मंगलवार, मार्च 03, 2020

कोई फरिश्ता मिल गया था सरे राह चलते चलते......

 पहली मार्च 2020 को सुबह 9:21 पर पोस्ट किया
विजय जी जैसे लोग मिसाल है कि इंसानियत अभी मरी नही
कल रात एक बहुत अच्छी घटना हुई मेरे साथ। 
प्रतीकत्मक तस्वीर स्काईपॉवर से साभार 
रात को 1:15 पर मैं दिल्ली से गुड़गांव अपने घर लौट रहा था कि कापसहेड़ा बॉर्डर से गुड़गांव में घुसने के 5 मिनट बाद अचानक बाइक खराब हो गई। सुनसान सड़क, सोचा कि बाइक कहि पार्क करके कैब से घर जाया जाए। लेकिन बाइक खड़ी करने की कोई सेफ जगह नही मिल पाई तो मैंने बस स्टैंड पेड पार्किंग तक 4 किलोमीटर पैदल चलने का फैंसला लिया। मैं परेशान होकर मन मे विचार कर रहा था क्या मैं ऐसे सुबह तक भी अपने घर सेक्टर-103 में पहुच पाउगा जो कि 12 किलोमीटर दूर है। अभी कुछ दूर ही चला था कि एक मारुति कंपनी में 8 वर्ष से कार्यरत 30 वर्षीय अलवर राजस्थान के विजय बोहरिया जी नाम के बाइक सवार फरिश्ते ने जॉब से लौटते वक्त खुद बाइक रोक कर पूछा कि कोई मदद चाहये क्या। मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने कहा कि धन्यवाद आप रात के डेड बजे बिना डर खोंफ के एक अनजान की मदद को आए। आपका मैं किन शब्दो मे धन्यवाद करू.... विजय जी से बात करके पता चला कि विजय जी सेक्टर 105 की तरफ ही जा रहे है जो कि मेरे घर से केवल 2 किलोमीटर दूर है। विजय जी और मैंने फैंसला लिया कि क्योकि बाइक पार्क करने की कोई सेफ जगह नही है तो विजय जी मेरी बाइक को अपनी बाइक से पैर से धक्का लगाएगे और हम बस स्टैंड पेड पार्किंग में बाइक खड़ी करके उनकी बाइक पर सेक्टर 105 की तरफ निकल पड़ेगे। ऐसा हुआ भी और मैं रात के 2 बजे तक अपने घर विजय जी द्वारा सुरक्षित पहुचा दिया गया। विजय जी से बात करके पता चला कि विजय जी आप बहुत शरीफ इज्जतदार इंसान है। 
विजय जी जैसे लोग मिसाल है कि इंसानियत अभी मरी नही। कुछ लोग अपनी जान की बाजी लगाकर रिस्क लेकर दूसरों की मदद करने को आज भी ततपर है। विजय जी आपको मैं वचन देता हूं कि जीवन मे कभी कोई कष्ट आए तो मुझ नाचीज इंसान को एक बार आज़मा कर देख लेना। 
विजय जी आपकी हर जायज मदद को सदैव तत्पर---🙏🏼
विनीत लूथरा
बाइक को पीछे अपनी बाइक से पैर से धक्का लगाना 
विनीत लूथरा जी के फेसबुक प्रोफाईल से साभार 

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