेगा।

प्रधानमंत्री ने जिक्र किया कि उन्‍होंने जापान के सम्राट अकिहितो और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे दोनों को ही बतौर भेंट भगवत गीता दी है।

महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती यानी 2019 तक स्‍वच्‍छ भारत के अपने विजन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने जापान में भारतीय समुदाय के हर परिवार से आग्रह किया कि वे जापान से प्रत्‍येक वर्ष पांच जापानी परिवारों को भारत की यात्रा करने के लिए प्रेरित करें। उन्‍होंने जापान में भारतीय समुदाय से गवर्नेंस पर हाल ही लांच की गई ‘माईगव. इन’ वेबसाइट पर सुझाव देने की भी अपील की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी निश्चित रूप से एशिया की सदी होगी लेकिन यह क्‍या आकार लेता है, यह इस पर निर्भर करेगा कि भारत और जापान के बीच रिश्‍ते किस प्रकार पनपते हैं, यह किन मूल्‍यों को बढ़ावा देता है और यह विश्‍व को किस दिशा में ले जाता है। उन्‍होंने जापान में भारतीय समुदाय से इस परिपेक्ष्‍य में इनकी अहमियत की सराहना करने का आग्रह किया।
वि. कासोटिया/एएम/आरआरएस/एसएसके-3471

गुरुवार, जनवरी 02, 2014

कौन सा मार्ग शेष रह गया//पंडित सिद्धार्थ शर्मा

Thu, Jan 2, 2014 at 12:36 PM
अब तो कमजोर और पाखण्ड का ये देश है 
अब ना भगत ना सुखदेव ना राज गुरु शेष हैं 

हे भारत भू हे सखी तू 
लौट जा उस काल में तू 
जब तेरे बालक के बाजू में था दम
जब था वो यमुना का जल सरस पावन
जब स्वम माधव ने भरी सभा चीर को बढाया 
जब एक धागे की कसम ने रक्षा बन्धन का सम्मान पाया 
जब भीम ने दुर्योधन के घमण्ड को जन्घा से हटाया
जब दुर्गा ने धरा पर माता का सम्मान पाया 
अब तो कमजोर और पाखण्ड का ये देश हैं 
अब ना भगत ना सुखदेव ना राज गुरु शेष हैं 
पैसा कमाना कैसे सब ये पढाते
जीवन जीना कैसे ये सब भूल जाते
आदर्श के नाम पे घोटाला लिखा हैं 
गैर ने नही ये खून तेरा अपनो ने पिया हैं 
हे भवानी ! क्यू राजपूतो का खून अब ना डोले
देख कर ये हशर कोई उद्धम सिंह क्यू ना बोले 
बस मंदिरो में सब ने तुझ को कैद कर दिया हैं 
केवल विनाश  का रास्ता ही शेष रह गया हैं 

--पंडित सिद्धार्थ शर्मा  (सत्र 2004-08)